Sath Zindgi Bhar ka - 67 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 67

एकांश और आस्था एक दूसरे की बाहों में सुकून से सुकून नींद भरी सो रहे थे हर रोज की तरह आज भी आस्था की नींद जल्दी ही खुली गई थी . . .. . . . . . अपने आपको . .. . . . एकांश की बाहों में पाकर आस्था शर्मा गए कल रात का हसीन मंजर उसे अपने सामने फिर से दिखाई दिया और शर्म की गुलाबी रंगत उसके चेहरे पर छा गई. . . . . ..

एकांश ने उसके सोने के बाद अपनी शर्ट उसे पहना दी थी . . . . . . .. . आस्था मुस्कुराई और खुशी से उसको निहारने लगी . .. . . . .उसकी आंखों में हल्की नमी छा गई .. . . . . . . . कल वह दोनों पूरी तरह से एक हो चुके थे .. . . . . . . . .उसने अपना सब कुछ एकांश को दे दिया था आस्था उठने को हुई और उसकी हल्की सी सिसकी उसके मुंह से निकल गई थी .. . . . . . . .

एकांश की पकड़ उस पर इतनी मजबूत थी .. . . . . . कि वह उठी नहीं पा रही थी .. . . . . . .. . .उसकी हल चल से एकांश की नींद भी खुल गई थी स्लीप जान एकांश ने नींद भरी आवाज नहीं कहा और उसकी कमर पर की पकड़ मजबूत कर ली. . . . .. . . आप आप सो जाइए कुंवर जी हमें लेट हो रहा है. . . . . . . . आस्था ने शर्माते हुए कहा .. . . . . उसकी हिम्मत ही नहीं थी उसकी और देखने की आस्था की पलके झुकी हुई थी .. . . . ..

यह तो गलत बात है जान एकांश ने उसके चेहरे पर के बाल को पीछे करते हुए कहा . . .. . . . . .. क्या क्या कुंवर जी आस्था की सांसे उसकी इस तरह छूने से फूल रही थी .. . . . . . . . यही कि हम जब हम सो रहे थे तब आप हमें एक टक देख रही थी. . . . . . .. और अब जब हम जाग रहे हैं तब हमारी तरफ देख भी नहीं रही हैं . . .. . . . एकांश नहीं आपको मैं शरारती बुलाते हुए कहा . . . . . . .. और आंखों ने अपना चेहरा उसके छीन सीने में छुपा दिया कुछ पल दोनों ऐसे ही एक दूसरे के प्रेजेंस को महसूस कर रहे थे . . . . . .. . . .

एकांश बहुत ज्यादा खुश था. . . . . . . कल उसकी मोहब्बत मुकम्मल जो हुई थी आस्था को इस तरह शर्माता देखेगा .. . . . . .. . .इनको उसे प्यार करने की ट्रिक से तमन्ना हुई लेकिन उसकी तकलीफ का सोचकर वह खामोश रहा और आस्था को कड्डल करने लग गया . .. . . . . .. आस्था भी फिर एक बार उसके प्यार के रंग में रंगना चाहती थी तकलीफ तो उसे को रही थी लेकिन राहत भी एकांश के प्यार से ही मिल रही थी . . .. . . ..

वह भी एकांश को महसूस करने लगी थी कुंवर जी आस्था ने वैसे ही सर उसके सीने पर रखे हुए उसे पुकारा एकांश ने बंद आंखों से ही जवाब दिया . . . . . . . हम शाम को यूएस वापस जा रहे हैं आस्था ने कहा . . . . .. . और एकांश के पकड़ उसके ऊपर और ज्यादा मजबूत हो गई वह नहीं चाहता था. . . . . .. . कि आस्था जाए लेकिन उसने खामोश रहना ही समझा उसकी आस्था के ऊपर हुए मजबूत पकड़ उसकी बेकरारी को बयां कर रही थी. . .. . . .

आप कुछ नहीं कहेंगे आस्था ने सर को उठा कर उसकी तरफ देखा . . .. . . . और एकांश आंखें बंद कर कर के लेटा हुआ था . . .. . . .. कुँवर जी आस्था फिर से आवाज दी एकांश का फिर वही जवाब हां वह कैसे कुछ बोल सकता था . . . . .. . .उसके जज्बात पहले ही आस्था को प्यार करने के लिए उसे मजबूर कर रहे थे . . . . . .. .और उसके दूर जाने के बाद से ही वह फीलिंग काफी हद तक बढ़ गई थी. . . . . .. . . जिसे वह खामोशी से कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था . . .. . . .

