हुश्न की खूबसूरती आज जी भर के देखते हैं l
नज़रे बचाके महफिल में ठहर के देखते हैं ll
किस्मत पर भरोसा है दीदार ए यार होगा l
चलो थोड़ा सा और इंतजार कर के देखते हैं ll
काश खिड़की पर आ जाए खुली साँस लेने l
एक बार फ़िर से गली से गुज़र के देखते हैं ll
भीतर की खूबसूरती को देखने के लिए अब l
नजरों में समाकर दिल में उतर के देखते हैं ll
रहम खाकर एक झलक दिखलाने आ जाए l
आज बड़े अरमान से सामने घर के देखते हैं ll
दिल की बात सादगी से कहने के वास्ते सखी l
इश्क़ की ख़ातिर चलो बन सँवर के देखते हैं ll
तड़प कुछ ज्यादा ही बढ़ गई लगती है कि वो l
पर्दा उठाके अपना बार बार इधर के देखते हैं ll
बहुत सुना है हुश्न की खूबसूरतीके बारे में तो l
लुटाके काफ़िला जिगर का सफ़र के देखते हैं ll
१-२-२०२४
सपनों का संसार बसाने चले है l
सोये हुए अरमान जगाने चले है ll
इश्क़ का भरम आज भी ज़िन्दा है l
रूठे हुए को फ़िर मनाने चले है ll
शहर में कुछ दिन और ठहर के l
मुहब्बत के निशा लगाने चले है ll
ख्वाबों की ताबीर करने वास्ते l
संवारने जिंन्दगी कमाने चले है ll
सितारे सफ़र करके कहाँ जाए l
सखी किस्मत सजाने चले है ll
२-२-२०२४
शायर की दुनियां कलम से क़लाम तक होती है l
वो दिलका हाल न लिखने की बेबसी पर रोती है ll
यादें हो या बातेँ हो या मुलाक़ात का मामला हो l
पढ़ने लिखने वालों का चैन ओ सुकून खोती है ll
आवाज़ या तलवार बनकर देर रात होनेके बाद भी l
दिल की भड़ास निकाले बग़ैर वो कहाँ सोती है ll
हसीन खूबसूरत ख्यालों का बागबां खिलाकर करके l
शेर, कविता औ ग़ज़लों में शब्दों के बीज बोती है ll
पिला, लाल, नीली, काली, हरि रंगबिरंगी रंगों से l
डायरी के पन्नों को सजाती लिखावट देखो मोती है ll
३-२-२०२४
दिल के लिए क़ज़ा है इश्क़ l
मुकम्मल जाँ-फ़ज़ा है इश्क़ ll
जिंन्दगी रखती है उम्मीद l
दिलवालों की दवा है इश्क़ ll
भीड़ तो है चारो तरफ सखी l
तन्हा सफ़र में वफ़ा है इश्क़ ll
जाम पी ले एक बार नजरों से l
दिल से करो खुदा है इश्क़ ll
मुहब्बत ने पागल बना दिया l
महबूब-ए-बा-वफ़ा है इश्क़ ll
४-२-२०२४
जिंन्दगी तेरे लिए बहुत सितम सहे l
दर्दो गम को सहकर भी चुपचाप रहे ll
दुनिया वालों की अच्छी बुरी बातों को l
खामोश रखकर सुना बिन कुछ कहे ll
किस्मत के साथ वफ़ा निभाते हुए सखी l
रुसवाई से बचाने को अश्क भीतर बहे ll
जुदा होने पर जाते हुए नहीं देख सकेंगे l
साथ छोड़ते वक्त कहा कि जाएंगे पहे ll
जुदाई के लम्हों में बन सकेंगे सच्चे साथी l
दिल के तयखाने में प्यारी यादों को तहे ll
५-२-२०२४
जिंन्दगी को रोशन करने यादों के दीप जलाएँ हैं l
दिल की बगिया को प्यार के फ़ूलों से सजाएँ हैं ll
अगणित दीपों की झिलमिलाहट से आँगन चमके l
सब कुछ भूलकर वर्तमान में साथ जश्न मनाएँ हैं ll
प्यार और स्नेह की अमिधारा की बरसात कर के l
जो बीत गया उसे सपना समझ रंजिशें भुलाएँ हैं ll
शायद फ़िर ये सुहाने लम्हें कल मिले ना भी मिले l
अरमानो को पूरा करने अपने आप को जगाएँ हैं ll
एसे दीप जलाएँ के वो दिया सब को उजाला दे l
साथ दीप माला के फूलों से रंग रंगोली रचाएँ हैं ll
६-२-२०२४
बंदगी खुदा की रूह को पावन कर गई l
दिलों दिमाग में चैन और सुकूं भर गई ll
सीखकर जीवन जीने का सही ढंग लो l
साथ सत्संग के जिंन्दगी सभल गई ll
मन का दर्पण साफ़ हो गया बच्चों जैसा l
दुनिया में आने के सही माइने समज गई ll
मिट्टी के तन को पारसमणि ने छुआ l
सच्चई की राह से आत्मा संवर गई ll
पूजा व् आराधना की हर साँस में तो l
आत्मज्ञान होने से दया छलक गई ll
७-२-२०२४
नये युग का निर्माण होने जा रहा है l
प्रगति के पंथ को बोने जा रहा है ll
