प्यार हुआ चुपके से - भाग 3 Kavita Verma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 3

रति ने दीवार पर लगी कील पर टंगा अपना बैग उठाया और रसोई घर में सिगड़ी पर रोटियां बना रही लक्ष्मी के पास आकर बोली- अम्मा मैं ऑफिस जा रही हूं। बाबा ने मुझे अजय बाबू के ऑफिस का पता समझा दिया है। मैं चलती हूं।

"रुक बिटिया"- लक्ष्मी ने इतना कह कर जल्दी से रोटी और सब्जी एक डब्बे में रखी और रति के पास आकर बोली- बिटिया ये वक्त पर खा लेना। तेरी तबियत ठीक नहीं रहती है। ऐसे में तुझे वक्त पर खाना खाना चाहिए।

काजल ने उनकी ओर देखकर मुस्कुराने की कोशिश की और बोली- अम्मा, आप ये सब मत कीजिए मेरे लिए... पहले ही मैं आप लोगों पर बोझ बनी जी रही हूं और कुछ मत कीजिए मेरे लिए। मैं नाश्ता कर चुकी हूं।

"सिर्फ दो बिस्किट खा लेने से नाश्ता नहीं होता बिटिया और ना पेट भरता है... और ना ही खाली पेट तुझसे दिन भर अजय बाबू के दफ्तर में काम होगा इसलिए इसे अपने साथ लेकर जा और वक्त पर खा लेना..... जानती हूं कि जिन हालातों से तू गुज़र रही है। उससे पार पाना बहुत मुश्किल है पर तुझे कोशिश तो करनी होगी ना?

उसके लिए जिसके आने का तुझे बेसब्री से इंतज़ार है"- लक्ष्मी बोली। रति अपनी उदास आंखों से उन्हें देखने लगी। लक्ष्मी ने उसके कंधे पर टंगे बैग में खाने का डिब्बा रखा और मुस्कुराते हुए काजल के गाल को छूकर बोली- और बेटियां, मां-बाप पर बोझ नहीं होती है बिटिया। वो तो घर की रौनक होती है इसलिए फिर कभी ऐसा मत कहना। अब जा तुझे देर हो जाएगी।

रति झुककर उनके पैर छूकर बोली- चलती हूं अम्मा,

लक्ष्मी ने मुस्कुराते हुए हां में अपना सिर हिला दिया तो रति चली गई। उसके जाते ही लक्ष्मी फिर से रोटियां बनाने लगी। रति सड़क पर पैदल ही चली जा रही थी। वो लोगों से रास्ता पूछते हुए अजय के ऑफिस की ओर बढ़ रही थी पर अभी भी वो शिव के ख्यालों में खोई हुई थी इसलिए उसे पता ही नहीं चला कि कब वो सड़क के किनारे से बीच सड़क पर आ गई। तभी एक तेज़ रफ़्तार गाड़ी उसके बहुत क़रीब आकर रुक गई। काजल घबराकर दो कदम पीछे हट गई।

उसने नज़रे उठाकर देखा तो उसके सामने गाड़ी में अजय बैठा। रति को देखते ही वो गाड़ी से बाहर आया और बोला- मिस काजल, जिन्हें सड़क पर चलना नहीं आता हो, उन्हें या तो घर में बैठना चाहिए या फिर अपने साथ दो-चार बॉडीगॉर्ड लेकर चलना चाहिए। ताकि वो आपकी हिफाजत कर सके।

"मुझे सड़क पर चलना भी अच्छे से आता है और अपनी हिफाजत करना भी"- इतना कहकर रति उसके नजदीक से निकलकर आगे बढ़ने लगी। तभी उसकी साड़ी का पल्लू,अजय की घड़ी के पट्टे में उलझ गया। अपनी साड़ी खीचते देख रति के उदास चेहरे पर जैसे चमक ही आ गई। वो मुस्कुराते हुए पलटकर बोली- हद है शिव...आप,

