प्यार हुआ चुपके से - भाग 17 Kavita Verma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • हमसफर - 10

    15 साल आस्था ने रोते हुए कहा एकांश के साथ-साथ सभी बहुत हैरान...

  • दहेज दानव

    तृप्ति की उम्र अब शादी योग्य हो गई थी जिसके कारण उसकी माँ सी...

  • ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 22

    भाग 22“कविता, कहाँ हो? देखो तो कौन आया है?” विक्रम घर में घु...

  • भूतिया हवेली

    भूतिया हवेली की कहानी एक पुराने हवेली की है, जहाँ रहस्यमयी घ...

  • शब्दों के मोती

    1.आज धुंध बहुत है शहर में... काश! वो मुझसे टकरा जाए...!2.मेर...

श्रेणी
शेयर करे

प्यार हुआ चुपके से - भाग 17

शिव ने उसकी आंखों में देखते हुए,चावल के दाने को निकाला और फिर बहुत प्यार से उसके चेहरे को छूकर बोला- तुम्हें पता है रति? जब तुम शर्माती होना, तो बहुत खूबसूरत लगती हो।

रति मुस्कुराते हुए बोली- आपको तो मैं हमेशा ही खूबसूरत लगती हूं। जब भी मैं सामने होती हूं। आपकी नज़रे मुझ पर से हटती ही कहां है?

रति ने इतना कहकर, शिव के हाथों से खीर की कटोरी ली और फिर उसे खीर खिलाने के लिऐ अपनी गर्दन ऊपर उठाई, पर शिव उसे कहीं नज़र नही आया। उसे समझते देर नहीं लगी कि वो जागती आंखों से शिव के ख्वाब देख रही थी। उसने अपनी आँखें बंद की और फिर खुद को संभाल लिया। खीर की कटोरी वही रखकर, वो आंगन में आकर बर्तन साफ़ करने लगी।

दूसरी ओर शक्ति अपने घर इंदौर पहुंचा, तो उसकी नज़र अपने पापा और अरुण पर पड़ी, जो वहीं परेशान सोफे पर बैठे हुए थे। पायल भी वही सिर पर हाथ रखे बैठी हुईं थी।

"क्या हुआ? आप सब ऐसे क्यों बैठे है?"- शक्ति ने अंदर आते हुए पूछा। उसकी आवाज सुनकर सबने उसकी ओर देखा, तो शक्ति जोर से चीखा- काका चाय लाइए मेरे लिए,

"अभी लाया बिटवा,"

शक्ति आकर सोफे पर बैठा और उसने अपना सवाल फिर से दोहराया - क्या हुआ? सब इतने परेशान क्यों लग रहे है? हमारी कंपनी पर ताला लग गया या कपूर खानदान सड़क पर आ गया है?

"यही समझ लो शक्ति"- पायल ने गुस्से में जवाब दिया। शक्ति ने तुरंत अपने पापा की ओर देखा। अधिराज कुछ नही बोले, बस उसे गुस्से में घूरने लगे। पर अरुण बोले- शक्ति, हमारी कम्पनी के शेयर्स की कीमत मार्केट में तेज़ी से गिरने की वजह से, हमारे हाथों से तीन बड़े प्रोजेक्ट निकल गए है और पता चला है कि ओंकारेश्वर नदी पर बनने वाले पुल का कांट्रेक्ट भी हमारे हाथों से जा सकता है।

"व्हाट"- शक्ति ने झटके से उठकर पूछा। अरूण ने अधिराज की ओर देखा और फिर शक्ति से बोले- हां शक्ति, शिव के जाने के बाद हमारी कम्पनी अपनी पोजीशन से बहुत नीचे आ चुकी है। लोगों का भरोसा हम पर से उठता जा रहा है। मिस्टर कुकरेजा और सेट्टी साहब ने भी, उनके होटल्स के प्रॉजेक्ट हमसे वापस लेने का फैसला कर लिया है।

अगर अगले एक हफ्ते में, हमारी कम्पनी के शेयर्स में फिर से उछाल नही आया और हम हमारे सारे क्लाइंट्स को वापस नही ला सके। तो समझो, पुल का कांट्रेक्ट भी गया हमारे हाथों से....शक्ति परेशान होकर सोच में पड़ गया। अरूण ने फिर से अधिराज की ओर देखा और बोले- और ये सब इसलिए हुआ है क्योंकि"- इतना कहकर अरुण खामोश हो गए।

