भारत में एक से बढ़कर एक एतिहासिक किले हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं।
दरअसल, पहले राजा-महाराजा किलों का निर्माण अपनी और अपने राज्य की सुरक्षा के लिए करते थे।
देश में ऐसे कई किले हैं, जो सैकड़ों सालों से वैसे के वैसे ही खड़े हैं, जैसे पहले थे।
क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे पुराना किला कौन सा है और कहां है?
चलिए मैं बताता हूँ - पंजाब के बठिंडा मे स्थित छोटी छोटी ईंटों से बना सम्राट कनिष्क के द्वारा निर्मित प्राचीन किला जिसका नाम है - किला मुबारक
इसे भारत में राष्ट्रीय महत्व का स्थापत्य होने का दर्जा प्राप्त है। इस किले का रख-रखाव भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के जिम्मे है। किला मुबारक को ईंट का सबसे पुराना और ऊंचा किला माना जाता है।
करीब साढ़े 14 एकड़ में फैले इस किले का इतिहास बहुत ही पुराना है। कहते हैं कि सन् 1239 में इसी किले में महिला शासिका रजिया सुल्तान या सुल्ताना को उनके ही सेवक अल्तुनिया ने बंदी बना लिया था।
दरअसल, रजिया सुल्ताना मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास की पहली महिला शासक थीं। इसी वजह से इस किले को रजिया सुल्तान किला के नाम से भी जाना जाता है।
इसके अलावा इसके और भी कई नाम हैं, जैसे बठिंडा किला, गोविंदघर, बकरामघर आदि।
इस किले के अंदर एक गुरुद्वारा भी बना है, जिसे पटियाला के महाराजा करम सिंह ने बनवाया था। सिखों के गुरु नानक देव, गुरु तेगबहादुर भी इस किले में आ चुके हैं। इनके अलावा सिखों के दसवें गुरु श्रीगुरुगोविंद सिंह जी भी वर्ष 1705 में यहां आए थे।
कहते हैं कि एक बार मुगल शासक बाबर अपने साथ कुछ तोपें लेकर इस किले में आया था, जिनमें से चार तोपें यहां अभी भी मौजूद हैं।
इस किले में कुषाण काल की ईटें पाई गई हैं। कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। सम्राट कनिष्क भी कुषाण वंश के ही थे, जिनका राज भारत और मध्य एशिया के कई भागों पर था।
माना जाता है कि इस किले का मूल निर्माण कनिष्क (78 ईसा पूर्व से 44 ई.) और राजा दाब ने ही किया था। हालांकि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि किले का निर्माण किसने करवाया था।
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि भाटी राजपूत राजा बीनपाल ने इस किले का निर्माण लगभग 1800 साल पहले करवाया था।
यह हमारे भारत देश के पंजाब राज्य की सबसे पुरानी संरचनाओं मे प्रमुख और एक राजशाही अनुभव प्राप्त करवाने वाला किला है।
कहते है सभी किलो में से सबसे ऊँचा किला है। हालांकि हमारे प्रयागराज मे मेजा मे स्थित एक जर्जर किला, जिसका इतिहास ही ज्ञात नहीं वो जर्जर हो कर भी इससे ऊंचा है।
किन्तु हम आज सिर्फ बात करेंगे, पंजाब के बठिंडा स्थित किला मुबारक की....
