पागल - भाग 4 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 4

भाग –४

इससे पहले के भाग में मैने बताया कि कैसे मेरे इंस्टाग्राम पर उसका फॉलो रिक्वेस्ट आया , मैने उसे फॉलो बैक किया और अगले दिन कॉलेज गई लेकिन वो नहीं आया था । मैं उदास हो चुकी थी ।

अब आगे ,

कॉलेज खत्म होने के बाद घर पर गई और बैग को जोर से बेड पर पटक कर बैठ गई ।

"क्या हो गया है तुझे आजकल बहुत जल्दी मूड स्विंग होता है तेरा ।" मम्मी की आवाज से पानी पीने उठी ।
"एक पल में खुश और अगले ही पल दुखी, किसी के प्यार में तो नही पड़ गई न?"

मैं पानी पी रही थी जो उनकी लास्ट लाइन से अटक गया मैं खांसने लगी ।

"यार ये मां नाम का प्राणी सबकुछ कैसे जान लेता है " मेरे मन में सवाल उठा । मैने हाथ मुंह धोए कपड़े बदले और टेबल पर पढ़ने बैठ गई ।

"अरे राजीव बेटा तुम ,आओ ना अंदर,।"
मम्मी किसी से बोल रही थी । वो बाहर खड़ा होगा शायद इसलिए मैंने बस मां को कहते सुना उसकी आवाज नही आई । मैने फिर पढ़ाई में मन लगा लिया । कुछ देर बाद जब बाहर आई तो एक खूबसूरत पार्सल सोफे पर पड़ा था ।
"मम्मी ये क्या है?"
"अरे आजकल मैं रोहिणी आंटी के घर नही जा पाती हूं पर तुझे तो पता है उनका प्यार मेरे लिए । वो कुछ न कुछ भेजती रहती है । " मेरा दिल धड़का ,, "मां पा,,,,,पार्सल,, देने,,,, कौन आया था? " मैने अटकते हुए पूछा ।

"राजीव," ये नाम तो मैने पहले कभी नही सुना था । लेकिन मां से ज्यादा कुछ पूछ नही सकती थी ।
"तू जानती है राजीव को?" मम्मी ने ही पूछा ।
मैने ना में अपना सिर हिला दिया ।

"अरे , रोहिणी आंटी के देवर का बेटा, जिसके साथ तू बचपन में लड़ाई करती रहती थी ।"

"ओह, अच्छा , वो यहां आया हुआ है क्या?"
"बेटा तुझे तो कुछ पता नही होता , राजीव के पापा मम्मी की एक्सीडेंट में मौत हो गई , इसलिए ये अब रोहिणी आंटी के घर ही रहता है ।"
"व्हाट?" मैं लगभग चीखते हुए बोली ।
"हां बेटा , बहुत अच्छा लड़का है ।"
"हम्मम" मैने बस इतना कहा , ये सब सुनकर राजीव के लिए काफी बुरा लग रहा था । हालाकि कई सालों से मैं राजीव से नही मिली थी ना कहीं कोई कॉन्टैक्ट था ।
"वो तेरा बचपन का दोस्त है , तुझे उससे मिलना चाहिए । मैं भी बहुत दिनो से रोहिणी के घर नही गई , अगर तुझे टाइम हो तो चले ?"

मेरा मन नहीं था जाने का , सो मैंने कहा , "मां संडे चलेंगे आज तबियत ठीक नहीं लग रही"

"ठीक है बेटा "

"वैसे मम्मी , बहुत सालों से में उसके टच में नही हूं मैं उससे क्या बात करूंगी?"
मम्मी समझ गई कि मैं बहाना कर रही हूं वैसे भी बड़ी होने के बाद मैं किसी से ज्यादा बोलती नही थी और ये बात मम्मी जानती थी तो उन्होंने कहा " ठीक है , मैं ही संडे चली जाऊंगी अकेले "

"अरे , मम्मी मेरा ऐसा मतलब नहीं था मैं ले जाऊंगी आपको"
"लग नही रहा" मम्मी कहते हुए रसोई में चली गई ।
"मैने थोड़ी देर टीवी देखी"
और फिर कमरे में गई , कुछ दिनों से रावण के चक्कर में पढ़ाई नहीं हुई थी । सोचा अब उसे भूल कर पढ़ लेना चाहिए । वरना पापा को रावण बन ने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा । पापा बहुत स्ट्रिक्ट थे मेरे ,, मैं बहुत डरती थी उनसे और कम ही सामने जाती थी ।

"मम्मी कॉफ़ी बना दो ना , " मैने कहा और पढ़ाई करने लगी ।
"ये किताबे इतनी बोरिंग क्यों होती है यार" मेरे मन ने मुझसे पूछा ।

"पता नही" मैने उसे जवाब दिया ।
पढ़ते हुए रात के 8 बज चुके थे , खाना खाकर में थोड़ा वाकिंग के लिए निकली । इस उम्मीद में कि आज कोई मैसेज आ जाए । लेकिन आज भी मेसेज नही आया था ।

"कितना अकडू है यार" मैं बड़बड़ाती हुई वॉक कर रही थी । कुछ देर में घर आकर फिर पढ़ने बैठ गई । इंस्टा पर नोटिफिकेशन था, "रावण सेंट यू अ मेसेज"

"ओह माय गॉड" मेरी धड़कनों ने गति पकड़ ली । तुरंत मेसेज ओपन किया तो उसने लिखा था,
"आज कॉलेज गई थी आप?"
"आप कौन?" अनजान बनते हुए मैने पूछा ।

"कीर्ति जी , डोंट टेल मि, कि आपने मेरी प्रोफाइल चेक नही की?"
"मैं हर किसी की प्रोफाइल चेक नही करती ।"
"आप हर किसी की फॉलो रिक्वेस्ट भी तो एक्सेप्ट नही करती"
कितना नोटिस करता है यार ये मेरे मन में आया ।
"आप अपना परिचय देंगे?"
"रावण , पहले भी तो बताया था"
"असली नाम बताओगे ?"
"कल कॉलेज आओगी?"
"हां" मैं तो आज भी आई थी लंगूर तू नही आया था मेरे मन ने कहा ।
"कल मिलकर बताता हूं आपको मेरा असली नाम । "

मैं खुशी से कमरे में नाच रही थी ।
"तुमसे मिलने को दिल करता है रे बाबा , तुमसे मिलने को दिल करता है , तुम ही हो जिसपे दिल मरता है ।"
जोर जोर से गाते हुए में घूम रही थी ।

"अरे हो पागल , रात हो गई है या तो पढ़ ले या सो जा , पापा थके हुए है ।" मम्मी की आवाज थी।
"सॉरी मम्मी" मैने कहा । और बिस्तर में कूद कर तकिए में मुंह छुपा लिया ।
"अरे अभी तो सिर्फ बात हुई है दोस्ती भी नही और तू इतनी खुश है , सोच उसने आई लव यू कह दिया तो हार्ट अटैक ना आ जाए तुझे " मेरे दिल ने कहा ।
उसके बारे में सोचते सोचते कल के इंतजार में न जाने कब मैं सो गई ।

क्या हुआ था अगले दिन कॉलेज में, क्या उसने बताया अपना असली नाम या फिर कर दिया मुझे हर्ट जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी पागल ।