खुशी का राज Rakesh Rakesh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खुशी का राज

कालिया झूठ भी दिल से बोलता था इसलिए उसका झूठ भी इंसानों को नहीं बल्कि पशु पक्षियों को भी सच लगता था, वह शाकाहारी पशुओं के सामने थोड़ा सा चारा डालकर मांसाहारी पशुओं के सामने मांस का टुकड़ा डालकर पक्षियों के सामने दाना डालकर उनको अपना झूठा प्यार दिखा कर उन्हें अपने वश में कर लेता था, जवान बुजुर्गों बच्चों को अपनी मीठी-मीठी झूठी बातें के जाल में फसा कर ठग लेता था।

लेकिन यह कार्य वह चुड़ैल जैसे एक घर छोड़कर करता था यानी कि अपने गांव को छोड़कर दूसरे गांवों कस्बों शहरों में इसलिए पूरा गांव समझ नहीं पता था कि कालिया ने माता-पिता की मृत्यु के बाद इतने कम वर्षों में टूटे-फूटे झोपड़े को तुड़वाकर आलीशान मकान कैसे बनवा लिया है और सुंदर युवती से विवाह कैसे कर लिया है, स्वयं कालिया की पत्नी लक्ष्मी भी समझ नहीं पाती थी कि मेरा पति ऐसा कौन सा धंधा या नौकरी करता है जो कभी तो रोज कभी सप्ताह महीने में इतना अधिक धन कमा लेता है।

कालिया के साथ विवाह करने के बाद लक्ष्मी को दुनिया का सारा सुख आराम मिल गया था, लेकिन उसे हमेशा इस बात की बेचैनी दुख रहता था कि हम दोनों पति-पत्नी के जीवन में इतना सुख आराम होने के बावजूद मेरा पति कालिया उदास दुखी बेचैन डरा-डरा सा क्यों रहता है, इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए वह एक बार अपने माता-पिता के पास मायके जाती है।

उसके पिता अपनी बेटी लक्ष्मी की पूरी बात ध्यान से सुनकर बेटी से बोलते हैं तू अपने पति कालिया के साथ कुछ दिन मायके में रह।”

कुछ दिन बाद बेटी दामाद के शाम को घर आने के बाद लक्ष्मी के पिता चमन लाल दूसरे दिन गर्मियों की टीका टाक दोपहरी में अपने खेत में बेटी दामाद को लेकर जाते हैं और उनसे कहते हैं “मेरी दिन तीन बेटियां हैं कोई बेटा नहीं है इसलिए हम पति पत्नी समझ नहीं पा रहे थे कि हम अपने तीनों बेटी दामाद में से किसके नाम अपनी खेती की जमीन करे, इसलिए इस समस्या का हाल हम दोनों पति पत्नी ने मिलकर निकाला है कि हमारी खेती की जमीन पर जो भी दामाद सबसे ज्यादा फसल उगाकर पैसे कमाएगा मैं अपनी खेती की जमीन उसके नाम कर दूंगा।”

कालिया अपने ससुर की यह शर्त सुनकर खुश हो जाता है उसे अपने पर यकीन था कि मैं ससुर कि शर्त को पूरा करने में असफल भी रहुंगा, तब भी मैं ससुर के साथ हेरा फेरी करके उनकी खेती की जमीन हड़प लूंगा, लेकिन उसे यह भी डर था कि गर्मियों की दोपहरी में एक दिन भी खेत में काम करना आसान नहीं है और वह भी शर्त के मुताबिक ट्रैक्टर की जगह बैलों के साथ खेत में जुताई करके।

फिर भी वह जमीन के लालच में दूसरे दिन से ही खेती करना शुरू कर देता है और उसके ईमानदारी से मेहनत करने की वजह से कुछ ही महीनों में उसकी तरबूज कि खेती लहराने लगती हैं।

खेत में सुबह से शाम तक मेहनत करने की वजह से कालिया को बेचैनी की नींद की जगह अब चैन की नींद आने लगी थी।

एक दिन कालिया भरी दोपहरी में पत्नी के हाथ की रूखी सूखी रोटी खाकर ज्यादा थकान होने की वजह अपने खेत में सो रहा था, तभी उसे अपने खेत में नील गायों और पक्षियों के तरबूज खाने की आवाज़ें आने लगती है। नील गायों ने उसके तरबूजों की फसल का बहुत सा हिस्सा बर्बाद कर दिया था।

और जब कालिया लाठी मार मार कर नील गायों को अपने खेत से भगा देता है तो उसकी नजर अपने खेत के दूसरे हिस्से पर जाती है, तो वहां नीलगाय का एक बच्चा उससे बिना डरे मजे में तरबूज खा रहा था और बहुत से तरबूज उसने जो खाने के बाद छोड़ दिए उनको पक्षी खा रहे थे तो उन सबको देखकर कालिया को बहुत सुकून महसूस होता है कि आज तक मैंने अपनी धोखाधड़ी की कमाई से खुद खाया मौज मस्ती की और अपनी धर्मपत्नी को खिलाया अपना अपनी धर्मपत्नी परिवार का पालन पोषण करना हर इंसान का कर्तव्य होता है, शायद इसलिए मुझे इतना सुकून महसूस नहीं होता था जो इन सब को खाता हुआ देखकर हो रहा है।

और जब वह अपनी फसल को बेचकर कमाए हुए रूपयों में से आधे रुपए ससुर जी को देने के बाद बाकी रुपए से गांव के गरीब माता-पिता की बेटी की शादी करवाता है और गांव की एक गरीब बेसहारा बे औलाद विधवा बुढ़िया का अंतिम संस्कार करवाता है तो उसका चेहरा खुशी शांति सुकून से खिल उठता है उसके चेहरे को देखकर ऐसा लगता है जैसे उसे दुनिया के साथ स्वर्ग का भी सुख मिल गया है।

तब कालिया की पत्नी अपने पिता से पति की इस खुशी का राज पूछती है?

तो उसके पिता उसे बताते हैं “बिना सद्कर्म किए खुशी नहीं मिलती है, लेकिन बुरे कर्म से जो सुकून शांति खुशी मनुष्य के पास होती है, वह भी गायब हो जाती है। तुम्हारे पति को अपनी मेहनत से उगाई फसल को देखकर अद्भुत आनंद मिला अपनी कमाई से बेजुबान बेरोजगार पशु पक्षियों का पेट भरकर सुकून मिला खेत में ईमानदारी से मेहनत करने की वजह से रात को चैन की नींद आई, क्योंकि उसे पता था कि वह कोई बुरा कर्म नहीं कर रहा है जिससे कि कोई आधी रात को उसके घर का दरवाजा खटखटाएगा गांव की गरीब बेसहारा बे औलाद बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार और गांव के गरीब माता-पिता की बेटी की शादी करके उसने पुण्य कर्म किया उससे उसे सुकून शांति खुशी मिली क्योंकि पुण्य कर्म का फल ईश्वर के देने से पहले ही पुण्य कर्म करने वाले को शांति सुकून सुख का अनुभव होने लगता है।”

अपने ससुर की सारी बातें कालिया कमरे के बाहर खड़े होकर सुन रहा था, इसलिए वह ससुर की पूरी बात होने के बाद ससुर के पैर छूकर कहता है “आपने मुझे खुशी का राज समझा दिया है।”