प्यार हुआ चुपके से - भाग 18 Kavita Verma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 18

सबकी परफॉमेंस खत्म होते ही कॉलेज के प्रिंसिपल साहब स्टेज पर आकर बोले- जैसा कि आप सब ये जानते है कि आज हमारे कॉलेज के वार्षिक उत्सव का आखिरी दिन है और आज, उन सभी छात्र और छात्राओं को पुरस्कार दिया जाएगा। जो इस वर्ष विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रहे है।

बच्चों को सम्मानित करने से पहले मैं हमारे आज के चीफ़ गेस्ट... मिस्टर शिव कपूर को स्टेज पर आमंत्रित करना चाहूंगा, जो हमारे कॉलेज के ट्रस्टी...मिस्टर अधिराज कपूर के बेटे है और अभी-अभी यहां आए है। प्लीज़ वेलकम.... मिस्टर शिव कपूर,

सारे स्टूडेंट और टीचर्स तालियां बजाने लगे। शिव अपना कोट ठीक करते हुए, अपनी चेयर से उठकर खड़ा हुआ और स्टेज की ओर बढ़ने लगा। उसे देखकर वहां मौजूद ज़्यादातर लड़कियों की नज़रें उस पर ही आकर रुक गई, क्योंकि ब्लैक कलर के कोट पेंट और व्हाइट शर्ट में वो बिल्कुल किसी फिल्म के हीरो की तरह लग रहा था।

उसके स्टेज पर आते ही प्रिंसिपल साहब ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और फिर माइक के पास आकर बोले- मिस्टर शिव कपूर का स्वागत करने के लिए मैं फाइनल ईयर की सबसे होनहार छात्रा,मिस रति तिवारी को बुलाना चाहूंगा। रति कम ऑन स्टेज,

स्टेज के नीचे एक तरफ गौरी के साथ खड़ी रति, थोड़ा झेंपते हुए स्टेज की ओर बढ़ने लगी। उसके हाथों में एक फूलों का बुके था। वो आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियां चढ़ते हुए स्टेज पर आई। शिव की नज़रें भी सिर्फ उसी पर थी इसलिए उसके दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो गई थीं। उसके स्टेज पर आते ही प्रिंसिपल साहब ने उसे शिव को बुके देने का इशारा किया। रति ने फिर से शिव की ओर देखा और फिर बुके उसकी ओर बढ़ा दिया।

शिव ने अपनी शरारत भरी नज़रों से उसे देखा और बुके लेकर बोला- थैंक्यू,

रति तुरंत वहां से जाने लगी तभी उसके प्रिंसिपल साहब बोले- रुको बेटा तस्वीर खींचनी है। रति के कदम रुक गए और उसने पलटकर शिव की ओर देखा। शिव अभी भी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। रति फिर से उसके पास आई तो शिव ने बुके उसकी ओर बढ़ा दिया। रति ने थोड़ा झेंपते हुए और थोड़ा शर्माते हुए बुके पकड़ा।

उसके बुके पकड़ते ही शिव ने सबकी नज़रों से बचते हुए उसका एक हाथ पकड़ लिया। रति की आँखें बड़ी-बड़ी हो गई तभी फोटोग्राफर उनकी फोटो क्लिक करने लगा इसलिए वो कुछ बोल नहीं पाई। उसका चेहरा देखकर शिव आहिस्ता से उसके करीब आकर बोला- ये साथ में हमारी पहली फोटो है रति, थोड़ा तो मुस्कुरा दो।

रति बिना उसकी ओर देखे आहिस्ता से बोली- मेरा हाथ तो छोड़िए। शिव ने ना उसका हाथ छोड़ा और ना ही कुछ बोला। रति घबराई हुई सी मुस्कुराने की कोशिश करने लगी। फिर वो सबकी नज़रों से बचकर अपना हाथ उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

तभी शिव कैमरे की ओर देखकर आहिस्ता से बोला- बेकार की कोशिश कर रही हो रति....

