हमसफर - 6 Seema Tanwar द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हमसफर - 6

आस्था मेरी प्यारी बेटी कह कर उन्होंने आस्था को गले
लगा लिया और वह दोनों खाना खा कर बैठ गए खाना
खत्म होने के बाद आस्था फिर से अपनी पढ़ाई में लग
गई और आस्था की मां वृंदा महा गुरु जी की बातों के
बारे में सोचने लग गई दोनों भी नहीं जानते थे कि कल
का दिन उनकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान लाने
वाला है ,,,,

अगली सुबह हमेशा की तरह हुई आस्था तैयार होकर
अपना पेपर देने चली गई वही मां रोज की तरह खेत में,,,

अजिंक्य जी जयपुर से आस्था के गांव के लिए निकल
चुके थे और इन सब बातों से अनजान एकांश अपने
प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था कि काफी बार ट्राई करने
के बाद भी उसे यह प्रोजेक्ट नहीं मिल रहा था ,,,,

इंटरनेशनल प्रोजेक्ट होने की वजह से उसके सारे
कंपीटीटर थे इस बार एकांश ने फिर इस प्रोजेक्ट के
लिए अप्लाई किया था l

आस्था का पेपर देकर अगर आ गई थी हमेशा की तरह
यह वाला पेपर भी उसे बहुत अच्छा गया था ,,, नदी के
रास्ते हंसते खिलखिलाते हुए घर आ रहे थे हास्य की
आवाज तो थी लेकिन उससे ज्यादा मीठी थी उसकी
हंसी गूंज हंसती तो उसके गालों पर चलने वाले डिंपल
उसकी हंसी की आवाज सबको अपनी तरफ
अट्रैक्ट कर रही थी और यही हुआ आज गांव के
जमींदार का बेटा संजय और उसके दोस्त नीरव जो
नदी किनारे घूमने आया था और उसकी नजर आस्था
पर गिरी ,,,,

छोड़ यार रंग देखा है उसका इतना काला है इसे कौन
हाथ लगाना चाहेगा संजय कोई तो उसका रंग देख रहा
है और मैं फिगर देखना यार क्या सही फिगर है उसका
ऊपर से उसके बाल और वह हंसी भाई मुझे वो चाहिए ,,,

नीरव सुन गांव में ना और भी कई लड़कियां हैं जिनके
बाल लंबे हैं और फिर भी जहां तक की रंग भी बहुत
ज्यादा अच्छा है तू क्यों इसके पीछे अपना टाइम वेस्ट
कर रहा है संजय वह लड़कियां तू अपने लिए रख मुझे
आज रात के लिए यह लड़की चाहिए समझा तू नीरव
ठीक है रात को देखते हैं इसे अब चल संजय

अपने पीछे के खतरे से अनजान आस्था घर पहुंची फ्रेश
होकर खाना खाया अब तो उसे कुछ दिन पढ़ाई भी नहीं
करनी थी ,,,, तो अपना थोड़ा का काम किया और आंगन में
ही रखी हुई चारपाई पर सो गई ,,, वैसे भी उसके घर को
चारों ओर से बड़ी-बड़ी दीवारे थी इस वजह से उसे कुछ
नहीं लगा 5:30 बजे के आसपास उसकी नींद खुली वह
इतने दिनों से सोई नहीं थी ,,,, तो उसे कुछ नहीं लगा फ्लैश
होकर घर के काम किया और अपनी मां के लिए खाना
बनाया l आज उन्हें आने में बहुत लेट हो गया था 7:00
बज रहे थे अभी तक वह नहीं आई थी ,,, दरवाजे पर
दस्तक होने की वजह से आस्था ने दरवाजा खोला उसे
लगा कि उसकी मां है लेकिन उसे क्या पता था कि
दरवाजे के बाहर बहुत बड़ा खतरा उसके इंतजार कर
रहा है l

आप कौन आस्था अंदर तो आने दो नीरव
जी वह मां घर पर नहीं है बाद में आइए आप आस्था

पता है वह घर पर नहीं है और जल्दी भी नहीं आएंगी
उन्हें हमने बंद करके जो रखा है नीरज ने कहा और
जब बजट जबरदस्ती अंदर आ गया ,,, उसकी गंदी नजर
आस्था के बदन को देख रही थी क्या बदतमीजी है यह
निकलो मेरे घर से आस्था l

ऐसे कैसे बेबी यार तुम से अकेले मिलने के लिए कितने
पापड़ बेलने पड़े हैं ,,, पता भी है तुम्हें तुम्हारी मां को बंद
करना आसान काम थोड़ी ना था ,,, नीरव ने कहते हुए
अपने हाथ उसकी कमर पर लपेट लिए ,,,
छोड़ो मुझे जाने दो आस्था ने अपने हाथों से उसे
धकेलना शुरू कर दिया ,,, लेकिन उसके मजबूत हाथों
की पकड़ से छूट पाना ,,, उसके लिए ना
नामुमकिन था l नीरज ने अपनी पकड़ उस पर और भी
ज्यादा मजबूत कर ली और उसके गले को चूमने ही
वाला था तब तक आस्था ने अपनी उंगलियां उसकी
उसके आंखों में चुभो दी l

जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हो गई आस्था वहां से घर
के अंदर भागने लगे ,,, लेकिन उतने में ही नीरव ने उसे
पकड़ लिया और उसे ज़ोर से ही वही आंगन में मौजूद
चारपाई पर फेंक दिया l

आस्था की आंखें भर आई उसके उठने से पहले ही वह
उस पर आ गिरा और जबरदस्ती उसकी ओढ़नी
खींचने लगा ,,,, आस्था भी पूरे जोर से अपनी ओढ़नी को
पकड़े हुए थे ,,, जाने दो ना प्लीज मैंन क्या बिगाड़ा है
तुम्हारा आस्था रोती हुई बोलने लगी l

नीरव सिर्फ पागलों की तरह हंस रहा था वह था कि
और झुक गया इससे पहले कि कुछ कर पाता किसी ने
उसे पीछे से खींच लिया मां कहते हुए आशा उनसे
लिपट गई तुम्हें तो बंद किया था ना नीरज मैं वहां से
भाग गए मुझे मेरी बेटी को जो बचाना था लेकिन अब
तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता l

कहते हुए उन्होंने अपने पैर हाथ में की लकड़ी उसे मार
दी नीरव बचने की कोशिश कर रहा था ,,,लेकिन
एक मा की ताकत के आगे उसकी ताकत कम पड़
गई थी ,,, नीरव ने गुस्से में आकर उन्हें धक्का दे दिया
और वहां से भाग गया वह संभाल भी नहीं पाई और
पीछे की ओर जा गिरी उनका सर वहीं मौजूद पत्थर
पर जा गिरा और कुछ ही पल में वहां से खून की धार
निकल आई ,,,,
मां उठो क्या हुआ है तम्हें मां आस्था ने रोते
हुए कहा l