अब आगे,
करीब आधा घंटे बाद,
रूही और वो दादा जी हाइवे वाली किराने की दुकान तक पहुंच चुके थे और फिर जब रूही ने उस किराने की दुकान को खुला हुआ देखा तो रूही अपने आप में बड़बड़ाते हुए कहा, "हे बाके बिहारी (भगवान) आप का बहुत बहुत आभार...!"
रूही की बात सुन कर अब उन दादा जी ने रूही से कहा, "क्या बेटा इतनी सी बात के लिए भी कोई भगवान को परेशान करता है भला...!"
दादा जी की बात सुन कर रूही ने बस मुस्करा दिया क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम उस के साथ जो व्यवहार करा करती थी उस की वजह से उस का राशन के बगैर जाना अपनी मौत को बुलावा देने जैसा था..!
अब रूही उस किराने वाली दुकान पर पहुंच गई पर आज ज्यादा भीड़ नजर आ रही थी, क्योंकि आज मंगलवार होने से पूरे बनारस की सारी दुकानें बंद ही रहती थी और धूप तेज होने की वजह से रूही ने अपनी चुनरी से अपना चेहरा को ढक लिया..!
पर रूही को लाइन में खड़े होने से कोई परेशानी नही थी बस रूही तो इस बात से ही खुश थी कि राशन की दुकान खुली हुई हैं और उस को राशन मिल जायेगा और रूही भी जाकर लाइन मे खड़ी हो गई..!
करीब एक घंटे बाद,
रूही का नंबर आया तो उस की सौतेली मां कुसुम ने जैसा कहा था उस के मुताबिक रूही ने अब उतने ही चावल और आटा ले लिया और उस राशन की दुकान से वापस आ गई..!
अब रूही ने देखा कि वहा उस हाइवे पर सब्जी के ठेले वाले भी खड़े हुए थे तो अब रूही ने वहा से सब्जी भी ले ली और अब वो बस किसी फल के ठेले वाले को ही देख रही थी कि कोई मिल जाए नही तो उस को फिर फल मंडी जाना पड़ेगा और कही वो भी बंद मिली तो घर पहुंचने में ही रात हो जायेगी..!
रूही ये सोच ही रही थी तभी वहा एक बूढ़े बाबा अपना फल का ठेला लेकर आ ही रहे थे तो रूही ने उन फल वाले बूढ़े वाला को रोक कर उन से बचे हुए रुपए से फल ले लिए और वहा से अपने घर के लिए जाने लगी..!
और वो बूढ़े बाबा अब अपना ठेला लेकर रोड क्रॉस करने लगे ही थे तभी एक तेज रफ्तार में एक ब्लैक बुलेट प्रूफ लक्जरी कार वहा गुजरी और उस बूढ़े बाबा के फल का ठेले से जा टकराई..!
जिस को देख कर अब रूही जल्दी से उन बुढ़े बाबा के पास पहुंच गई और उन को खड़ा कर के उन बूढ़े बाबा से पूछा, "बाबा, क्या आप ठीक है..?"
वो बूढ़े बाबा अपना सिर पकड़ कर फिर से वही जमीन पर बैठ गए क्योंकि उन के ठेले पर जितने भी फल थे वो हाइवे की सड़क पर गिर कर खराब हो चुके थे और वहा मौजूद लोगो का ध्यान सिर्फ उन्ही की तरफ हो गया था..!
वो ब्लैक बुलेट प्रूफ लक्जरी कार, उस फल वाले के ठेले से टकराने के बाद आगे जाकर रुक गई और रूही ने अपना सामान का थैला वही बूढ़े बाबा के पास रख कर गुस्से से उस ब्लैक लक्जरी कार के पास पहुंच गई..!
और अब रूही ने उस ब्लैक प्रूफ लक्जरी कार का शीशा खटखटाते हुए उस मे बैठे किसी शक्श से कहने लगी, "ओ मिस्टर, अपनी कार से बाहर आइए और क्या आप सड़क पर चल रहे लोगो को इंसान नही समझते हैं जो इतनी तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहे है...?"
अब तक उस हाइवे की सड़क पर लोग इक्कठा होने शुरू हो गए थे, उस कार के अंदर बैठा हुआ शक्श, रूही का चेहरा तो नहीं देख पा रहा था क्योंकि उस ने धूप से बचने के लिए अपना चेहरा अपनी चुनरी से ढक रखा था पर अब वो शक्श, रूही को अपने गुस्से मे घूर रहा था..!
रूही बिना रुके उस शक्श की कार के शीशे पर अपना हाथ मारे जा रही थी और तभी उस कार का दरवाजा खुला और उस कार में से एक थ्री पीस फॉर्मल सूट पहने हुए एक आदमी बाहर आ गया...!
रूही उस आदमी को देख ही रही थी क्योंकि वो उस की हाइट से बहुत ज्यादा बड़ा था और उस को देखने के चक्कर मे रूही ये भूल ही गई कि वो आदमी उस को अपनी गहरी भूरी आंखो से उसे ही देखे जा रहा था जैसे वो उस के अंदर तक झांकने की कोशिश कर रहा हो पर उस के चेहरे पर कोई भी भाव नजर नही आ रहे थे..!
वो आदमी रूही को देखे जा रहा था तो रूही ने एक पल के लिए अपनी नजर उस आदमी पर से हटा ली और फिर दूसरे ही पल सोचने लगी, "कही ये आदमी गूंगा तो नही है ना, क्योंकि ये कुछ बोल ही नही रहा है..?"
रूही अपनी ही सोच मे कही गुम थी तभी उस आदमी की ठंडी आवाज रूही के कानो में पड़ी, "क्या चाहिए तुम्हे, मुझ से...?"
उस आदमी की बात सुन कर अब रूही उस आदमी से थोड़ी दूर हट गई और फिर रूही ने उस आदमी से कहा, "आप को उन बूढ़े बाबा से माफी मांगनी होगी..!"
रूही की बात सुन कर अब वो आदमी ने अपनी भोहे सिकोड़ते हुए रूही से कहा, "क्या...!"
उस आदमी का जवाब सुन कर रूही को लगा कि शायद से उस आदमी ने उस की बात ठीक से सुनी नही तो अब इसलिए ही रूही ने उस आदमी से अब दुबारा और थोड़ी तेज आवाज में कहा, "मैने कहा कि आप को उस बूढ़े बाबा से माफी मांगनी पड़ेगी क्युकी आप की इस कार की वजह से उन का बहुत नुकसान हो गया है..!"
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।