प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २२ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २२

कोर्ट पहुंचने के बाद हिना ने सबसे पहले राज को फोन किया पर राज का सुईच आफ़ जा रहा था।

राज अपनी धुन में गाड़ी स्पीड बढ़ा कर चला रहा था।
और फिर कुछ देर बाद ही गाड़ी रोक दी क्योंकि सामने सुनील था।
ओय होय यारा! राज ने कहा अरे सुनील तुम?
सुनील ने कहा हां मैं।
राज ने कहा
तुम इंडिया कब वापस आएं।
सुनील ने कहा अरे बाबा तुम्हारे लिए आया हूं!
राज ने हंसते हुए कहा आदत नहीं बदली!

सुनील ने कहा अच्छा अब घर चलें?
राज ने कहा हां, ठीक है चल पर एक बात है जो तुझे नहीं बताया।
सुनील ने कहा हां,बोल क्या हुआ?
हिना ने तो शादी कर लिया ना?
राज ने कहा हां,पर वो मेरे बड़े भाई अमर की विधवा है।
सुनील ने कहा ओह माई गॉड! ये क्या खेल खेला भगवान ने।।

राज ने कहा अब जाने दो घर में किसी को नहीं पता है मेरे और हिना के बारे में।।
सुनील ने कहा पर तू क्या करना चाहता है शादी भी नहीं किया तूने!
राज ने कहा नहीं कर सकता हूं।।
और हिना को सामने रोज देखता है और क्या! यह बात सुनील ने कहा।
फिर दोनों गाड़ी में बैठ गए और घर की तरफ गाड़ी मोड़ दिया।
उधर हिना को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।
किसी तरह से वो अदालत में चुनौती का सामना करने के बाद थकी हारी घर पहुंची।
सब बैठ हंसी मजाक कर रहे थे सुनील सबको हंसाने में लगा हुआ था।
हिना अपने कदमों को धीरे-धीरे रखते हुए अन्दर प्रवेश किया और फिर बोली अरे मम्मी जी आप सब।।
आभा ने कहा हां, बेटा ये है सुनील राज का बचपन का दोस्त।।
सुनील ने देखते ही खड़ा हो गया और फिर बोला भाभी जी कैसी है?
हिना ने कहा हां, मैं ठीक हूं।
सुनील ने कहा आइए यहां बैठकर बातें करें।
हिना ने कहा नहीं थोड़ी सी थकावट है मैं आराम कर लूं। ये कहते हुए नजर चारों तरफ घुमाईं पर राज नहीं दिखा।
तभी आवाज आई गर्मागर्म अदरक वाली चाय हाजिर है ये आवाज़ राज कि थी।
हिना बस गुस्से में थी तो वो बिना देखे जा ही रही थी कि राज ने चाय का प्याला हिना ने पकड़ा दिया और बोला अरे चाय से कैसी नाराजगी।
हिना ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों से राज को घुरने लगी और फिर बोली शुक्रिया।
हिना ने चाय की शीप लिया और फिर बोली वाह क्या चाय बनी है।।
राज ने कहा क्या बोला?
हिना ने कहा कुछ नहीं मैं फ्रेश हो कर आती हूं।

हिना चाय पीते हुए ऊपर चली गई।
परिणिति को सुनील के जोक्स बहुत पसंद आ रहे थे।
फिर सब चाय पी लिए।
सुनील ने धीरे से कहा अबे इन्तजार जिसका हो रहा है वो तो आई नहीं।
राज ने कहा हां हमेशा का नाटक है।
सुनील ने कहा चल मुवी देखने चले।
राज ने कहा हां,नाइट शो।
सुनील ने कहा हां ठीक है पर नींद।
राज ने कहा नींद कमबख्त कहां आती है?
पारो ने कहा मुझे भी जाना है।
सुनील ने कहा ठीक है, भाभी भी।
राज ने कहा अरे नहीं वो नहीं जाने वाली।
फिर सब डिनर करने बैठ गए पर हिना नहीं आई।
मालती ऊपर गईं हिना को बुलाने तो देखा कि हिना सो चुकी थी।
सब खाना खाने बैठ गए थे।
राज ने कहा हम मुवी देखने जा रहे हैं।
मिनल मासी ने कहा पर परी तू मत जा।
परी ने कहा पर क्यों बुआ।
आभा ने कहा अरे जाने दो इसे भी।
फिर सब हंसने लगे।
कुछ देर बाद मालती ने आकर कहा कि हिना मैडम सो गई।
राज ने मन में कहा रोज का नाटक है।
और चढ़ाओ सर पर,जब बीमार पड़ जाएगी तो बोलेंगी कि खाना नहीं देते थे।
राज को गुस्सा आ रहा था। सुनील ये सब समझ रहा था।
फिर खाना खाने के बाद तीनों तैयार हो कर निकल गए।


