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मेरी व्हाटस्प् वाली विश!

नोट: कहानी केवल कल्पना मात्र है!

शुरुआत से ही मुझे सोशल मिडिया से अच्छा खासा लगाव रहा है... लेकिन कभी ज्यादा सोशल ना हो जाऊँ.. इसलिए खुद को व्हाट्सप् तक ही समेट लिया था.... और मेरा सबसे पसंदीदा काम होता है कि मैं स्टेट्स कुछ ऐसा लगाऊं की अगर कोई देखे तो कम से कम कुछ पल तो मुस्कुराये।

अपने आप से मेरा जो लगाव था वो बचपन से ही कुछ ज्यादा रहा है.... सबसे पहला मेरा कोई अगर पसंदीदा इंसान रहा है...तो वो मैं खुद ही हूँ... ये बात मेरे घर वाले तो बचपन से जानते ही थे, लेकिन जब व्हाट्सप् और सोशल मीडिया आया तो मेरे सारे जानने वाले भी जान गए!

मुझे लगता है कि अगर दुनिया में कोई सबसे हसीन दिन है तो वो है..जब भगवान जी ने खुद का पीछा छुड़वा कर मुझे धरती जी पर ट्रांसफ़र किया था.... अरे ज्यादा दिमाग मत लगाओ आप.. मैं अपनी जन्मदिन की बात कर रही हूँ, लेकिन फिर भी मेरा तो फेवरेट दिन मेरे लिए यही है... इस दिन चाहे कुछ हो जाए मैं अपने आप को पुरा खुश रखती हूँ.. मुझे लगता है कि दिन मेरा है तो उसे स्पेशल बनाने की जिम्मेवारी भी मेरी ही बनती है... और ये जिम्मेवारी भी मैं बखूबी निभाती आई हूँ।

पहले सिर्फ़ एक महीने पहले घर सर पर उठाती थी अब पुरा व्हाट्सप् उठाये घुमती हूँ... . एक महीने पहले से मैं स्टेट्स लगाना शुरू कर देती हूँ कि मेरा जन्मदिन आने वाला है, ये फोटो लगाना मेरी.. वो करना वगैरह वगैरह.... कभी कभी तो ऐसा होता है कि मुझे जो लोग बहुत पसन्द होते...या मेरे करीबी होते तो उनसे कहकर भी खुद को विश करवा लेती हूँ.... क्योंकि ये बात मैं बखूबी समझती हूँ कि जो मेरे लिए खास हो ये जरूरी तो नही कि वो सबके लिए ही खास हो तो एक तारीख का भूल जाना बहुत मामूली बात है ।

इस जन्मदिन भी मैंने तो अपने लिए वही मेहनत की... व्हाट्सप् की दुनिया में... तो हुआ यूँ कि सबको जैसे कि मैंने याद दिलाया हुआ था तो सबने मेरी सुंदर सी फोटो ( हाँ वो अलग बात है कि मेरी सारी ही फोटो सुंदर होती हैं) या मेरी फोटो की वीडियो बनाकर स्टेट्स लगा दिया... और बहुत सब ने व्हाट्सप् पर एक हैप्पी बर्थडे जग्गू का संदेश छोड़ दिया....मैं बहुत खुश थी,,,लगभग 2 घण्टे लगे मुझे सबको अच्छे से शुक्रिया करने में।

लेकिन उन दो घण्टे के बाद का, पुरे दिन का खालीपन अब मुझे विचलित कर रहा था... जब व्हाट्सप् नही था तो पूरा दिन फोन आते थे... कभी बुआ घर, कभी मामा घर से.... और फिर जिस जिस को पता चलता रहता था वो तब तब बधाई देते रहते थे, ऐसे पूरा दिन लगभग किसी ना किसी का आशीर्वाद मिलता ही रहता था...फिर फोन आने पर तो पता नही कितनी ही बातें हो जाती थी और शाम को तो घर में जश्न होना ही होता था... ऐसे दिन कहाँ जाता था पता ही नही चलता था ।

अब बस एक मैसेज करके छोड़ देते हैं, या स्टेट्स लगा देते हैं... उसके बाद आप देखो या ना देखो वो आपकी मर्जी होती हैं.... अब एक छोटे से बच्चे को क्या पता होगा कि उसके नाम का किसी ने स्टेट्स भी लगाया है... खैर मुझे तो अच्छा लगता है कि किसी ने मुझे कुछ पल ही सही पर याद तो किया..!

अब आप सोच रहे होंगे कि इन सब बातों को बताने का क्या मतबल है? और मैं आप सभी को क्यों बता रही हूँ..हैन्ना ???

