सर्दी के मौसम में कड़ाके कि ठंड में रात के 2:00 बजे अपने दोस्त की बहन की शादी से घर वापस लौटते वक्त शिवा की गाड़ी बेकाबू हो जाती है। उसे ऐसा महसूस होता है कि अपनी गाड़ी वह खुद नहीं चल रहा बल्कि कोई और 120 की गति से दौड़ा रहा है और कुछ ही मिनटों में उसकी गाड़ी बस ट्रक आदि वाहनों से भरे यानी की भीड़ भाड़ वाले हाईवे रोड़ को छोड़कर सुनसान बाबुल के पेड़ों के जंगलों से गुजर रही कच्ची सडक पर पहुंच जाती है और अमावस्या की अंधेरी रात में सर्दी के मौसम कि कोहरे की अंधेरी रात में उसकी गाड़ी शिवा को साथ लेकर विशाल पहाड़ी पत्थर से टकरा जाती है।
शिवा कि गाड़ी का विशाल पहाड़ी पत्थर से ऐसे एक्सीडेंट हुआ जैसे उसकी गाड़ी 120 की स्पीड से ट्रक या बस से टकरा गई हो एक्सीडेंट इतना खतरनाक था कि उसकी गाड़ी के परखच्चे उड़ जाते हैं और गाड़ी आगे से पूरी तरह चिपक जाती है शिवा बड़ी मुश्किलों से गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर निकलता है।
शिवा समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा कैसे हुआ मेरी गाड़ी में ऐसी कौन सी अनोखी खराबी आ गई थी, जो गाड़ी खुदवा खुद चलने लगी थी।
आसपास इंसान क्या पशु पक्षियों का भी नामोनिशान नहीं था, उसे वीरेन में उसे जब मदद मिलना असंभव लगती है तो वह अपने घर फोन करके बताता है कि दोस्त की बहन की शादी से वापस लौटते वक्त मेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है और एक्सीडेंट भी ऐसे वीराने में हुआ है जहां मुझे किसी से भी मदद मिलन असंभव है क्योंकि इस कच्ची सड़क से हाईवे भी दस किलोमीटर की दूरी पर है। शिवा व्हाट्सऐप पर उस जगह का फोटो भी सेंड कर देता है।
शिवा का फोन सुनने के बाद शिवा की मां शिवा के पिता को गहरी नींद से जगा कर सारी बात बात कर कहती है "जल्दी से
किसी को फोन करके शिवा के पास मदद पहुंचाओ शिवा ने उस जगह का फोटो व्हाट्सऐप पर सेंड किया है।"
शिवा के पिता शिवा कि गाड़ी का एक्सीडेंट होने वाली जगह का फोटो व्हाट्सऐप पर देखकर घबरा जाते और शिवा को दोबारा फोन करने के लिए कहते हैं और शिवा के फोन उठाते ही कहते हैं "जितनी जल्दी हो सके बेटा वहां से भीड़ भाड़ वाले हाईवे की तरफ तेज तेज हनुमान चालीसा बोलते हुए पैदल ही भागो मैं किसी को साथ लेकर जल्दी से जल्दी तुम्हारी मदद करने के लिए वहां पहुंच रहा हूं।"
पिता जी के यह कहते कि लगातार हनुमान चालीसा तेज तेज बोलते हुए हाईवे की तरफ भागो तो शिवा समझ जाता है कि मेरी गाड़ी का यह कोई साधारण एक्सीडेंट नहीं हुआ है बल्कि भूत प्रेत पिशाच चुड़ैल का कोई चक्कर है, लेकिन वह यह समझ नहीं पा रहा था कि पिताजी को कैसे पता चला कि भूत प्रेतों ने मेरी गाड़ी एक्सीडेंट करवाया है।
और जब वह वही फोटो जो उसने गाड़ी का एक्सीडेंट होने के बाद अपने माता-पिता को व्हाट्सऐप पर सेंड किया था, ध्यान से देखता है तो गाड़ी की ड्राईवर सीट पर सड़े गले आग से जले चहरे वाली चुड़ैल उस फोटो में ड्राईवर सीट पर उसे बैठी हुई दिखाई देती है उसे डरावने चेहरे वाली चुड़ैल के जलने की वजह से सारे बाल उसकी खोपड़ी से चिपट गए थे, इसलिए वह पूरी गंजी दिखाई दे रही थी, उसकी आंखों की जगह दो गहरे काले रंग गड्ढे थे वह चुड़ैल लंबी इतनी थी कि उसका सर गाड़ी की छत से टकरा रहा था।
