गलती : द मिस्टेक  भाग 50 prashant sharma ashk द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गलती : द मिस्टेक  भाग 50

शाह पूरी हवेली में सुभाष को काम बताता रहा और सुभाष भी काम को नोट करता जा रहा था। पूरी हवेली का काम समझाने के बाद शाह और सुभाष फिर से बाहर आ गए थे। कुछ ही देर में भौमिक भी हवेली के बाहर आ गया था। शाह सुभाष से कह रहा था-

तो सुभाष मैंने तुम्हें पूरा काम समझा दिया है। अब जब एसीपी साहब अनुमति दे तुम अपना काम शुरू कर देना। मैं परसों निकल जाउंगा, इसलिए पेमेंट की जो भी बात है वो हम फोन पर ही करेंगे। बिल जो भी हो तुम राजन को बता देना राजन मेरे पास भेज देगा।

सुभाष ने शाह बात पर स्वीकृति जताते हुए कहा- पर काम कब से शुरू होगा ?

ये तो एसीपी साहब ही बता सकते हैं कि वे हवेली से कब अपना सारा सामान समेटते हैं ? शाह ने कहा।

मिस्टर शाह हम आपकी हवेली पर कब्जा नहीं कर चाहते हैं। केस की जांच जारी है और जब तक कातिल के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल जाती हम क्राइम को सीन को छोड़ नहीं सकते हैं। भौमिक ने शाह से कहा।

फिर भी कोशिश करना सर कि आपका काम जल्दी हो जाए तो फिर मेरा काम भी शुरू हो पाएगा। शाह ने कहा।

आपसे ज्यादा जल्दी मुझे हैं मिस्टर शाह। मैं किसी कातिल को यूं आजाद घूमने नहीं दे सकता हूं। हमें कातिल के संबंध में कोई जानकारी मिल गई होती तो हम आपकी हवेली को खाली कर चुके होते, परंतु अफसोस की कातिल और कत्ल का मकसद अब तक हमें पता नहीं चला है, इस कारण हमने आपकी हवेली को अब तक खाली नहीं किया है। भौमिक ने कहा।

कुछ देर और बात करने के बाद शाह और सुभाष हवेली से चले गए। उसके बाद भौमिक भी हवेली से रवाना हो गया। वो अपने ऑफिस पहुंचा और वहां परमार पहले से मौजूद था। भौमिक के आते ही परमार भी भौमिक के केबिन में पहुंच गया। उसने भौमिक को सलाम किया और फिर कहा-

तो सर इस बार कुछ मिला या नहीं हवेली में ?

तुम मुझे बहुत अच्छे से समझने लगे हो परमार। तुम्हें पता चल गया कि मैं हवेली गया था। भौमिक ने मुस्कुराते हुए कहा।

सर कल जब आपने पूछा था में तब ही समझ गया था कि अगर मैं आपके साथ ना भी जाउं तो भी आप एक बार हवेली जरूर जाएंगे। परमार ने कहा।

हां परमार, मुझे अब भी यही लग रहा है कि इस केस का सुराग सिर्फ और सिर्फ हवेली में ही है। वैसे भी वहां शाह मिल गया था और अपने ठेकेदार को काम समझा रहा था तो मैं भी वहीं घूमता रहा और देखता रहा कि शायद कोई सुराग मिल जाए, पर हर बार की तरह खाली हाथ। भौमिक ने कहा।

सर अगर कोई सुराग होता तो अब तक हमें मिल गया होता। आप हवेली में सुराग की तलाश करने में अपना समय खराब कर रहे हैं। परमार ने कहा।

परमार मुझे ये सुभाष कुछ ठीक नहीं लगा। भौमिक ने कहा।

कौन सुभाष सर ? परमार ने पूछा।

ये शाह का ठेकेदार, जिसे उसने हवेली का काम दिया है। भौमिक ने कहा।

क्यों सर ऐसा क्या कर दिया उसने ? परमार ने फिर से प्रश्न किया।

परमार सुदीप शाह उसे पूरी हवेली का काम समझा रहा था और वो बार-बार एक दीवार की ओर देख रहा था। वो दीवार को ऐसे देख रहा था जैसे कि वहां उसने कुछ छिपा रखा है। खासकर उसने दीवार को बहुत गौर से तब देखा जब शाह ने उसे उस दीवार को तोड़कर छोटा करने की बात कही ताकि धूप हॉल तक आ सके। मुझे लगता है कि सुभाष ठीक आदमी नहीं है और दीवार की भी कोई कहानी है। भौमिक ने अपनी बात कही।

क्या है आखिर उस दीवार की कहानी ? सुभाष ने क्या कुछ छिपा रखा है उस दीवार में ? क्या भौमिक का सुभाष को लेकर जो शक है वो सही है ? क्या सुभाष का इन चारों कत्ल से कोई लेना-देना है ? इन सभी सवालों के जवाब आगे कहानी में मिलेंगे, तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।