इधर प्रमोद मेहरा जी अपने परिवार के साथ टैक्सी पकड़कर रीगल सिनेमा से अपने घर वापस आ गए और उधर गोम्स जैसे ही अपने अड्डे पर पहुँचा तो उसके साथी जग्गू ने उससे कहा...
"भाई! उस मेहरा को हम लोग आज गोलियों से भूनकर रख देते,अच्छा मौका था बदला लेने का",
"बदला तो लेना है उससे लेकिन ऐसे नहीं",पप्पू गोम्स बोला...
"तो कैंसे बदला लोगे भाई! आज तो वो अपनी फैमिली के साथ था,सभी को एक साथ मौत के घाट उतार देते हम लोग, लेकिन आपने ना जाने क्यों मना कर दिया",कल्लू कालिया बोला...
"उस समय उसकी खूबसूरती देखकर मेरी आँखें चौंधिया गई थी और फिर मैंने उन सबको मारने का ख्याल अपने दिल से निकाल दिया",पप्पू गोम्स बोला...
"किसका रुप देखकर?",जग्गू ने पूछा...
"जिसने बसन्ती रंग की साड़ी पहन रखी थी",पप्पू गोम्स बोला...
"वो...वो तो मेहरा के छोटे भाई की बीवी थी",कल्लू कालिया बोला...
"तो अब उसके घर जाकर उसका काम तमाम करेगें और उस के भाई की बीवी को उठाकर यहाँ लाऐगें", पप्पू गोम्स बोला...
"लेकिन इसमे बहुत खतरा हो सकता है भाई!",जग्गू बोला...
"पप्पू गोम्स खतरों से नहीं डरता और उस लड़की के लिए मैं कोई भी खतरा उठा सकता है,मेरो को वो लड़की किसी भी कीमत पर चाहिए",पप्पू गोम्स गुस्से से बोला...
"ठीक है भाई! तो अभी इसी वक्त उस मेहरा के घर चलते हैं और आज उस मेहरा का खेल खतम करके ही वापस आऐगें",जग्गू बोला...
"हाँ! तो चलो,देर किस बात की"पप्पू गोम्स बोला...
और फिर क्या था पप्पू गोम्स अपने साथियों के साथ प्रमोद मेहरा जी के घर की ओर चल पड़ा,वे सभी घर की बाउण्ड्री लाँघकर घर के भीतर पहुँचे और तभी जग्गू अँधेरे में किसी चींज से टकराया तो आवाज़ के कारण प्रत्यन्चा की आँख खुल गई और उसने सुबोध को जगाते हुए कहा...
"देखिए ना! लगता है घर में कोई घुस आया है"
"अरे! सो जाओ,बिल्ली वगैरह होगी",सुबोध नींद में बोला...
सुबोध के कहने पर प्रत्यन्चा फिर से लेट गई,लेकिन उसका मन ना माना और उसने सोचा मैं भाभी को जगाकर कहती हूँ कि घर में कोई है,यही सोचकर वो अपने बिस्तर से धीरे से उठी और अपने कमरे से बाहर निकलकर वो सुरेखा के कमरे की ओर आई और तभी उसे वहाँ किसी की परछाई दिखी तो उसने चोर..चोर कहकर शोर मचाना शुरू कर दिया,उसकी आवाज़ सुनकर सब अपने अपने कमरे से बाहर निकलकर आए और मेहरा साहब ने घर की लाइट जलाकर प्रत्यन्चा से पूछा कि क्या बात है,तब वहीं खड़ा पप्पू गोम्स उन लोगों की तरफ अपनी पिस्तौल तानते हुए बोला...
"ऐ....मेहरा उससे क्या पूछता?,देख! तेरे सामने तेरा बाप खड़ा है",
"तू यहाँ क्या लेने आया है गोम्स!",प्रमोद मेहरा जी ने पूछा...
"तेरी जान!",पप्पू बोला...
"तू ये ख्वाब देखना छोड़ दे गोम्स!",प्रमोद मेहरा दहाड़े...
"आज तो यहाँ तेरा सारा कुनबा मौजूद है मेहरा! अब तो कोई भी बचने वाला नहीं",
और ऐसा कहकर पप्पू गोम्स ने मेहरा जी पर गोली चला दी,लेकिन सुबोध ने उन्हें धक्का देकर बचा लिया,ये देखकर गोम्स आगबबूला हो उठा और उसने सुबोध पर ताबडतोड़ गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं और सुबोध बेचारा खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़ा,ये देखकर सुरेखा मेहरा साहब को बचाने के लिए उनके आगें आई और वो भी जग्गू की गोली का शिकार हो गई,अपनी पत्नी और भाई की हालत देखकर अब तो मेहरा साहब के सिर पर खून सवार हो गया और वे गोम्स की ओर उसका पिस्तौल छीनने के लिए लपके, लेकिन ये क्या गोम्स ने एक बड़ा सा चाकू मेहरा जी के सीने के आर पार कर दिया,मेहरा जी खून से लथपथ होकर वहीं जमीन पर गिर पड़े और लरझती आवाज़ में प्रत्यन्चा से बोले...