अपनी दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी में डरावनी भयानक चुड़ैल का घुसा होना पता चलते ही शिवा आगे पीछे देखे बिना हाईवे कि तरफ हनुमान चालीसा तेज तेज बोलता हुआ दौड़ना शुरू कर देता है और दो किलोमीटर एक सांस दौड़ने के बाद जब वह थोड़ी देर सांस लेने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे रुकता है तो अचानक विशाल उल्लू उस पर हमला कर देता है उल्लू कि आंखें आग में जलते हुए लाल-लाल कोयलों जैसे चमक रही थी, उल्लू के पंजों के नाखून नुकीले कांटों या नुकीली लोहे की किलो जैसे थे क्योंकि उल्लू ने एक बार में ही शिवा की लेदर की ब्लैक जैकेट के चिथड़े उड़ा दिए थे उल्लू के जानलेवा हमले से बचाने के लिए शिवा कांटेदार झाड़ियों की परवाह किए बिना झाड़ियों में छुपने लगता है लेकिन हमलावर उल्लू शिवा को कांटेदार झाड़ियो में छुपने से पहले ही उस पर लगातार हमला करते हुए उसे दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी के पास ही पहुंचा देता है।
अकेला इस संकट में फंसा शिवा समझ गया था कि शायद मेरे भाग्य में इस चुड़ैल के हाथों ही दहशत से भारी मौत लिखी हुई है इसलिए थक हारा कर चुड़ैल के आगे आत्मसमर्पण करने के इरादे से अपनी गाड़ी के बोनट पर मुंह के बल लेट जाता है यानी की जमीन पर खड़े होकर आधा गाड़ी के बोनट पर लेट जाता है और गाड़ी के सामने वाले शीशे से देखता है कि वह चुड़ैल ड्राईवर सीट पर अब तक बैठी हुई है या नहीं लेकिन जब शिवा को गाड़ी में वह डरावनी म
भयानक चेहरे वाली चुड़ैल दिखाई नहीं देती है और उल्लू वहां से गायब हो चुका था तो शिवा अपनी जान बचाने की दोबारा कोशिश शुरू कर देता है लेकिन वह बहुत देर तक लगातार हाईवे की तरफ दौड़ने के बाद भी जब एक कदम भी अपनी गाड़ी से दूर नहीं पहुंचता है तब कुछ ही मिनटों में उसे सामने वाले पुराने बरगद के पेड़ के ऊपर वही चुड़ैल उल्टी लटक कर झूलती हुई दिखाई देती है, उस भयानक चेहरे वाली चुड़ैल की डरावनी तेज तेज चीखने की आवाजों से शिवा का दिल तेज तेज धड़कने लगता है उसे ऐसा महसूस होता है कि शरीर के साथ उसकी आवाज भी बर्फ की सिली की तरह जम गई है।
तभी उसके कान के पास आकर वह चुड़ैल कहती है "मैं तेरे बदन की खुशबू से तेरे ऊपर मोहित हो गई हूं, मुझे तेरे सुगंधित खुशबू वाले बदन से प्रेम हो गया है जब तक तेरे ऊपर से यह सुगंधित खुशबू आती रहेगी मैं तेरा पीछा नहीं छोड़ने वाली हूं, मैं इस विशाल पहाड़ी पत्थर के पास ही रहती हूं और अब से तू भी मेरे साथ यही रहेगा।"