कुंवर जी हम हम आस्था कुछ बोल ही नहीं पा रही थी . . . .. . . . कहिए ना जान एकांश ने उसे पूरी तरह से अपने ऊपर ले लिया . . . .. . और अपनी बाहों की पकड़ उस पर मजबूत कर ली उसे लगा कि एक बार फिर वह से छोड़ने को कहेगी जो कि एकांश बिल्कुल नहीं चाहता था कुंवर जी हम एक बार और आपके प्यार में रंगना चाहते हैं . . . . .. .

आस्था ने अपनी आंखों से बंद कर कर कहा और एकांश अपनी आंख खोल उसकी तरफ देखने लगा . . . आपको तकलीफ होगी जान एकांश ने जब वह उठ रही थे .. तब उसकी सिसकी एकांश ने सुन ली थी होने दीजिए लेकिन उस तकलीफ की दवा आप ही हैं आपका प्यार है. . . . हमें सिर्फ हमें फिर से आपको महसूस करना है कुंवर जी हम फिर से आप को छूना चाहते हैं आपके प्यार में रंगना चाहते हैं . . .. . . . आपके करीबी को अपने अंदर समा ना चाहते हैं . .. . . .

प्लीज कुँवर जी एक बार फिर हमें अपना बना लीजिए आस्था की बातों में तड़पती एकांश ने उसके सिर को चूमते हुए कहा. . . . . .. . और धीरे से उसे नीचे लिटा कर उसके ऊपर आ गया . . . .. . .आस्था आंखें बंद करके उसे महसूस कर रही थी. . . . . उसके होठों पर कि वह नाजुक सी स्माइल और एकांश के प्यार के लिए तड़पता हुआ . . . .. .उसका चेहरा देखा उसके चेहरे पर बहुत ही ज्यादा अच्छी स्माइल आ गई . . . .. . .

जान एकांश ने उसके कान के पास जाकर धीरे से नशीली आवाज में उसे पुकारा और आस्था ने अपने हाथों की पकड़ उसकी पीठ पर मजबूत कर ली . . . .. . . . इसको वह इतनी सी हरकत से ही आस्था से हर उठी उसके पूरे बदन में रोंगटे आ चुके थे सांसे और धड़कन दोनों भी तेज हो चुकी थी . . . .. . . . .एकांश को भी यह सब महसूस हुआ वह सिर्फ आस्था को ही देखने लगा . . प्लीज आस्था थर थर आते हुए होठों से कहा एकांश से एक पल की दूरी भी उससे बड़ बर्दाश्त आज ही नहीं हो रही थी . .. . . . ..

एकांश ने उन गुलाब की पंखुड़ियों को अपने होंठों में उसके अंदर समा लिया एकांश टूट कर उन पंखुड़ियों का रसपान कर रहा था . . .. . . . और आस्था भी उसका पूरा पूरा साथ दे रही थी एकांश ने उसके होठों को छोड़कर उसके चेहरे पर गले पर अपने होंठ चलाना शुरु कर दिए थे . . . . .. . .. .आस्था भी कभी उसके सीने पर तो कभी चेहरे पर किस कर रही थी आस्था जानें वाली थी का सोच कर ही दोनों तड़प रहे थे .. . . .. . . .. और एक दूसरे को टूट कर प्यार कर रहे थे . . . . .. . . ..

अपना सारा प्यार उस पर लूट आने के बाद एकांश उसकी बाजू में लेट गया आस्था ने अपना सर उसके हाथ पर रखा और आंखें बंद कर दी जान यू ओके एकांश एक तरफ होकर उसकी तरफ देखने लगा. . . . . आस्था ने हां में सिर हिला कर जवाब दिया और अपनी आंखें बंद कर ली थी . . . . . एकांश ने उसके सर के नीचे तकिया एडस्ट किया और बाथरूम की तरफ चला गया . . . . . कुछ देर बाद बाहर आकर उसने आस्था को अपने पेट के बल लिटाया और हल्के हल्के से उसकी कमर को मसाज देने लगा . .. . . . .

कुंवर जी क्या कर रहे हैं आप आस्था उठने को हुई लेते रहिए . . . . एकांश ने उसे पकड़कर फिर से सुलाया और मसाज देने का काम जारी रखा आस्था काफी बेहतर फील कर रही थी . .. . . .. . एकांश ने उसे ब्लैंकेट से कवर करके अपनी बांहों में उठा कर बाथरूम की तरफ ले गया. . . उसने शर्मा कर उसके सीने में चेहरा छुपा लिया. . . एकांश ने उसे गर्म पानी के बाथ टब में रखा और उसे बाथ लेने को बोल कर बाहर चला गया . . . . . . .. आस्था काफी रिलैक्स फील कर रही थी. . . . . उसने एक नजर अपने आप को देखा . . और जगह-जगह एकांश के प्यार के निशान पाकर शर्मा गई . . . . .

