पागल - भाग 53 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 53

भाग –५३

फिर उसके पिताजी ने मां से बात करके अगले महीने ही हमारी शादी फिक्स कर दी। एग्जाम खत्म हों के दस दिन बाद हमारी शादी हो गई।


वो और रिस्क नहीं लेना चाहते थे ।अगर कोई ऊंच नीच हो जाती तो समाज को क्या मुंह दिखाते । "

इतना कहकर अभिषेक रुका । उसका गला सुख गया था वह टेबल की और गया ग्लास में पानी लिया और पी गया।

मैं अब तक शॉक में आ चुकी थी। मुझे तो एहसास ही नही था कि अभिषेक शादीशुदा है।

उसके घर में वंदना की कोई तस्वीर भी नही थी। ना कभी उसकी मां ने वंदना का जिक्र किया । ना कभी आसपास वालो से सुना था ।

खैर मैं आगे सुनने को अपने कान खोले इंतजार करने लगी।


"तुम ठीक हो?" मैने अभिषेक से पूछा

"हां" अभिषेक ने कहा

"फिर क्या हुआ अभी"

"फिर मैं और वंदना साथ कॉलेज जाते थे ।मैने उसे आगे पढ़ने की अनुमति दे दी थी। मेरी मां को भी कोई ऐतराज नहीं था ।

वह बहुत खुश थी। और मैं भी। सब ठीक चल रहा था । 4 महीने हो चुके थे हमारी शादी को।

एक सुबह होटल जाने से पहले वंदना मेरे करीब आई और मुझसे शर्मा के कहने लगी कि वह मां बनने वाली है । मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था । मेरे और वंदना के प्यार की निशानी हमारा बच्चा अब इस दुनिया में आने वाला था ।

मैंने ये बात मां को बताई उन्होंने वंदना की नजर उतारी उसकी बलाइयां ली और फिर उसे उसके माता पिता को बताने के लिए कहा।

उससे मैने पूछा कि उसने मायके में बताया तो उसने ना कह दिया।

उसने कहा वो खुद जाकर बताएगी। मैने उससे कहा मैं उसे शाम को ले जाऊंगा। वह बहुत ही खुश थी।

मगर मैं उस दिन अपनी जॉब से लेट हो गया था क्योंकि होटल में एक पार्टी थी और जब तक मेहमान ना जाते मैं कैसे जाता। मैने लेट होने की बात वंदना को बता दी थी। उसने कहा था वो ऑटो से चली जायेगी मैं उसे सीधा उसके माता पिता के घर ही लेने जाऊं। मैने हामी भर दी।

शाम को वो मां को बोलकर 7 बजे निकली। उसने ऑटो लिया और अपने घर चली गई।


मैं जॉब से 11 बजे फ्री हुआ मैने इस दौरान वंदना को कई बार कॉल किया मगर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था । मुझे लगा शायद स्विच ऑफ हो गया होगा ।

मैं निपट कर 11 बजे अपने ससुराल पहुंचा ।

दरवाजा वंदना की माताजी ने खोला।

"अरे जमाई जी,, आप इस वक्त यहां सब ठीक तो है ना?"

उनके इस सवाल ने मुझे चौंका दिया । पर मैं इसे उनका मजाक समझ कर बोला ।


"मां वंदू को बुलाइए घर जाना है देरी हो रही है मां इंतजार कर रही होंगी।"

"वंदू?" उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव देख मेरी घबराहट बड़ गई।

"हां मां वो यहां आई थी शाम को"

"मगर बेटा वंदु तो यहां आई ही नहीं आज" उसकी मां ने चिंतित होते हुए कहा तब तक पिताजी भी बाहर आ गए थे । वंदना की मां को काफी देर हुई सोच कर वो बाहर आए थे।


"क्या हुआ जमाई जी?" वंदना की मां ने उन्हे सब बताया । उसी दौरान मैंने मां से पूछा कि वंदना घर है तो उन्होंने बताया कि वो तो 7 बजे निकल गई थी।


अब मेरा दिल घबराहट से फटने लगा था। मैने पिताजी को सब बताया कि वो प्रेगनेंट थी और उन्हें ये खुशखबरी देने यहां आने वाली थी मैं काम में था तो उसने ही ऑटो में आने को कहा था मैं सीधा उसे यहां लेने आने वाला था।मैं और पिताजी उसे ढूंढने निकल पड़े।



आसपास सभी दूर ढूंढने के बाद हमने सुबह चार बजे पुलिस स्टेशन जाने का सोचा ।वहां पहुंचे तो इक्का दुक्का हवलदार आधी नींद में थे । जब हम ने उन्हे गुमशुदा रिपोर्ट लिखने को कहा तो उन्होंने कहां साहब कब गायब हुई आपकी पत्नी? एक हवलदार ने पूछा ।

"कल शाम 7 बजे से "

"सर जी 24 घंटे पहले गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट नही बनती । आप घर जाइए वो आ जायेगी। अगर आज शाम 7 बजे तक ना आती हो तो फिर रिपोर्ट करवाएगा। "