रति ने तिरछी नज़रों से उसे देखा और पूछा- तो आप इसलिए यहां चीफ़ गेस्ट बनकर आए है? शिव के चेहरे पर तीखी सी मुस्कुराहट आ गई और वो फिर से बोला- सुना है कि तुम इस कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की होने के साथ-साथ, एक बहुत अच्छी डांसर और एक अच्छी सिंगर भी हो। अधूरा ही सही पर तुम्हारा डांस तो देख लिया मैनें, अब गाना सुनने की बारी है।

"मेरी जासूसी करना बन्द कर दीजिए आप"- रति उसे घूरते हुए बोली। शिव फिर से मुस्कुरा दिया तभी प्रिंसिपल साहब बोले- अब मैं मिस्टर शिव कपूर से निवेदन करता हूं कि वो इस कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए दो शब्द कहे।

शिव ने रति का हाथ छोड़ दिया तो रति ने तुरन्त अपना हाथ पीछे ले लिया। वो मुस्कुराते हुए माइक की ओर बढ़ने लगा और रति स्टेज से नीचे उतर आई। शिव ने माइक हाथों में लिया और स्टेज के बीचों बीच आकर बोला- मैं कोई नेता नहीं हूं और ना ही आप का कोई टीचर हूं।

इसलिए आप लोगों को कोई भी लंबा चौड़ा लेक्चर नही दूंगा। बस ये बताऊंगा.... कि मैं अपनी पढ़ाई खत्म करके अभी कुछ दिनों पहले ही अपने देश लौटा हूं और अभी-अभी मैंने अपने डैड का बिज़नेस भी ज्वॉइन किया है। पर मैं आज भी, आप लोगों की तरह ही अपनी ज़िंदगी जीना पसंद करता हूं और इस बात में विश्वास करता हूं कि अगर इंसान कुछ ठान ले तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है आप लोगों की नज़रें ठीक उसी तरह अपने लक्ष्य पर होनी चाहिए। जैसे अर्जुन की नज़रें सिर्फ़ अपने लक्ष्य, यानी कि चिड़ियां की आंख पर थी। मेरे पापा कहते है कि सफलता का मूल मंत्र यही होता है। पर.....

मैं ये कहता हूं कि अपनी लाइफ खुल कर जीयो और अपने मक़सद को हासिल करने के लिए अपनी जान लगा दो। कॉम्पटिशन के इस दौर में राहे आसान नहीं है। अगर आप रुके तो कोई आपको धक्का देकर आगे निकल जायेगा इसलिए भागते रहो और अपने लक्ष्य का तब तक पीछा करो जब तक आप उसे हासिल नहीं कर लेते क्योंकि कामयाबी के रास्ते में नाकामयाबी इसी इंतज़ार में खड़ी होती है कि कब आप हार मानकर रुक जाए और वो आपको ढकेलकर फिर से पीछे कर दे। इसलिए ज़िंदगी से लड़ते रहिए..... एक दिन ज़िंदगी खुद आपके आगे घुटने टेक देगी।

शिव के इतना कहते ही सारे स्टूडेंट तालियां बजाने लगे। गौरी भी उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा दी। तभी प्रिंसिपल साहब बोले- अब मैं मिस्टर शिव कपूर से निवेदन करूंगा कि वो आकर अपनी जगह पर बैठे और इस साल विभिन्न प्रतियोगिता में विजेता रहे स्टूडेंट्स को पुरुस्कृत करें। आइए शिव साहब,

शिव ने आहिस्ता से अपनी गर्दन हिलाई और आकर अपनी जगह पर बैठ गया। स्टेज पर एक-एक करके स्टूडेंट को बुलाया जाने लगा और शिव उन्हें ट्रॉफी, मेडल्स और गिफ्ट्स देने लगा।

