पागल - भाग 46 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 46

भाग–४६

मिहिर और जीजू काफी देर तक वही बैठे रहे ।अंजली से मैने फोन करके पूछा तो उसने बताया वो लोग कार के पास ही खड़े है ।
"मैडम एक बात पूंछू?"अंजली ने कहा
"हां"
"कौन है ये लोग?"
"वो सब मैं तुम्हे बाद में बताऊंगी , अभी इनके लिए कुछ करना पड़ेगा"
"मैडम एक आइडिया दूं?"
"आज मनोज को आपकी कार लेकर जाने को बोलो वो कुछ देर में निकलने वाला है नाइट ड्यूटी थी उसकी , और उसकी कार आप ले जाना "
"गुड आइडिया अंजली , थैंक यू मनोज को मेरे केबिन में भेजो" कहते हुए मैंने फोन काट दिया और मनोज का इंतजार करने लगी।
"जी मैडम आपने बुलाया?" मनोज नॉक करता हुआ केबिन में दाखिल हुआ ।
"हां, मनोज आज तुम मेरी कार ले जाओ , और तुम्हारी कार की चाबी मुझे दे दो, शाम को तुम आओगे तब अगर मैं होटल में हुई तो तुम अपनी कार वापिस ले लेना और मेरी मुझे दे देना।"
"कोई परेशानी है मैडम? "
"नही मनोज बस इतना करना "
"ओके मैडम" कहते हुए मनोज अपनी चाबी देकर और मेरी लेकर जाने को हुआ तो मैंने उसे कहा
"और हां , वो कार के पास ही दो लोग खड़े है यदि वो पूछे कि ये कार किसकी है तो कहना तुम्हारी है । कोई भी दलील करे तुम अपनी बात पर टिके रहना प्लीज"
"मैडम, सब ठीक है ना"
"हां मनोज इतना करो बस"
"ओके मैडम"

मनोज बाहर निकला ,और जैसे ही उसने कार की चाबी से डोर खोला , "हेलो, ये कार की मालकिन कहां है?"मिहिर ने कहा
"एक्सक्यूज मि?, ये कार मेरी है"
मनोज ने कहा
"मगर सुबह इसमें कोई लेडी आई थी" जीजू बोले
"आपने खुद अपनी आंखों से देखा?"मनोज ने सवाल दागा।
"न,,,नही" दोनों ने एक दूसरे की और देखा ।
"तो फिर आपको शायद कोई गलतफेमी हुई है, ये कार मेरी है और रात से यही पड़ी है"
इतना कहकर मनोज चला गया।

"हो ना हो , कुछ तो गड़बड़ है " मिहिर ने कहा
"मुझे भी लग तो रहा है , शायद कीर्ति जानती है कि हम उसे ढूंढ रहे है और वो हमसे छुपने की कोशिश कर रही है।"
"तो अब क्या करे?"
"हमें इस कार पर नजर रखनी चाहिए । "
"चलो" कहते हुए दोनों ने मनोज का पीछा किया ।
मनोज इस बात से अनजान था । मिहिर और जीजू मनोज के घर के बाहर बैठे रहे उसके घर से कुछ दूर । इस बीच वो लोग ये तो भूल ही गए की जगदीप ने उन्हे एक एड्रेस दिया था जहां उन्हें पूछताछ करनी थी।

शाम तक वो लोग वहां बैठे रहे । किस्मत से मनोज के घर के बाहर ही फूड बाजार था जहां दोनों ने खाना खा लिया था और शाम की चाय भी पी चुके थे ।
मनोज घर से बाहर निकला ।
"चल चल चल , वो निकला "
कहते हुए दोनों फिर उसके पीछे लग गए।
मनोज ने फिर कार वही पार्क की और होटल में घुस गया । शाम के 6 बज रहे थे। मैं 7 बजे पहले घर नही जाने वाली थी।
तभी अंजली ने उन दोनों को देखा और मुझे इनफॉर्म किया ।
इस वजह से मैं बाहर निकली ही नही मैं काफी परेशान थी।मैने अभी को फोन करके लेट आने की बात कही।

शायद इसी दौरान मिहिर को कोई कॉल आया स्क्रीन पर नंबर देख कर उसे याद आया कि वो बेकार में इतना परेशान हो रहे थे वो दोपहर में उस एड्रेस पर जाकर कन्फर्म कर सकते थे । कॉल जगदीप का था ।

मिहिर ने कॉल यू लेटर का मेसेज उसे भेजा । और जीजू से कहा
"जीजू छोड़िए इसे लगता है ये यहां नाइट ड्यूटी करता है इसके पास कुछ नही मिलेगा । हम सुबह वाले एड्रेस पर जाते है।"
"अरे हां यार हम लोग वहां तो गए ही नही " जीजू ने सर पर हाथ मारते हुए कहा ।

"हम्मम " अब वो लोग वहां से निकले। मुझे अंजली ने बताया वो लोग जा चुके है लेकिन मैने फिर भी कन्फर्म करने के लिए मनोज को बाहर भेजा । उसने बताया वो लोग जा चुके है।

मैं भी कुछ देर में घर के लिए निकली ।
इधर वो लोग जगदीप के दिए एड्रेस पर पहुंचे तो उन्हें वो कार दिखी जिसमे कल उन्होंने राजीव और मांजी को देखा था ।
"ये कार तो यही पड़ी है " मिहिर ने बेल बजाया।
दरवाजा अभिषेक ने खोला ।
वो दोनों को पहचान तो गया मगर उसने अनजान बने हुए पूछा
"जी कहिए ? किससे मिलना है?"
"कीर्ति"
"कौन कीर्ति?"
"पापा मम्मी आ गई क्या? " कहते हुए राजीव बाहर आया।
मिहिर और जीजू उसे देख कर एक दूसरे को देखने लगे
"ये बच्चा तो वही है , कीर्ति कहां है?" जीजू ने अब थोड़ी कड़क आवाज में पूछा।
"यहां कोई कीर्ति नही रहती " कहते हुए जैसे ही अभिषेक ने दरवाजा बंद करना चाहा । मिहिर जबरदस्ती घर में घुस कर कीर्ति कीर्ति चिल्लाने लगा ।
मांजी अपने कमरे से बाहर आई । दोनों ने जब उन्हें देखा तो उन्हें कन्फर्म हो गया कि कीर्ति यही रहती है। जब सारे घर में उन्होंने ढूंढ लिया और कीर्ति न मिली तो वो पलट कर अभिषेक के पास आकर बोले
"सर प्लीज , कीर्ति से हमारा मिलना बहुत जरूरी है"
अभिषेक ने उन्हे घर की तलाशी करने से नही रोका क्योंकि कीर्ति वहां नही थी।
"सर इतना तो हम जान गए है कि आपने अभी तक पुलिस को नही बुलाया मतलब आप हमे जानते है। सर प्लीज"
"क्या काम है आप लोगों को मुझसे ?" मैने घर में प्रवेश करते हुए कहा ।
दोनों ने पलट कर मेरी और देखा ।
आखिर मैं कब तक उनसे भागती वो घर आ चुके थे और वो लोग भी परेशान हो रहे थे और अभिषेक भी।मैने बाहर अनजान गाड़ी देखी तो मैं समझ गई थी वो लोग अंदर है मैं चाहती तो भाग सकती थी मगर मैने अब उन लोगों का सामना करना ही ठीक समझा आखिर कब तक भागती ?

क्या होगा अब जब मिहिर और जीजू के सामने मैं आ चुकी हूं , ।