डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 2 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 2

अमर ने गुस्से में चिल्लाते हुए, रूही से कहा, "तूने एक बार भी मेरी इज्जत की नही सोची, आज तूने साबित कर ही दिया कि तू मेरी औलाद है ही नही।"

बचपन से ही रूही अपनी सौतेली मां, बहन और भाई के जुल्म सहती आई है पर उस को लगता था कि उस के पिता उस से बहुत प्यार करते हैं पर आज उन्होंने भी साबित कर दिया कि रूही, उनके लिए कोई मायेने नही रखती हैं और वो अब अपने पिता पर एक बोझ से ज्यादा कुछ नहीं है।

इस छोटी सी उम्र में आज रूही को इतना बड़ा धोखा मिल गया है जिसे वो जिंदगी भर भुला नहीं सकती है क्योंकि रूही की जिंदगी में तो उस के पापा ही सब कुछ थे और आज उस के पापा ने कह दिया था कि वो उन की औलाद है ही नही, जिसे सुन रूही अब कुछ कहने लायक नही बची थी। ये सब बाते रूही के दिल और दिमाग में घूम रही थी और उस की आंखो से आंसू निकले ही जा रहे थे।

रूही को देख, कुसुम गुस्से से उस से बोली, "देख अब और मार नही खानी है तो जल्दी से काम पर लग जा क्योंकि बहुत काम पड़ा हुआ है, और सुन, अगर तू मुझे पांच मिनट में रसोई घर में नही दिखी न तो देख मै तेरा क्या हाल करती हूं।"

कुसुम ये सब बोल कर जा चुकी थी पर रूही की अभी भी आंखो से आंसू निकले ही जा रहे थे जेसे वो अपनी सुध बुध खो चुकी हो।

पांच मिनट बाद,

रूही की सौतेली मां कुसुम फिर गुस्से से तमतमाते हुए अंदर आती हैं और उस के हाथ को कस के पकड़ते हुए, उस से कहती हैं, "क्या तुझे मेरी बात समझ में नही आई या फिर कल रात की तरह फिर से मार खानी है....!"

अपनी सौतेली मां की बात सुन, रूही दर्द से कराहते हुए रोते हुए कहती है, "नही... प्लीज ऐसा मत करना....!"

रूही की बात सुन, उस की सौतेली मां उस का मुंह पकड़ कर उस से कहती हैं, "तो अब चुप चाप से घर के कामों में लग जा...!"

कुसुम की बात सुन, रूही दर्द से कराह कर उठती हैं और जेसे तेसे कर के कर के बाथरूम मे चली गई और फ्रेश हो कर बाहर आती हैं।

और रसोई घर की तरफ मुड़ जाती है उस के पापा सुबह सुबह ही अपने ऑफिस के काम से बाहर जा चुके थे, रूही को अब अपनी सौतेली मां, बहन और भाई के साथ ही रहना था इसलिए अब वो अपने कामों में लग जाती है,

क्योंकि जब तक उस के पापा घर पर होते हैं तो उस की सौतेली मां कुसुम उस से कोई काम नही करवाती हैं और उस को एक राजकुमारी की तरह ही रखती है।

पर जेसे ही उस के पापा घर के बाहर चले जाते है तो उस की सौतेली मां, बहन और भाई उस का जीना मुश्किल कर देते है।

रूही के पूरे शरीर में दर्द हो रहा था और उस का मन तो करता था कि वो कही जाकर आत्महत्या कर ले पर शायद से ये भी उस के नसीब में नहीं था क्योंकि उस ने बहुत बार कोशिश करी थी पर हर बार नाकाम ही रही,

इसलिए उस ने सोचा है कि अब उस के बाके बिहारी ने जो उस की किस्मत में लिखा है वो उस को न तो बदल सकती हैं और न ही मिटा सकती है तो वो इन सब चीजों को एक कड़वी हकीकत समझ कर उस का सामना करेगी।

रूही घर का सारा काम करके अपने कमरे मे आ गई पर भूख के कारण उस की हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी थी क्योंकि उस को खाना बनाने के बाद बर्तन में लगा जूठा खाने तक की भी इजाज़त नहीं थी ।

अकेले कमरे मे बैठी रूही अपनी मां की इकलौती तस्वीर को देखते हुए रोते हुए कहती हैं, "क्यू मां, आप मुझे इस नर्क में छोड़ के बाके बिहारी के पास चली गई और तो और मुझे लगता था कि कम से कम पापा तो मुझ से प्यार करते हैं पर अब पापा भी मुझे प्यार नही करते हैं उन को तो लगता हैं कि मै, उन की औलाद ही नही हु।"

और वो तीनों भी मुझे बहुत मारते पीटते हैं और अच्छा व्यवहार भी नही करते हैं वो तीनों बहुत ज्यादा बुरे है।


To be Continue....