उसने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि उसकी नजर अजय पर पड़ी। अपने सामने शिव की जगह अजय को देखकर एक बार फिर उसकी मुस्कुराहट उदासी में बदल गई। तभी अजय ने अपना हाथ ऊपर उठाया और रति की ओर देखते हुए उसकी साड़ी के पल्ले को अपनी घड़ी से निकाला। वो आहिस्ता-आहिस्ता उसकी ओर बढ़ने लगा। उसे अपने पास आता देख रति अपने कदम पीछे लेने लगी तभी अजय बोला- नौ बजने में सिर्फ पांच मिनिट बचे है मिस काजल अगर आपने पांच मिनट में ऑफिस पहुंचकर अटेडेंस रजिस्ट्रर पर साइन नहीं की तो वापस अपने घर चली जाना।

अजय इतना कहकर अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी स्टार्ट करके वहां से चला गया। रति दो पल वहीं खड़ी सोचती रही और फिर दौड़ती हुई ऑफिस की ओर बढ़ने लगीं। कुछ देर बाद अजय की गाड़ी अपने ऑफिस के बाहर आकर रूकी। वो गाड़ी से बाहर आकर ऑफिस में जाने लगा तभी रति हांपते हुए वहां आई। उसने जल्दबाजी में अजय का चेहरा भी नहीं देखा और उसे धक्का मारकर आगे जाते हुए बोली- माफी चाहती हूं। नौकरी का सवाल है। थोड़ा जल्दी में हूं।

अजय को उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया। वो भी तेज़ी से अपने ऑफिस में आया तो उसने देखा कि रति रिसेप्शन पर खड़ी रजिस्ट्रर पर साइन कर रही थी। तभी अजय उसके पास आकर बोला- मिस काजल, मेरे केबिन में आइए। अभी और इसी वक्त,

"जी सर"- रति सिर हिलाकर बोली। अजय उसे घूरते हुए अपने केबिन की ओर बढ़ने लगा। रति ने उसे जाते देखा और रिसेप्शन पर बैठी लड़की से पूछा- सर जिस तरफ गए है। उनका केबिन उसी तरफ है ना?

"हां सीधे जाकर लेफ्ट"- उस लड़की के इतना कहते ही रति,अजय के केबिन की ओर बढ़ने लगी। वो आगे बढ़ते हुए सारे केबिनों के बाहर लगी नेमप्लेट देख रही थी। अजय के नाम की नेमप्लेट देखते ही उसने केबिन के दरवाज़े पर नॉक किया ही था कि अजय बोला- कमिंग,

रति अंदर आईं तो अजय ने नज़रे उठाकर उसकी ओर देखा और बोला- वो सामने टेबल पर जितनी भी फाइल्स रखी है मिस काजल। उन्हें उठाइए और हर फाइल की बैलेंस शीट मिलाइए। जितनी भी गलतियां हो उसमें वो सारी आपको ठीक करनी है।

रति ने आहिस्ता से अपनी गर्दन हिलाई और टेबल की ओर बढने लगी। टेबल पर कम से कम सौ फाइल रखी हुई होगी। रति मन ही मन बोली- पहला दिन और इतना सारा काम दे दिया मुझे।

तभी अजय उसे घूरते हुए बोला- वैसे मिस काजल, आपको देखकर लगता नहीं है कि आप ये काम कर पाएगी पर फिर भी मैं ये काम आपको दे रहा हूं। ये जानने के लिए कि आप मेरे ऑफिस में काम करने लायक है भी या नहीं। वैसे काम ज्यादा मुश्किल नहीं है। सिर्फ जोड़ना और घटाना ही है।

"मेरी डेस्क कहां है"- तभी रति ने सवाल किया। अजय ने अपने हाथ में पकड़ा पेन दोनों हाथों से पकड़ा और बोला- केबिन से बाहर जाते ही तीसरी डेस्क,

