नजायज रिश्ते - भाग 2 Gurwinder sidhu द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नजायज रिश्ते - भाग 2


कमल भी रोज की तरह बस से कॉलेज आ रहा था और प्रीत भी उसी बस में थी। बस में भी काफी भीड़ थी। वे आपस में धक्का-मुक्की कर रहे थे। प्रीत भी अपने बैग लेकर जा रही थी। जिससे प्रीत को भीड़ में खड़ा होना और भी मुश्किल हो रहा था।

कमल भी प्रीत से थोड़ा आगे खड़ा था। जब कमल की नजर प्रीत पर पड़ी तो कमल को प्रीत के चेहरे पर काफी मायूसी नजर आ रही थी।
कमल ने एक-दो लोगों को हटवा दिया और प्रीत के खड़े होने के लिए थोड़ी सी जगह बना दी। उसने प्रीत की किट ली और ऊपर रख दी। अब प्रीत आसानी से सांस ले पा रही थी।प्रीत ने थैंक्स कहा। प्रीत कमल का चेहरा देख रही थी। और कमल दूसरी ओर मुँह करके खड़ा हो गया। प्रीत मन ही मन सोचने लगी, कौन है? इसने मुझे भीड़ से दूर रखा है, जबके लड़के तो हमेशा लड़कियों से संबंध बनाने और बहाने से लड़कियों के करीब आने की सोचते है।। कमल प्रीत को अच्छे घर लडका लगता है । प्रीत मन ही मन कमल के बारे में सोच रही थी। . फिर भी जब बस गांव की टूटी-फूटी सड़कों से गुजरती तो कभी तेज तो कभी धीमीहो जाती। भले ही प्रीत ने सीट पर हाथ रखा और खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन बस ने एक-दो बार ब्रेक लगाए और प्रीत कमल से टकरा गई। कमल को देख कर प्रीत केचेहरे पर शर्म सी आने लगी थी। प्रीत को अंदर तक ठंड का अहसास होने लगा था। जब वो कमल से टकराई तो उसे अंदर तक कुछ महसूस होने लगा था। जैसे पूरे बदन में आग लग गई हो। मगर कमल उसे देख वो नही रहा था। प्रीत सोचने लगी के आखिर आजकल तो लोग अपने बारे में भी नहीं सोचते, और जे अनजान लोगों की मदद कर रहा हैं। पूरे सफर में प्रीत लड़के के वारे में ही सोचती रही। प्रीत इतनी हॉट थी के जब कोई इक वार उसे देख ले तो बस देखता ही रह जाए। मगर कमल ने उसे इक वार वो नही देखा। प्रीत को भी थोड़ा अजीब लगा। इतने में बस शहर पहुंच गई। सभी लोग बस से उतरने लगे। जब आगे वाले लोग उतर गए तो कमल ने बैग उतार कर प्रीत को थमा दी। और प्रीत को आगे करके थोड़ा पीछे चलने लगा। बस से उतरकर प्रीत कमल को फेर से धन्यवाद देने के लिए रुकी । थोड़ा सा मुड़कर पीछे देखा तो कमल वहां नहीं था। बस से उतरकर कमल बस स्टॉप के बाहर आ गया। प्रीत ने जल्दी से इधर-उधर देखा। प्रीत ने कमल को बस स्टॉप से भागते हुए देखा। प्रीत भी जल्दी से कमल के साथ शामिल होना चाहती थी और कमल को धन्यवाद देना चाहती थी, लेकिन कमल तो और आगे बढ़ गया था। प्रीत अभी भी वहीं खड़ी थी, लेकिन प्रीत के दोस्त भी आ गए और प्रीत के साथ शामिल हो गए।

