प्रेम का पूर्वाभास - भाग 14 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 14

और जब रणविजय ड्राईवर को ज्यादा थका हुआ देखकर रात के एक बजे हाईवे पर खेतों के बीच में बने एक सुनसान ढाबे पर ड्राइवर के साथ सबको चाय पीने के लिए गाड़ी रूकवाता है, तो आदित्य रणविजय और रूपाली उर्फ छोटी मां को अरुणा की मां नंदिनी की क्रोधित आत्मा से डराने के लिए झूठ कहता है "मैंने अभी-अभी अंधेरे में खड़े पुराने पीपल के पेड़ के ऊपर बिल्कुल अरुणा जैसे चेहरे की एक सुंदर महिला सजी संवरी देखी है।"

तो रणविजय छोटी मां डर से थर-थर कांपने लगते हैं और जब ढबे का शराबी नौकर कहता है कि साहब सच कह रहे मैं यही बात अपने मालिक को समझाते समझाते बच्चे से बूढ़ा हो गया हूं कि इस पुराने पीपल के पेड़ पर चुड़ैल रहती है, लेकिन मेरा मालिक मेरी एक नहीं सुनता है और कभी खुद भी मेरा डर निकालने के लिए अंधेरी रात में पीपल के पेड़ के नीचे चारपाई बिछा कर सो जाता है और मैं इस ढाबे से इसलिए नौकरी छोड़कर नहीं भागना चाहता क्योंकि मुझ अनाथ को इसने दो बरस की आयु से पाल पोस कर बड़ा किया है।"

और वह शराबी अपनी जीवनी सुनते सुनते गरम चाय रणविजय पर गिरा देता है।

रणविजय जब अपने चाय से गंदे हुए कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहने बाथरूम में जाता है, तो चुड़ैल के डर की वजह से रूपाली उर्फ छोटी मां को भी अपने साथ लेकर जाता है तो बुद्धिमान आदित्य चुपचाप उनकी बात सुनने उनके पीछे-पीछे जाता है।
रणविजय रूपाली उर्फ छोटी मां से कहता है "मुझे डर लग रहा है, कहीं शीतला मां मुझसे नाराज तो नहीं हो गई है।"
"ऐसा क्यों लग रहा आपको।" छोटी मां पूछती है?
"क्योंकि मैं इस लड़के की हत्या करने माता के पवित्र स्थान पर ले जा रहा हूं, यह लड़का देखने में सच्चे दिल का लगता है और शीतला मां हमेशा सच्चे अच्छे इंसान की मदद करती है, इसलिए मां इसकी रक्षा करने और मेरा वध करने की तैयारी तो नहीं कर रही है और इस लड़के को दर्शन देकर अपनी शरण में ले रही हो।" रूपाली उर्फ छोटी मां रोते हुए कहती है "मैं खुद इतने वर्षों में समझ नहीं पाई हूं कि ऐसा क्या है उस नंदिनी में जो तुम महीने में देहरादून जरूर उसकी शक्ल देखने जाते हैं और नंदिनी नहीं मिली तो नंदिनी की बेटी को उठाकर ले आए हो उससे शादी करने के लिए मुझ में ऐसी क्या कमी है, कॉलेज के दिनों में तो मेरे साथ सच्चे प्यार की कसमे खाया करते थे और अब क्या हो गया है, आपको।" रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
"पहले तू शरीफ थी अब आवारा हो गई है।" रणविजय कहता है
"मैंने कौन सी आवारागर्दी आपके सामने कर दी है।" रुपाली उर्फ छोटी मां पूछती है?
"और जो आदित्य के प्यार में दीवानी हुई जा रही हो आप।" रणविजय कहता है
"जब अपना पति आंखों के सामने दूसरी लड़की से शादी करने जा रहा हो तो बेवफहा पति कि पत्नी क्या करेगी। रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
फिर दोबारा रणविजय का हाथ पकड़ कर कहती है "अगर आपको कुछ हो गया तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी, इसलिए बेवकूफ मत बनो अरुणि के कितने आशिकों को जान से मारोगे और अरुणा की खूबसूरती को निहारने वाले कितने लोगों की आंखें फोड़ोगे।"
"मैं अरुणा के पीछे पूरी दुनिया को आग लगा दूंगा।" यह कहकर रणविजय गाड़ी में जाकर बैठ जाता है।

