विश्व के लिए सर्व मंगल की कामना करो l
प्रार्थना ओर अर्चना से दिन शुरू करो ll
जगत में भीड़ भारी कहीं खो ना जाओ l
माधव के साथ रहके हाथ पकड़े रखो ll
निरंतर कृपा बरस रहीं हैं आसमाँ से l
आशीर्वाद से जिन्दगी में शांति भरो ll
देखने वाला सब कुछ देख रहा है तो l
अलौकिक एवं अदृश्य शक्ति से डरो ll
आख़िर हर पल का हिसाब देने पड़ेगा l
किसीका भी चैन ओ सुकूं ना हरो ll
१६-४-२०२४
राम जन्म का पर्व निराला l
आओ मिल झूल के मनाये l
खुशियो की इस बेला में l
घर आँगन को सजाये ll
रघुवंश के वारिस के लिए l
गली गली दीप जलाये ll
राम सीता के स्वागत में l
राम नाम की धूम मचाये ll
उत्सव को चार चांद लगाने l
चलो ढोल नगारे बजाये ll
१७-४-२०२४
राख हो जायेगा ये दिल जलते जलते l
सुबह से शाम हुई याद ढलते ढलते ll
सुना है प्यारभरे लम्हें तारे बन गये तो l
नींद उड़ गई है सितारें गिनते गिनते ll
मुहब्बत के जाम में डूबे हुए खतों को l
जी ही नहीं भरता बारहा पढ़ते पढ़ते ll
शादी ब्याह को निभाना नामुमकिन की l
दर्द नासूर हुए जिगर में पलते पलते ll
इतना भी आसान नहीं यादों को मिटा दे l
वक़्त लग जाएगा ज़ख्म सिलते सिलते ll
१७-४-२४
समंदर बेबसी कह नहीं सकता l
मर्जी से अपनी बह नहीं सकता ll
हर एक लम्हा महोब्बत में तबाह किया हमने l इस तरह हर बार ख़ुद का हलाल किया हमने ll
हुस्न के देखने का अंदाज़ कुछ निराला कि l
तीरछी नज़रों का वार जिगर पर लिया हमने ll
मुहब्बत तो किरायेदार की तरह है आज कल l
हौसलों के धागों से फटे दिल को सिया हमने ll
आजाद मनमानी करने वाले को कैद नहीं किये जाते l
मनचाही दुनिया बसाने को मुक्त कर दिया हमने ll
किसी और की दुनिया रोशन करने चली गईं l
दर्दे दिल को चुपचाप खामोशी से पिया हमने ll
१८-४-२०२४
आज चुनो सरकार देखभाल कर l
वर्ना एरा गेरा बैठेगा खुर्शी पर ll
सुनो मत देना सही उमेदवार को l
नहीं तो पांच साल भरेगा घर ll
वोट के लिए कुछ भी करेगा नेता l
गरज़ का मारा जाएगा दर बदर ll
मेहनत की आय को न गवां तू l
टेक्स भर भर के बीतेगी उमर ll
ईमानदार को राजगादी सोंप l
चुनाव का चलता रहेगा सफ़र ll
१९-४-२०२४
धूप छांव है ज़िंन्दगी ये बात मान लो l
दुनिया है फानी बस इतना जान लो ll
कभी सुख कभी दुःख यहीं है गति l
जो भी हो जीना है मन में ठान लो ll
सुबह से शाम तक जिम्मेदारीयां l
हर बार चैन और सुकून दान लो ll
समझो तो आसान नहीं तो कठिन l
बड़े बूढ़ों से संस्कार व् ग्यान लो ll
सभी गिले शिकवे छोड़कर सखी l
सब के दिलों दिमाग में स्थान लो ll
२०-४-२०२४
सहरा के साहिल पर ये सब्ज़ शजर कहाँ से आया खोजों ज़रा l
तपती रेत को प्यार से छूते दरख़्त कैसे एक बार पूछो ज़रा ll
लहराते उछलते नाचते गाते दूर से सफ़र करते आये हुए l
मोजों की लहरों में आती है कहा से नक़्श ये सोचो ज़रा ll
शजर-व्रुक्ष
सब्ज़-हरा भरा
दरख़्त-व्रुक्ष
नक्श - स्वरुप
साहिल-किनारा
सहरा-रेगिस्तान
२१-४-२४
सजा मिली है तो गुनाह किया होगा l