मुवी देखने के बाद तीनों वापस घर आ रहे थे।
पारो ने कहा अरे बाबा रे दो बज रहा है।
सुनील ने कहा हां तो क्या हुआ डर लग रहा है।
परी ने कहा नहीं मुझे डर नहीं लगता है।

घर पहुंचकर सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
राज का दिल नहीं मान रहा था वो बस एक बार हिना को देखना चाहता था।
और फिर जब राज हिना के रूम के बाहर पहुंचा तो देखा कि कुछ आवाजें आ रही थी।।
राज अन्दर पहुंच गए और फिर देखा तो हिना सोते हुए रो रही थी और वो बोल रही थी कि बस मुझे और सहन नहीं होता है मुझे यहां कोई प्यार नहीं करता है सब अपने में रहते हैं बस।। मुझे किस के सहारे छोड़ गए अमर! क्या वादा किया था आपने कि मेरा खोया हुआ प्यार मुझे वापस देंगे।।
क्यों।।
को! ऊं ऊं ऊं ऊं।
राज इतना सुनने के बाद वहां से चला गया और फिर अपने कमरे में जाकर खुद को तकलीफ़ देने लगा।।
क्या करूं मैं ऐसा तो वो खुश रहें।मैं उसको रोते हुए नहीं देख सकता हूं।।

फिर कब आंख लग गई थी और जब सुबह हुई तो पता चला कि बहुत देर हो गई थी।
ओह माई गॉड इतना लेट हो गया।

जल्दी से नहाने बाथरूम गया और फिर तैयार हो कर नीचे पहुंच गया तो देखा कि महफिल जमी हुई थी।
सब लोग बैठे हुए थे और सुनील सबको कुछ न कुछ करवा रहा था।
अब हिना भाभी की बारी है।।
सुनील ने कहा।
हिना ने कहा हां ठीक है कुछ बोलती हुं।।
हिना ने अपने अंदाज में बयान किया।
जानते हो... जब प्रेम हुआ था तुमसे
तो अलग ही धुन में रहती थी
संगीत के जैसे सातों सुर बज उठते हों
मस्तिष्क में ,मन मयूर सा नृत्य करता हो
मन में अंजान तरंगों की लहरे उठती हो
जैसे एक अलग ही भाव उत्पन हो मन में
हर क्षण उत्साहित,चहकती रहती थी
पर जाने क्यों ?
तुम्हारे आने पर मौन धारण कर लेती थी
अधरों से तो कुछ बोल ना पाती थी
किंतु ये मेरा प्रेम से भरा ह्रदय सबकुछ
नयनों से कह जाता था
कितना मुश्किल था खुद को और अपने
प्रेम को बिखरने से पहले सम्हाल लेना
जाने किस धुन में रहती थी मैं तो
तेरे मीठे शब्दो के पीछे का सच
जरा भी ना देख पाती थी मैं तो....🍁
🖤🍁🖤
स्मृतियां।।

सबने तालियां बजाकर खुशी जाहिर किया।
सुनील ने कहा वाह क्या बात है।
राज पीछे से आकर बैठ गया।
सुनील ने कहा अरे वाह क्या बात है राज अब तेरी बारी है।।

राज ने कहा अरे मुझे बक्श दो।
क्रमशः