हिडिम्बा महाभारत में हिडिंब नामक राक्षस की बहन थी। भीम द्वारा हिडिंब का वध कर दिये जाने के पश्चात हिडिम्बा ने एक सुन्दरी का रूप धारण कर भीम से विवाह किया। हिडिम्बा के गर्भ से ही भीम को घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
लाक्षागृह से जीवित बच निकलने के पश्चात पांडवों के साथ कुन्ती ने एक गहन वन में प्रवेश किया। थकान के कारण भीम के अतिरिक्त शेष सभी सो गये। पास ही एक वृक्ष के नीचे हिडिम्ब नामक राक्षस रहता था। वह मानव-भक्षी था। उसने अपनी बहन हिडिम्बा को उन सबको मार डालने के लिए भेजा।
हिडिम्बा ने वहाँ पहुँचकर भीम को जागा हुआ पाया। वह उस पर मुग्ध हो गयी तथा उसने भीम को अपने भाई के मंतव्य से अवगत करा दिया।
भीम ने राक्षस हिडिम्ब को मार डाला, उसी की बांहों से उसे बांधकर उसकी कमर तोड़ डाली तथा कुन्ती और युधिष्ठिर की आज्ञा के कारण हिडिम्बा से गांधर्व विवाह कर लिया।
कुन्ती ने हिडिम्बा के सम्मुख स्पष्ट कर दिया था कि वह भीम के साथ तभी तक विहार करेगी, जब तक पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।
हिडिम्बा आकाश में उड़ सकती थी, सभी को उठाकर तेजी से चलने में समर्थ थी तथा भूत और भविष्य देख सकती थी। वह उन सबको शालिहोत्र मुनि के आश्रम में ले गयी। उसने बताया कि भविष्य में वहाँ व्यास आयेंगे और उनसे मिलने के बाद वे सब कष्टों से मुक्त हो जायेगें।
राक्षसी हिडिम्बा गर्भ धारण करते ही शिशु को जन्म देने में समर्थ थी। कालांतर में हिडिम्बा को गर्भ हुआ तथा बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। क्योंकि उसके सिर पर बहुत कम बाल थे। वह अत्यंत शक्ति संपन्न था।
हिडिम्बा तथा घटोत्कच पांडवों तथा कुन्ती को प्रणाम करके और यह कहकर कि कभी भी याद करने पर वे उपस्थित हो जायेंगे, उन दोनों ने विदा ली।
इन्द्र ने कर्ण की शक्ति का आघात सहने के लिए ही घटोत्कच की सृष्टि की थी।
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हिडिम्बा महाभारत में हिडिंब नामक राक्षस की बहन थी। भीम द्वारा हिडिंब का वध कर दिये जाने के पश्चात हिडिम्बा ने एक सुन्दरी का रूप धारण कर भीम से विवाह किया। हिडिम्बा के गर्भ से ही भीम को घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
लाक्षागृह से जीवित बच निकलने के पश्चात पांडवों के साथ कुन्ती ने एक गहन वन में प्रवेश किया। थकान के कारण भीम के अतिरिक्त शेष सभी सो गये। पास ही एक वृक्ष के नीचे हिडिम्ब नामक राक्षस रहता था। वह मानव-भक्षी था। उसने अपनी बहन हिडिम्बा को उन सबको मार डालने के लिए भेजा।
हिडिम्बा ने वहाँ पहुँचकर भीम को जागा हुआ पाया। वह उस पर मुग्ध हो गयी तथा उसने भीम को अपने भाई के मंतव्य से अवगत करा दिया।
भीम ने राक्षस हिडिम्ब को मार डाला, उसी की बांहों से उसे बांधकर उसकी कमर तोड़ डाली तथा कुन्ती और युधिष्ठिर की आज्ञा के कारण हिडिम्बा से गांधर्व विवाह कर लिया।
कुन्ती ने हिडिम्बा के सम्मुख स्पष्ट कर दिया था कि वह भीम के साथ तभी तक विहार करेगी, जब तक पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।
हिडिम्बा आकाश में उड़ सकती थी, सभी को उठाकर तेजी से चलने में समर्थ थी तथा भूत और भविष्य देख सकती थी। वह उन सबको शालिहोत्र मुनि के आश्रम में ले गयी। उसने बताया कि भविष्य में वहाँ व्यास आयेंगे और उनसे मिलने के बाद वे सब कष्टों से मुक्त हो जायेगें।
राक्षसी हिडिम्बा गर्भ धारण करते ही शिशु को जन्म देने में समर्थ थी। कालांतर में हिडिम्बा को गर्भ हुआ तथा बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। क्योंकि उसके सिर पर बहुत कम बाल थे। वह अत्यंत शक्ति संपन्न था।
हिडिम्बा तथा घटोत्कच पांडवों तथा कुन्ती को प्रणाम करके और यह कहकर कि कभी भी याद करने पर वे उपस्थित हो जायेंगे, उन दोनों ने विदा ली।
इन्द्र ने कर्ण की शक्ति का आघात सहने के लिए ही घटोत्कच की सृष्टि की थी।