साथिया - 40 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 40












सांझ तैयार होकर अक्षत के आने का इंतजार करने लगी।

थोड़ी देर में अक्षत वहां आ पहुंचा और सांझ उसके साथ अक्षत के घर जाने के लिए निकल गई।



" अक्षत ने घर के आगे बाइक रोकी तो सांझ ने आँखे बड़ी कर उसे बड़े और आलीशान बंगले को देखा।


" आओ सांझ।" अक्षत ने कहा और सांझ की तरफ देखा

" मुझे डर लग रहा है जज साहब.. आप मुझे प्लीज वापस हॉस्टल छोड़ दीजिये। मैं फिर कभी आ जाऊंगी।" सांझ ने घबरा के कहा।


" डोन्ट वरी सांझ..! मेरे पेरेंट्स भी मेरे जैसे है।" अक्षत बोला और सांझ का हाथ थाम घर के अंदर आया


साधना और अरविंद हॉल में ही थे।।

मनु और ईशान बाहर गए हुए थे।

अक्षत ने सांझ को अरविंद और साधना से मिलवाया?

सांझ ने तुरंत दोनों के पैर छुए।

" नमस्ते अंकल.. नमस्ते ऑन्टी..!" सांझ ने कहा।


" खुश रहो बेटा..!" साधना बोली।


दोनों सांझ से मिलकर बेहद खुश हुए और थोड़ी बहुत औपचारिक बातचीत की। उसके बाद साधना सांझ से कुछ बातचीत करती रही।

सांझ को उन लोगों से मिलकर बहुत अच्छा लगा तो वही साधना और अरविंद को भी सांझ बहुत ज्यादा पसंद आई।

सांझ का डर अरविंद और साधना के मिलनसार व्यवहार और सादगी भरे व्यक्तित्व को देखकर जाता रहा।

सांझ से वो लोग उसकी पढाई लिखाई और घर परिवार के बारे में पूछते रहे और सांझ भी सब बताती रही।


सबसे से मिलने के बाद अक्षत सांझ को लेकर निकल गया और दोनों एक गार्डन में आकर बैठ गए।


"क्या हुआ आज इतना परेशान क्यों हो? " अक्षत ने पूछा।


"नहीं कुछ भी तो नहीं...!" सांझ ने बात टाल दी। वह नहीं चाहती थी कि अक्षत को कोई भी ऐसी कोई भी बात बताएं जो उसे परेशान करे और जिसका असर उसकी ट्रेनिंग और नौकरी पर आये।


"एक बात पूछूं जज साहब? " सांझ ने अचानक से सवाल किया। ।

"हां बोलो!" अक्षत ने स्माइल के साथ कहा।।

" आप इतने हैंडसम हो...!! इतनी अच्छी फैमिली को बिलोंग करते हो? कोई कमी नहीं है आपको...!! पढ़े लिखे हो गुड लुकिंग हो फिर आपने मुझे क्यों पसंद किया? मतलब मैं देखने में सामान्य हीं हूं, मेरी फैमिली के बारे में आपको कुछ ज्यादा पता नहीं है और आपकी एजुकेशन के आगे मेरी क्वालिफिकेशन भी कुछ ज्यादा खास नहीं है। और मैं दिखने में भी ज्यादा खूबसूरत नहीं हूं। फिर आपने मुझे क्यों पसंद किया मतलब कि आप को मुझ में क्या पसंद आया? " सांझ ने सवाल किया।



अक्षत ने मुस्करा के उसे देखा और उसकी हथेली थाम ली।

"कभी-कभी बाहरी खूबसूरती इतने मायने नहीं रखती है सांझ।

तुम्हारी आवाज सबसे पहले जब मैंने सुनी तो वो आवाज मेरे दिल में उतर गई थी। पता नहीं क्यों पर ऐसा हुआ था। और जब तुम्हें देखा तो तुम्हारा यह सादा सा चेहरा ही मुझे न जाने क्यों बहुत ही आकर्षक लगा। मेरे दिल में उतर गई तुम्हारी यह भोली सूरत और ये काली आँखे।