"आगे बोलिए अंकल"- शक्ति ने पूछा, तो अधिराज ताव में उठकर खड़े हुए और बोले- दूसरी सबसे ज़रूरी बात ये है कि तुम्हारे कपूर ग्रुप ऑफ कंपनीज का मैनेजिंग डायरेक्टर बनने की न्यूज़, मार्केट में आउट होने के बाद ये सब हुआ है।

अधिराज इतना कहकर गुस्से में आगे आए और बोले- जब मैंने तुमसे साफ-साफ कहा था शक्ति कि पंद्रह दिन बाद, जब बोर्ड के सारे मेंबर्स की मीटिंग होगी। उसके बाद ये बोर्ड का फैसला होगा कि वो किसे मैनेजिंग डायरेक्टर की कुर्सी पर देखना चाहते है, तो तुम्हारे मैनेजिंग डायरेक्टर बनने वाली बात, रातों रात मार्केट में कैसे फैली?

इतना कहकर उन्होंने इवनिंग न्यूज़ पेपर, गुस्से में शक्ति के मुंह पर फेंक दिया। शक्ति ने पहले उन्हें हैरानी से देखा और फिर झुककर न्यूज़ पेपर उठाया और उसे उठाकर पढ़ने लगा। पहले ही पन्ने पर, उसके मैनेजिंग डायरेक्टर बनने की न्यूज़ छपी हुई थी। वो न्यूज़ पढ़ने लगा-

इंदौर शहर की रॉयल फैमिली से एक और बड़ी खबर सामने आई है। सुनने में आया है कि अधिराज कपूर के छोटे बेटे, शिव कपूर की मौत के बाद....उनके बड़े भाई शक्ति कपूर के हाथो में कम्पनी की भागदौड़ सौंपी जा रही है, पर इस खबर के आते ही.उनकी कम्पनी के शेयर्स और तेज़ी से गिरने लगे है और इसकी सबसे बडी वजह ये बताई जा रही है कि शक्ति साहब की इमेज मार्केट में कुछ ज़्यादा अच्छी नही है और अपने आपसी विवाद के चलते, पिछले कुछ महीनों से कपूर खानदान अखबारों की सुर्खियों में था।

पहले दोनों भाईयों के आपसी विवाद और फिर शिव कपूर और उनकी पत्नी की मौत की खबरे... अखबारों में छाई हुईं थी, दबी आवाज़ों में कपूर्स के करीबी लोग शिव कपूर की मौत के लिए शक्ति साहब को ज़िम्मेदार मानते है। ऐसे में उनके मैनेजिंग डायरेक्टर बनने की न्यूज़ आउट होते ही, मार्केट में कपूर ग्रुप ऑफ़ कम्पनीस के शेयर्स की कीमत दो रुपए की भी नही रही है। शक्ति साहब की खराब इमेज के चलते कपूर्स के लिए, ये फैसला बहुत गलत साबित हो सकता है। ऐसे में अगर ये खबर सच हुई तो वो दिन दूर नही। जब इस कंपनी पर ताला लग जायेगा।

शक्ति ने न्यूज़ पढ़ते ही अपने पापा की ओर देखा और बोला- ये न्यूज़ मैनें लीक नही की है पापा। ट्रस्ट मी,

अधिराज गुस्से में भड़के- शटअप शक्ति, सारा ऑफिस ये बात जानता है कि तुम एमडी की कुर्सी पर बैठने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हो, तो फिर ये न्यूज़ लीक करना तो बहुत मामूली सी बात है। और वैसे भी, जो इन्सान एक कुर्सी पर बैठने के लिए खुद अपने ही छोटे भाई का दुश्मन बन सकता है। उसके ये सब करने से मुझे ज़रा भी हैरत नही हुईं।

इतना कहकर वो जानें लगे पर फिर उनके कदम रुक गए और वो पलटकर बोले- पर अब मेरी एक बात ध्यान से सुन लेना शक्ति.... कपूर ग्रुप ऑफ़ कम्पनीस के मैनेजिंग डायरेक्टर अब तुम नही बनोंगे। किसी भी कीमत पर नही"-इतना कहकर अधिराज गुस्से में वहां से चले गए।