एकांश ने पानी में किसी तरह का Essential oil डाला हुआ था . ... . . . .. .. जिसकी खुशबू पूरे बाथरूम में फैली हुई थी. . .. . . .. . .. उस खुशबू से और गर्म पानी कैसे एक से आस्था काफी बेहतर फील कर रही थी . . . .. . . .. .अच्छे से नहाकर आस्था ने वही हैंगर पर लगाया हुआ towel से अपने आप को साफ किया और परेशानी से इधर-उधर कपड़े देखने लगी .. . . . .. . .. . जान एकांश ने नोक किया करते हुए इसे पुकारा जी जी आस्था में किसी तरह कहा ज्यादा परेशान मत होइए और यह लीजिए . . ... . . . अब का ड्रेस आस्था के कहने पर आस्था ने एकांश के कहने पर आस्था ने थोड़ा सा दरवाजा खोला और बाहर उसकी तरफ देखने लग गई . . .. . . . .

वह इतनी क्यूट दिख रही थी कि एकांश बस उसे ही देखता रह गए . . . . .. . कुंवर जी प्लीज आप आस्था ने शर्मा कर बुरा हाल हो रहा था. . . . . .. एकांश कि वह नजरें और शरारत भरी हंसी उस आस्था तो पूरी तरह दरवाजे के पीछे छुपी हुई होने के बावजूद भी अपने आप को और छुपाने की कोशिश कर रही थी. . . . . .. . क्या प्लीज एकांश थोड़ा सा आगे आ गया और आस्था में झट से उसके हाथ से ड्रेस लेनी चाहि . . .. . . . . .मगर एकांश ने उतनी ही चालाकी से उसका हाथ पकड़ा प्लीज छोड़िए ना कुंवर जी आस्था ने किसी तरह से कहा जल्दी आइए . .. . ... . .

एकांश ने उसे और सताना सही नहीं लगा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया आस्था ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और अपनी बड़ी हुई सांसो को कंट्रोल करने की कोशिश करें . . . .. . .. लेकिन एकांश भी मुस्कुराते हुए अपने बालों में से हाथ कराया . . . . . . ..और उसके आने का इंतजार करने लगा एकांश के लाए हुए लाल अनारकली को पहन कर आस्था बाहर आ गई .. . . . . उसके खुले गिले लंबे बाल चेहरे पर आया आस्था के चहरे पे एकांश के प्यार का ग्लो था एकांश को वह बेहद हसीन महसूस हुई . . . . .. . .

वह बिना पलके झुकाए उसे ही देख रही थी और वह बिना पलके झपकाए झपकाए उसे ही देखे जा रहा था . . . . .. . . और आस्था शर्मा कर उसे नजरें मिलाने का टाल रही थी .. . . . .. . . . आस्था आईने के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखाने लगी . . . . .. .लेकिन एकांश की शरारत भरी नजरों से बेचैन होकर वह ठीक से अपना काम नहीं कर पा रही थी . . . . . . .

कुंवर जी प्लीज आस्था ने किसी तरह कहा क्या प्लीज जान आस्था उसके एकांश उसके करीब आ गया. . .. . और उसके हाथ से टॉवर ले लिया . . . . .. . .. .उसके बालों को सुखाते हुए वह आस्था के प्रतिबिंब को आईने में देख रहा था इस तरह मत देखिए ना आस्था शर्म से गुलाबी हो गई थी. . . . . .. . . . .. किस तरह जान एकांश हो उसे ऐसे देखने में मजा आ रहा था हमें शर्म आ रही है कुंवर जी आप आस्था ने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया और एकांश हंसने लग गया . . .. . . ..

उसने अपने लबों की मोहर उसके बालों पर दे दी और फिर से उससे सुखाने लग गया अब आप अपने हाथ हटाकर देख सकती हो हैं . . . . .. . .एकांश ने धीरे से उसके सर पर अपना सर दे मारा . . .. . . . और आस्था उसके गले लग गई . . . . . . . .आप हमसे मिलने आएंगे ना आस्था ने मासूम सा मुह बना कर पूछा और उसके सवाल पर एकांश के चेहरे पर स्माइल आ गई वह अभी तक गई भी नहीं थी . .. . . . तब तक ही उससे मिलने बुला रही थी . . .. .