"प्रत्यन्चा...भाग यहाँ से",
"मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी",प्रत्यन्चा बोली...
"तुझे मेरी कसम प्रत्यन्चा! भाग यहाँ से",
लरझती आवाज़ में ऐसा कहकर मेहरा जी ने दम तोड़ दिया,वहाँ का नजारा देखकर अब प्रत्यन्चा के पास सिवाय भागने के और कोई चारा ना था,इसलिए उसने वहाँ से फौरन ही भागने की कोशिश की,वो भागकर घर से बाहर आ गई,लेकिन जाए कहाँ वो यही सोच रही थी और तभी उसने अपने पीछे गोम्स के साथियों को आते हुए देखा और वो वहाँ से फिर भागी,लेकिन कहाँ तक भागती,आखिर पकड़ी ही गई फिर गोम्स के एक साथी ने उसके सिर पर जोर से पिस्तौल का हत्था दे मारा और वो बेहोश हो गई,फिर वे लोग उसे बाँधकर अपने अड्डे पर ले गए,वो एक बहुत ही गन्दी बस्ती थी,जो समुद्र के पास थी,जब उसे वो लोग अपने अड्डे पर लेकर आए तो उनके एक साथी ने उन लोगों से पूछा....
"ये किसे उठा लाए तुम लोग?",
"मेहरा के छोटे भाई की बीवी है",जग्गू बोला...
"कौन मेहरा....कहीं सबइन्सपेक्टर प्रमोद मेहरा तो नहीं",उस साथी ने पूछा...
"हाँ...वही मेहरा",कल्लू कालिया बोला...
"ऐ...पागल हो गया है क्या तुम लोग,वो इन्सपेक्टर प्रमोद मेहरा हम लोगों की बोटी बोटी कर डालेगा",उस शख्स ने कहा...
"बोटी तो हम लोग उसकी करके आ रहे हैं भाई!,बड़ा मज़ा आया,बेमौत मारा गया साला",कल्लू कालिया बोला....
"ये क्या किया तुम लोगों,उसे मार दिया है,अब पुलिस तुम सबको कुत्ते की तरह ढूढ़ रही होगी",उस शख्स ने कहा...
"ऐ....शौकत! तू चुप कर ना भाई! अभी हम लोग मर्डर करके आ रहे हैं,दिमाग का दही मत बना भाई! जा दारु और चखना का इन्तजाम कर,आज तो जीभर के मज़े लूटेगें",जग्गू बोला....
"क्या बोला तू? मजे लूटेगा",शौकत बोला...
"हाँ! इस लड़की को इसलिए तो यहाँ लाऐ हैं हमलोग",कल्लू बोला...
तभी वहाँ पर गोम्स आकर बोला...
"क्या बोला तू? मजे लूटेगा,इस लड़की पर अपन का दिल आया है,मजे मैं लूटेगा,तुम लोग नहीं,समझा!",
"जी! भाई!",कल्लू बोला...
"ये क्या कह रहे हो गोम्स भाई! तुम उसके घरवालों को मार चुके हो,इस लड़की को तो छोड़ दो,रहम करो उस पर,आखिर इसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है",शौकत बोला...
"ऐ...कल्लू...ए जग्गू! इस मनहूस शौकत को यहाँ से निकालकर बाहर तो करो,देखो ध्यान रहे कि ये दो तीन दिन तक इस अड्डे के आस पास नहीं दिखना चाहिए,बड़ा धर्मात्मा बनता है,बहुत बड़ी गलती कर दी जो इस नामर्द को अपने साथ शामिल कर लिया,बात बात पर डरता है डरपोक कहीं का",पप्पू गोम्स बोला...
"एक बार फिर कहता हूँ भाई! ये तुम सही नहीं कर रहे हो,धन्धे तक ठीक था,लेकिन लड़की का चक्कर मत पालो,बहुत पछताओगे",शौकत बोला...
"कालिया! सुनाई नहीं देता क्या? इस नामुराद को अड्डे से निकालकर बाहर करो,बदजात! सारा मूड खराब कर दिया",पप्पू गोम्स बोला...
और फिर शौकत को अड्डे से निकालकर बाहर कर दिया गया,इसके बाद गोम्स ने बहुत दारु पी और प्रत्यन्चा के पास बैठकर उसके होश में आने का इन्तजार करने लगा,काफी देर के बाद प्रत्यन्चा को होश आया और उसने आँखें खोलीं,जब उसने अपने सामने पप्पू गोम्स को देखा तो वो उसे देखकर बोली....
"मुझे छोड़ दे कमीने! मेरे घरवालों को मारकर तूने अच्छा नहीं किया,मैं तुझे जिन्दा नहीं छोड़ूगी",
"मेरी जान! ऐसा नहीं बोलते,इतनी सुन्दर लड़की इतने कड़वे बोल बोलते अच्छी नहीं लगती"
और ऐसा कहकर पप्पू गोम्स प्रत्यन्चा के पास पहुँचा....
क्रमशः...
सरोज वर्मा...