रति ने कुछ फाइल्स उठाई और उन्हें लेकर केबिन से बाहर अपनी डेस्क के पास आ गई। उसने फाइल्स टेबल पर रखी और दोबारा से अजय के केबिन में आईं। अजय उसे ही देख रहा था। वो बची हुई सारी फाइल्स ले जाने लगी तभी अजय बोला- ये काम आपको आज ही कम्प्लिट करना है मिस काजल,

"जी सर"- रति इतना कह कर वहां से चली गई और अपनी डेस्क पर आईं। वो चेयर पर बैठी और आंखें बन्द करके बोली- हे भोलेनाथ,आज आपके साथ की जरूरत है मुझे। प्लीज मेरे साथ ही रहिएगा।

रति ने अपनी आंखें खोली और एक फाइल उठाई। उसने फाइल खोली और अकाउंट टेली करने लगी। बहुत देर कैलकुलेट करने के बाद भी बैलेंस सीट में लाइब्लिटिज और असेट्स का टोटल बराबर नहीं आ पा रहा था। वो परेशान होकर बोली- समझ नहीं आ रहा कि टोटल बराबर क्यों नहीं आ रहा। ऐसे तो सारे दिन में एक फ़ाइल भी टेली नहीं हो पाएगी और वो आदमी मुझे पहले ही दिन नौकरी से निकाल देगा।

रति ने फिर से कोशिश की। बार-बार कोशिश करने के बाद भी बैलेंस सीट का टोटल जब बराबर नहीं आया तो वो रोने लगी।

"आपके बिना तो जिंदगी की पहली ही लड़ाई में, मैं हार जाऊंगी शिव"- रति रोते हुए बोली। तभी किसी ने अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को छुआ। रति ने नज़रे उठाकर देखा तो उसके सामने शिव बैठा था। शिव ने बहुत प्यार से उसके आंसूओं को पौछा और उसके माथे को चूमकर बोला- मेरे प्यार को अपनी ताकत बनाओ रति.... कमजोरी नहीं। मुझसे मिलने से पहले भी तो तुम अपनी जिंदगी पूरी जिंदादिली से जीती थी ना तो फिर आज इतनी सी मुश्किल आते ही हार कैसे मान गई तुम? और तुम जानती हो ना कि मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ कब होती है??

रति ने आहिस्ता से अपना सिर हिला दिया तो शिव ने मुस्कुराते हुए फिर से उसके आंसूओ को पौछा और बोला- तो फिर रोना बन्द करो और डेबटर और क्रेडिटर की जगह चेंज करो। टोटल अपने आप बराबर हो जाएगा।

रति उसे देखकर मुस्कुराने लगी। उसने दो पल के लिए फ़ाइल की ओर देखा और फिर से शिव की ओर देखने लगी पर शिव उसे कहीं नजर नहीं आया।

"शिव"- रति ने फिर से उसे पुकारा और उठकर खड़ी हुई। एक बार फिर रति के पुकारते ही खाट पर लेटे शिव के शरीर में हलचल होने लगी। इधर रति ने अपने चारों ओर देखा पर उसे शिव कहीं नजर नहीं आया। तभी उसे ब्लैक कलर के कोट-पैंट पहने एक लड़का जाता हुआ नजर आया। रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वो उसे पुकारती हुई उसके पीछे जाने लगीं- शिव....रुकिए शिव....

तभी अजय अपने केबिन से बाहर आया और उस लड़के से बात करने लगा। रति के कदम रुक गए। बात करते हुए उस लड़के को किसी बात पर हंसी आईं और वो पलटा तो रति को उसका चेहरा नज़र आया। उसका चेहरा देखकर रति के चेहरे की मुस्कुराहट फिर से उदासी में बदल गई क्योकिं वो लड़का शिव नहीं था। रति वहीं खड़ी होकर उसे देखने लगी तभी वो लड़का अजय से बात करके वहां से चला गया। उसके जाते ही अजय की नज़र उस पर पड़ी और वो उसके पास आया। रति अभी भी बूत बनी खड़ी थी।