तो अबकी बार मैंने एक गलती कर दी थी... मेरी मम्मी मेरे लिए रात तक जागी.. उन्होंने मुझे हल्का सा गले लगाकर लाखों दुआओं संग मुझे हैप्पी बर्थडे विश किया... और मैंने बस एक पल के लिए उन्हे थँकु बोला और उसके बाद फोन पर सबको शुक्रिया करने में व्यस्त हो गयी...थोड़ी देर बाद मम्मी भी मुझे देखते देखते सो गयी...फ़िर ऐसे ही सुबह भी मैं बस सोशल मिडिया पर फोन में लगी रही... और मम्मी किसी ना किसी बहाने से मुझे अच्छा फील करवाने की कोशिश करती रही... जब 11 बजे के बाद मैंने सबको रिप्लाई दे दिया था तब मैं बैठे बैठे बोर हो गयी थी..... मैं अपने कमरे से उठकर जब मम्मी के पास रसोई में गयी, तो देखा मम्मी मेरे लिए मेरी फेवरेट मिठाई बना रही थी... तब मेरा ध्यान गया कि मम्मी सुबह से सिर्फ़ मेरे लिए इतनी गर्मी में रसोई में खड़ी है और मैं बस फोन में लगी हुई हूँ।

"अरे आ गयी तू.... देख तेरी पसंद की मिठाई बनाई है जरा चख कर तो बता कैसी बनी है? " मम्मी ने एक मिठाई मेरी तरफ करते हुए कहा ।

" और वो तेरा जो पसंद का सूट था ना ले आई हूँ मैं... जा जल्दी से ये टेस्ट करने बाद तैयार हो जा मेरे बेटा " मम्मी ने फिर से मेरा गाल खींचते हुए कहा... वो कहते कहते मुझे देखकर हस रही थी ।

" मम्मी बहुत ज्यादा टेस्टी बनी है.. .. " मैंने खाते हुए कहा।

" अरे टेस्टी तो होनी ही थी.. मेरी स्पेशल जग्गू के स्पेशल दिन पर जो बनाई है... " उन्होंने मेरी नकल उतारते हुए कहा... क्योंकि वो मुझे मुझसे भी बेहतर जानती थी... पर शायद मैं उन्हे नही जान पाई... मैं फोन को अपनी मम्मी से ज्यादा जानने की कोशिश कर रही थी.... वो जो मेरे पास थे भी नही मुझे उनसे ज्यादा फ़र्क़ पड़ रहा था... और जो पास थी.... जो सच में उस दिन मेरे लिए ही जी रही थी.. मेरे फेवरेट दिन को अपना फेवरेट दिन मानकर... जिसको किसी स्टेट्स से मेरा स्पेशल डे पता नही चला था.... जो सोशल मीडिया पर थी ही नही.... जो सुबह सुबह ही मेरे लिए भगवान् जी से हजार दुआएँ मांग आई थी... मैं उनको कैसे नही जान पाई ?

पता नही ये सब सोचते सोचते मेरी आँखे भर आई थी.... और मम्मी ने वो भी पकड़ ली थी.... उन्होंने ने पूछा तो बता दिया कि खुशी के आँसू हैं.... क्योंकि वो सच में खुशी के आँसू ही थे... जिस खुशी को मैं रात 12 बजे से व्हाट्सप् पर ढूढ़ रही थी वो मेरे सामने खड़ी थी ।

" मम्मी अब बस बहुत हुआ.... ये आगे मैं करती हूँ... आप भी तब तक अपना वो फेवरेट मेहरुन वाला सूट डाल लीजिये... " मैंने मम्मी के हाथ से मिठाई का बर्तन लेते हुए कहा ।

" अरे पर मैं क्यों? मेरा जन्मदिन थोड़ी है आज? " मम्मी ने मासुमियत से कहा ।

" मम्मी आज आपका भी तो स्पेशल डे है ना... आज आपका भी तो मातृ दिवस है ना... आज आप भी तो माँ बनी थी ना.... तो मुझसे स्पेशल तो ये आपका दिन हुआ ना... इसलिए अब नो बातें .. और आप जल्दी जल्दी तैयार हो रही हो... ओके, अब जाओ आप" मैंने उनको कन्धे से पकड़ कर रसोई से बाहर भेजते हुए कहा । भला बचपन से हम ही तो एक दूसरे का सहारा थे.. तो मैंने कैसे सोच लिया था कि ये दिन सिर्फ़ मेरे लिए खास होगा... जबकि एक और सख्स भी तो इसमें बराबर का हिस्से दार था... वो थी मेरी मम्मी, फिर उनके दिन को खास बनाना भी तो मेरी ही जिम्मेवारी थी ना..और अब मैं बनाऊँगी,उनके स्पेशल दिन को और स्पेशल... मैंने मन ही मन सोचा ।

" अ.. मम्मी... ये मेरा फोन भी अंदर रख देना.. " मैंने उन्हे पीछे से पुकारते हुए कहा ।

" अरे पर बेटा किसी ने बधाई दी तो... आज तो अपने पास ही रख इसको "

" नही मम्मी.. जिनको बधाई देनी थी वो दे चुके है... अब किसी की नही आयेगी " मैंने हल्का से मुस्कुरा कर उन्हे फोन पकड़ाते हुए कहा।

अब मैं और मम्मी साथ में अपना स्पेशल डे और स्पेशल बना रहे थे.... मेरा फोन मेरे कमरे में अब भी थोड़ी थोड़ी देर बाद बीप बीप कर रहा था... शायद कोई मुझे व्हाट्सप् पर याद कर रहा था.. क्योंकि मैंने उन्हे याद करने के लिए कहा था!

समाप्त!

©JagGu Shayra ✍️


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