प्रीत की दोस्त जस्सू,,,,, प्रीत कैसी है,,,,,, इतनी भीड़ में क्या ढूंढ रही है?
प्रीत,,,,,, कुछ नहीं यार, इक,लड़का था।
जस्सू,,,,,,, अच्छा,,,, कोन था वो और क्या कह रहे थे। जिनको बड़ी बेसब्री से ढूंढ़ रही है।
प्रीत,,,,,,(थोड़ा गुस्से में) यार हर चीज मजाक नहीं होती।
मैं उसे धन्यवाद देना चाहती थी।
जस्सू,,,,धन्यवाद,,,,किस लिए
प्रीत,,,,, यार तू तो जानती है कि बस में इतनी भीड़ हुआ करती हे, आज तो और भी ज्यादा थी। अगर वह आज न होता तो आज मैं निश्चित रूप से मर जाती । .
जस्सू ,,,,,,, कौन था वो नसीब वाला जिसको तेरी निगाहें ढूंढ रही हैं।
प्रीत,,,, यार, मुझे क्या पता था? एक-दो बार ही देखा।
जस्सू,,,,,, अब चलते हैं,,,,धन्यवाद, फिर कल करना। कल भी उसी बस में होगा।
प्रीत,,,, हाँ यार,,,, जानते हो वो लड़का कौन था।
जस्सू,,,चिंता मत करो कल भी वो तुम्हे बचा लेगा।
प्रीत,,,अब कॉलेज चलते हैं।
प्रीत अपने दोस्तों के साथ कॉलेज जाती है।
प्रीत को नहीं पता था कि कमल भी उसी कॉलेज में पढ़ता है। दोस्तों के साथ बात करते-करते प्रीत कुछ ही देर में सब कुछ भूल गई। और अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने लगी। प्रीत को पढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। प्रीत अपने दोस्तों के साथ टाइम पास करने के लिए कॉलेज आती थी।
पूरे कॉलेज में प्रीत की बढ़ती जवानी की चर्चा थी। गोरी त्वचा, पीला शरीर, धड़कता यौवन और प्यार की जानलेवा हरकतें एक अच्छे इंसान के दिमाग को पल भर में झकझोर कर रख देती हैं। प्रीत कॉलेज की बाकी सभी लड़कियों से ज्यादा मॉडर्न हुआ करती थी। कभी जींस टॉप तो कभी नए डिजाइन के कपड़े। जिस इलाके में प्रीत कॉलेज में पढ़ती थी, वह अभी चंडीगढ़ और पटियाला जैसे शहरों जितना आधुनिक नहीं था। वहां आज भी लड़कियां सिर पर चुन्नी रखकर कॉलेज आती थी। वो भी एकदम सीधे तरीके से। हालांकि लड़के और लड़कियां दोनों कॉलेज में पढ़ते थे, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे से बात नहीं की। एक-दो को छोड़कर बाकी सब ऐसे ही थे और अच्छे पढ़े-लिखे थे। प्रीत पटियाला जैसे उन्नत और आधुनिक शहर में रहकर आई थी। जिससे उनकी सोच भी आधुनिक हो गई। वह अपनी सहेलियों से भी ऐसे ही कपड़े पहनने को कहती हैं। प्रीत भी खुले विचारों वाली हो गई थी।
कमल भी प्रीत के कॉलेज में पढ़ता था लेकिन प्रीत को अभी तक इसका पता नहीं था। प्रीत बस से उतरकर धन्यवाद कहना चाहता था, लेकिन कमल झट से प्रीत से दूर चला गया। कुछ देर तक प्रीत कमल के बारे में सोचती रही, लेकिन जब तक वह बस अड्डे से ऑटो में बैठकर कॉलेज आया, तब तक प्रीत सब कुछ भूल चुकी थी। वह अपनी पहले की मस्ती में मशगूल थी।
दूसरे दिन भी प्रीत के बस में चढ़ते ही रोज की तरह भीड़ उमड़ पड़ी। बस में जगह नहीं बची थी। हालांकि, कंडक्टर ने आगे वाले को पीछे की तरफ और पीछे वाले को आगे की तरफ घुमाकर सभी यात्रियों को बस में चढ़ा दिया।

जारी,,