"मिस काजल"- अजय ने उसे पुकारा पर रति को जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दिया। अजय ने उसकी आंखों के सामने चुटकी बजाई तो जैसे रति चौंक सी गई। अजय को देखते ही वो पलटकर खड़ी हो गई और उसने अपनी पलकों पर टिके आंसूओं को बहने से पहले ही पौछ लिया। तभी अजय गुस्से में बोला- मिस काजल, आप यहां तफरी करने के लिए नही रखी गई है। काम करने के लिए रखी गई है तो जाकर वहीं कीजिए।

रति ने तुरन्त पलटकर उसकी ओर देखा तो अजय अकड़कर बोला- और अगर शाम के छः बजे तक आप अपना काम खत्म नहीं कर पाई तो कल से आपको यहां आने की जरुरत नहीं है। समझी आप,

रति ने आहिस्ता से अपना सिर हिला दिया और फिर से अपनी डेस्क पर आ गई। उसने डेबटर और क्रेडिटर की जगह चेंज की और फिर से टोटल लगाया। इस बार उसकी बैलेंस सीट बराबर हो गई। उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई और साथ ही आंसू भी। उसने खुद को संभाला और पूरी मेहनत से अपना काम करने लगीं।

इधर खाट पर लेटे शिव को फिर से होश आने लगा पर उसकी आंखें अभी भी बन्द थी। उसे रति का मुस्कुराता हुआ चेहरा नजर आने लगा। उसकी शरारतें याद आने लगी। उसे रति के साथ बिताए सारे लम्हें याद आ रहे थे। उसे रति हल्के गुलाबी रंग की साड़ी में खूबसूरत पहाड़ों और रंग-बिरंगे फूलों के बीच दौड़ती हुई नजर आ रही थी।

"रति, तुम चाहे कितना भी क्यों ना भाग लो। लौटकर तुम्हें मेरी ही बांहों में आना है"- शिव रति के पीछे दौड़ते हुए बोला। रति मुस्कुराते हुए पलटी और शिव को अंगूठा दिखाते हुए बोली- रति आपके हाथ नहीं आएगी शिव। चाहे तो कोशिश करके देख लीजिए।

रति इतना कहकर हंसते हुए फूलों के बीच भागने लगी। फूलों के बाग में कुछ औरतों फूलों को तोड़कर टोकरी में रख रही थी। रति ने भागते हुए एक टोकरी उठाई और शिव के ऊपर फेंक दी और हंसते हुए फिर से भागने लगीं। शिव भी हंसते हुए उसे पकड़ने की कोशिश में लगा हुआ था। भागते-भागते रति लड़खड़ा कर गिरने लगीं पर इससे पहले कि वो गिरती, शिव ने उसकी कलाई पकड़ ली। रति आधी हवा में लटकी हुई शरारत भरी नजरों से उसे देख रही थी। शिव ने उसकी कलाई खींची और उसे अपने करीब लाकर बोला- तुम्हारी ये शरारतें तुम्हें बहुत मंहगी पड़ सकती है रति,

"रति महंगे-सस्ते का हिसाब नहीं रखती मिस्टर शिव कपूर। वो सिर्फ आपसे मोहब्बत करती है और वो भी बेइंतहा"- रति, शिव के गले में अपनी बांहे डालकर बोली। शिव ने उसकी आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रखे और उसे अपने करीब लाकर बोला- सिर्फ अपने शब्दों में प्यार करती हो मुझसे पर जब असल में प्यार करने की बारी आती है। तो तुम्हारी बोलती बन्द हो जाती है। और तुम खुद को शर्मों-हया के पर्दों के पीछे छिपा लेती हो।

"तो आपको सच में ऐसा लगता है कि मैं आपसे प्यार नहीं करती"- रति ने शिव की आंखों में देखकर पूछा। तो शिव ने भी आहिस्ता से हां में अपनी गर्दन हिला दी और बहुत प्यार से उसे देखने लगा। रति ने शिव की आंखों में देखते हुए उसके माथे को चूमा और फिर शिव की ओर देखा। जो उसे देखकर धीमे-धीमे मुस्कुरा रहा था। रति आहिस्ता-आहिस्ता अपने होंठो को शिव की आंखों के पास लाई। उसने पहले शिव की एक आंख को चूमा और फिर दूसरी आंख को...

