संत झूलेलाल संक्षिप्त परिचय Renu द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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संत झूलेलाल संक्षिप्त परिचय

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के निवासी भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद जहां भी निवास करते है उनको सिंधी कहाँ जाता है। संत झूलेलाल जी सिन्धी हिन्दुओं के उपास्य देव हैं जिन्हें ‘इष्ट देव’ कहा जाता है। उनके उपासक उन्हें वरुण (जल देवता) का अवतार मानते हैं। वरुण देव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज इनकी आज भी पूजता है।

उस समय में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मुस्लिम राजा मिरखशाह का राज था। उनकी आये दिन होने वाले उत्पीड़न से वहां के हिन्दू तंग आ गए थे। क्योंकी मुस्लिम शाशक मिरखशाह जबरदस्ती सभी को मुस्लिम बना रहा था। इन सब से तंग आकर वहाँ के लोगो ने वरुण देवता की 40 दिन तक तपस्या की तब आकाशवाणी हुई और उनको पता चला संत झूलेलाल जी का जन्म माँ देवकी पिता रतनराय के घर होगा।


यह बात हिन्दुओं ने जाकर बादशाह से कही कि “वे उन्हें सात दिनों का समय सोचने के लिए दें; क्योंकि उनके एक संत का जन्म होने वाला है” उसके बाद वे मुस्लिम बन जायेगे। यह बात सुनकर वो मुस्लिम राजा हँसा और उनको 7 दिन का समय दे दिया। समय बीतता गया और 7 दिन में झूलेलाल जी एक पुरे मानुस का रूप ले चुके थे। और उसके बाद झूलेलाल ने कहा: “बादशाह को यह समझा दें कि हिन्दू धर्म के विरुद्ध कोई ऐसा कार्य न करे।” बादशाह ने उलटे झूलेलाल को लड़ने हेतु चुनौती दे डाली। बादशाह उनके अलौकिक स्वरूप को देखकर दंग रह गया। उसने देखा कि झूलेलाल नीले घोड़े पर अपने साजो-सामान सहित सुसज्जित हैं।

झूलेलाल जी के उपदेशों और बातो का बादशाह पर कोई असर नहीं हुआ और उसने संत झूलेलाल को कैद कर लिया। झूलेलाल ने जेल में कैद सभी हिन्दुओं को आजाद कराया और स्वयं भी पुगर नाम के भक्त को लेकर नदी किनारे चले गये। क्षणभर में वहां सुन्दर दिव्य मन्दिर बना डाला, जिसमें सुन्दर रत्नजडित हिंडोला {झूला} झूल रहा था और उसमें झूल रहे थे: भगवान् झूलेलाल।

बादशाह ने जब जेल खाली देखी, तो हिन्दुओं से कहा: “तुम्हारा पैगम्बर भाग गया है। अत: तुम सभी मुस्लिम बन जाओ। लोगों ने पुन: सिन्धु नदी के तट पर जाकर देखा, तो पाया कि झूलेलाल तो सोने के सिंहासन पर मखमली गद्दे पर विराजमान एक हाथ में धर्मध्वजा और दूसरे हाथ में गीता लेकर उसका पाठ कर रहे हैं।

लोगों की भीड़ देखकर झूलेलाल जी ने कहाँ जाओ अग्निदेव व पवनदेव शासक मिरखशाह के साम्राज्य को जला दो। डरकर शासक मिरखशाह रोता-गिड़गिड़ाता, रहम की भीख मांगता हुआ झूलेलाल भगवान् के चरणों पर गिरकर अपने किये की माफी मांगने लगा। उसे शरणागत पाकर भगवान झूलेलाल ने अग्नि और पवन को शान्त कर दिया। मुस्लिम शासक मिरखशाह को यह नसीहत दी कि मजहबी पाबन्दी छोड़ दो। ईश्वर ने जिसे जिस धर्म में जन्म दिया है, उसी का पालन करने दो। हिन्दू और मुसलमानों को एक ही समझो। शासक मिरखशाह ने हाथ जोड़कर कहा: “हे पीरों के पीर, जिंदह पीर आपके चरणों में मेरा अनन्त बार नमस्कार है। और इस प्रकार हिन्दुओ ने एक अत्याचारी राजा से छुटकारा पाया था।