Tanmay - In search of his Mother - 43 books and stories free download online pdf in Hindi

Tanmay - In search of his Mother - 43

43

पैसा

 

दिन बीतते जा रहें हैं, अभिषेक अपनी प्लानिंग में लगा हुआ है कि किस तरह वह नैना के घर में घुसे और वहाँ से वो लिफाफा निकाल लें। मगर यह तभी होगा, जब घर में कोई न हो पर यह होगा कैसे, उसके घर में वह आख़िर घुसेगा कैसे? इन्हीं सबके बारे में सोचते हुए उसने तीनो पर नज़र रखना शुरू कर दिया है। कौन कब जाता, कितने बज जाता है, कहाँ जाता है, किस-किस से मिल रहें है, कौन वापिस कब आ रहा है। सारी बातों का ध्यान रखते हुए वह सही मौके का इंतज़ार कर रहा है।


अभिमन्यु के पैर में अभी भी दर्द है, वह स्टिक का सहारा लेकर मॉल पहुँचा। उसने सबको ज़रूरी निर्देश दिए। उसने विवेक को अब मैनेजर बना दिया है। अब वह पहले से ज़्यादा अपने कर्मचारियों को लेकर सतर्क है। उसने मॉल में सीसीटीवी भी ज़्यादा लगवा दिए हैं। अब वह अपने केबिन में बैठे हुए कॉफ़ी पी रहा है। तभी उसे प्रिया की याद आती है। वह उसे फ़ोन करता है, मगर उसका फ़ोन बिज़ी जा रहा है। एकदम से उसे मॉल में प्रिया आती नज़र आती है, उसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। प्रिया भी मुस्कुराती हुई, उसके सामने बैठ जाती है।

कहाँ थीं तुम ? कितने दिनों से तुम्हारा फ़ोन ट्राय कर रहा हूँ। सब ठीक तो है ?

इतने सवाल? पहले मेरे लिए भी कॉफ़ी आर्डर कर दो। तभी उसकी नज़रे पास रखी, स्टिक पर गई तो उसने एक जिज्ञासु की तरह पूछा,

यह क्या हुआ?

उसने एक लम्बी साँस छोड़ते हुए कहा,

एक्सीडेंट ही समझो?

मतलब?

उसने उसे सारी बात बता दी। इसी बीच एक लड़का कॉफ़ी रखकर चला गया। प्रिया ने कॉफ़ी पीते हुए पूछा,

तुम्हें लगता है कि किसी ने जानबूझकर किया।

हाँ, ऐसा मुझे लगता है, पर मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता।

काश! तुम्हारा यह भ्रम हो, वरना यह तो पुलिस केस बन जायेगा।

मैं पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता, पहले से ही नैना के चक्कर में हम उनकी नज़रों में है। प्रिया ने हाँ में सिर हिला दिया।

अच्छा, अब मेरी छोड़ो, अपनी बात बताओ। कहाँ थी इतने दिन ?

जतिन को, उसके हिस्से की प्रॉपर्टी देकर उसे तलाक दे दिया।

मगर क्यों ?

क्यों तुम्हें वजह नहीं पता?

मेरा मतलब है, अचानक से?? कहीं तुम्हें जतिन का कोई राज़ तो नहीं पता लग गया। तभी वह कुछ सोचते हुए बोला,

नैना उसके साथ है??? उसने कोई जवाब नहीं दिया, मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, नैना उसके साथ है, क्या? प्रिया को उसकी बेचैनी समझ आ गई। उसने उसे देखते हुए कहना शुरू किया, मैं जतिन के पीछे मुम्बई गई थीं। अब उसकी आँखों के आगे मुंबई का वो होटल का कमरा आ गया। जिसमे जतिन ठहरा था और वो उसे धक्का देते हुए अंदर आ गई थीं और बाथरूम से उसे निकलता देखकर, उसकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा था।

क्या !!! अभिमन्यु को भी हैरानी हुई।

राजीव अभिषेक के बारे ही सोच रहा है, क्या पता नैना, उसके पास हो। पता नहीं, वो पागल अब क्या करेगा। तभी नंदनी उसके पास आकर बैठ जाती है और प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहती है, क्या सोच रहें हो?