रोज रोज नव नव आविष्कार करके l
कदम से क़दम संजोने जा रहा है ll
अंहिसा और अंधविश्वास को छोड़ l
गुलों को चमन में पिरोने जा रहा है ll
खिलने ओ खिलाने की ख्वाहिश में l
अपनों से वफ़ा निभाने जा रहा है ll
घूंट न जाए साँस यू जातियों में l
दिलों से रंजिशें मिटाने जा रहा है ll
८-२-२०२४
प्यार का मकरंद पिलाते रहो l
दिलों से नफरते मिटाते रहो ll
मनमोहक मुस्कराहट सजाकर l
कुलों सा हँसना सिखाते रहो ll
ज़िंन्दगी बहुत ही खूबसूरत हैं ये l
स्वयं को अह्सास दिलाते रहो ll
खुशबु की तरह महकते रहना l
साथ कलियों वक्त बिताते रहो ll
कुछ साथ नहीं लेके जाने वाले l
बस अपना किरदार निभाते रहो ll
९-२-२०२४
क़ायनात में बसंत बहार आई हुईं हैं l
सरसों की पीली चादर बिछाई हुईं हैं ll
फिझाओमें जवानी देख बुलबुल ने l
मधुर आवाज में ग़ज़ल गाई हुईं हैं ll
ऋतुओ की रानी लाई आमों में बोर l
डालीओ ने नव पत्तियाँ पाई हुईं हैं ll
जोशे निशातो की हवा यू चली कि l
आलम में सुहानी रंगते लाई हुईं हैं ll
नवल पल्लवमय है मंजरी-मंजुलता l
हर ह्रदय में प्रफुल्लिता छाई हुईं हैं ll
१०-२-२०२४
क़ायनात का सबसे खूबसूरत एहसास है प्रेम l
मुहब्बत में दौनों के मुकम्मल जज्बात है प्रेम ll
एक-दूसरे के गहरे प्यार में डूबे हुए प्रेमीओके l
दिल के चैन और सुकून का खयालात है प्रेम ll
आँखों की नमी में पनाह मिल जाती है तबसे l
दौनोंके इश्क़की भावनाओंका तिजारात है प्रेम ll
अतुल शक्ति संचार के साथ अलौकिक सुख के l
जन्मोजन्म से दोनो रूहों की मुलाकात है प्रेम ll
मीठे प्यार से प्रीत के बंधन में खुश मिजाज l
सच्चे रिश्तों की अनुभूति की कमालात है प्रेम ll
११-२-२०२४
पहली मुलाकात का वो पल याद आ गया l
मुहब्बत की नज़रो का तीर साथ आ गया ll
कोशिश भी न की हाथों को छुड़ाने की वो l
महकता महेंदी वाला हसीन हाथ आ गया ll
आँखों में ख्वाबों की बरसात हुईं हैं आज तो l
चांदनी रात में जज़्बाती सुरीला राग आ गया ll
इश्क़ के आने की आहटें महसूस हुईं और l
क़ायनात को हरा भरा करने फाग आ गया ll
याद दिल के दरवाजे को दस्तक दे रहीं तो l
कमी का एहसास होने से भाग आ गया ll
१२-२-२०२४
माघ यौवन छांट रहा है फ़िर भी बौर अभी नहीं आया l
प्रकृति को सम्भालने वाला दौर अभी नहीं आया ll
संवेदन, करुणा,दया भूलके मानव शेर बना फिरता l
चारों ओर संकट है छाया पर गौर अभी नहीं आया ll
अभी भी थोड़ी सी मानवता बची हुई है दुनिया में l
दानवता की हद है वहाँ तक तौर अभी नहीं आया ll
१३-२-२०२४
बसंत की बेला आई आओ सपनों के गीत
सुनाऊँ l
हाथों में हाथ लेकर प्यारा सा गीत गुन गुनाऊँ ll
भीतर की भावनाओ के शब्दों को कविता में लिखके l
सोए हुए तारों पर वासंती साज ओ सूर को जगाऊँ ll
रूठे हुई साजन को महफ़िल में खुले आम बुलाऊंगा l
हार नहीं मानूँगा कभी भी आज कसमे देकर मनाऊँ ll
बाद मुद्दतों के क़ायनात को हरा भरा करने आ रहे हैं l
स्वागत को दिल की दुनिया को अरमानो से सजाऊँ ll
ख्वाबों से भरे दिल का शोर ख़त्म करने के लिए l
जी चाहता है पहाङों पर जाकर नाम ज़ोर से पुकाऊँ ll
१४-२-२०२४
नज़रों से भावों का झरना छलक रहा है l
प्यारकी बौछारसे दिवाना बहक रहा है ll
दिल का रोग लगा दिया जाम ए नज़र ने l
प्यास दिलोंजान की बुझाने तड़प रहा है ll
दरअसल सुना है बासंती खिली है इश्क़ पे l
कई सर्दियों से प्यारी सुरत तरस रहा है ll
इन्द्रधनुष सा हो गया है मन का आलम l
बाहों में समाने का ख्याल पनप रहा है ll
सखी करवट मौसम ने यू ली है कि आज l
भीगी सी आंखों से प्यार बरस रहा है ll
१५-२-२०२४
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह