थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 4 Jitin Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 4

ग्रेजुएशन की सेकंड ईयर


फर्स्ट ईयर पास करके जब हम दोनों सेकंड ईयर की फिजिक्स पढ़ने के लिए कोचिंग क्लास में मिलें। तो हमारे बीच कोई भी गीले शिकवे नहीं थे। हम पहले की तरह ही बात करने लगे थे। लेकिन जो चीज़ हमारे बीच आ गई थी। वो थी। अमन शर्मा

अमन शर्मा की हम दोनों से बढ़ती नज़दीकी में, मैं दुनियाभर की कोशिशें करता था। कि इस बंदे को हम दोनों के बीच ना आने दूँ। पर मेरी लाख कोशिश के बाद भी वो हमारे बीच आने से नहीं रुका। जिसका सीधा सा मतलब था। रुचि उसे निमंत्रण देती थी। खुद से बात करने के लिए….हद थी यार, पिछले एक साल से लेकर अब तक मुझे रुचि के साथ केवल अच्छी और समझदारी भरी बातें करने की ही इज़ाज़त थी। पर अमन को तो रुचि ने दूसरी ही मुलाकात में खुद को छूने का अधिकार दे दिया था। वो कभी उसका हाथ पकड़ता था। तो कभी उसके गाल पर हाथ मरता था। और उसके ऐसा करने पर वो हँसती थी। जैसे वो चाहती हो कि अमन दोबार ऐसा करें।

क्रिसमस तक वक़्त यूँ ही गुजरता चला गया था। रुचि को उसके साथ ज्यादा अच्छा लगने लगा था। इसलिए उसने मुझसे मिलना छोड़ दिया था। मैं ही कभी उसे अकेला देखकर मिलने जाता था। पर वो मेरे प्रति पूरी तरह उदासीन हो गई थी। बातों का दायरा सिलेबस से भी घटकर चुप्पियों की तरफ बढ़ चुका था। मैं अपने मन में अमन की लिए नफरत लेकर घूमने लगा था। पर नफरत से ज्यादा गुस्सा मुझे रुचि पर आता था।

फिर आया वो एक जनवरी का दिन, जिसे दुनिया के ज्यादातर देश नए साल के रूप में जानते हैं। उस दिन मुझे अमन के एक दोस्त से पता चला था कि रुचि ने अपना नम्बर अमन को दे दिया हैं। इस बात को सुनकर तो जैसे मेरी दुनिया ही पलट गई। क्योंकि मुझे लगता था। रुचि उसे ही अपना नम्बर देगी। जिसे वो प्यार करेगी। पर वो अमन से प्यार करती थी। ये बात मुझे नासूर की तरह चुभ रही थी। इसलिए मैंने गुस्से में जाकर अमन का कॉलर पकड़ लिया और उससे बोला,’ तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे प्यार को मुझसे छीनने की’

पर जैसे वो इस बात के लिए पहले से ही तैयार था। उसने अपने दो दोस्तों के साथ मुझे पीटना शुरू कर दिया। जिनमें एक दोस्त वो भी था। जिसने थोड़ी देर पहले मुझे रुचि के नंबर देने की खबर दी थी। लड़ाई चल ही रही थी। कि रुचि बीच में आ गई। और उसने आते ही एक बार फिर बिना मेरी कोई बात सुने। मुझ पर हाथ उठा दिया। पर इस बार वो एक थप्पड़ पर नहीं रुकी। उसके हाथ तब तक चलते रहे। जब तक अमन ने उसे नहीं पकड़ा। वो चीख-चीख कर मुझसे कहती रही कि मेरे सामने से चले जाओ और मुझे दोबारा कभी मत मिलना और उस दिन के बाद से मैं रुचि से अब तक नहीं मिला। बस इस बार ये अच्छी बात थी। ये हादसा सड़क पर ना होकर कमरे में था। इसलिए मैं समाज सेवियों से पीटने से बच गया था।

मैं कई बार सोचता हूँ। मुझे रुचि से एक बार और कहना चाहिए था। कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। शायद वो मेरे पास लौटकर आ जाती। पर मैं नहीं कह पाया। पिछले डेढ़ महीने में मुझे उसकी कई बार याद आयी हैं। पर हाँ मैं याद करते हुए उसे अभी तक रात भर नहीं जागा।