मुझे नहीं लगता सर कि अब हमें वहां कुछ मिलने वाला है। हम हवेली जाकर अपना वक्त और बर्बाद ही करेंगे। परमार ने भौमिक की बात का जवाब देते हुए कहा।
यहां बैठकर भी क्या हासिल कर लेंगे परमार ? भौमिक ने कहा।
पर सर हम कितनी बार तो हवेली जा चुके हैं। कई बार तलाशी ले चुके हैं। फॉरेंसिक टीम भी अपना काम कर चुकी है। उन्हें भी कोई सुराग नहीं मिला है। आप भी दो बार वहां देख चुके हैं, अगर वहां कुछ होता तो हमें मिल गया होता सर। परमार ने कहा।
हां परमार तुम भी सही कह रहे हो। आखिर अब क्या करें ? भौमिक ने परेशानी जताते हुए कहा।
मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है सर। मुझे लगता है कि यह एक परफेक्ट क्राइम ही है। परमार ने कहा।
नहीं परमार। कोई भी क्राइम परफेक्ट नहीं होता है। अपराधी कभी ना कभी कानून के हत्थे चढ़ ही जाता है। हो सकता है कुछ वक्त लगे, परंतु अपराधी अपराध करने के बाद हमेशा के लिए कानून से बचकर नहीं रह सकता है। इस केस में भी हो सकता है वक्त लगे पर मैं अपराधी को सामने लाकर ही रहूंगा। भौमिक ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा।
अभी कुछ करना है सर ? परमार ने भौमिक से पूछा।
नहीं परमार। तुम चाहो तो घर जा सकते हो। मैं भी घर की ओर निकल रहा हूं। उन बच्चों से भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, वरना हम कुछ काम करते। भौमिक ने कहा।
इसके बाद दोनों अपने घर के लिए रवाना हो जाते हैं। भौमिक घर पहुंचने के बाद हत्या के पहले दिन से लेकर आज के दिन तक की हर बात को याद करता हैं। इस दौरान भी उसे ऐसी कोई बात याद नहीं आती है, जिससे वो कोई सुराग हासिल कर सके। इसके साथ ही वो यह भी सोचता है कि आखिर विशाल और उसके दोस्तों के इस तरह से व्यवहार बदल जाने का कारण क्या हो सकता है ? हालांकि वो जब भी विशाल और उसके दोस्तों के बारे में सोच रहा था तो उसके मन में यह बात भी आ रही थी कि आखिर वे कत्ल का इल्जाम खुद पर क्यों ले रहे थे ?
आखिर ऐसी क्या बात है कि वे खुद का कातिल कह रहे थे ? क्या वे किसी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं? अगर हां तो वो कौन है, जिसके लिए बच्चे इतना बड़ा इल्जाम खुद पर ले रहे हैं ? ऐसे कई सवाल रह-रहकर भौमिक के मन में उठ रहे थे, परंतु इन सवालों का कहीं कोई जवाब नहीं था। थककर भौमिक सो जाता है। वो सुबह उठता है और तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ता है। हालांकि रास्ते में वो अपनी कार हवेली की ओर घूमा देता है। कुछ ही देर में वो हवेली पहुंच जाता है।
वो कार से उतरकर हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा हो जाता है। वो पूरी हवेली को देखता है। वो हवेली का एक चक्कर भी लगाता है। वो कुछ सोचता भी जा रहा था। राजन भी उसे देखता है और उसे नमस्ते करता है पर भौमिक अपने ख्यालों में ही गुम था।
वो कुछ देर बाद फिर से हवेली के ठीक सामने आकर खड़ा हो जाता है। वो हवेली को देखते हुए पूरे क्राइम सीन को मन ही मन सोचने लगता है। वो सोच रहा था कि डॉक्टर सक्सेना एक कार से हवेली के गेट पर आकर रूकता है। वो राजन को बुलाता है और उसे शाह का खत देता है। फिर वो परिवार के साथ हवेली में चला जाता है। वहां वो विशाल और उसके दोस्तों को देखता है। फिर राजन उन्हें उपर वाला कमरा देता है। विशाल और उसके दोस्त अपने कमरे में चले जाते हैं। यही आकर उसकी सोच उसे फिर से सोचने पर मजबूर कर देती है।
क्या एक बार फिर भौमिक हवेली में कोई सुराग तलाश करने के लिए गया है ? आखिर क्या सोच रहा है भौमिक ? क्या इस बार उसे हवेली में कोई सुराग मिलेगा ? इन सभी सवालों के जवाब आगे कहानी में मिलेंगे, तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।