जरूर आएंगे एकांश कब आसान है उससे दूर होते हुए कहा . . . . . .. . और उसकी आंखों की चमक एकांश के नजरों से नहीं छूट पाए . . . .. . . .एकांश उसका चेहरा थाम अपनी नाक उसकी नाक पर रख दिया और फिर धीरे से उसका नाक खींची. . . . . .. . कुंवर जी आस्था ने हमेशा वाले क्यूट एक्सप्रेशन . . . . . . और एकांश की वहीं मिलियन डॉलर वाली स्माइल आपने बताया नहीं आस्था ने मुंह फुला कर कहा . . . .. . क्या एकांश ने इसके फूले हुए गालों पर किस किया यही कि कब मिलने आएंगे आप. . . . ..

आस्था ने अपने गाल साफ किया और इसने फिर से दोनों गाल पर किस कर ली थी 15 दिन के अंदर आ जाएंगे. . . . . जान एकांश के कहते हुए उसके सिर पर किस की 15 दिन लेकिन आस्था आंखें बड़ी करके आगे कुछ कहने वाली थी . . . .. . उससे पहले एकांश ने आस्था केे गाल हल्के से छुए जान इससे पहले कि हम बहुत आगे बढ़े आपको पूजा कर लेनी चाहिए. . . . . ..

एकांश के कहने पर आस्था का ध्यान घड़ी की तरफ गया और ओल मोस्ट सुबह के 6:00 बजने वाले थे बहुत लेट हो गया है . .. . . . . कुंवर जी आस्था जल्दी-जल्दी अपने बाल बांधने लग गई लेकिन एकांश ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका. . . . .. और उसके सर पर ओढ़नी उड़ा दी ऐसे ही बाल खुले रखिए देखते हैं आप पर और हां हम भी आपके साथ आज पूजा करेंगे . .. . . .. . ..

एकांश ने कहा और उसका हाथ थाम थाम कर उसे मंदिर की ओर ले गया. . . . .. . . दोनों ने एक साथ भगवान जी के सामने हाथ जोड़े उनका शुक्रिया अदा किया . . . .. .. . . .एकांश ने आस्था की तरफ देखा जो भी जो अभी भी हाथ जोड़े आंखें बंद करके खड़ी हुई थी ना जाने उसे क्या सूझी उसने आरती की थाल में से थोड़ा सा सिंदूर अपने चुटकी में ले लिया. . . . .. . और आस्था की मांग भर दी. . . . . .. कुंवरजी आस्था ने एकांश से उसे ही पुकारा और आंसू की कुछ बूंदे उसके आंखों से लुढ़क गए आस्था वह उसके नाम का मंगलसूत्र और सिंदूर कुछ ऐसे लगा दी थी . .. . . . .कि किसी को दिखाई नहीं देता. . . . .. . कभी कभी उसने अपना मंगलसूत्र उतार कर भी रखना पड़ता जिससे उसको बहुत हर्ट होता था. . .. ..

लेकिन उससे भी ज्यादा तकलीफ इस बात से होती थी. . .. . . कि सुहागन होते हुए भी वह अपने सिंदूर एक सुहागन की तरह नहीं कर सकती थी . .. . . .. एकांश ने दूसरी बार उसकी मांग भरी थी पहले जब शादी में उसने ऐसा किया था . . .. . . . .तब उसका इतना मतलब नहीं था . .. . . .. .. लेकिन आज वह अपने आप को पूरी तरह से मुकम्मल मानने लगी थी . . . .. . . तो आप क्राइंग जान एकांश में उसके माथे पर किस की और अपनी जेब में से एक चैन निकाल कर उसको पहना दी . . .. . .

वह चेन उसने स्पेशली डिजाइन करवाई थी . .. . . जो थी एक टाइप का मंगलसूत्र ही था लेकिन देखने वालों को एक मामूली चैन ही नजर आती . .. . . . . आई लव यू कुंवर जी आई लव यू सो मच आपने एक बार उस मंगलसूत्र को देखकर और रोते हुए एकांश से गले लग गई . .. . . .. बस कीजिए अब और हां अपने कमरे में जाकर आराम कीजिए कुछ काम करने की जरूरत नहीं है .. . . .

एकांश के कहने पर आस्था उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी शायद आप भूल गई हैं लेकिन हम नहीं भूले कि कल रात क्या हुआ था . . . . .. . . .इसलिए आपको आराम की जरूरत है . . . . एकांश ने उसकी आंखों में देखते हुए नशीली आवाज ने कहा कुँवर जी आस्था शर्मा का वहां से भाग गई . . . . .और एकांश बस उसे ही देखता रह गयपता नहीं . .. . . . ..

आप आप पढ़ कर बताइए कि यह पाठ आपको कैसा लगा. . . . .. . . और हां बहुत सारे कमेंट और लाइक देना मत भूल जाना Plzz मिलते हैं . . .. . . . नेक्स्ट मार्ट में थैंक यू सो मच . . . . . .. .

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