और रही बात कि तुम में मुझे क्या पसंद है तो तुम्हारा यह जो रंग है ना गेँहुआ मुझे यही पसंद है, क्योंकि मेरे घर में सब साफ रंग के हैं। देखा है ना तुमने मैं मम्मी पापा ईशान मनु हम सबका रंग एकदम फेयर है और इसीलिए तुम्हारा रंग मुझे बहुत ज्यादा आकर्षक लगा।

दूसरी बात तुम्हारे यह लंबे बाल मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छे लगते है इन्हे कभी कटवा के छोटे मत करना।" अक्षत ने उसके गाल को चूमती लट को छुकर कहा।


"तुम्हारी यह बड़ी-बड़ी काली आंखें मानो मुझे इन में डुबो लेती है और सबसे अच्छा पता है क्या लगता है मुझे? " अक्षत ने कहा तो सांझ ने पलके झपका कर उसकी तरफ देखा।

"तुम्हारा खूबसूरत दिल तुम्हारा व्यवहार...तुम्हारा सादगी और तुम्हारा भोलापन...!! इन सब ने ही तो मुझे अपना दीवाना बना दिया है और इतनी सारी खूबियां होने के बाद भी तुम्हें लगता है कि तुम में कुछ कमी है? मेरी आंखों से देखो सांझ तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत और सबसे प्यारी लड़की हो।" अक्षत ने कहा तो सांझ के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई।


थोड़ी देर एक दूजे के साथ समय बिताने के बाद अक्षत सांझ को हॉस्टल छोड़ने के लिए निकल गया।।

सांझ को हॉस्टल छोड़ फिर घर वापस आ गया। अगले हफ्ते उसे ट्रेनिंग के लिए जाना था और उसकी तैयारी जोर शोर से चल रही थी।।

" मम्मी आपको कैसी लगी? " अक्षत ने रसोई मे आकर साधना से पूछा।

" बहुत प्यारी है और मुझे ऐसी ही बहु चाहिए मेरे घर के लिए।" साधना ने कहा।

" थैंक्स मम्मी..!! और पापा? पापा को सही लगी?" अक्षत बोला।

" हाँ उन्हे भी उसकी सादगी बेहद भाई।" साधना ने अक्षत के गाल से हाथ लगाकर कहा तो अक्षत का चेहरा चमक उठा।



आज अक्षत के परिवार से मिलकर और सब की बातचीत से सांझ के मन से काफी कुछ टेंशन खत्म हो गई थी और जिस तरीके से उसे सौरभ ने में समझाया था और शालू भी जो हमेशा उससे कहती थी, उसने सोच लिया था कि वह अपनी जिंदगी का फैसला खुद करेगी। और किसी को मौका नहीं देगी उसके बारे में निर्णय लेने का। और अब वह अक्षत के बारे में चाचा चाची को कभी भी नहीं बताएगी। जब तक शादी नहीं हो जाती वो किसी को नही बतायेगी और उसके बाद भी कभी भी वापस गांव नहीं जाएगी।

अक्षत के साथ इतनी बात होने और अपने निर्णय के बारे में सोचकर सांझ के मन में एक हल्का हल्कापन आ गया था और वह वापस से अपने डेली रूटीन में आ गई।

नियति की बात धीमे-धीमे उसके दिमाग से निकल गई।


अक्षत जाने वाला है इस बात का पता चलते ही नील उससे मिलने आया और हमेशा की तरह जब हॉल में आया तो साधना ने उसे कमरे में जाने का बोल दिया।


नील अक्षत के कमरे की तरफ जा रहा था कि तभी नजर बीच में आने वाले मनु के कमरे पर गई और ना चाहते हुए भी नील के कदम वहां ठहर गए।

दरवाजा हल्का खुला हुआ था और अंदर मनु बेड पर सो रही थी।

नील की नजर उसके चेहरे पर ठहर गई।

हवा से उड़ते बाल उसके चेहरे पर झूल रहे थे।


"जितना कोशिश करता हूं तुमसे दूर रहूंगा तुम से मतलब नहीं रखूंगा। उतना ही ना जाने क्यों दिल तुम्हारी तरफ खिंचा चला आता है। समझ नहीं आता कि कैसे समझाऊं तुम्हे कि मै तुमसे मोहब्बत करता हूँ