"और अब बारी है डांस कॉम्प्टिशन में विजेता रहे स्टूडेंट को प्राइज़ देने की डांस कॉम्पटिशन में तीसरा स्थान हासिल किया है। सैकेंड ईयर के स्टूडेंट मयंक शर्मा ने....मयंक कम ऑन स्टेज,"- स्टेज़ पर खड़ी एक टीचर बोली।

मयंक मुस्कुराते हुए स्टेज पर आया और अपना प्राइज़ लेकर चला गया पर रति और गौरी दोनों ही अपनी सांसे रोके खड़ी थी। तभी टीचर ने दूसरे स्टूडेंट का नाम पुकारा- दूसरा स्थान मिला है फाइनल ईयर की स्टूडेंट गौरी मित्तल को,

उसका नाम सुनकर रति खुशी से उछल पड़ी और गौरी को गले लगाकर बोली- कांग्राचुलेशंस गौरी,

गौरी मुंह बनाकर बोली- थैंक्यू रति,

और स्टेज पर जाने लगी। शिव ने उसे भी प्राइज़ दिया और मुस्कुराते हुए बोला- मुझे नही पता था कि उछल-कूद करते-करते तू डांस भी करने लगी है।

"शटअप शिव, सैकेंड आई हूं मैं और मुझे फर्स्ट आना था"- गौरी मुंह बनाकर बोली तो शिव हंसते हुए बोला- कभी नही आएगी। ये सुनकर गौरी का मुंह खुल गया। वो गुस्से में कुछ कहती उसके पहले वहां खड़ी टीचर बोली- और इस साल भी...डांस कॉम्प्टिशन में फर्स्ट आई है। फाइनल ईयर की स्टूडेंट..... रति तिवारी,

रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। शिव भी उसका नाम सुनकर मुस्कुरा दिया। अपनी टीचर के बुलाने पर वो शिव की ओर देखते हुए स्टेज की ओर बढ़ने लगी और गौरी स्टेज से नीचे आने लगी। शिव ने एक बड़ा सा गिफ्ट पैकेट उठाकर रति की ओर बढ़ा दिया- कांग्राचुलेशंस रति,

"थैंक्यू"- रति उससे नज़रे चुराकर बोली और तुरंत गिफ्ट लेकर जाने लगी तभी शिव बोला- आपको बहुत जल्दी होती है जाने की? फर्स्ट प्राइज़ मिला है आपको, इस पल को यादगार तो बनाती जाइए। एक खूबसूरत तस्वीर के साथ,

रति ने फिर से अपनी टीचर की ओर देखा तो उन्होंने उसे तस्वीर खिंचवाने का इशारा किया। रति को ना चाहते हुए भी रुकना पड़ा और फिर से शिव के साथ तस्वीर खिंचवानी पड़ी। शिव ने एक बार फिर गिफ्ट के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया। रति की आँखें बड़ी-बड़ी हो गई और उसने तुरंत अपना हाथ छुड़ा लिया।

जिसकी वजह से उसके हाथ से गिफ्ट पैकेट नीचे गिर गया। शिव और रति दोनों ही, एक साथ उसे उठाने के लिऐ घुटनों के बल बैठे। पर रति उसे उठाती उसके पहले ही शिव ने उसे उठा लिया और आहिस्ता से बोला- तुम्हें नही लगता रति कि तुम जितना मुझसे भागती हो। किस्मत तुम्हें उतना ही मेरे करीब ले आती है।

रति ने उसके हाथों से पैकेट लिया और बोली- थैंक्यू,

इतना कहकर वो वहां से जाने लगी। शिव मंद-मंद मुस्कुराते हुए फिर से उठकर खड़ा हुआ। स्टेज पर खड़ी टीचर दूसरी प्रतियोगिता में जीते स्टूडेंट्स के नाम लेने लगी और शिव,रति की ओर देखते हुए उन्हें गिफ्ट्स देने लगा।

