अनहोनी SURENDRA ARORA द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनहोनी

लघुकथा

अनहोनी

कभी - कभी कोई अनहोनी ऐसे भी हो जाती है कि उस पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है।
दशकों बाद दोनों अपत्याशित रूप से एक दूसरे के सामने थे ।
जब भी अवसर मिलता वो अपने इस पुराने शहर में आने से नहीं चूकता था । शहर वही , पार्क वही , बैंच वही , समय भी वही , आकर वहीँ बैठ भी जाता ।
एक के बाल सफेद और आंखों पर चश्मा था , दूसरे के सर पर बाल नहीं थे ।
दोनों कुछ देर तक पहले आश्चर्यभरी चोर नजरों से और बाद में टकटकी लगाकर कौतूहल से एक दूसरे की ओर देखने लगे ।
आंखें ही नहीं , कुछ देर बाद दोनों के होंठ भी फड़फड़ाने लगे , कुछ कहने को आतुर ।
रहा नहीं गया , वह बोल पड़ा , " तुम तो शुभांगी हो न ? "
" हां हूं और आप ? "
" शायद तुम भी पहचान रही हो मुझे ।
" शुभेंदु , ठीक है न ! "
" हां ! ठीक पहचाना। मैं शुभेंदु ही हूँ । आज भी दूर ही बैठोगी । इसी बेंच पर आ जाओ । मेरे पास वाली सीट खाली है । "
" वो तो तब भी खाली थी पर मैं तब की तरह अब भी नहीं आ सकती । आकर होगा भी क्या ? समय बहुत निकल चुका है । "
" फिर यहां क्यों आई हो ? पता है न , तुम ही तो कहतीं थीं , समय घूम कर वापस भी आ जाता है ।"।
" समय के घुमाव को देखने ही तो यहां आती हूं और देखो समय घूमा भी है , जो तुम भी यहीं पर हो। "
" क्या समय को दिशा नहीं दी जा सकती ? बैठ जाओ इस खाली जगह पर। "
" लगता है आज समय का एक चक्र और पूरा हो गया है । यह वापस भले ही आता हो पर अपना रास्ता नहीं बदलता। अपनी ही धूरी पर चलता है। "
" अब भी वैसी ही बातें करती हो। बदली नहीं हो । "
" पकने की उम्र आ गई है ,थोड़ी बूढ़ी भी हो गई हूं । बदल कैसे सकती हूँ ? "
" ठीक है , मत बदलो पर कहो तो थोड़ी देर के लिए मैं ही वहां आ जाता हूँ ,तुम्हारे बेंच पर । "
" तुम भी तो नहीं बदले। बातें अब भी वैसी ही करते हो। "
" बाल झड़ गए हैं , बहुत कोशिश की , कि फिर से आ जाएँ पर ! "
" पर क्या ? "
" पर नहीं आये। "
" अब नहीं आएंगे। स्वीकार कर लो। ठीक है अब मैं चलती हूँ। "
" इतनी इंतजार के बाद मिली हो ।थोड़ा तो और रुको। इतना तो कर ही सकती हो। "
" कहा न समय अपनी राह नहीं बदलता। नहीं रुक सकती। " वो उठी और चल दी।
शुभेंदु आज भी उसे जाते हुए देखने को मजबूर था , इस निश्चय के साथ कि अवसर मिलते ही इस अनहोनी के लिए वो इसी बेंच पर बैठने के लिए ऐसे ही आता रहेगा। समय अपना मार्ग नहीं बदलता तो न सही।

सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ( साहिबाबाद )
Mo . 9911127277