किसीकी बद्दुआ ओ को लिया होगा ll
हसीन मनचाही जिंन्दगी को तरस कर l
इच्छाओ का करके कत्ल जिया होगा ll
मतलब या बिना मतलब के कभी कहीं l
जाने अनजाने में ही दुःख दिया होगा ll
स्वार्थी ओ बेरहम दुनिया वालों की l
कटुवाणी का हँसकर घूंट पिया होगा ll
जीवन को सरल व् आसान बनाने को l
हौसलों से चाक जिगर सिया होगा ll
२२-४-२०२४
विश्व में भारत की शान है l
भारतवासीओ को मान है ll
क़ायनात में सबसे बेहतरीन l
जन गण मन राष्ट्रगान है ll
अलग अलग लोगों के देखो l
विशिष्ट ही खान पान है ll
सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ के l
दुनिया में भारत महान है ll
चैन ओ सुकून की नींद l
देश के सैन्य का दान है ll
२३-४-२०२४
वक़्त के हसीन सितम को सहते चले गए l
घड़ी की रफ़्तार के साथ बहते चले गए ll
मंज़िल की तलाश में निकल पड़े हैं और l
रास्तों के संग आगे ही बढ़ते चले गए ll
फिसलती जा रहीं हैं ज़िंन्दगी तेजी से l
ओ लहरों की धार पर रहते चले गए ll
आज़माते, सीखते, सिखाते, हसते हुए l
समय ने चाहा उस तरह पलते चले गए ll
ख़ामोशी से वक्त का फरमान माना है l
कारवाँ के साथ साथ चलते चले गए ll
२४-४-२०२४
वक्त के आगे किसकी चली है l
दिलवालों की ही दाल गली है ll
वक्त से पूछो ज़ख्म भर जाते हैं?
कितनी ही नासूर यादें पली है ll
समय बदलते देर नहीं लगती l
वक्त की अहमियत भली है ll
कभी खुशी कभी गम यही l
कंप से दरों दीवार हली है ll
दुनिया की फ़ितरत तो देख l
वक्त की महरबानी खली है ll
न कर एतबार वक़्त ये बदल जायेगा l
देकर थोड़ी खुशियां वो छल जायेगा ll
आज तेरे हक में है कल किसी और के l
फिसल कर हाथों से निकल जायेगा ll
तुम कौन हो ये किसीको परवाह नहीं l
साथ वक्तके चल नहीं तो खेल जायेगा ll
हर लम्हा वक्त अपना रुख बदले हैं l
फितरत है कभी भी मचल जायेगा ll
हौसलों के संग हर पल चौकन्ना रहो l
एहतियात से तो ख़तरा टल जायेगा ll
२५-४-२०२४
तुम कौन हो के सुकून ए राहत है l
दुनिया में सिर्फ तुझसे ही चाहत है ll
तेरे आने से पहले ही कहीं से l
दिल को मिल जाती आहट है ll
दिल्लगी दिल की लगी बन गई l
तेरी ही धड़कनों से जमावट है ll
प्यार में महबूबा की नाराजगी l
हसीन मुलाकात ही पतावट है ll
बहुत बड़ी इनायत दी है सखी l
तेरी मुहब्बत मिरी सखावत है ll
२५-४-२०२४
भँवर
भँवर में फँसी कश्ती का माँझी ना बन l
अनजान लम्बी सफर का आदी ना बन ॥
मुकम्मल मंजिल तक पहुंचाने के लिए l
हो सके तो हमराह बन राही ना बन ॥
संगदिल बेरहम और मतलबी ज़हा में l
कठपुतली की तरफ हाजी ना बन ॥
महफिल जाम पीने बैठा ही है तो l
पैमाना बन जाना काफ़ी ना बन ॥
कुछ तो खुद के लिए बचाके रख l
सब कुछ लुटाकर खाली ना बन ll
२६-४-२०२४
मेरा हर गम मेरा अब हाल पूछता है l
जानकर मुकम्मल दास्ताँ लिखता है ll
संभलना अंदर से कुछ और होते है l
बाहर से कुछ और ही दिखता है ll
तकलीफ़ों के साथ जीने की आदत है l
गम को खुद के ही लहू से सींचता है ll
