वो........
एकांश अजिंक्य रघुवंशी.........
लड़कियों के ख्वाबों का राजकुमार ...........
और रियल लाइफ में भी राजकुमार ..............
जयपुर के राजपरिवार का वारिश .............
6ft हाइट ......... सिल्की हेयर .........
काली गहरी आंखें ............
दूध सार सफेद रंग ..........
वेल मेंटेंड फिट एंड फाइन बॉडी.......
26 साल का एलिजिबल बैचलर ..........
मशहूर बिजनेसमैन और सॉफ्टवेयर इंजीनियर..........
Raghuvanshi Empire sambhalne के साथ-साथ अपनी smart tech नाम की कंपनी को भी इंडिया के टॉप कंपनीज में शामिल कर लिया
हमेशा खरगोश शांत रहने वाला .......... बहुत समझदार........... लविंग एंड केयरिंग आल्सो अपने सभी भाइयों और बहनों से बहुत प्यार करता था उसे............. लेकिन स्ट्रीक उतना ..
वैसे तो उसको गुस्सा बहुत कम आता लेकिन जब आता ऐसे तो आता था बस सामने वाले की बोलती
ही बंद हो जाती थी............
टाइम पंक्चुअल आल्सो 1 मिनट पर नीचे बर्दाश्त नहीं होता था उसे ..........
11 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया .........
उन्होंने एकांश को बचाते हुए अपनी जान गवा दी .............
सब ने उसे बहुत प्यार किया .............
फिर भी मां तो मां होती है ...........
कोई भी उसकी कमी थोड़ी ना पूरी कर सकता है .............
रघुवंशी अंपायर का वारिश और जयपुर राजपरिवार का भावी राजा होने की वजह से उसकी जान को खतरा था ........
बिजनेस की वजह से उसके काफी दुश्मन थे ........
लेकिन उसके अच्छे काम और अच्छे बिहेवियर की वजह से उसके वेल विशर भी बहुत थे ........
राज भवन के एक कमरे में एकांश के दादा सा और बाबा साहब के कुल गुरु बैठे हुए थे ...........
हाल ही में एकांश पर जानलेवा हमला हुआ था ............
जिस वजह से उन्होंने गुरु जी को मिलने बुलाया था ...........
क्या हुआ गुरुजी .............
आपके बताई हुई हर एक पूजा करवाई .........
फिर भी आपके चेहरे पर यह चिंता की लकीरें क्यों ............ बाबा सा मृत्यु योग अटल है ............. एकांश का 27 वर्ष के होते हैं उनकी मृत्यु हो जाने हैं गुरु जी ने फिक्र से कहा.......
नहीं नहीं गुरुजी ऐसा मत कहिए हम सब कुछ करने को तैयार हैं सिर्फ हमारे हमें हमारा पोता सही सलामत चाहिए ...........
दादा सा ..........
मैं समझ सकता हूं महाराज लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सकता अब सिर्फ एक ही उपाय है ...........
मैं काशी जाकर गुरु स्वामी नंद जी से मिलता हूं शायद वह कोई उपाय बता पाए .............
बाकी सब भगवान शिव की मर्जी है गुरु जी ..............
जैसा आप ठीक समझें बाबा सा ...........
गुरु जी की बातों से बाबा सा ...........
और दादा सा दोनों भी बहुत परेशान हो चुके थे और बात भी तो वैसे ही थी ...........
एकांश पर पहले भी बहुत बार जानलेवा हमले हो चुके थे ..............
वह कुछ ही महीनों में 27 साल का होने वाला था और उसकी कुंडली में मृत्यु योग ...........
इस वजह से दोनों चिंतित थे ...........
बाबा सा हमारा एकांश कुछ नहीं होगा ना उन्हें एकांश के बाबा ने उसके दादा सा से कहा .......
फिकर मत कीजिए अजिंक्य...........
कुछ नहीं होगा उन्हें
दादा सा .....
कहते हुए बाबा सा अपने काम पर तो चले गए लेकिन दिमाग में सिर्फ और सिर्फ गुरुजी की बातें चल रही थी .........
दूसरी और दादा सा अपने कमरे में जाकर सोच में डूब गए ........
***********
इन सब से अनजान हमारी आस्था और अपने आप में मगन थी जहां एकांश की इतनी बड़ी फैमिली थी वहां उसके परिवार में सिर्फ वह और उसकी मां यही दोनों थे पुणे से पास ही के गांव में वह रहती थी .........
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर उसका जन्म हुआ था ..........
और उसके माता-पिता की शिव पर बहुत आस्था थी इसलिए तो उसके पिता ने उसका नाम आस्था रखा ...........
आस्था 5 साल की थी तभी उसके पिता...........
