Sath Zindgi Bhar ka - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 8

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हम्म .... कोई रास्ता नहीं है .... उस रात की सच्चाई जानने के लिये .... आस्था का अतीत जानने के लिये .... एकांश ने हताश होते हुये कहा

सिर्फ कुँवराणीसा ही आपको सब बता सकती है ....

आकाश लेकिन कुँवरसा आपको जानना क्या हे ....

अजय आस्था के डर की वजह ....

आप नहीं जानते

अजय .... उस ब्लास्ट के बाद उनकी क्या हालत हो गयी थी .... कल भी उनका इस तरह बेहोश होना ...

हमेशा खामोश ... अकेले रहना .... हमे खल रहा हे .....

पता नही लेकिन जब आज हमने उनकी आखें देखी ....

तो उनमे बहोत खालीपन ..... डर .... उदासी .... हमने महसूस किया .... शायद किसी खौफ तले वो हमेशा रहती हे ....

एकांश हम पता लगाने की कोशिश करते हे कुँवरसा ...

आकाश आपको प्यार हो गया हे उनसे .... अजय

एकांश ने उसकी तरफ देखा .... लेकिन कुछ भी नही कहा ....

हर बार जब भी अजय प्यार मोहब्बत की बातें करता था तो

एकांश उसे इग्नोर कर देता था या फिर मजाक मे ले लेता ....

लेकिन आज वो खामोश रहा और उसकी और देखने लगा ..

आपने बताया नही .. .

अजय ने फिर से पुछा .....

वो हमारी पत्नी हे ....

एकांश ने कहा जब की वो खुद इस बात से satisfied नहीं है

ये हमारे सवाल का जवाब नही हे ....

अजय अजय आपको दिया गया काम किजीये .. एकांश ने उसकी बात टालते हुये कहा ठीक हे

कुँवरसा .... हमने मान लिया ....

वो आपकी पत्नी हे ..... और आप सिर्फ उस रिश्ते से ही उनके लिये फिक्रमंद है ....

लेकिन एक बात अपने आप से पूछियेंगा जरुर की वाकई में आपको उनके लिये कोई भी फीलिंग हे या नही हे ....

अजय अजय की बातो पर एकांश ने कुछ नहीं कहा .... और चेयर पर पीछे सर टिकाते हुये बैठ गया .....

आकाश भी जो हर बार अजय को उसकी बातों के लिये टोकता था वो खामोश रहा .... उसने भी एकांश को इस तरह फिक्रमंद कभी नहीं देखा था ......

एकांश की आखों में आज अलग ही इमोशंस उसे दिखाई दे रहे थे ......

आकाश अजय वहा से चले गये ....

एकांश अभी भी अपने ही खयालो मे डुबा हुआ था . प्यार .... नही ये नहीं हो सकता ....

हम जानते ही कितना हे उन्हे .... लेकिन हम जो फिल कर रहे । हे ..... ये क्या हे .... कौनसी फीलिंग हे ....

क्या वो हमारी पत्नी हे इस वजह से हम ये सब फिल कर रहे हे ... समझ नही आ रहा हे कुछ ....

ये सब सोचते हुये एकांश के सामने आस्था का वो चेहरा आया ..... .

शादी के दुसरे ही दिन की बात ...

एकांश रात भर सो ही नही पा रहा था .... इसीलिय वो अपने जिम •

मे चला गया

काफी एक्ससरसाईज करने की बाद भी वो जब अपने आप को शांत नही कर पाया तो वो बाहर गार्डन मे के मंदिर में चला गया ...

जहा आस्था पहले से मंत्रो का जप कर रही थी .....

हाथ जोड़े .... आखें बंद किये ....

वो लगातार मंत्रोउच्चारण कर रही थी .... बिच बिच मे सिसक भी रही थी .....

उसकी गीली पलके इस बात की गवाही दे रही थी की वो कितनी रोयी हे .....

उसके ये आसू हमारी वजह से ही है ....

एकांश को ये फिल हुआ .... हमारी वजह से कोई रो रहा है ......

इस बात का गिल्ट उसे अंदर ही अंदर बहोत तडपा रहा था . हर रोज वो उसे सुबह मन्दिर मे देखता .... और हर बार आस्था के आसू उसका गिल्ट और बढ़ाते बेजान गुडिया की तरह आस्था का रहना .... काम करना ....

गार्डन मे बैठे हुये भी दूर कही एक टक देखना ....

एकांश की बेचैनी बढा रहे थे .... वो चाहकर भी अस्था के सामने नहीं जा पा रहा था .

उसने एक बार भी आस्था को मुस्कुराते हुये या फिर किसी से बात करते हुये नही देखा था .... यही वजह थी की एकांश भी खामोश हो गया ....

वो भी किसी से बात नहीं कर रहा था .. प्यार . कैसे हो सकता हे हमे .... आखिर दिया ही क्या है हमने उन्हे .... सिर्फ आंसू .. तकलीफ .... दर्द .... पर अब नही ....

लेकिन फिर वो सब क्या था .... जब दादासा ने उन्की तारीफ की तो क्यु हमे खुशी हुयी .... उनके लंबे बाल ..... खिंचते हे हमे उनकी और .

आस्था का हमे . कुँवरजी कहना और हमारा गुस्सा पल मे गायब हो गया .... जब डर से वो हमारी बाहों में चली आयी ....

