भाग –१२
"पता नही यार , पर जबसे उसे देखा है , पागल सा हो गया हूं "
"हां तो उसे प्यार ही कहते है "
"नहीं यार फिर भी पहले में दोस्ती करना चाहूंगा। "
वैशाली खुद ही राजीव के पास आई और दोस्ती का हाथ बढ़ाया । मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था । मैं उन दोनों को वहां अकेला छोड़ कर मीशा के पीछे जा बैठी। लेकिन अब भी मेरा ध्यान उन दोनों पर ही था , रस्में अभी चल ही रही थी।
मिहिर मेरे पास आया, शायद वो पहले से मेरी और राजीव की केमिस्ट्री को समझने की कोशिश कर रहा था ।
"तू प्यार करती है उसे?" मैने आवाज की और देखा ।
"न,, नहीं तो" जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो।
"एक बात कहूं ? ये वैशाली ना ठीक लड़की नही है । राजीव को संभाल लेना तू" मिहिर इतना कहकर चला गया ।
मैं कभी मिहिर को देखती तो कभी वैशाली को ।
मेरा दिल बहुत दर्द में था आंखे बह रही थी । लेकिन होठों पर हंसी थी । क्योंकि मैं लोगों के बीच बैठी थी ।
"वैशाली और राजीव काफी देर तक साथ घूमते रहे ।"
शादी 10 बजे की थी लेकिन बीच में मुहूर्त खराब होने की वजह से फेरे रात के दो बजे होने थे।
"कीर्ति" मैं जब राजीव को देख रही थी, ये मिहिर ही था
"मिहिर, क्या हुआ?"
"वो तुम्हे मीशा दीदी बुला रही है "
"हां आती हूं" मैं मिहिर के साथ जाने लगी लेकिन हील्स की वजह से मेरा पैर फिसला , मैं गिरने को हुई तो मिहिर ने मुझे संभाल लिया, मिहिर का हाथ मेरी कमर पर था ।
और मैं मिहिर की बाहों में मेरा हाथ उसके कंधे पर।
"तुम ठीक हो ?" उसने पूछा।
"हां" मैने संभलते हुए कहा।
मीशा ने उसका फोन लाने को कहा था जो वही मैरिज हॉल के एक रूम में था । मैं उस और जाने लगी ।
तभी मैंने महसूस किया कोई मेरा पीछा कर रहा है । मैं पलटी लेकिन तभी वहां लगी एक लाइट बंद हो गई । अंधेरा होने की वजह से मैं उस शख्स को जो मेरा पीछा कर रहा था देख नही पाई, मैं जल्दी से कमरे में गई और मीशा का मोबाइल लिया । जब बाहर निकली तो सामने राजीव था ।
"तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?"
"ये मिहिर के साथ क्या सीन था तेरा?"
"क्या?" मैने आश्चर्य से पूछा मेरी समझ नही आया कि राजीव किस बारे में बात कर रहा है ।क्योंकि वैशाली के साथ होने के बाद मिहिर ने दो तीन बार मुझसे बात की थी।
"वो तू ,, वो तेरा , हाथ उसके हाथ में और उसका तेरी कमर में"
अब समझ आया की राजीव क्यों आया था मुझे उस पर वैशाली को लेकर पहले ही गुस्सा था । मैने कहा " तुझे उससे क्या ? तू जा वैशाली के पास" और मैं जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच कर कहा
"देख मिहिर ठीक नही है तेरे लिए "
"वो मैं देख लूंगी तू चिंता मत कर कहकर मैं वहां से चली गई ।
मीशा को मोबाइल दिया और वही बैठ गई जहां सब थे ।राजीव दूर से मुझे घूर रहा था । और उसे जलाने के लिए मैं मिहिर के पास जाकर बैठ गई ।और उससे बातें करने लगी।
मिहिर से मैंने बहुत सारी बातें की।
पूरी शादी में राजीव ने मुझसे बात नही की ना मैने उससे । शादी संपन्न हुई । सुबह के 5 बजे विदाई हो रही थी। सभी का दिल भर आया था । राजीव की भी आंखे नम थी।
बारात जाने का समय था , मैने देखा की राजीव वैशाली से बातें कर रहा था। शायद उन्होंने नंबर्स भी एक्सचेंज किए।
अब दिल में दर्द नहीं बल्कि गुस्सा भर रहा था।
मैने भी मिहिर से अब तक अच्छी दोस्ती कर ली थी । बस फर्क ये था कि मिहिर जानता था कि मैं राजीव से बहुत प्यार करती हूं और मैंने उसके सामने ये कुबूल भी कर लिया था उसकी भी गर्लफ्रेंड थी पहले से । इसलिए मुझे उससे बात करने में असहजता नही हुई । यहां तक कि उसने तो अपनी गर्लफ्रेंड से मेरी बात भी करवाई। दोनों के बीच बहुत प्यार था। जो सिर्फ मैं महसूस कर सकती थी उस वक्त।
बारात जा चुकी थी । शादी के बाद के भी बहुत काम होते है। ये सिर्फ वही लोग समझ पाते जिनके खुद के घर शादी हो । हम सब कुछ समेटने में लगे थे ।
मीशा के जाने से घर में उदासी छाई थी। मम्मी मेरे साथ रुकी थी पापा तो पहले ही घर चले गए थे वो ज्यादा बाहर रहते नही थे। राजीव मुझसे नाराज़ था। मैने भी बात करने की कोशिश नही की।
क्या होने वाला है हमारे रिश्ते का? क्या अंत है ये रिश्ते का या एक नई शुरुआत। क्या गलतफेमियां बढ़ेंगी ?