वंशिका को डरा हुआ देखकर भौमिक कुछ देर के लिए शांत रहा और फिर उसने वंशिका से कहा-
वंशिका डरने की जरूरत नहीं है, तुम आराम से बैठो और पानी पियो।
वंशिका ने टेबल पर रखा गिलास उठाया और पानी पीने लगी। फिर उसने गिलास रखा और कहा- सर मुझे पुलिस से डर लगता है।
भौमिक ने कहा- पुलिस तुम्हारी दोस्त है वंशिका। डरने की क्या जरूरत है? तुमने कोई अपराध तो किया नहीं है तो तुम्हें पुलिस से डरने की जरूरत हो।
वंशिका ने कहा- हां मैंने कोई अपराध नहीं किया है।
तो फिर रिलेक्स हो जाओ। मैं बस कुछ सवाल पूछूगा अगर तुम्हें पता हो तो बता देना, नहीं पता हो तो मना कर देना कि तुम कुछ नहीं जानती।
ओके सर। वंशिका ने कहा।
तो वंशिका कुछ दिन पहले तुम अपने दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने के लिए एक हवेली में गई थी। जिस दिन तुम पहुंचे थे, उसी रात दो बच्चों और दो बड़े लोग भी हवेली में पहुंचे थे। रात को उन चारों का कत्ल हो गया। यह तो तुमने अखबारों में भी पढ़ा ही होगा। वैसे तुम भी वहां थी, तो तुम्हें पता ही होगा। तो मैं बस तुमसे ये जानना चाहता हूं कि क्या तुम मुझे उन कत्ल के बारे में कुछ बात सकती हो ?
भौमिक के प्रश्न करते ही वंशिका के चेहरे के भाव बदल गए थे। अब तक उसके चेहरे पर डर नजर आ रहा था वो अचानक उदासी में बदल गया था। वंशिका की आंखों से आंसू गिरने लगे थे। भौमिक और परमार की नजरें वंशिका पर ही थी। भौमिक के प्रश्न पूछने के बाद भी उसने अब तक कोई जवाब नहीं दिया था। वंशिका के हाव-भाव में आए बदलाव को भौमिक और परमार दोनों ने भांप लिया था। परमार ने भौमिक को देखा और भौमिक ने इशारे से उसे शांत खड़े रहने के लिए कहा।
अब भौमिक ने वंशिका से कहा- वंशिका... तुम कुछ जानती हो उन कत्ल के बारे में ?
वंशिका अचानक जोर से रोने लगी और लगभग चीखते हुए उसने कहा- हां जानती हूं क्योंकि वो सभी कत्ल मैंने ही किए हैं।
वंशिका के इस जवाब के बाद भी भौमिक पूरी तरह से सामान्य था। परमार ने एक बार फिर भौमिक को देखा था, क्योंकि भौमिक ने उसे पहले ही बताया था कि बाकि के लोग भी हत्या करना कबूल करेंगे। इस भौमिक सामान्य था और परमार को यह यकीन नहीं हो रहा था कि भौमिक को यह अंदाजा कैसे हो गया था ?
वंशिका ने एक बार जोर से चीखते हुए कहा- हां, मैंने ही मारा उन चारों को। मैंने ही मारा है... इतना कहते हुए वंशिका कुर्सी पर बैठे-बैठे ही बेहोश हो गई थी। परमार तुरंत उसके पास आया और उसे भी हॉस्पिटल के लिए रवाना किया।
परमार फिर से केबिन में आया और भौमिक ने उससे कहा- एक काम करो परमार अबकी बार मेधा और मानसी दोनों को एक साथ ही ले आओ। हालांकि वो दोनों भी हमें कत्ल के बारे में कुछ नहीं बता पाएगी, पर हम एक बार उनसे भी बात कर लेते हैं। और हां अबकी बार एंबूलेंस को बुलाकर रखना, क्योंकि इस बार दोनों लड़कियां बेहोश होगी तो दोनों हमारी गाड़ी में एक साथ हॉस्पिटल नहीं जा पाएंगी।
परमार ने कहा- सर आपको कैसे पता कि मेधा और मानसी भी बेहोश हो जाएंगी ?
भौमिक ने परमार के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा- तुमने गौर नहीं किया परमार हमने जिससे भी पूछताछ की है वो पहले कत्ल करने की बात कबूल करता है और फिर बेहोश हो जाता है। विशाल, शेखर, साहिल, वंशिका, जिज्ञासा कोई भी हो उसने हत्या करना कबूल किया और फिर बेहोश।
हां, सर ये बात तो है। परमार ने भौमिक की बात पर स्वीकृति जाहिर की। ठीक है मैं दोनों को लेकर आता हूं। आप उनसे बात करना तब तक मैं एंबूलेंस को बुलवा लेता हूं। इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी। इतना कहने के बाद परमार केबिन से बाहर चला गया था।
पूछताछ के दौरान विशाल और उसके दोस्तों के इस तरह से अचानक बेहोश जाने के पीछे आखिर क्या रहस्य है ? आखिर कौन है हवेली में हुए उन चार कत्लों का गुनाहगार ? क्या विशाल और उसके दोस्तों में से ही किसी ने ये सारे कत्ल किए हैं ? सभी कत्ल का इल्जाम खुद क्यों ले रहे हैं ? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।