"ये आप क्या कह रहे है हवलदार साहब , 24 घंटे में तो इंसान के साथ क्या से क्या हो जायेगा आप प्लीज मेरी वंदना को ढूंढ दीजिए मैं आपके हाथ जोड़ता हूं कहकर मैं रोने लगा ।
हवलदार को मुझ पर दया आ गई । उसने मुझसे कहा
"सर आप आपका नंबर दे दीजिए मेरी ड्यूटी सुबह खत्म हो जाएगी , मैं अपनी तरह से सुबह उन्हे ढूंढूंगा । अगर मिलती है तो मैं आपको फोन करता हूं मगर इस वक्त कुछ नही हो सकता मैं थाना छोड़ कर नही जा सकता सर प्लीज, और एफआईआर भी बड़े साहब आकर लिखेंगे ।"

"नंबर दे दो और घर चलो अभिषेक बेटा " ये वंदना के पापा थे ।
मैने ऐसा ही किया।
मैं वंदना के घर गया वंदना की मां का रो रो कर बुरा हाल था । पिताजी ने मुझे घर जाने को कहा ।
मैं घर आया तो यहां मां भी रो रही थी । उन्होंने मुझसे पूछा वंदना मिली या नही? पर मैं क्या जवाब देता। मैं अपने कमरे में आया और नहाने चला गया। वहां बहुत रोया और बाहर आकर बिस्तर पर सो गया ।सुबह 6 बज चुके थे अब मुझे नींद आ गई थी रात भर की थकान से मैं सो चुका था ।
सुबह 9 बजे फोन की रिंग से मेरी नींद खुली।

स्क्रीन पर अनजाना नंबर था । मैने उठाया तो सामने वही हवलदार साहब थे।

"सर यहां ,,हाईवे के पास,, जंगल में ,,एक लड़की की बॉडी मिली है । सर,,आप प्लीज,, आ कर शिनाख्त कर लीजिए।" हवलदार ने ये बहुत ही अटकते हुए कहा था।
मेरे हाथ से फोन छूट कर जमीन पर गिर गया।
"हेलो हेलो सर" हवलदार की हल्की आवाज अब भी कानों में गूंज रही थी।
मां कमरे में आई। और मुझे चाय देने लगी पर मैं फुर्ती से उठा और उसी हालत में निकल पड़ा रास्ते में हवलदार से एड्रेस लिया। बॉडी को सिविल हॉस्पिटल के शव ग्रह में ले जा चुके थे । बॉडी का पोस्टमार्टम होना था।

मैं वहां पहुंचा पर वंदना को देखने की मुझमें हिम्मत नही थी। मैने उसके पिताजी को बुलाया।
वो आए और उन्होंने बॉडी को देखा तो फफक फफक कर रोने लगे। मुझे लगा उनसे पहचानने में भूल हुई है । ये मेरी वंदना नही हो सकती मैं आगे बड़ा और मैने देखा तो वो मेरी वंदना ही थी। मैं उसी वक्त मूर्छित हो गया। मुझे हॉस्पिटल में ही होने की वजह से ट्रीटमेंट मिल गया था।
जब होश आया तो जैसे मेरी सारी दुनिया उजड़ गई थी।
मेरी वंदना मुझे छोड़ के जा चुकी थी। हमने तो अभी जीवन का सफर शुरू ही किया था। और वो मुझे अकेला कर गई। "

इतनी कहानी सुनाकर,, अभिषेक फुटफुटकर रोने लगा।
मैं भी खुद को रोने से ना रोक पाई। हमेशा मुस्कुराने और शांत रहने वाले अभिषेक का अतीत इतना दर्द भरा हो सकता है मेने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसके आगे मुझे मेरी तकलीफ बहुत छोटी लगने लगी थी।
कुछ देर तक रोने के बाद मैने उसके कंधे पर हाथ रखा।
वह आगे बोला
"पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि वंदना का गैंगरेप किया गया था और फिर उसके गुप्तांग को बुरी तरह औजारों से नोचा गया । और भी कुछ घिनौनी हरकते जो मैं आपके सामने नही बता सकता । उसने झेली थी। और फिर उसने दम तोड दिया। एक पल में मेरी वंदना और मेरा बच्चा खत्म हो गए।
"बाद में पुलिस की तफ्तीश में सच सामने आया। ऑटो वाला वंदना को हाईवे के साइड वाले जंगल ले गया था ।जहां पहले से ही उसके 4 दोस्त मौजूद थे। वंदना ने उनसे रिक्वेस्ट भी की कि वो मां बनने वाली है उसे जाने दिया जाए मगर वो लोग नही माने। ना जाने क्या क्या झेला होगा उस वक्त मेरी वंदना ने। "
उसके कुछ साथी पहले से जंगल में मौजूद थे। उन्होंने रेप को अंजाम दिया इतने से भी उन जल्लादो का मन नही भरा उन्होंने मेरी वंदु को मार दिया। पुलिस ने सभी को अरेस्ट किया और उन्हें उम्र कैद की सजा दी गई ।"

अभिषेक का दर्द भरा अतीत सुनने के बाद क्या करेगी कीर्ति?