इस संसार को छोड़कर चले गए अपने पिता की तरह वह भी बहुत बड़ी ............
शिव भक्त थी ..........
उसकी मां वृंदा ने उसे संभाला आस्था फिर से बाहर चली गई यह लड़की मां ने आवाज देते हुए कहा आ रही हूं .........
हां यही तो थी जब देखो तब डांटते रहती हो ........
आस्था पता है ........
तुझे कहां था कितनी बार कहा है नदी के किनारे मत जाएं कर लेकिन नहीं तुझे तो बस जाना है ...........
मां मां नदी यही तो पास में है हमारे घर से तो दिखती है लेकिन फिर भी तुम हो कि मुझे कहीं जाने नहीं देती आस्था डर लगता है .........
मुझे बेटा बड़ी हो रही हो जरा संभल कर रहना चाहिए मां क्या मां आपको लगता है .......
मेरे इस रंग की वजह से कोई मेरी और देखेगा.........
भी आस्था तुम्हें क्या हो यह तो बहुत अच्छे से जानती हो ........
और वैसे भी दुनिया सिर्फ हवस से भरी हुई है लड़के सिर्फ लड़की को देखती है और अपनी हवस पूरी करने के लिए यह रंग रूप नहीं देखते समझी ........
तुम मां मां मां समझ गई हमेशा तो यही बोलती हो तुम और वैसे भी मैं कहां अकेले जाती हूं वहां जब तुम घर होती हो तो तभी तो जाती हूं .........
आज तक पता है जब ज्यादा बातें ना बनाओ और जाओ पढ़ाई करने बैठ और दसवीं कक्षा के पेपर हैं तुम्हारे मां हां पता है पता है करती हूं ना पढ़ाई आस्था ........
अच्छा एक बात बताओ मैडेम जी के पास कब जा रही हो ..........
🤣🤣🤣मां मैडेम नहीं होता फिर मैडम............ समझी .......
आस्था .......
ज्यादा अंग्रेजी मत झाड़ ..........
और पढ़ाई करने बैठ जा Ok मेरी प्यारी मां .........
तुम गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो .......
आस्था ने हीं गाल पर किस करते हुए कहा ..........
ऐसी हैं हमारी आस्था थोड़ी चुलबुली सी ....... .
थोड़ी समझदार पढ़ाई में हमेशा अव्वल आने वाली दुनियादारी से बेखबर आखिर...........
15 साल की ही तो थी और ऊपर से उसकी मां उसे कहीं बाहर जाने भी नहीं देती थी ..........
गार्डनिंग का बहुत शौक था ...........
और क्यों ना हो उसकी मां और वह अपने खेत में फूल और सब्जी उगाया करते थे ......
और उनका उन्हीं से घर चलता था
तो अब जानिए हमारी आस्था का लुक
घुटनों से नीचे तक के
बाल ग्रेनेट कैट आईज ........
छोटे ना नाजुक होंठ .. . . . . . .
और तेज नैन नक्श .........
ऊंची और लंबी नाक ........
सब कुछ था कमी अगर कुछ थी .......
तो उसका रंग बेहद काला काला ही कहेंगे
क्योंकि सांवला रंग भी उसके रंग के आगे अच्छा दिखता था
उसका रंग एक वजह थी जिसकी वजह से कोई भी
उसे दोस्ती नहीं करता था
लेकिन उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था उसकी पूरी दुनिया .......
सिर्फ और सिर्फ उसकी मां ही थी .......
और शिव जी भी थे ......
दोनों एक दूसरे से अनजान ........
एक दूसरे से अलग ना ...............
सिर्फ कल्चर .......
बाकी स्टेटस भी अलग .......
उम्र का फासला ..........
स्टेटस का फासला ..........
हालातों से मजबूर होकर ............
कैसे बने वह हमसफ़र
जिंदगी भर का साथी
तेरा मेरा साथ हमेशा .............
जानेंगे अगले पाठ में ........
तब तक ..........
कीप कमेंटिंग ............
Hey guys ......
आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु
...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे
........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे
COMMENT किजीये
ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू
Thankyuuuu
" और कल तक आ जाएगा "
Plzz guys support my first story
.............. ... . ..
To be continued .......... .......... .......
... .. .. ........ ......... ........ ...... ...... ........... ..... ....... ....... ...... ..... ..... ........ .......... ........... ............. ********** ... ............. ....... ........... ...... ......... ........ .......... ........... .............. .............. ........... ... ... ..... ...
**********
****** ....... .... ........ ................... ..... ....... … .......... .... .. ........... ........ ....... .. ... ................... ................... ....... ................ .........
!!!!!!! ....... . ........ ........ ...... ...... ...... ....... .....