शिव की मुस्कुराहट और बढ़ गई। रति ने आहिस्ता से उसके एक गाल को चूमा और फिर दूसरे गाल को।
शिव तिरछी नजरों से उसे देखने लगा। रति उसके होंठो पर किस करने ही जा रही थी कि जहां वो खड़ी थी। वहां की मिट्टी खिसक गई और वो गिरने लगी पर शिव का हाथ उसकी कमर पर था तो शिव ने उसे कसकर पकड़ लिया और दोनों फूलों की पहाड़ी से नीचे लुढ़कने लगे। दोनों उस छोटी सी पहाड़ी से लुढ़कते हुए नीचे फूलों से लदे ट्रक में जा गिरे और फूल उछलकर उनके ऊपर गिरने लगे। ये देखकर रति को हंसी आने लगी। शिव भी ये सब देखकर हंस दिया। उसने रति को अपनी बांहों में भरकर कहा- आय लव यू रति,

शिव बेहोशी की हालत में यही शब्द बार-बार बोले जा रहा था। उसकी आवाज़ सुनकर कजरी जो मिट्ठी के घड़े बना रही थी, ने तुरन्त अपने हाथ धोए और खाट पर लेटे शिव के पास आई। शिव अभी भी वही शब्द दोहरा रहा था। कजरी आकर उसके पास बैठी और उसकी हथेली मसलते हुए चीखी- बाबा जा मोड़ा कछु बोल रहो है। जल्दी आओ,

कजरी के बाबा तुरन्त वहां आए और उन्होंने फिर से शिव की नब्ज़ देखी और बोले- बिटिया अभी जाए होश नहीं आओ है, पर बार-बार जा मोड़ा सिर्फ़ एक ही नाम ले रहो है। रति..... कौन है जा रति?

और जा मोड़ा है कौन? जा मोड़ा के घरवालन के बारे में भी कछु पता नहीं चल रहो है? लगता है अब थाने जाकर पुलिस वालन को इसके बारे में बताओ पड़ेगो। वही जाके घरवालन के बारे में कछु पता लगा सकत है। मैं आज ही जात हूं गांव में,

कजरी ने आहिस्ता से सिर हिला दिया। इधर शाम के छः बज चुके थे और अजय का स्टॉफ एक-एक करके जाने लगा था। रति का भी काम खत्म हो चुका था। उसने अपनी आखिरी फाइल की बैलेंस सीट में भी करेक्शन किए और फाइल बन्द करके जमा की हुई फ़ाइल में रख दी। फिर उसने अपना बैग कंधे पर टांगा और जाने लगी पर तभी अपने केबिन से बाहर आ रहे अजय की नज़र उस पर पड़ी।

"मिस काजल"- अजय ने उसे पुकारा उसकी आवाज़ सुनकर रति के कदम रुक गए। उसने पलटकर अजय की ओर देखा तो अजय ने उसके पास आकर पूछा- आपका काम खत्म हो गया?

"जी सर"- काजल ने आहिस्ता से जवाब दिया। अजय ने दो पल उसकी ओर देखा और फिर उसकी डेस्क के पास आया। उसने उसे घूरते हुए एक फाइल उठाई और उसे चेक करने लगा। फाइल देखते ही वो हैरान था क्योंकि रति ने सच में बैलेंस सीट में हुई गलतियां ठीक कर दी थी। उसने फाइलों के ढेर के बीच से एक और फाइल निकालकर देखी तो वो भी सही थी। उसने वही खड़ी रति की ओर देखते हुए एक और फाइल उठाई। फिर एक-एक करके बहुत सी फाइल चेक की।

"आप जा सकती है"- अजय ने हाथ पकड़ी हुई फ़ाइल टेबल पर रखकर कहा और फिर खुद वहां से चला गया। उसके जाते ही काजल ने सुकून की सांस ली।

लेखिका
कविता वर्मा