उनके जाते ही शक्ति ने वही टेबल पर रखे, एक फ्लॉवर पॉट को हाथ मारकर गिरा दिया। जिसके गिरने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि सबने तुरंत उसकी ओर देखा।

शक्ति ने अपने दोनों हाथों को टेबल पर रख लिया। गुस्से में उसकी आँखें एकदम लाल हो चुकी थी। वो खुद से बोला- जिसने भी ये हरकत की है। उसे छोडूंगा नही मैं.... छोडूंगा नही उसे,

"आप कुछ नही कर सकते शक्ति। कुछ भी नही क्योंकि शायद महादेव खुद नही चाहते कि आप कपूर ग्रुप ऑफ़ कम्पनीस की उस कुर्सी पर बैठे जिस पर कभी शिव बैठा करते थे इसलिए अभी भी वक्त है बेटा....छोड़ दीजिए ये ज़िद"- तभी तुलसी बोली।

शक्ति ने पलटकर उनकी ओर देखा और बोला- आपको क्या लगता है दादी कि ये पूरा घर मिलकर मेरे साथ खेल खेलेगा और मुझे पता भी नही चलेगा? गलत हो आप दादी... मैं बहुत अच्छे से जानता हूं कि आप में से कोई ये नही चाहता कि मैं कपूर ग्रुप ऑफ़ कम्पनीस का मैनेजिंग डायरेक्टर बनूं।

इसलिए मैं अच्छे से जानता हूं कि आज अखबार में जो कुछ भी छपा है। वो मेरे किसी अपने की साजिश है ताकि इस बार भी मुझसे मेरा हक छीना जा सके, पर इस बार मैं अपने साथ कुछ गलत नही होने दूंगा। कुछ भी नही दादी,

इतना कहकर शक्ति गुस्से में भन भनाता हुआ वहां से चला गया। दूसरी ओर शिव बेड पर लेटा छत पर लगे पंखे को देख रहा था। वो मन ही मन बोला- नही रति मेरा दिल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि तुम मुझे छोड़कर जा सकती हो। मेरा दिल अभी तक धड़क रहा है, तो तुम्हारे दिल की धड़कन कैसे रुक सकती है।

इतने बड़े तूफान में उफनती हुई नदी में गिरने के बाद भी मैं ज़िंदा बच गया हूं, तो तुम कैसे मर सकती हो? ज़रूर मैनें कुछ गलत सुन लिया है। काका से बात करते वक्त वहां इतना शोर भी तो था इसलिए ज़रुर मुझसे सुनने में कोई गलती हो गई है। हां..... ज़रूर हॉस्पिटल में कोई किसी से मरने वाली बात कर रहा होगा और मुझे लगा कि फोन पर काका ये सब कह रहे है।

मैं एक बार फिर घर पर कॉल करता हूं और मुझे पता है। इस बार मेरा फोन रति ही उठाएगी। उसे भी तो मेरे लौटने का बेताबी से इंतज़ार होगा। शिव ने यही सब सोचते हुए बेड से उठने की कोशिश की और टेबल के सहारे उठकर खड़ा हुआ। वो दीवार का सहारा लेकर आहिस्ता-आहिस्ता टेलीफोन के पास पहुंचा और वहां बैठी लड़की से बोला- क्या मैं एक कॉल कर सकता हूं?

उस लड़की ने तुरंत नज़रे उठाकर उसकी ओर देखा और बोली- आप वही है ना, जो तीन महीने से बेहोश थे? शिव ने आहिस्ता से अपना सिर हिला दिया, तो वो लड़की उठकर खड़ी हुई और टेलीफोन उसकी ओर बढ़ाकर बोली- बात कर लीजिए आप।

शिव ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए फोन का रिसीवर उठाया और अपने घर का नंबर डायल करने लगा। तभी वो लड़की एक फाइल उठाकर वहां से चली गई। शिव के घर के ड्रॉइंगरूम में रखे। फोन की रिंग तो बज रही थी पर कोई फोन नही उठा रहा था।