तब पता नही पुरे बदन में किस तरह की हलचल हुयी .... ये पहली बार तो नहीं था की हम किसी के गले लगे है ....

फैमिली , फ्रेंड्स , रिलेटिव , और भी कार्पोरेट वर्ड मे हमने कितने बार फॉर्मल ) हग किये है ..

लेकिन ये फीलिंग आस्था के छूने से ही क्यु हुयी .... और कैसे हमने उन्हे शांत करने के लिये किस कर दी .....

वो भी तो शांत हो गयी .. क्या हे ये सब .... क्यु हो रहा हे ये सब ... लेकीन अब जो भी हो ....

हमे उन्हें सब कुछ देंगे ..... जो वो डिसर्व करती है ....

उन्हें इस काबिल बनायेंगे की अपनी लाइफ का हर डिसीजन वो ले सके .....

उन्हे इतना काबिल बनायेंगे की कोई भी उन्हें कुछ बोल नही पायेंगा ....

एकांश ने अपने आप से ही ये प्रोमिस किया और अपने कमरे की और बढ़ गया आस्था अभी भी सो रही थी ....

एकांश ने उसे देखा और उसकी जहन में आस्था की वो हरी खूबसूरत आखें आ गयी .....

इसी के साथ उसके होंठों पर प्यारी सी स्माइल .... वो चाहकर भी अपने आप को रोक नही पाया और धीरे से उसके सर पर हाथ रख दिया ....

उसके बिखरे हुये लंबे बालो को एक तरफ कर दिये .. मुस्कुराकर धीरे से कहा ..... आपसे ज्यादा तो आपके बालों का ही वेट हे ....

एकांश आस्था के करीब बढा ...... मोहर देने ही वाला था .... फिर कुछ सोचकर रुक गया ......

उसके माथे पर वो अपने लबों की आस्था ....

ये सच हे की आप हमारी पत्नी हे .... लेकिन ये सच तभी सबके सामने आयेंगा जब आप चाहेंगी .....

वो भी तब जब आप काबिल बन जायेंगी .... पढ़ लिखकर सक्सेसफुल हो और ये सब हासिल करने मे हम जायेंगी .. आपका साथ देंगे ..

आपके हमसफर बनकर .. एकांश ने कहा और उसके सर पर प्यार से हाथ फिराकर वहा से चला गया

😍😍😍😍

रात 8 बजे के आसपास आस्था को होश आया ..... अपने आप को अंजान कमरे मे पाकर आस्था घबरा गयी .... लेकिन जैसे ही उसने कमरे की खूबसूरती देखी बस देखते ही रह गयी ....

वो वहा की चीजो को छूकर देख रही थी और एकांश उसे .. आस्था की नजरे एकांश पर रुक लिया ... गयी ....

और उसने अपना सर झुका अपनी ओढनी को दोनो हाथो से पकडे हुये वो सर झुकाकर खडी थी ....

आप ठीक हे .... एकांश की प्यार भरी आवाज आस्था ने ना मे सर हिलाया क्या हुआ ....

एकांश परेशान होते हुये वो जब . पायी आग . आस्था बस इतना हि कह डरिये मत ....

अब सब ठीक हे .... एकांश

आस्था खामोश सर झुकाये खड़ी रही .. भूक लगी हे ....

एकांश आस्था ने हा मे सर हिलाया चलिये ....

सबके साथ खाते हे .... एकांश मे ... नही हम .... कमरे मे खाऊ .... प्लीज ..

आस्था

एकांश समझ रहा था की वो डर रही है ... उसने भी उसे थोडा टाईम देने की सोची .... ठीक है ....

आज आप आपके कमरे मे खा लिजिये ..

लेकिन कल से आप सबके साथ खायेगी .... और एक बात ... हर बार डरकर रहना सही नही हे ....

तो अपने अंदर से अपने डर को निकाल दो .....

एकांश आस्था वहा से बिना कुछ बोले जाने लगी आस्था ....

एकांश ने उसे आवाज दिया और आस्था वैसे ही उसकी और पीठ करे रुक गयी आप हमसे फ्रेंडशीप करेंगी ....

एकांश आस्था हमेशा की तरह खामोश रही ।

आप कल सोचकर जवाब दिजीये .... ' फिर से कहा एकांश ने

हम्म ... आस्था ने कहा और वहा से चली गयी ...

बाहर दाई माँ उसका इंतजार कर रही थी ... उन्होंने इसे कमरे में ले गयी .....

उसके लिये खाना पहले ही कमरे में आ चुका था ..

आस्था ने दाईमाँ की तरफ देखा इतना खाना .. आस्था

हा .... और आपको पुरा खाना है ....

कुँवरसा ने कहा है .... पुरा खत्म होना चाहिये ..... दाईमाँ

☹☹☹☹आस्था

ठीक हे .... कम से कम दो रोटियाँ तो खाईये .. और फिर आपको मेडिसिन भी लेनी हे ..... दाईमाँ

आस्था ने खाना खाया और मेडिसिन लेकर सो गयी .... लेकिन बार बार उसे सिर्फ एकांश का ही चेहरा दिखाई दे रहा था .....

काफी देर बाद नींद ने उसे अपने आघोश में ले लिया यही हाल एकांश का भी था ....

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Comment ... follow me ..... and ..... like nd share plzzzzzzz.... ......

और हाँ Plzz इग्नोर......... spelling mistakes plzzz

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड ह

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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