रुपाली उर्फ छोटी मां रणविजय के गाड़ी में बैठने के बाद पीछे रह जाती है तो आदित्य छोटी मां को रोक कर पूछता है? "मेरा पक्का इरादा है आपसे शादी करने का।"
"पागल हो गया है क्या तू।" रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
"रणविजय को राक्षस दिखाकर मेरी नजरों में मर्द की सताई हुई स्त्री बनाकर आपने मेरी भावनाओं से खेला है, मैं इतनी आसानी से आपका पीछा नहीं छोडूंगा। आदित्य बनावटी बात रूपाली उर्फ छोटी मां से कहता है
"मैंने कब कहा रणविजय राक्षस है।" रूपाली पूछती है?
"आपने कहा नहीं था कि रणविजय ने अरुणा की मां के साथ बलात्कार किया था और इस अपमान की वजह से अरुणा की मां ने आत्महत्या कर ली थी और आपको अपनी रखैल बनाकर उसने अपने घर में रख रखा है।"रूपाली उर्फ छोटी मां से सच्चाई उगलवाने के लिए आदित्य कहता है "अच्छा उस दिन कि कह रहा उस दिन तो हम दोनों पति-पत्नी में बहुत ज्यादा झगड़ा हो गया था, इसलिए गुस्से में कुछ भी कह दिया तुमसे और उसे दिन अपने पति की बेवफाई की वजह से मुझे किसी की भी अपने लिए हमदर्दी चाहिए थी।" रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
"इसका मतलब रणविजय ने अरुणा की मां नंदिनी के साथ कोई बलात्कार नहीं किया था और ना ही अरुणा की मां ने अपमानित होने के बाद आत्महत्या की थी सब आपने झूठ कहा था ना।" आदित्य पूछता है?
"हां सब सच है मैं और रणविजय अरुणा के माता-पिता से मिलते रहते हैं और मैं ही अरुणा को अरुणा के माता-पिता की इजाजत से मांग कर लाई थी पालने पोसने के लिए इस नीछ रणविजय के प्यार में पागल होकर और इसने मुझे आज तक मां भी नहीं बनने दिया की मां बनते ही अरुणा के माता-पिता अरूणा को अपने साथ ले जाएंगे, और यह है अरुणा को उसके माता-पिता से यह कहकर मिलवाता भी नहीं है कि अपने असली माता-पिता से मिलकर अरुणा हमारे साथ कभी नहीं रहेगी और वह बेचारे अपने बेटे को ही अपनी इकलौती संतान समझ कर जी रहे हैं।"रूपाली उर्फ छोटी मां बताती है

"और जो अपने चिट्ठी लिखकर अपने पिता जी के नाम रखकर छोड़ी थी कि मैं दूसरे धर्म के लड़के के साथ घर से भाग कर शादी कर रही हूं।" आदित्य पूछता है?
"वह तो पिता जी नंदिनी सब की चाल थी, क्योंकि रणविजय के बड़े भाई ने गांव के प्रधान की लड़की को शादी के मंडल से भागकर उससे शादी की थी, इस घटना के बाद हमारे पूरे गांव की बहुत बदनामी हुई थी, इसलिए गांव वालों ने पंचायत बुलाकर यह फैसला लिया था कि रणविजय के खानदान से हमारे गांव का कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा कोई भी संबंध नहीं रखेगा और रणविजय के बड़े भाई के लड़को को तुम जानते ही हो।" रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
"इसका मतलब रणविजय ने अपने बड़े भाई की भी हत्या नहीं की है।" आदित्य पूछता है?
"रणविजय ने किसी की हत्या नहीं की हां रणविजय ने अपने बड़े भाई की जायदाद को संभाल रखा है।"रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है "संभाल रखा है या बड़े भाई की जायदाद पर कब्जा कर रखा है।" आदित्य कहता है

दोनों को एक साथ बहुत देर तक साथ खड़े होकर बात करता हुआ देखकर रणविजय गाड़ी में से ही बैठे-बैठे आवाज लाकर कहता है "जल्दी करो क्या चुड़ैल के दर्शन करके यहां से जाने का इरादा है।"

जाते-जाते छोटी मां कहकर जाती है अरुणा के पीछे अपनी जान दवा पर मत लगाओ रणविजय तुम्हारी जान ले लेगा।"

कुछ मिनटों में ही आदित्य को दुनिया का सबसे बड़ा सबक मिल जाता है कि कभी-कभी आंखों से देखा और कानों से सुना भी गलत होता है।

हिमाचल प्रदेश शीतला मां के मंदिर पहुंचने के बाद रणविजय सबके ठहरने के लिए महंगे होटल का इंतजाम करता है और छोटी मां अरुणा को दुल्हन का जोड़े में तैयार करवाता है।

अरुणा को दुल्हन के जोड़े में देखकर आदित्य समझ जाता है कि अब अरुणा का सपना सच होने वाला है जो वह पांच वर्ष की आयु से देख रही है कि कुछ गुंडे मुझे हजारों फीट गहरी खाई में फेंक रहे हैं और वह मुझे बचाने के लिए चिल्ला रही है

लेकिन दुल्हन बनने की खुशी में अरुणा अपने बचपन के सपने को भी भूल गई थी और यह भी भूल गई थी कि रणविजय ने उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए दुल्हन का लिवाज पहनाया है ना कि आदित्य की दुल्हन बनाने के लिए।