दर्द से जिगर छलका जा रहा है और l
होठों पे मुस्कुराहट सजाए फिरता है ll
जो है उसे स्वीकार कर बखूबी वो l
हँसकर सब को गले से मिलता है ll
२७-४-२०२४
दर्द को छिपाने की कोशिश मत करना l
दिल बहलाने की साज़िश मत करना ll
समय या फिर किसी और बहाने से l
मिलने मिलाने पर बंदिश मत करना ll
बड़ी मन्नतों के बाद पाया है प्यार l
भूल जाओ ये गुज़ारिश मत करना ll
प्यार का नशा उतारने के लिए कभी l
जाम पीने की सिफ़ारिश मत करना ll
यादें बढ़ जाने से दर्द पिघलने लगे तो l
प्यार के अश्कों की बारिश मत करना ll
२८-४-२०२४
आम से खास होने में सालों लग जाते हैं l
खास से आम होने में एक पल लगता है ll
जो चीज़ दिखती है वैसी होती नहीं है l
जो है उससे वो उल्टा ही दिखता है ll
इस तरह निभाया है दोस्ती का रिश्ता l
हर बार हर लम्हा कुछ नया कहता है ll
मिलते रहो प्यार और मुहब्बत से तो l
सिर पर ताज़ बनकर वो सजता है ll
क़दम से क़दम मिलाकर चलना सीख ले l
इज्जत करने वालों का गुलाम बनता है ll
२९-४-२०२४ 5
सुनो आम से खास होने में वक्त तो लगता है l
किसीको अपना बनाने में वक्त तो लगता है ll
एतबार तो आते आते ही आता है ठहरो जरा l
और हाल ए दिल बताने में वक्त तो लगता है ll
जल्दी ना करो प्यार भरी बातों वाले प्यारे से l
प्रेम संदेश को पहुंचाने में वक्त तो लगता है ll
अभी आँखों ही आँखों में बात शुरू हुईं है कि l
दिल से दिल तक जाने में वक्त तो लगता है ll
आज पहली मुहब्बत की पहली मुलाकात को l
दुनिया वालों से छुपाने में वक्त तो लगता है ll
मिलने का वादा भूल जाने पर जरा सी बात पे l
रूठे हुए प्यार को मनाने में वक्त तो लगता है ll
जुगनुओं की तरह रात की महफिल के राजा को l
दिन में सोये हुए को जगाने में वक्त तो लगता है ll
थोड़ा सा प्यार का पानी औ इज्जत की ईंट से l
दिल के महल को सजाने में वक्त तो लगता है ll
छत पर चांद देखने के बहाने आने वालो को l
चौदहवी का चांद दिखाने में वक्त तो लगता है ll
दो पल निगाहों से दूर क्या हुए जाने जाना तो l
वो लम्हे जुदाई के बिताने में वक्त तो लगता है ll
जीवन में जो कभी भी ना भूले एसी सच्ची l
मुहब्बत करनी सिखाने में वक्त तो लगता है ll
हमराह औ हमराज़ मंजिल तक साथ चलकर l
पूरी शिद्दत से निभाने में वक्त तो लगता है ll
तोड़कर हर बंदिशें जज्बए ए जुनून से l
हारे हुए को जिताने में वक्त तो लगता है ll
सखी यार दोस्तों की महफिल में निगाहों से l
इश्क़ का जाम पिलाने में वक्त तो लगता है ll
२९-४-२०२४
अरमानों के चुनाव करने में हार गये हैं l
दिल में सुकून को भरने में हार गये हैं ll
बाजी इश्क़ की हाथ से निकल गई है l
मुहब्बत में पहले मरने में हार गये हैं ll
महफ़िल हो या खुले बाजर में हुस्न के l
चहरे की उदासी हरने में हार गये हैं ll
एक हसीन प्यारी मुस्कुराहट क्या देदी l
प्यार की लडाई लड़ने में हार गये हैं ll
हर बार हार कर भी वो जीत जाते थे l
इश्क की महोर जड़ने में हार गये हैं ll
३०-४-२०२४