पहले मुझे एहसास नहीं था मानसी जब मैं कॉलेज में था कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। और फिर रिया भी हर समय हम दोनों के बीच खड़ी रहती थी। जबसे कॉलेज छोड़ा है तब तो समझ में आ गया है हाँ मुझे तुमसे प्यार था और अभी भी है और शायद हमेशा रहेगा ।


कभी-कभी इंसान सामने होता है तब हमें उसकी वैल्यू नहीं होती पर जब हम उससे दूर हो जाते हैं तब हमें उसकी इंपोर्टेंस समझ में आती है। वही मेरे साथ हुआ है।

जब तुम्हारे साथ कॉलेज में था तो कभी तुम्हारी अहमियत समझ में नहीं आई। हर समय बस रिया के साथ रहता था और जब कॉलेज छोड़ दिया तब समझ में आया कि तुम्हारे बिना रहना मेरे लिए आसान नहीं था। पर कहूँ भी तो अपने दिल की बात कैसे कहूं तुमसे ?

अभी भी तुम्हारी बातें भुला तो नहीं हूँ। तुम उस दिन भी रिया से कह रही थी कि अगर दुनिया मैं आखिरी लड़का भी हुआ तब भी तो मुझसे शादी नहीं करोगी..!!


ऐसी क्या प्रॉब्लम है तुम्हें मुझ से मानसी कि तुमने इतनी बड़ी बात कह दी कि अगर दुनिया का मै आखिरी लड़का भी होऊंगा तब भी तुम मेरे साथ शादी करना चाहोगी।

हो सकता है तुम्हें मैं पसंद नहीं हूं और जहां बात पसंद की हो या आपसी सहमति की हो वहां कभी भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। इसीलिए मैंने आज तक तुमसे कोई बात नहीं की और आगे भी नहीं करूंगा। कभी भी तुम्हारे लिए कोई प्रॉब्लम नहीं करूँगा।" नील ने कहा और फिर गहरी सांस लेकर आगे बढ़ गया

नील के आगे बढ़ते हुए मनु ने आंखें खोल दी


नील की आंखों की तपिश उसे अपने ऊपर महसूस हो रही थी वही आंखें बंद किए थे बाकी उसकी नींद पहले ही खुल चुकी थी ।



" तुम यहां क्यों खड़े थे? क्यों देख रहे थे तुम मुझे ? जब तुम्हारा उस रिया के साथ इतना गहरा रिश्ता है फिर क्यों मेरी तरफ हर बार झुक जाते हो?
मुझे भी समझ में आता है कि तुम्हारा झुकाव मेरी तरह है यह तुम्हारा आकर्षण है या ...??

जो भी हो मुझे नहीं पता पर तुम्हारे और रिया के बारे में इतना कुछ जानने के बाद मैं तुम्हारे बारे में कैसे सोच सकती हूं?

जानती हूं कि मेरा प्यार हमेशा एक तरफा था और एक तरफा ही रहेगा। तुम्हें जाने कब से पसंद करने लगी थी पर अब यह जानते हुए भी कि तुम रिया के साथ अपने रिश्ते में इतना आगे बढ़ गए हो मेरा तुमसे दूर रहना ही बेहतर है।

इसलिए हमेशा तुमसे दूर रहतीं हूँ पर तुम बार-बार क्यों मेरी तरफ झुके चले आते हो।

अगर रिया को पता चल गया तो तुम दोनों के रिश्ते में बेवजह ही प्रॉब्लम आ जाएगी और यह इल्जाम मे अपने सिर पर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी कि मेरे कारण तुम दोनों का रिश्ता खत्म हो या खराब हो।" मनु ने खुद से ही कहा और फिर उठकर दरवाजा बंद कर लिया।


क्रमश:


डॉ. शैलजा श्रीवास्तव