हैलो मिस मैगी!
“रीना क्या तुमने मिस मैगी को देखा है?” कक्षा में आते ही यामा ने प्रश्न किया।
“होगी यहीं कहीं या किसी गैस पर पड़ी उबल रही होगी।” यामा ने हँसते हुए कहा और अपना स्कूल बैग अपने डेस्क पर रखकर खेल के मैदान की ओर चल पड़ी। पीछे-पीछे रीना भी आ गई।
जैसे ही रीना और यामा ने खेल के मैदान में प्रवेश किया उन्होंने देखा की कृति झूले पर झूल रही थी।
“हे मिस मैगी! तुम यहां झूले पर झूल रही हो। हम तुम्हें कक्षा में ढूँढ रहे थे।” यामा ने कहा।
यामा की बात सुनकर कृति चिढ़ गई और सुबह-सुबह मूड खराब होने से वह चिल्ला कर बोली, “कितनी बार कहा है मुझे मैगी मत कहा करो। मेरा नाम कृति है- कृति, कृति, कृति।”
“मैगी, मैगी, मैगी। हम तो तुम्हें मैगी ही कहेंगे क्योंकि तुम्हारे बाल मैगी जैसे हैं-मुड़े तुडे और घुंघराले।” रीना ने कृति के बालों को छूते हुए कहा।
परंतु कृति को शायद आज बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने रीना को हटाते हुए जोर से धक्का दिया और वह नीचे गिर गई। नीचे गिरने से उसका सिर एक पत्थर से टकराया जिसकी वजह से उसके सिर पर चोट लग गई और खून निकलने लगा।
यह देख कर कृति और यामा दोनों घबरा गईं। प्रार्थना की घंटी बज गई थी और रीना खेल के मैदान में चोटिल पड़ी थी।
“यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है। इतना गुस्सा करने की कहाँ जरूरत थी। तुम मैगी बोलने से इतना चिढ़ती क्यों हो?” यामा ने कहा
“चिढ़ने की तो बात ही है। तुम रोज मेरा मजाक उड़ाती हो। मेरे बाल घुंघराले हैं तो इसमें मेरा क्या दोष। हर व्यक्ति के बाल तुम्हारी तरह सीधे और रेशमी तो नहीं हो सकते।” कृति ने आंखों में आँसू भरते हुए कहा। रीना के चोट लगने से वह भी उदास थी क्योंकि वह रीना को चोट नहीं पहुँचाना चाहती थी।
फिर दोनों सखियाँ मिलकर रीना को स्कूल के अंदर ले गई। उन्होंने उसकी मरहम पट्टी करवाई।
अध्यापिका ने पूछा, “रीना, तुम नीचे कैसे गिरीं?”
रीना ने एक नजर कृति की ओर देखा और फिर धीरे से बोली, “पता नहीं टीचर। मेरा ध्यान तो खेलने में था। शायद चक्कर आ गया होगा।”
यामा ने रीना की बात सुनी। उसे पता था कि वह झूठ बोल रही है पर वह भी चुप रही। क्योंकि वह भी जानती थी सच्चाई बता देने पर कृति को सजा मिलेगी। वह यह भी जानती थी कि इस घटना के पीछे केवल कृति दोषी नहीं है बल्कि कुछ दोष उनका भी है।
कृति के बाल मोटे और घुंघराले थी इसलिए उसकी कक्षा की सारी लड़कियाँ उसे मिस मैगी कहकर चिढ़ाती थीं। कृति मिस मैगी कहने पर बहुत चिढ़ती थी। उसे भी अपने बाल अच्छे नहीं लगती थे। वह भी चाहती थी कि उसके बाल लंबे, सीधे, रेशमी व लहराते हुए हों जैसे यामा के हैं पर वे तो बिल्कुल मुड़े-तुड़े थे। उन्हें कितना भी सँवारो, वे कभी सीधे नहीं होते थे। कभी-कभी तो वह रोने लग जाती थी। मां कितना भी समझाती थी पर उसकी समझ में कुछ नहीं आता था।
स्कूल में वार्षिकोत्सव की तैयारियां शुरू हो गईं थीं। हर बार की तरह तरह-तरह के प्रोग्राम तैयार किए जाने लगे। अध्यापक-गण अलग-अलग कक्षाओं में जाकर उपयुक्त पात्रों का चयन करने लगे थे क्योंकि वे चाहते थे कि हर बार की तरह इस बार भी उनका प्रोग्राम सर्वश्रेष्ठ हो।
“बच्चों इस बार हम एक एकांकी का मंचन करने जा रहे हैं। एकांकी के नायक के रूप में हमें एक घुंघराले बालों वाला लड़का चाहिए।” अध्यापक ने छठी कक्षा में आकर ऐलान किया।
मगर छठी कक्षा में एक भी घुंघराले बालों वाला लड़का नहीं था।
यह देखकर अध्यापिका निराश हो गई कि उसकी नजर कृति पर पड़ी और उसकी आँखों में चमक आ गई।
वह बोली, “कृति, तुम्हारे बाल घुंघराले हैं। ठीक वैसे ही जैसे मैं चाहती हूँ। क्या तुम इस नाटक में नायक का रोल अदा करोगी?”
“मगर मैं तो एक लड़की हूँ।” कृति ने कहा।
“तो क्या हुआ? हम तुम्हें लड़कों वाली पोशाक पहनाकर आसानी से एक लड़का बना सकते हैं।”
कृति को अभिनय का बहुत शौक था- उस पर नाटक में नायक का रोल। उसका दिल बल्लियों उछलने लगा।
वह बोली, “हाँ, हाँ, टीचर, मैं नाटक में नायक का रोल खुशी-खुशी अदा करूँगी। मुझे अभिनय करना बहुत अच्छा लगता है।”
अध्यापिका ने कृति का नाम नाटक के नायक के रूप में अपने रजिस्टर में लिख लिया।
लंच टाइम में छठी कक्षा के सभी बच्चों ने कृति को घेर लिया और बोले, “अरे यार तू तो बहुत लकी है। तुझे बिना माँगे ही नाटक में नायक का रोल मिल गया।”
इस पर कृति ने हँसते हुए कहा, “यह सब मेरे घुंघराले बालों का कमाल है। मैं इतने दिनों तक इन्हें बेकार समझती थी परंतु यह तो बड़े काम के निकले।” यह कहकर वह अपने बालों पर प्यार से हाथ फिराने लगी।
यह देख कर यामा और रीना बड़बड़ाईं- काश हमारे बाल भी घुंघराले होते।
“तो फिर मैं तुम्हें मिस मैगी कहकर चिढ़ाती।” यह कहकर कृति जोर-जोर से हँसने लगी। और उसके साथ-साथ यामा, रीना और पूरी छठी क्लास भी।
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