ए.पी.जे. अब्दुल कलाम संदीप सिंह (ईशू) द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथी पर विशेष...
आज हम 🇮🇳 देशवासियों के बेहद प्रिय
#भारत_रत्न, #मिसाइलमैन व #जनप्रिय_राष्ट्रपति
स्व. एपीजे अब्दुल कलाम जी
को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन ।
🇮🇳 🇮🇳
संदीप सिंह (ईशू)

जनसाधारण और आम भारतीय जनमानस के हृदय में बसने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जिनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था।


जिनका जन्म पिता जैनुल्लाब्दीन और आशियम्मा के घर 15 अक्टूबर 1931 (रामेश्वरम्, तमिलनाडु, भारत) मे हुआ ।
इनके माता पिता तमिल मुस्लिम थे, और निर्धन थे।
ये बचपन से ही बड़े मेधावी थे।


अपने शुरुआती समय में ही कलाम ने अपने परिवार की आर्थिक मदद करनी शुरु कर दी थी।

उन्होंने 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ़ कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन और 1960 में चेन्नई के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉज़ी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ीई पूरी की।
एक गरीब परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने कभी-भी अपनी पढ़ाई को नहीं रोका।


डॉ कलाम का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण था हालांकि भारत की नयी पीढ़ी के लिये वो प्रेरणा स्वरुप हैं। वो ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को एक विकसित देश बनाने का सपना देखा था। जिसके लिये उन्होंने कहा कि “आपके सपने के सच हो सकने के पहले आपको सपना देखना है”।


उड़ान मे उनकी विशेष रुचि थी अतः एक वैमानिकी इंजीनियर होने के अपने सपने को पूरा करने के लिये कठिन परिश्रम, अथक प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें सक्षम बनाया।


कलाम ने एक वैज्ञानिक के तौर पर डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) में कार्य किया जहाँ उन्होंने भारतीय सेना के लिये एक छोटा हेलिकॉप्टर डिज़ाइन किया। उन्होंने ‘इन्कोस्पार’ कमेटी के एक भाग के रुप में डॉ विक्रमसाराभाई के अधीन भी कार्य किया।

बाद में, कलाम साहब भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र SLV-III (एसएलवी-तृतीय) के प्रोजेक्ट निदेशक के रुप में 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़ गये।

भारत में बैलिस्टिक मिसाइल के विकास के लिये दिये गये अपने महान योगदान के कारण वो हमेशा के लिये “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में जाने जायेंगे।

1998 के सफल पोखरन-द्वितीय परमाणु परीक्षण में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


डॉ कलाम ने गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम के मुख्य कार्यकारी के रुप में भी कार्य किया जिसमें मिसाइलों के एक कंपन के एक साथ होने वाले विकास शामिल थे।


वो पूरे भारत भर मे ही नहीं वरन विश्व में भी “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में जाने जाते हैं क्योंकि बैलिस्टिक मिसाइल और स्पेस रॉकेट टेक्नोलॉजी के विकास में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया है।

देश में रक्षा टेक्नोलॉजी के विकास के पीछे वो संचालक शक्ति थे। उनके महान योगदान ने भारत को परमाणु राष्ट्रों के समूह में खड़ा होने का मौका दिया।


कलाम साहब जनसाधारण में डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के रुप में जाने जाते हैं। वो भारतीय लोगों के दिलों में “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के रुप में हमेशा जावित रहेंगे। वास्तव में वो एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने बहुत सारे आविष्कार किये।

“जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरे करके ही रहते हैं चाहे उसके लिए जिस भी परिस्थिति का सामना करना पड़े।“


उनके यह विचार आज भी देश के लोगों को प्रेरित करते हैं। देश के युवा पीढ़ी के वे सबसे प्रिय व्यक्ति थे।
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानि “भारत रत्न” से सम्मानित कलाम जी बहुत ही सीधे, सरल और जमीन से जुड़े इंसान थे।


उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के हित के लिए समर्पित किया। उनकी ईमानदारी और कर्मठता उनकी सच्ची पहचान हैं।
जमीन से उठकर आसमान की ऊंचाइयों तक पहुँचने की उनकी कहानी आज के युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है।


दुनिया में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को आज सबसे सफल संस्थान का दर्जा प्राप्त हैं। इसरो को इस मुकाम तक पहुचानें में कलाम जी का बड़ा योगदान रहा हैं।

भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में 18 जुलाई 2002 को ए. पी. जे. अब्दुल कलाम निर्वाचित हुए।

भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया था और नब्बे प्रतिशत की भारी बहुमत के साथ उन्हे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। चुनाव के सात दिन बाद 25 जुलाई 2002 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथग्रहण की।


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद कलाम जी एकमेव ऐसे राष्ट्रपति बने जिनकी किसी भी प्रकार की राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। देश के राष्ट्रपति चुनने के बाद उन्होंने कभी इस पद का गलत इस्तमल नहीं किया।


वे हमेशा ही देश के हित के बारे में सोचते रहे। यहाँ तक की जब उन्होंने अपने परिवार के 52 सदस्यों को दिल्ली आमंत्रित किया तो उनके आठ दिन राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने का तीन लाख बावन हजार का खर्चा उन्होंने अपने जेब से दिया था।