घर का एक नौकर घंटी की आवाज़ सुनकर रसोईघर से बाहर आया और टेलीफोन की ओर बढ़ने लगा। उसने टेबल पर रखे फोन का रिसिवर उठाया ही था कि तभी शिव की नज़र वही रखे न्यूज़ पेपर पर पड़ी जिसके पहले पन्ने पर ही। उसे अपनी कम्पनी का नाम नज़र आया। उसने तुरंत रिसिवर नीचे रखकर अखबार उठा लिया।

"हैलो.... हैलो"- दूसरी ओर से उसके घर का नौकर बोला पर जब कोई आवाज़ नहीं आई, तो उसने रिसिवर फिर से नीचे रख दिया। शिव वही एक चेयर पर बैठकर अखबार पढ़ने लगा।

पर इससे पहले की वो अखबार में अपने परिवार की पूरी खबर पढ़ पाता। अख़बार में अपने और रति के मरने की ख़बर पढ़ते ही, उसके हाथों से अखबार छूट कर फर्श पर गिर गया।और वो सोच में पड़ गया।

उसने अपनी आँखें बंद कर ली।तो उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसकी आंखों के सामने उसका बीता हुआ कल कुछ इस तरह से नाचने लगा। जैसे ट्रैफिक में हजारों गाड़ियां बहुत तेज़ी से। उसके आसपास से गुजर रही हो और वो उनके बीच एकदम अकेला खड़ा हो।

तभी डॉक्टर वहां आकर बोले- आप यहां है? और मैं आपको पूरे वार्ड में ढूंढ रहा हूं। पुलिस आई है आपसे पूछताछ करने...चलकर उन्हें अपने बारे में बता दीजिए। वो आपके परिवार वालों तक,आपके ज़िंदा होने की ख़बर पहुंचा देंगे। आइए,

इतना कहकर डॉक्टर ने वही पास ही खड़ी नर्स को व्हील चेयर लाने को कहा। वो जैसे ही व्हील चेयर लाई। डॉक्टर ने शिव को सहारा देकर उस पर बैठाया और वहां से ले गए। शिव ना ही कुछ बोल पा रहा था और ना ही कुछ समझ पा रहा था। उसके जाने के कुछ देर बाद, रिसेप्शन पर खड़ी लड़की वापस अपनी जगह पर आई तो उसकी नज़र ज़मीन पर पड़े अखबार पर पड़ी। उसने अखबार उठाकर फिर से काउंटर पर रख दिया।

डॉक्टर ने शिव को बेड पर लेटाया तो वही खड़े इंस्पेक्टर साहब उससे बोले- आपको होश में आया देखकर बहुत खुशी हुई और उससे भी ज़्यादा खुशी ये सोच कर हो रही है कि जब आपके परिवार को आपके ज़िंदा होने वाली बात पता चलेगी, तो वो कितने खुश होंगे। उन्हें तो आपको देखकर एक तरह से नई ज़िंदगी ही मिल जायेगी। कहां रहते है आप? नाम क्या है आपका?

शिव ने कोई जवाब नही दिया। वो अभी भी बुत बने ऐसे बैठा था। जैसे उसे कुछ सुनाई ही नही दिया हो। उसे ऐसे देखकर इंस्पेक्टर साहब ने डॉक्टर की ओर देखा। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और बोले- आपको इंस्पेक्टर साहब ही यहां लेकर आए थे इसलिए घबराने की कोई ज़रूरत नही है। इन्हें अपना नाम और पता बता दीजिए। ये आपके परिवार वालों को आपके पास ले आएंगे। आपकी रति को भी,

रति का नाम सुनते ही शिव ने तुरंत नज़रें उठाकर उनकी ओर देखा तभी इंस्पेक्टर बोल पड़े- बोलिए, कौन है आप? कहां के रहने वाले है? नाम क्या है आपका?? अपने घर का फोन नंबर दीजिए हमें... हम आपके घर फोन करके, आपके ज़िंदा होने की ख़बर आपके अपनों तक पहुंचा देते है।

शिव ने इस बार भी कोई जवाब नही दिया। डॉक्टर और इंस्पेक्टर बहुत देर तक, उससे उसके बारे में सवाल करते रहे पर वो कुछ नही बोला। थक कर इंस्पेक्टर साहब ने डॉक्टर को उनके साथ आने का इशारा किया। डॉक्टर साहब ने नर्स को शिव का ख्याल रखने को कहा और फिर इंस्पेक्टर के साथ कुछ कदम चलकर शिव से थोड़ा दूर आए।