सोचना क्या है? उसने अब उसका हाथ पकड़ लिया।

पर लगता है कि तुम्हें अपनी बीवी की याद आ रही है। उसने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

किसका नाम ले लिया। अब उसने मुँह बना लिया।

अच्छा एक बात बताओ, अभिमन्यु जी नैना को ढूंढने के लिए कितनी कोशिश कर रहें हैं।

पुलिस ही कर रही है, जो करना है, वो क्या कर लेंगे।

फ़िर भी कोई बात तो होती होगी।

मैं तो अकेले ही घर में होती हूँ, जब खाना बनाना होता है। पहले जब नैना मैडम थी, तभी वो अपने काम में लगी रहती थीं। फिर बीच में मैंने छोड़ दिया था। अब जबसे नैना मैडम गई है, तब उन्होंने मुझे दोबारा रख लिया। लेकिन नैना, नैना करते रहते हों । कहीं वो भी पसंद है क्या तुम्हे?

अब वह चिढ़ गया, हर औरत मुझे ही पसंद होगी।

मैं सिर्फ नैना जी की बात कर रही हूँ, वैसे वो है ही इतनी खूबसूरत, भगवान ने उन्हें फुरसत से बनाया है। उसने आँखें मटकाते हुए कहा।

राजीव ने अपने चेहरे के हाव-भाव को छिपाते हुए कहा, मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था, पड़ोसी होने के नाते।

मेरो पिया बड़ा बदमाश है.. ....... उसने गाना शुरू कर दिया। राजीव को हँसी आ गई। अच्छा! मुझे कुछ पैसे दे दो,

पैसे ?? परसो ही तुमने दस हज़ार रुपए लिए थें।

क्या करो, मैंने मकान कर्ज़ा लेकर खरीदा था, दस लाख दे चुकी हूँ। पाँच लाख बचे है। धीरे-धीरे उन्हें देकर कर्जदारों का मुँह बंद करो, वरना ये लोग अकेली औरत को बड़ा परेशान करते है।

किराए पर मकान खरीद लेती। इतना कर्ज़ा लेने की क्या ज़रूरत थीं।

क्यों? पंद्रह लाख में वन रूम सेट मिल रहा है तो क्यों न लेती।

मेरा मतलब है कि तुम रहती तो अकेली हो।

बहुत आया-जाया लगा रहता है, गाँव से कभी कोई, कभी कोई आता ही रहता है।

मगर फिर भी.. ....... अब उसने बात काटते हुए कहा । रहने दो ! मुझे नहीं चाहिए। वह गुस्सा करते हुए जाने लगी कि तभी राजीव ने उसे बाँहो में भर लिया।

तुम बड़ी जल्दी बुरा मान जाती हो, उसने दस हज़ार अपने ड्रावर से निकाले और उसे पकड़ा दिए। उसने खुश होकर उसके गाल चूम लिए। फ़िर राजीव ने उसे बैडरूम में खींच लिया और दोनों एक दूसरे की बाहों में खोते हुए चरम सुख का आनंद लेने लगे। कुछ देर तक देह सुख का आनंद लेने के बाद राजीव ने उसे कसकर अपनी बाहों में भरते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया। अभी यह क्रियाकलाप कुछ देर और चलता, मगर दरवाजे की बजी घण्टी ने उसमे विघ्न डाल दिया। पता नहीं, कौन आ गया इस समय, उसने चिढ़कर कहा। नंदनी उसको ख़ुद से अलग करते हुए कपड़े पहनने लगी। जाओ देखो, और जो भी है, उसे बाहर से ही दफा करो। राजीव ने टीशर्ट और लोवेर्स पहनते हुए अनमने मन से दरवाजा खोला तो उसके होश उड़ गए। इसके बारे में तो उसने सोचा ही नहीं था।

 

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