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क्या भारत में ही अवतरित हुए थे सभी भगवान?


सनातन धर्म में ज्यादातर देवी देवताओं का संबंध भारत के ही अलग-अलग प्रांतों में दिखाया जाता है। फिर वो चाहे भगवान विष्णु के अवतार "श्री राम" जो अयोध्या नगरी में अवतरित हुए, या फिर लीलाधारी भगवान "श्री कृष्ण" जिन्होंने अवतार लेने के लिए पवित्र मथुरा नगरी को चुना था। यहां तक कि भगवान नीलकंठ का अवतार, संकट मोचन हनुमान और स्वयं परशुराम भगवान ने प्राचीन भारत की भूमि पर ही आखिर क्यों अवतार लिया था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि हिंदू धर्म के लगभग सभी देवी देवता आखिर भारत में ही क्यों अवतरित हुए। आखिर भगवान के अवतार की जानकारी भारत तक ही क्यों सीमित नजर आती है। धरती के दूसरे भू-भाग पर कभी हिंदू देवी देवताओं ने क्या अवतार नहीं लिया था। अगर दूसरे भू-भाग पर भगवान ने अवतार लिया भी था, तो उसका क्या प्रमाण है। इन सभी प्रश्नों का उत्तर आज के लेख में विस्तार से जानेंने।

प्राचीन भारत का इतिहास

सबसे पहले हमें प्राचीन भारत के इतिहास पर एक नजर डालने की जरूरत है। जिसका उल्लेख हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। महर्षि वेदव्यास के मार्कंडेय पुराण में वर्णन है कि 'विश्वम एकमकुत्वम' अर्थात पूरी दुनिया एक परिवार है। हमारे सभी सवालों का जवाब भी हमें इस एक शब्द में देखने को मिलता है, क्योंकि जिस भारत को आज हम जानते हैं, वो भारत एक समय पूरी दुनिया में फैला हुआ था। हजारों साल पहले भारत की सीमाएं चारों ओर समुद्र से जाकर मिलती थीं। इस पृथ्वी पर जहां तक भी भूमि का कोई भाग था, उसको भारत का हिस्सा कहा जाता था। जिसको भारत नहीं बल्कि जम्बूद्वीप कहा जाता था। पृथ्वी के सबसे बड़े भूभाग को जम्बूद्वीप कहा है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार जम्बूद्वीप का फैलाव उत्तर और दक्षिण के बजाय मध्य के क्षेत्र में ज्यादा था और उस पहले क्षेत्र को मेरुवर्ष या फिर इलावर्त के नाम से भी जानते थे। मेरुवर्ष में कई हिंदू देवी-देवताओं का वास हुआ करता था। मार्कंडेय पुराण की माने तो मेरु वर्ष के पश्चिमी हिस्से में मौजूद हिमालय पर्वत की संख्या पर भगवान ब्रह्मा का वास था। जिसको ब्रम्हपुरी कहा जाता था। इसके अलावा ब्रम्हपुरी के पास आठ शहर थे। जिसमें अलग-अलग हिंदू देवी देवताओं का निवास हुआ करता था। इसमें से एक शहर में देवताओं के राजा इंद्र भी निवास करते थे।

मेरुवर्ष को क्यों कहा जाता था आर्यावर्त

एक समय में मेरुवर्ष को आर्यावर्त (उत्तरी भारत) ने नाम से जाना जाता था। आप में से कई लोगों का मानना होगा कि प्रभु श्री राम के छोटे भाई भरत के नाम पर देश को भारतवर्ष का नाम मिला होगा। लेकिन यह सच नहीं है। वायु पुराण के अनुसार आर्यावर्त पर शासन करने वाले महाराज प्रियव्रत का कोई पुत्र नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में अपनी बेटी के पुत्र को गोद लिया था। जिसका नाम केशव था। जो आगे चलकर आर्यावर्त का सम्राट बना और केशव के पुत्र भारत के नाम पर ही देश का नाम भारत पड़ा। इसके साथ ही कुछ धार्मिक ग्रंथों में य भी देखने को मिलता है कि कुरु वंश के राजा दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारतवर्ष हुआ था। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ जम्बूद्वीप का य भाग कम होता गया और इसकी सीमाएं भी लगातार सिमट कर कम होने लगीं, लेकिन आज से हजारों साल पहले भारत जिसे हम अखंड भारत भी कहते हैं। एक बहुत ही बड़े भूभाग पर फैला हुआ था और अखंड भारत की झलक में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, चाइना और यहां तक कि तिब्बत का भी बहुत बड़ा हिस्सा शामिल था।

विदेशों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां
हमारे देश के इतने समृद्ध इतिहास के दुनियाभर में फैले होने के कारण ही आज हमें प्राचीन संस्कृति के निशान और हिंदू धर्म से जुड़े देवी-देवताओं के मंदिर पूरी दुनिया में देखने को मिलते हैं। इंडोनेशिया, थाईलैंड जैसे देश में भी एक समय में हिंदू धर्म का बोलबाला था। जिसके कारण आज भी प्राचीन मंदिर और मूर्तिय वहां पर देखने को मिलते हैं। इंडोनेशिया के जावा में प्रम्बनन शिव मंदिर में 240 से ज्यादा छोटे और बड़े मंदिर देखने को मिलते हैं। जहां आज भी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की मूर्तियों का विधि विधान से पूजन किया जाता है। एक शोध के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1200 साल पहले किया गया था। इसके साथ ही इंडोनेशिया में तमन सरस्वती मंदिर और सिंधी श्री शिव मंदिर मौजूद है। इसके अलावा थाईलैंड ने वरुण देवता को राष्ट्र चिन्ह का रूप दिया है। मेक्सिको में भी कुछ समय पहले भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां खुदाई से मिली थीं। जिससे इतना तो साफ है कि मेक्सिको में भी एक समय में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती थी। वहीं रूस के पोल प्रांत में भी भगवान विष्णु की कई साल पुरानी प्रतिमा मिली थी। कंबोडिया में भी खनन के दौरान हिंदू देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। इन सभी देशों में हिंदू धर्म की इतनी मजबूत प्राचीन जड़ों को देखकर हम यह कह सकते हैं कि जब प्राचीन ग्रंथों में हिंदू देवताओं के अवतार की बात होती थी, तो उनका मतलब पूरी दुनिया से होता था। न कि आज के भारत से होता है। दोस्तों आज के लेख में हमने जाना आखिर क्यों हिंदू देवी देवताओं के अवतार की बात भारतवर्ष में आती है, क्योंकि एक समय पर पूरी दुनिया को ही भारतवर्ष कहा जाता था। इसीलिए हमें हिंदू देवी देवताओं का अवतार सिर्फ भारत में ही देखने को मिलते है।

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