भौमिक इस केस को लेकर काफी परेशान हो रहा था, क्योंकि उसे कत्ल और कातिल के संबंध में कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। विशाल और उसके दोस्तों से भी दोबारा पूछताछ के बाद भी उसके हाथ खाली ही थे। अब उसकी एकमात्र उम्मीद सुदीप शाह ही था। वो ना सिर्फ हवेली का मालिक था, बल्कि डॉ. अविनाश सक्सेना का दोस्त भी था। भौमिक को उम्मीद थी कि सुदीप शाह कोई ऐसी बात बता सके, जिससे केस आगे बढ़ सके। ऑफिस में काफी देर रहने के बाद भौमिक अपने घर के लिए निकल गया था। भौमिक के जाने के कुछ देर बाद परमार भी अपने घर की ओर निकल गया था।
अगले दिन भौमिक सबसे पहले ऑफिस पहुंच गया था। वो कत्ल की फाइल लेकर ही बैठा हुआ था। करीब आधे घंटे के बादर परमार भी ऑफिस आ गया था। उसने देखा भौमिक पहले से ही केबिन में बैठा हुआ था। वो सीधे केबिन में चला गया।
सर आप जल्दी आ गए ? परमार ने प्रश्न किया।
हां परमार। जब तक ये केस सॉल्व नहीं हो जाता मुझे चैन नहीं मिलने वाला है। वैसे आज वो हवेली के मालिक आने वाले थे उनका क्या हुआ ? तुम्हारी उनसे कोई बात हुई है ? भौमिक ने परमार से प्रश्न किया।
जी, हां सर। सुबह उनका खुद का ही कॉल मेरे पास आ गया था। मैंने उन्हें 11 बजे तक ऑफिस आने का कह दिया था। मुझे नहीं पता था कि आप जल्दी ऑफिस आ जाएंगे, वरना मैं उन्हें जल्दी आने का कह देता। परमार ने जवाब दिया।
चलो कोई बात नहीं। देखते हैं मिस्टर शाह अब इस केस के बारे में क्या कहानी बताते हैं ? उनकी कहानी ये केस सुलझाने में मददगार होगी या फिर इस केस को और भी उलझा देगी। हालांकि अब तक तो हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं। पहले दिन हम जहां थे, आज करीब एक महीने के बाद भी हम वहीं के वहीं खड़े हुए हैं। मैं तो उम्मीद करता हूं मिस्टर शाह कुछ ऐसी जानकारी दें कि यह केस आगे बढ़ सके। भौमिक ने कुछ निराशा के साथ यह बात कही थी।
मुझे लगता है सर कि शाह से हमें कुछ ऐसी जानकारी मिल सकती है कि यह केस आगे बढ़ सकता है। वैसे जब तक शाह साहब आ रहे हैं तब तक मैं आपको एक बढ़िया सी कॉफी पिलवाता हूं। इतना कहने के साथ ही परमार केबिन से बाहर निकल गया था। करीब 15 मिनट बाद परमार फिर से केबिन में आया। इस बार उसके हाथ में कॉफी के दो कप थे। उसने एक कप भौमिक की ओर बढ़ा दिया। भौमिक ने कप उठाकर कॉफी का एक सिप लिया और कहा- वाकई बहुत बढ़िया कॉफी है परमार, थैंक्यू।
वैसे सर अभी मेरे पास फोन आया था। शाह साहब यहां के लिए अपने घर से निकल चुके हैं। करीब आधे घंटे में वे यहां पहुंच जाएंगे। परमार ने कहा।
ठीक है आने दो। मुझे उनका बेसब्री से इंतजार है। भौमिक ने कहा।
आधा घंटा बीत गया था। एक कॉन्सटेबल भौमिक के केबिन में आया और उसने भौमिक को सलाम करते हुए कहा- सर कोई मिस्टर शाह आपसे मिलना चाह रहें हैं।
भौमिक ने कहा- उन्हें अंदर ले आओ।
कॉन्सटेबल बाहर निकल गया और कुछ ही देर में भौमिक के केबिन का दरवाजा खुला। अधगंजा, फ्रेंच दाड़ी, मोटा और गोल सा चेहरा, थ्री पीस सूट, सफेद जूते, हाथों में एक छड़ी लिए एक शख्स ने केबिन में प्रवेश किया और कहा- एसीपी भौमिक ?
भौमिक ने उस शख्स को देखा और फिर कहा- मिस्टर शाह आइए मैं आपका ही इंतजार कर रहा था।
शाह भौमिक के सामने रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया था। फिर उसने कहा- जी एसीपी साहब बताइए आप मुझसे कुछ बात करना चाह रहे थे ? मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं। वैसे मैं आपकी कोई मदद कर सका तो मुझे बहुत खुशी होगी।
जैसा कि भौमिक सोच रहा था क्या शाह उसकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा ? क्या शाह भौमिक को कुछ ऐसा बता पाएगा, जिससे यह कत्ल का केस सॉल्व हो सके ? कहीं ऐसा तो नहीं शाह कुछ ऐसी बात बता दें कि यह केस सुलझने की बजाय और भी अधि उलझ जाए ? अगर ऐसा हुआ तो भौमिक का अगला कदम क्या होगा ? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।