इंस्पेक्टर ने शिव की ओर देखा और फिर बोले - मुझे लगता है कि अभी ये पूरी तरह से होश में नही आए है। कुछ दिन और लगेंगे इन्हें ठीक होने में.... तब शायद अपने बारे में ये कुछ बता सके। वैसे तो हमने अखबार में इनके बारे में ख़बर छपवाई है पर फिलहाल तो कुछ पता नही चला। हो सकता है कि इस हुलिये में इनकी तस्वीर देखकर इनके घरवाले इन्हें पहचान ना सके हो।

इतना कहकर उन्होंने फिर से शिव की ओर देखा और फिर अपने वॉयलेट से,कुछ रुपए निकालकर डॉक्टर को देते हुए बोले- ये कुछ रुपए रखिए....आप कल इनकी दाढ़ी वगैरहा बनवा दीजिए और इनके लिए एक जोड़ी अच्छे कपड़े ले आइए। मैं कल फिर से आऊंगा, एक फोटोग्राफर को साथ लेकर। वो इनकी एक अच्छी सी तस्वीर उतारेगा, फिर हम उस तस्वीर को फिर से अखबार में दे देंगे। फिर शायद इनके परिवार का कुछ पता चल जाए।

डॉक्टर साहब भी शिव की ओर देखने लगे। तभी इंस्पेक्टर साहब फिर से बोले- आप लोगों की जान बचाते है डॉक्टर साहब पर फिर भी कई बार लाख कोशिशों के बाद भी। कुछ जाने नही बच पाती और हमें... कानून की हिफाज़त के लिए कई बार लोगों की जानें लेनी पड़ती है। इसलिए शायद भगवान ने आज हम दोनों को एक मौका दिया है।

अगर हम इसे सही सलामत इसके परिवार तक पहुंचा सके, तो शायद भगवान अपना हाथ हमारे सिर पर रख दे। आप प्लीज़ इनका अच्छे से ख्याल रखिएगा। मुझे ये लड़का किसी भले घर का लगता है। ना जाने कितने लोग इसकी मौत के गम में जी रहे होंगे। इसे इसके परिवार तक पहुंचा देंगे हम, तो हमें उन लोगों की दुआएं मिलेगी।

"आप ठीक कह रहे हैं इंस्पेक्टर साहब...आप फिक्र मत कीजिए। आज से मैं खुद पर्सनली इस लड़के का ख्याल रखूंगा"- डॉक्टर साहब बोले।

ये सुनकर इंस्पेक्टर साहब ने अपना हाथ उनकी ओर बढ़ाया- थैंक्यू डॉक्टर साहब, चलता हूं। कल फिर मुलाकात होगी आपसे,

डॉक्टर ने उनसे हाथ मिलाया, तो इंस्पेक्टर साहब वहां से चले गए। डॉक्टर फिर से शिव को देखने लगे, जो बुत बने बैठा हुआ था। दूसरी ओर रति,चौक में मौहल्ले वालों के साथ बैठी हुई थी। जहां एक टीवी पर चांदनी फिल्म चल रही थी, पर रति सबके बीच बैठी हुई भी, सिर्फ शिव के बारे में ही सोच रही थी। तभी टीवी स्क्रीन पर गाना प्ले होने लगा -

मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां है।

गाना सुनते ही रति ने तुरंत टीवी की ओर देखा तो उसे याद आया कि उसने भी अपने कॉलेज के वार्षिक उत्सव में स्टेज पर इसी गाने पर डांस किया था और उसके कॉलेज के फंक्शन का चीफ़ गेस्ट शिव ही था। उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि वो खुद को श्रीदेवी की तरह स्टेज पर नाचते देख रही थी।

नाचते वक्त अचानक से उसकी नज़रें, स्टेज के नीचे चेयर पर बैठे शिव से टकरा रही थी। क्योंकि शिव भी सिर्फ उसे ही देख रहा था, जैसे ही उसका डांस खत्म हुआ। सब लोग तालियां बजाने लगे। रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। पर एक बार फिर उसकी नज़रें शिव से टकराई और उसने नज़रें झुका ली।

लेखिका
कविता वर्मा