तभी रति की नज़र अपने गिफ्ट के रिबन में लगे एक कागज़ पर पड़ी। रति ने उस कागज़ के टुकड़े को निकाला, तो स्टेज़ पर खड़े शिव के चेहरे पर तीखी सी मुस्कुराहट आ गई। रति अपने गिफ्ट्स हाथों में लिए एक तरफ़ आई और उसने अपने जीते हुऐ सारे गिफ्ट्स,वही एक टेबल पर रखे और उस खत को खोलकर पढ़ने लगीं -

तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूँ,
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ,
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे,
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ,

रति की आँखें बड़ी-बड़ी हो गई। उसने नज़रें उठाकर फिर से शिव की ओर देखा जो उसे देखते ही अपनी भौंहे उठाने लगा। उसने गुस्से में उस कागज़ को अपनी मुठ्ठी में भरा और शिव की ओर देखते हुए उसे वही फेंक दिया। शिव की मुस्कुराहट और बढ़ गई पर रति फिर से सबके साथ आकर खड़ी हो गई। शिव को स्टूडेंट्स को गिफ्टस देते देख..... रति ने ज़मीन पर पड़े खत की ओर देखा और फिर उसने सबकी नज़रों से बचते हुए उस खत को उठा लिया और उसे देखकर मुस्कुराने लगी।

वो वापस जाने के लिए पलटी ही थी कि तभी उसकी नज़र शिव पर पड़ी जो अपने हाथों की घड़ी बांधे खड़ा उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। रति की आँखें खुली की खुली रह गई। पर फिर वो शिव से नज़रें चुराकर, उसकी बगल से निकलकर जाने लगी। पर तभी शिव ने उसकी कलाई पकड़ ली। रति का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।

शिव उसे खींचकर अपने करीब ले आया तो रति नज़रें झुकाए खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी। पर शिव मंद-मंद मुस्कुराते हुऐ उसे चुपचाप देख रहा था। रति ने घबराकर अपने आसपास देखा और बिना शिव की ओर देखे बोली- कोई देख लेगा। छोड़िए मुझे,

शिव ने भी नज़रे उठाकर अपने आसपास देखा और फिर रति का हाथ पकड़कर, उसे वहां से ले जाते हुए बोला- चलो मेरे साथ,

रति कुछ नही बोल पा रही थी। तभी गौरी ने अपने आसपास देखा और बोली- ये रति कहां चली गई?

"पानी पीने गई होगी"- तभी पास खड़ी उसकी एक सहेली बोली। गौरी फिर से स्टेज की ओर देखने लगी जहां अभी भी स्टूडेंट्स को प्राइज़ दिया जा रहा था। पर शिव उसे कहीं नज़र नही आया।

इधर शिव रति को एक क्लासरूम में ले आया जहां आज कोई नही था। आते ही उसने रति की कलाई छोड़ दी। अपनी कलाई छूटते ही रति वहां से भागने लगी पर तभी शिव ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींचकर अपने करीब ले आया। उसने उसकी दोनों बांह पकड़कर उसे दीवार से टिका दिया। रति ने नज़रे उठाकर उसकी ओर देखा और बोली- प्लीज़, मुझे जाने दीजिए शिव बाबू,

"मेरी बात सुन लो और फ़िर चली जाओ"- शिव उसकी आंखों में देखकर बोला। रति ने फिर से अपनी नज़रें झुका ली और बोली- ना ये जगह बात करने लायक है और ना मैं आपसे कोई बात करना चाहती हूं। इसलिए प्लीज़ मुझे जाने दीजिए अगर किसी ने मुझे यू आपके साथ अकेले यहां देख लिया तो पता नही क्या सोचेगा।

"वही सोचेगा जो उसे नज़र आएगा"- तभी शिव बोला। रति ने तुरंत नज़रे उठाकर उसकी ओर देखा। शिव भी एकटक उसे ही देख रहा था। दोनों सब कुछ भूल कर सिर्फ एक-दूसरे में खोए हुए थे।