तब शिवा को याद आता है कि जब वह अपने दोस्त की बहन की शादी में जाने के लिए तैयार हो रहा था तो उसने मां से बहुत पुराना घर में रखा हुआ कस्तूरी इत्र लेकर अपने कपड़ों पर छिड़का था और तब वह इसी शार्ट-कट रास्ते से अपने दोस्त की बहन की शादी में जाने के लिए गुजरा था और जब इस कच्ची सड़क पर ज्यादा धूल मिट्टी होने की वजह से उसकी गाड़ी के सामने वाले शीशे और गाड़ी धूल मिट्टी जम गई थी तब उसने इस बड़े से पहाड़ी पत्थर के पास गाड़ी रोक कर अपनी गाड़ी का शीशा और गाड़ी कपड़े से साफ की थी, शायद तभी यह चुड़ैल मुझसे चिपट गई होगी, इसलिए शिवा अपना कच्छा छोड़कर सारे खुशबूदार कपड़े उतार कर उस विशाल पहाड़ी पत्थर की तरफ फेंक देता है जहां चुड़ैल रहती थी।
और वह खुद हाईवे की तरफ तेज तेज हनुमान चालीसा बोलता हुआ भागना शुरू कर देता है तभी शिवा को सामने से अपने माता-पिता और दो पड़ोसी अपनी मदद के लिए आते हुए दिखाई देते हैं।
उन दोनों पड़ोसियों में से एक पड़ोसी जो पुलिस की नौकरी से सेवानिवृत (रिटायरमेंट) थे शिवा को पता चलता है कि जब वह पुलिस इंस्पेक्टर की नौकरी कार्यरत थे रिटायर नहीं हुए थे तो तब इस कच्ची सड़क के पास वाले गांव से एक लड़की अचानक गायब हो गई थी, उस लड़की के माता-पिता को अपनी बेटी के गायब होने का पूरा शक गांव के प्रधान के बेटे के ऊपर था, क्योंकि वह प्रधान का बेटा उनकी बेटी की दो बार इज्जत लूटने की नकामयाब कोशिश कर चुका था और दूसरा सबसे बड़ा कारण उस गुमशुदा लड़की के माता-पिता का था कि खुद उनकी बेटी ने अपनी मां को सपने में आकर बताया है कि गांव के प्रधान के बेटे ने उसकी इज्जत लूट कर उसे जिंदा जलकर उसकी हत्या कर दी है और उसे पहाड़ी पत्थर के पास दफना दिया है वह रात दिन अकेली उस पहाड़ी पत्थर के पास ही रहती है।
पुलिस और गांव वालों ने उसके माता-पिता की बात को अंधविश्वास समझ कर ठुकरा दिया था और पुलिस को प्रधान के बेटे के खिलाफ सबूत न मिलने के कारण वह युवक पुलिस कि गिरफ्त से बच गया था।
लेकिन शिवा के पड़ोस के (सेवानिवृत्ति) रिटायरमेंट पुलिस इंस्पेक्टर का यह भी कहना था कि उसे गुमशुदा लड़की का केस मेरे पास था और मैं जब भी अकेले इस कच्ची सड़क से गाड़ी या पैदल गुजरता हूं तो मेरे साथ विचित्र अनोखी घटनाएं होती है मुझे ऐसा महसूस होता है कि कोई मुझे कुछ बताना चाहता है।
इस वजह से शिवा दूसरे दिन अपने माता-पिता और उस पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर के साथ आकर उस विशाल पहाड़ी पत्थर के पास खुदाई करवाता है और खुदाई में जब एक लड़की की हड्डियों के अवशेष निकलते हैं तो शिवा और रिटायरमेंट पुलिस इंस्पेक्टर उस गुमशुदा संतोष नाम की लड़की कि केस फाईल को दोबारा खुलवा देते हैं और कुछ दिनों बाद शिवा को पता चलता है कि गांव के प्रधान के बेटे के खिलाफ संतोष की हत्या के सारे सबूत मिलने के बाद और खुद उस युवक के संतोष की हत्या का जुर्म काबुल करने के बाद उसे संतोष की हत्या के जुर्म फांसी की सजा हो गई है, तो शिवा अपने कपड़ों पर कस्तूरी इत्र छिड़क कर दोबारा उस बैचेन भटकती चुड़ैल से मिलने जाता है लेकिन पूरी रात उस पहाड़ी पत्थर के पास बैठने के बाद वह संतोष नाम की चुड़ैल वहां नहीं आती है, क्योंकि अपने हत्यारे को सजा मिलने के बाद संतोष की आत्मा को शांति मिल गई थी।