लागा चुनरी में दाग़--भाग(२७) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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लागा चुनरी में दाग़--भाग(२७)

उस दिन धनुष तेजपाल जी के कमरे जाकर चेक ले आया,फिर उस दिन के बाद वो आउट हाउस से घर नहीं आया,ना जाने उसके मन में कौन सी खुराफात चल रही थी,इसके बाद ऐसे ही एक दो दिन गुजरे और एक शाम वो आउटहाउस से घर आया और हाँल में आकर उसने हल्ला मचाना शुरू कर दिया कि मेरे कमरे की अलमारी से चोरी हुई है,उसकी सोने की हीरे जड़ी अँगूठी और कुछ रुपए उसके कमरे से गायब है,ये सुनकर भागीरथ जी बोले....
"ऐसे कैंसे हो सकता है,तेरे आउटहाउस में तो कोई आता जाता भी नहींं"
"इसलिए तो मैं भी यही सोच रहा हूँ कि आखिर आउटहाउस में चोरी की किसने?", धनुष बोला...
"हां! हमारे यहां के सारे पुराने नौकर ईमानदार हैं और वे ऐसा नहीं कर सकते",भागीरथ जी बोले...
"और सबसे बड़ी बात ये है कि प्रत्यन्चा को छोड़कर और कोई नौकर मेरे कमरे में नहीं जाता", धनुष बोला...
"तेरे कहने का मतलब है कि प्रत्यन्चा ने चोरी की है ", भागीरथ जी बोले...
"हां हो सकता है ", धनुष बोला...
"क्या बक रहे हो तुम! ऐसा कभी नहीं हो सकता", भागीरथ जी दहाड़े...
"जी! लेकिन ये भी तो सच है कि पहले आप जिस बुढ़िया को लाएं थे तो वो तो चोरी करके भाग गई थी", धनुष बोला...
"तो तू सीधे सीधे इस चोरी का इल्ज़ाम प्रत्यन्चा पर डाल रहा है", भागीरथ जी बोले...
"हां! ! क्योंकि उस लड़की को भी तो आप ही इस घर में लाएं थे और मुझे पक्का यकीन है कि उसी लड़की ने आउट हाउस में चोरी की हो"धनुष बोला...
"ऐसा कभी नहीं हो सकता, प्रत्यन्चा कभी चोरी नहीं कर सकती", भागीरथ जी बोले...
"और अगर उसके खिलाफ कोई सुबूत मिल गया और ये सिद्ध हो गया कि उसी ने चोरी की है तो फिर आप को उसे इस घर से निकालना ही पड़ेगा ",धनुष ने कहा...
"ये हो ही नहीं सकता,वो मासूम ऐसा कर ही नहीं सकती ", भागीरथ जी बोले...
"दादाजी! आपको तो इस दुनिया में सभी मासूम नज़र आते हैं,वो बुढ़िया भी आपको मासूम ही नजर आई थी, तभी तो वो आपका बटुआ और पाकेट घड़ी चुराकर भाग गई थी" धनुष बोला...
"वो चोर थी तो इसका मतलब ये नहीं कि प्रत्यन्चा भी चोर है और भला प्रत्यन्चा चोरी क्यों करेगी,उसे क्या जुरूरत है चोरी करने की", भागीरथ जी बोले....
"दादाजी! रुपया और महंगी चीजें देखकर सबका मन डोल सकता है ,वही उस लड़की के साथ भी हुआ होगा", धनुष बोला...
"कहां है वो,बुलाओ उसे और उससे पूछो कि चोरी उसने की है या नहीं ", भागीरथ जी बोले...
"तो क्या पूछने से वो बता देगी कि चोरी उसने की है", धनुष बोला..
"तो फिर तू क्या चाहता है"?, भागीरथ जी ने धनुष से पूछा...
"मैं चाहता हूं कि क्यों ना हम दोनों उसके कमरे में जाकर वहां की तलाशी लें", धनुष बोला...
"हमसे ये नहीं हो पाऐगा,किसी लड़की के कमरे की तलाशी लेना अच्छी बात नहीं है", भागीरथ जी बोले...
"ओह...वो चोरी करे तो अच्छी बात है लेकिन हम दोनों उसके कमरे की तलाशी लें तो अच्छी बात नहीं है, आखिर आप चाहते क्या हैं ,ये आपका घर है,आप इस घर के मालिक हैं और इस घर में रह रहे किसी भी सदस्य के कमरे की तलाशी लेना आपका हक़ है", धनुष गुस्से से बोला...
"अगर तेरा यही इरादा है तो फिर चल उसके कमरे की तलाशी लेने चलते हैं हम दोनों ", भागीरथ जी बोले...
फिर इसके बाद दोनों प्रत्यन्चा के कमरे की तलाशी लेने चल पड़े,तलाशी लेने पर प्रत्यन्चा के कमरे से धनुष के सोने की हीरे जड़ी अंगूठी और कुछ रुपए बरामद हुए, जब रुपए और अंगूठी प्रत्यन्चा के कमरे से बरामद हुई तो धनुष भागीरथ जी से बोला...
