हमें बचाओ Kusum Agarwal द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हमें बचाओ


वह फाउंटेन पेन चलता-चलता फिर लड़खड़ा गया और नोटबुक के नाजुक बदन में बड़ी जोर से चुभते हुए रुक गया। रुकते-रुकते उसने अपने बदन में से कुछ इंक नोट बुक के साफ-सुथरे पन्ने पर गिरा दी। यह देखकर नोटबुक झुंझला उठी। उसने फाउंटेन पेन की ओर आंखें तरेर कर देखा और गुस्से से बोली,


“फिर कर दिया ना कबाड़ा। ठीक से नहीं चल सकते? तुमने फिर से मेरा एक पृष्ठ गंदा कर दिया। अब देखना किट्टू उसे फाड़ कर फेंक देगा।


नोटबुक की बात अक्षरश: सही थी। किट्टू ने झट से नोट बुक का वह पृष्ठ फाड़ा और उसे डस्टबिन में फेंक दिया।


किट्टू चौथी कक्षा में पढ़ता था और उसे स्कूल में इसी साल फाउंटेन पेन का उपयोग करने की अनुमति मिली थी। परंतु उसे अभी फाउंटेन पेन सही तरह से चलाना नहीं आता था। अतः बार-बार कुछ ना कुछ गड़बड़ हो जाती थी। कभी अक्षर छोटे-बड़े हो जाते थे, कभी इंक फैल जाती थी तो कभी हाथों पर लगी इंक से नोटबुक का पृष्ठ गंदा हो जाता था।


किट्टू पढ़ने-लिखने में होशियार था तथा साथ ही सफाई पसंद भी था। उसे अपनी कॉपी किताबें गंदी करना या रखना पसंद नहीं था। जैसे ही पृष्ठ जरा सा भी गंदा होता वह उसे फाड़कर नोटबुक से हटा देता था।


अभी भी किट्टू अपना होमवर्क कर रहा था। परंतु दुर्भाग्यवश वह उसे अभी तक पूरा नहीं कर पाया था। शायद आज उसका फाउंटेन पेन पर पूरा नियंत्रण नहीं हो पा रहा था इसलिए उसने अभी-अभी में एक-एक करके नोट बुक के चार पृष्ठ फाड़ दिए थे और यह पांचवा था। जब कई बार ऐसा हुआ तो वह झुंझला गया और ठुनकता हुआ अपनी मां के पास चला गया।


जब किट्टू वहां से उठकर गया, फाउंटेन पेन ने नोटबुक से कहा, “बहिन. नोटबुक तुम तो देख ही रही होगी इसमें मेरी कोई गलती नहीं है फिर तुम मुझे क्यों दोषी ठहरा रही हो? मैं तो स्वंय ठीक तरह से चलना चाहता हूं। जानती हूं यदि किट्टू मुझे इसी तरह से चलाएगा तो मैं शीघ्र ही खराब हो जाऊंगा और फिर वह मुझे भी डस्टबिन में फेंक देगा।


अब नोटबुक को फाउंटेन पेन पर भी तरफ तरस आने लगा था।। वह बोली, पेन भैया! तुम ठीक कह रहे हो। जबकि किट्टू तुम्हें ठीक तरह से नहीं चलाता तुम्हें भी तो तकलीफ होती होगी।”


“हां बहुत होती है। मेरा अंग-अंग दुखने लग जाता है और मेरी निब भी खराब हो जाती है।”


नोटबुक में उदास हो कर कहा, “”किट्टू मुझे फाड़े या पूरा लिख लिखकर भर दे मेरा अंतिम स्थान तो कबाड़खाना या डस्टबिन ही है।”


फाउंटेन पेन वे भी उदास स्वर में कहा, “मेरा भी। परंतु फिर भी मैं इस तरह टूट फूट कर डस्टबिन में नहीं जाना चाहता। मेरा कुछ तो उपयोग होना चाहिए।”


तब नोटबुक ने कहा, “मैं भी इस तरह पन्ने फट-फट कर खत्म होने की बजाय लिख-लिख कर भरना अधिक पसंद करती हूं। पर क्या करूं? कैसे समझाऊं सबको?


अभी नोटबुक और फाउंटेन पेन अपने-अपने दुख बांट ही रहे थे कि किट्टू अपनी मां के साथ वहां आया।


मां ने देखा कि डस्टबिन में नोटबुक के कई फटे हुए पृष्ठ पड़े हैं। यह देख कर उसने किट्टू को डांटते हुए कहा, “यह क्या? फिर इतने पृष्ठ फाड़ दिए तुमने ? तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसे तो तुम्हारी नोटबुक शीघ्र ही खत्म हो जाएगी।”


“पर मैं क्या करता? सब के सब गंदे होते जा रहे थे। मां, नोट बुक खत्म हो जाएगी तो हम बाजार से नई नोटबुक ले आएंगे। यह अधिक महंगी नहीं है।”


मां ने किट्टू के गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा, “कर दी ना मूर्खों जैसी बात। बात सस्ती महंगी की नहीं है। क्या तुम नहीं जानते कि कागज वृक्षों या घास- फूस से बनाया जाता है। और तुम जितने अधिक पृष्ठ फाड़ोगे, उतने ही अधिक वृक्ष काटने पड़ेंगे। अपनी विज्ञान की पुस्तक में तुमने अधिक वृक्ष काटने के नुकसान तो पढ़े ही होंगे?”


मां की बात सुनकर किट्टू सोच में पड़ गया और बोला, “मैंने पढ़ा था कि पेड़ हमारे पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं। पेड़ हमें तरह-तरह के फल और दवाइयां देते हैं तथा भूमि के कटाव को भी रोकते हैं। वृक्षों से हमारी पृथ्वी हरी-भरी व सुंदर भी लगती है।”


मां ने किट्टू की बात सुनकर हामी भरी और फिर बोली, “बेटा तुम्हें सब पता है तो फिर तुम पृष्ठ फाड़ने की गलती बार-बार क्यों करती हो?


मां की बात सुनकर किट्टू ने अपनी गलती महसूस की और बोला, “मां आगे से मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैं ध्यानपूर्वक फाउंटेन पेन का उपयोग करूंगा ताकि मेरा पेन भी सही सलामत रहे और नोटबुक भी। हम अपनी वस्तुओं का सदुपयोग करके ही पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।”


“हां बेटा, जितनी अधिक वस्तुओं की आवश्यकता होगी उतनी अधिक फैक्ट्रियां लगानी पड़ेगी और जितनी अधिक फैक्ट्रियां लगेंगी उतना ही अधिक प्रदूषण फैलेगा।”


यह कहकर मां रसोई घर की ओर चली गई और किट्टू सावधानी पूर्वक अपना होमवर्क करने बैठ गया।


अब फाउंटेन पेन मुस्कुराकर नोटबुक के बदन पर चल रहा था जिससे नोटबुक के बदन पर हल्की-हल्की गुदगुदी हो रही थी। यह देखकर नोटबुक भी मुस्कुराने लगी।


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