"कुछ कहना चाहता हूं तुमसे, प्लीज़ बस एक बार मेरी बात सुन लो"- शिव आहिस्ता से बोला। रति बिना कुछ कहे, एकटक उसे देख रही थी।

"रति मैं तुमसे....- शिव ने अपनी बात खत्म भी नही की थी कि तभी रति को किसी के आने की आहट सुनाई दी। उसने शिव को खुद से दूर धकेला और वहां से भाग गई। शिव वही रखी बैंच पर बैठकर बोला- शिव साहब.... इज़हारे इश्क करने के लिए आपको अभी थोड़ा और इंतज़ार करना होगा।

रति दौड़ती हुई फिर से गौरी के पास आकर खड़ी हो गई। उसे देखते ही गौरी ने पूछा- ओए कहां चली गई थी। रति ने उसे इशारा करके बताया कि वो पानी पीने गई थी। गौरी ने अपनी हथेली उसके दिल पर रखी और बोली- तेरा दिल तो ऐसे धड़क रहा है जैसे तो पानी पीने नही बल्कि किसी लड़के से मिलने गई हो।

"शटअप गौरी कुछ भी बोलती है। अगर ऐसा कुछ होता तो मैं तुझे नही बताती क्या"- रति उसका हाथ हटाकर बोली।

"और सिंगिंग कॉम्प्टिशन में भी फर्स्ट आई है। रति तिवारी..."- तभी स्टेज़ पर खड़ी टीचर बोली। रति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। गौरी ने उछलते हुए उसे अपने गले से लगा लिया।

रति स्टेज की ओर बढ़ने लगी। शिव भी फिर से वहां आ गया। रति के आते ही, उसने एक गिफ्ट्स पैकेट उसे दिया और बोला- ये आठवां प्राइज़ मिला है तुम्हें....सिर्फ यही सब आता है तुम्हें या पढ़ती-लिखती भी हो?

रति ने कोई जवाब नही दिया और वहां से जाने लगी। तभी शिव प्रिंसिपल साहब से बोला- प्रिंसिपल साहब म्यूज़िक मेरी भी हॉबी है तो आपके आज के इस फंक्शन का चीफ़ गेस्ट होने के नाते। मुझे भी तो आपके स्टूडेंट्स का हुनर देखने का मौका मिलना चाहिए ना,

"ऑफ कोर्स शिव साहब। रति.... बेटा प्लीज़ एक बार फिर वही गाना हम सबके लिए स्टेज पर गा दो जो तुमने फाइनल राउंड में गाया था"- प्रिंसीपल साहब बोले। रति ने तुरंत शिव की ओर देखा जो उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। रति ने आहिस्ता से हां मैं अपनी गर्दन हिला दी,तो सब लोग तालियां बजाने लगे। शिव और बाकी सब अपनी जगह पर आकर बैठ गए। एक लड़के ने दौड़कर रति के हाथों में माइक थमा दिया। रति ने माइक लेकर अपनी आँखें बंद की और फिर आंखें खोलकर गाने लगीं-

"नैनों में बदरा छाये,बिजली सी चमके हाय,"

शिव की नज़रें गाना गाती हुई रति पर ही टिकी हुई थी। उसकी आवाज में एक कशिश थी,जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। उसका गाना सुनकर शिव के चेहरे की मुस्कुराहट और बढ़ गई। जैसे ही उसका गाना खत्म हुआ सब लोग तालियां बजाने लगे। उसने अपने हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया और स्टेज़ से नीचे आ गई।

तभी प्रिंसिपल साहब ने माइक संभाला और बोले- अब बारी है उस स्टुडेंट को सम्मानित करने की। जिसने लास्ट ईयर पूरे कॉलेज में टॉप किया था। मिस रति तिवारी......