"देखा ये है आपकी शरीफ़जादी की करतूत और आप इस चोर पर इतना भरोसा कर रहे थे, ये चीजें इसके कमरे से बरामद होने पर अब आपका क्या कहना है, कहिए... निकालेंगे उसे इस घर से या ये बात यहीं दबाकर उसे इस घर में रहने देंगे ", धनुष गुस्से से बोला...
"बुलाओ उसे और अभी उसे इसी वक्त इस घर से जाने को कहो, हमारा भरोसा तोड़ने वाले के लिए इस घर में कोई जगह नहीं है"भागीरथ जी गुस्से से बोले...
"तो फिर चलिए नीचे और उससे पूछिए कि ये चीजें उसके कमरे में कैंसे आई", धनुष बोला...
"नहीं! उसे और सारे नौकरों को यहीं बुलाओ ताकि सभी के सामने ये बात आ आएं और बाक़ी नौकर भी ये देख लें कि हमारे घर में चोरी करने वालों का क्या अन्जाम होता है ", भागीरथ जी बोले....
और फिर इसके बाद प्रत्यन्चा और बाक़ी नौकरों को प्रत्यन्चा के कमरे में बुलाया गया...
और फिर धनुष ने सबके सामने प्रत्यन्चा से कहा...
"बोलो प्रत्यन्चा! ये चीजें तुम्हारे कमरे में कैंसे आईं, सफाई करने के बहाने तुम आउट हाउस में चोरी करने जाया करती थी,..छी:....छी:...जिस लड़की पर दादाजी ने इतना भरोसा किया उसी लड़की ने दादाजी के भरोसे का खून कर दिया"
"धनुष जी! आप ये क्या कह रहें हैं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है", प्रत्यन्चा बोली....
"देखो तो कितनी भोली बन रही है,कहती है कि मुझे कुछ नहीं मालूम,दादाजी! ये ऐसे नहीं बताऐगी,अभी पुलिस को बुलाइए, फिर ये एक झटके में सब उगल देगी " धनुष गुस्से से बोला....
"प्रत्यन्चा! हमें तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, तुमने आज हमारे भरोसे को तोड़कर अच्छा नहीं किया ", भागीरथ जी दुखी होकर बोले...
"दादाजी! मैं सच कहती हूं,ये चोरी मैंने नहीं की,मुझे नहीं मालूम कि ये सब मेरे कमरे में कैंसे आया", प्रत्यन्चा रोते हुए बोली...
"बस! बहुत हुआ तेरा ये नाटक,ये साबित हो चुका है कि तू चोर है, इसलिए मैं अभी पुलिस को टेलीफोन करके बुलाता हूं,जब पुलिस के डण्डे पड़ेगें तो तू अपने-आप सब उगल देगी", धनुष बोला...
"ऐसा कुछ नहीं होगा,इस घर में पुलिस नहीं आऐगी", भागीरथ जी बोले...
"तो क्या इतना कुछ होने के बाद भी आप इसे अब भी इस घर में रहने देंगे" धनुष ने पूछा...
"नहीं! इस घर में कभी पुलिस नहीं आई है और ना ही कभी आऐगी, हम नहीं चाहते कि कोई भी फालतू का बखेड़ा खड़ा हो", भागीरथ जी बोले...
"तो अब इस लड़की का क्या करें" धनुष बोला...
"इससे कहो कि अपना सामान बांधे और जाएं यहां से,हम इसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहते"भागीरथ जी बोले...
"अगर दादाजी चाहते हैं कि मैं इस घर से चली जाऊं तो मैं अभी इस वक्त इस घर से चली जाती हूं और रही सामान की बात तो मैं इस घर में कुछ भी लेकर नहीं आई थी जो यहां से लेकर जाऊं"
और इतना कहकर प्रत्यन्चा उसी समय घर से बाहर निकल गई, प्रत्यन्चा को जाता देख भागीरथ जी को ना जाने क्या हुआ,उनके सीने में बहुत तेज दर्द हुआ और वे चक्कर खाकर फर्श पर गिर पड़े...
जब भागीरथ जी फर्श पर गिर पड़े तो धनुष बहुत डर गया और वो उन्हें फौरन ही मोटर में बैठाकर अस्पताल ले गया,सारे नौकर भी उस समय परेशान हो उठे कि अचानक उनके मालिक को क्या हो गया...
जब धनुष भागीरथ जी को अस्पताल लेकर पहुंचा तो वो बहुत घबराया हुआ था क्योंकि उसके कारण ही भागीरथ जी की ऐसी हालत थी, ड्राइवर रामानुज ने उन्हें फौरन ही अस्पताल पहुंचा दिया फिर अस्पताल के भीतर जाकर वो डाक्टर सतीश राय से बोला....
"डाक्टर बाबू! देखिए ना मालिक को क्या हो गया"
और फिर फौरन ही डाक्टर सतीश राय भागकर मोटर के पास पहुंचे....

क्रमशः...
सरोज वर्मा....