इसकी बनावट नन्ही नन्ही ईंटों से सम्राट कनिष्क ने करवाया है। आपको बता दे की उसकी ऊंचाई तक़रीबन 118 फीट है। उसके अंदर प्रवेश करते ही दो गुरुद्वारे मौजूद है।
ये माना जाता है कि राजपूत राजा भुट्टा ने बठिंडा शहर को लखी जंगल में तीसरी सदी में स्थापित किया था। तब दो किले बठिंडा और भटनेर का निर्माण राजपूत भाटी राजाओं ने करवाया था फिर भटिंडा शहर को बराहो नें हडप लिया था।
बाल राओ भट्टी नें फिर इसे 965 ई. में हासिल किया और तब इसका नाम बठिंडा पड़ा (उन्हीं के नाम पर)। यह राजा जयपाल की राजधानी भी रही है।
1004 ई. में गजनी के महमूद नें जयपाल से किला छीन लिया। फिर मुहमद गोरी नें हमला किया और बठिंडा का किला गजनी छीन लिया।फिर राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान नें 13 महीनों के बाद तगडी लडाई के पश्चात इसे फिर से जीता।
दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह इस किले में 1705 के जून माह में आए थे और इस जगह की सलामती और खुशहाली के लिए प्रार्थना की थी।
पटियाला राज्य के महाराजा आला सिंह ने इस किले को 1754 में अपनी अधीन कर लिया था।
और इस किले का नाम गोविन्दघर कर दिया गया। लेकिन जल्द ही इस जगह को बकरामघर के नाम से बुलाने जाने लगा।
इस किले के सबसे ऊपर गुरूद्वारे का निर्माण करवाया गया है। इस गुरूद्वारे का निर्माण पटियाला के महाराजा करम सिंह ने करवाया था।
प्रथम महिला शासिका रजिया की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि रज़िया सुल्तान को बंदी बनाये रखने के लिए किले को एक नया रूप दिया और सजाया गया था। वह आज भी मौजूद है।
रजिया सुल्तान के प्रेमी याकूत को मारकर इस किले में पहली महिला शासिका रजिया सुल्तान को 1239 ई. में उसके गर्वनर अल्तुनिया ने कैद कर लिया था।
कहा जाता है रजिया पुरुषों की तरह कपड़े पहनती थीं और खुले दरबार में बैठती थीं।
दिल्ली सल्तनत में गुलाम याकूत के साथ रजिया के संबंध बढ़ने लगे। रजिया सुल्तान ने उसे अपना निजी सलाहकार बना लिया।
गुलाम याकूत से उसकी प्रेम कहानी और महिला शासक होने के कारण तुर्क उनके दुश्मन हो गए। इन दुश्मनों में उनके बचपन का दोस्त बठिंडा का गवर्नर मलिक अल्तुनिया भी शामिल था।
याकूत तुर्क नहीं था इसलिए उसके प्रति रजिया के प्रेम को देखकर तुर्क विद्रोही हो गए और मल्लिका को सल्तनत से बेदखल करने के लिए षड्यंत्र में लग गए।
अल्तुनिया ने रजिया की सत्ता को स्वीकारने से इनकार किया। उसके और रजिया के बीच युद्ध शुरू हो गया। युद्ध में याकूत मारा गया और रजिया को अल्तुनिया ने बठिंडा के इसी किले में कैद कर लिया।
यहां आप सोमवार को छोड़ कर अन्य किसी दिन भी घूमने आ सकते है।
इसके लिए आपको कोई टिकट नहीं लेना, ना ही किसी प्रकार का शुल्क देना पड़ेगा।
आपको यहाँ पहुँचने के लिए माध्यम भी बता दूँ तो आने मे असुविधा नहीं होगी।
किला मुबारक भटिंडा पहुचें के मार्ग –
1-सड़क मार्ग से बठिंडा पहुचें -
वैसे तो बठिंडा जिला पंजाब का सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक है। इसीलिए पंजाब के सभी मुख्य शहरों के सड़क मार्ग से जुडा हुआ है।
सिर्फ इतना ही नहीं पुरे भारत देश के कई हिस्सो से बस, रेलवे को जोड़ा गया है।आप बस, टेक्सी या किसी प्रायवेट वाहन से किला मुबारक बठिंडा की सफर एकदम आसानी सेकर सकते है।
बठिंडा नगर के लिए लुधियाना, अमृतसर, पटियाला जैसे मुख्य शहरों से हररोज बसे भी चलाई जाती है। उसमे कोई भी व्यक्ति आसानी से सफर करके बठिंडा जा सकता है।
2-ट्रेन से बठिंडा पहुचें –
भटिंडा शहर का खुद का रेलवे स्टेशन है। और इतना ही नहीं इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे जंक्शनों से जोड़ा गया है। और सुपर फ़ास्ट एव कई एक्सप्रेस ट्रेन उसके लिए चलाई जाती है। कई मुख्य राज्य से उनका कनेक्शन जुड़ा है।
रेलवे जंक्शन पर उतरके स्थानीय साधन की सहायता से आप किला मुबारक जा सकते है।
3-हवाई मार्ग से बठिंडा केसे पहुचें –
अगर आप बहुत दूर से बठिंडा मुबारक फोर्ट को देखने आते है तो फ्लाइट का सहारा लेना पड़ेगा। आपको बता दे कि बठिंडा के लिए कोई सीधा कनेक्शन नहीं है।
किन्तु आपको चंडीगढ़ आना पड़ेगा और यह बठिंडा का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।
यह बठिंडा से करीब 145 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। चंडीगढ़ भारत के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
चंडीगढ़ उतर के आपको कोई भी वाहन से किला मुबारक बठिंडा पहुंच सकते है।
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✍🏻संदीप सिंह (ईशू)