रति का नाम पढ़ाई में भी टॉप पर सुनकर शिव हैरान रह गया पर फिर मुस्कुराते हुए ताली बजाने लगा।

"रति, कम बेटा"- प्रिंसिपल साहब बोले। रति मुस्कुराते हुए एक बार फिर स्टेज पर आई तो प्रिंसिपल साहब बोले- रति ने लास्ट ईयर परीक्षा में 98.8% मार्क्स हासिल करके ये साबित कर दिया है कि वो विभिन्न प्रतियोगिताओ में ही नही,बल्की पढ़ाई में भी सबसे आगे है। हमारे कॉलेज में ये पहली बार है। जब किसी स्टूडेंट ने इतने मार्क्स हासिल किए हो। मैं शिव साहब से निवेदन करूंगा कि वो रति को मेडल और सिल्ड देकर सम्मानित करे।

शिव ने सिर हिलाया और अपना कोट ठीक करते हुऐ। एक बार फिर रति के सामने आ खड़ा हुआ। रति ने इस बार उसके सामने अपनी नज़रें नहीं झुकाई, बल्कि उसकी आंखों में देखकर मुस्कुरा दी। जैसे उसे बता रही हो कि देखिए... मैं सिर्फ खेलकूद में ही नही, बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल हूं। शिव ने उसकी आंखो में देखते हुए उसे मेडल पहनाया और आहिस्ता से बोला- मैडल है मंगलसूत्र नही जो तुम मुझे ऐसे देख रही हो, जैसे मैं तुम्हारा दुल्हा हूं।

रति की आँखें बड़ी-बड़ी हो गई और उसने तुरंत अपनी नज़रें झुका ली। शिव को हंसी आने लगी पर सबको देखकर उसने अपनी हंसी रोकी और रति की ओर सिल्ड बढ़ा दी। रति ने सिल्ड की ओर देखा, तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट और आंखों में नमी आ गई। शिव मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था।

तभी एक लड़की ने आकर उसके हाथों में माइक थमा दिया। रति ने तुरंत अपनी क्लास टीचर की ओर देखा। जिन्होंने उसे कुछ कहने का इशारा किया। उसने खुद को संभाला और माइक थामकर बोली- आज अगर मेरे हाथों में ये है....तो सिर्फ और सिर्फ मेरे पापा की वजह से जो मुझे हर बात में सपोर्ट करते है।

पर इसका ये मतलब बिल्कुल नही है कि मेरी इस कामयाबी के पीछे मेरी मम्मी का हाथ नही है। मेरी मम्मी मुझे हर वक्त डांटती रहती है, पर उनकी डांट मुझसे यही कहती है कि रति पढ़ाई कर ले... वरना फेल हो जाएंगी। शायद इसलिए आज मैं इस स्टेज पर खड़ी हूं। थैंक्यू मम्मी, थैंक्यू पापा....

साथ ही मेरे सारे टीचर्स का भी शुक्रिया....जो हर वक्त मुझे सपोर्ट करते है। हर बात में मुझ पर भरोसा करके मुझे सबसे आगे खड़ा करते है। मैं पूरी कोशिश करूंगी कि फाइनल ईयर की अपनी एग्ज़ाम में भी अपने कॉलेज का नाम रोशन कर सकूं। थैंक्यू,

इतना कहकर रति ने अपनी टीचर की ओर देखकर सिर हिला दिया, तो उसकी टीचर ने मुस्कुराते हुए उसे अंगूठा दिखा दिया। सब लोग रति के लिए तालियां बजाने लगे। तालियों की आवाज सुनकर सबके साथ चौक में बैठी रति जैसे चौंक गई। उसने अपने आसपास देखा तो उसके आसपास बैठे सब लोग "मैं ससुराल नही जाऊंगी।" गाना सुनकर तालियां बजा रहे थे।

लेखिका
कविता वर्मा