कलाम जी व्यक्तिगत तौर पर एक अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे। वे जीवनभर शाकाहारी थे। ऐसा कहा जाता हैं की वे कुरान और भगवत गीत इन दोनों धर्मग्रंथों का अध्ययन करते थे। तिरुक्कुरल (तमिल भाषा में लिखित एक महान नीतिशास्त्र की रचना) का अनुसरण करने का उल्लेख कलाम जी ने कई स्थानों पर किया हैं।


अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत अपनी भूमिका बदलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाये ऐसी राजनैतिक चाहत वे रखते थे। उनकी सबसे जादा लोकप्रियता युवा और बच्चों में थी, सही मायनों मे बच्चों और युवाओं के प्रिय चाचा कहा जा सकता है कलाम जी को ।


उनका आचरण सभी लोगों के साथ बड़ा स्नेहपूर्वक रहता चाहे वो इंसान कोई भी हो।
आपको यह बाते शायद पता ना हो या ध्यान ना हो किन्तु आशा करता हूँ कलाम साहब की ये निम्नांकित उपलब्धियां आपको और बच्चों को प्रेरित करेंगी......


भारत सरकार द्वारा कलाम जी के इसरो और डीआरडीओ में किए काम के सम्मान में पद्म भूषण और पद्म विभूषण इन पुरस्कारों से उन्हे क्रमश साल 1981 और 1990 में नवाजा गया।


भारत का सर्वोच्च नागरी सम्मान भारत रत्न साल 1997 मे कलाम जी को प्रदान किया गया।


साल 2005 में कलाम जी के स्विट्ज़रलैंड आगमन के अवसर पर स्विट्ज़रलैंड सरकार ने 26 मई को विज्ञान दिवस मनाने की घोषणा की।


संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम जी के 79 वें जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप मे मनाया गया।


कलाम जी को ४० से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।


27 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी ने ट्वीट कर ये बताया की वे शिलोंग के IIM में व्याख्यान देने जा रहे हैं। व्याख्यान का विषय था, “रहने योग्य ग्रह”।

उसी शाम को जब कलाम जी लोगों के सामने व्याख्यान दे रहे थे तब बीच में ही उन्हे दिल का दौरा (Cardiac Arrest) हुआ जिसको वजह से वे बेहोश होकर गिर पड़े।


तुरंत ही उनको शाम के लगभग 6:30 बजे बेथानी अस्पताल की आई सी यू में लाया गया समय था। लेकिन दो घंटे बाद उनके मृत्यु की घोषणा कर दी गयी।

अस्पताल में लाते वक्त ही उनके नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे ऐसा अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया। मेघालय के राज्यपाल वी. षड़मुखलाल जो कलाम जी के अस्पताल में भरती होने की खबर सुनकर तुरंत वहाँ पहुँच गए थे।

उन्होंने बताया की चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद भी शाम 7:45 पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी का निधन हो गया।
मृत्यु के बाद उनके पार्थिव को शिलोंग से गुहावटी और वहाँ से दिल्ली लाया गया, यहाँ पूरे राजकीय सम्मान में सुरक्षा बलों ने उनके पार्थिव की विमान से उतारा।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरिवाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम जी के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये।

इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके आवास 10 राजाजी मार्ग में तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव को एक गन कैरिज में रखा गया। जहाँ पर अनेक गणमान्य लोगों ने उन्हे श्रद्धांजलि दी। यहाँ से उनके पार्थिव शरीर को उनके गाँव रामेश्वरम में अंतिम दर्शन के लिए बस स्टेशन के खुले क्षेत्र में रखा गया।


रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में 30 जुलाई 2015 को हमारे प्रिय पूर्व राष्ट्रपति को बड़े सम्मान के साथ दफनाया गया।


उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री सहित कई मान्यवर और 350000 से भी जादा लोग उनका अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे।
पूर्व राष्ट्रपति के निधन के मौके पर सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा भारत सरकार ने उनके सम्मान के रूप में की। भारत तथा दुनिया के कई अन्य राष्ट्र के मान्यवर लोगों ने उनको श्रद्धांजलि दी।


ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी ने अपने विचारों को अपनी लेखनी में संग्रहीत किया जिनको पढ़कर आपको उन्हे समजने में सहायता मिलेगी।

उनका जीवन अधिक व्यस्त था लेकीन उन्होंने खुद को कभी भी किताबों से अलग नहीं होने दिया। अपने जीवन में उन्होंने कुल 34 किताबे लिखी। जिनमे मुख्यतः


विंग्स ऑफ फायर (Wings of Fire), इग्नाइटेड माइन्डस (Ignited Minds), इण्डोमिटबल स्पिरिट (Indomitable Spirit), इंडिया 2020 (India 2020), माइ जर्नी (My Journey) और टर्निंग पॉइंट्स (Turning Points) आदि है ।

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"यद्यपि मैंने प्रयास किया है कि भारत के अनमोल रत्न आदरणीय कलाम साहब के विषय मे जानकारी प्रस्तुत करूं किंतु शब्दों के चयन और अनेक शोधों के बावजूद यदि मेरे लेख मे कोई त्रुटि हो तो मैं हृदय तल से क्षमाप्रार्थी हूँ।
आपको यह लेख कैसा लगा कृपया समीक्षा के माध्यम से अवगत अवश्य कराएं।"


✍🏼संदीप सिंह (ईशू)