गलती : द मिस्टेक  भाग 12 prashant sharma ashk द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गलती : द मिस्टेक  भाग 12

भौमिक और परमार चार घंटे से भी अधिक समय तक हवेली में रहे और कातिल के संबंध में सुराग तलाशते रहे परंतु उन्हें कोई सुराग नजर नहीं आया था। जब कोई सुराग नहीं मिला तो दोनों हवेली से निकल गए थे। अगले दिन भौमिक फिर अपने ऑफिस में था और परमार उसके सामने बैठा हुआ था।

भौमिक ने परमार से कहा- परमार कल हम चार घंटे से भी ज्यादा समय तक हवेली में रहे उस हॉल और उस कमरे का हर चप्पा हमने छान मारा परंतु कातिल के संबंध में एक भी सुराग हाथ नहीं लगा।

परमार ने भौमिक की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- हां सर लगता है कातिल ने कोई सुराग छोड़ा ही नहीं है।

भौमिक ने कहा- कातिल बहुत शातिर हैं। मुझे लगता है कि बच्चों से बात करने के बाद ही कातिल और कत्ल के संबंध में कोई जानकारी मिल सकती है।

परमार ने भौमिक की बात का समर्थन करते हुए कहा- मुझे भी ऐसा ही लगता है सर। क्योंकि चार दिनों में हम बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं।

पीएम रिपोर्ट को आने में और कितना समय लगेगा परमार ?

सर मेरी कल ही डॉक्टर से बात हुई थी, संभव है वो कल तक हमें पीएम रिपोर्ट सौंप देगा।

ओके, पीएम रिपोर्ट आने के बाद कम से कम केस कुछ तो आगे बढ़ेगा। भौमिक ने कहा। वैसे क्या कल हम विशाल और उसके दोस्तों से बात कर सकते हैं।

जी सर मैंने आज सभी को फोन कर कल आपके ऑफिस में आने के लिए बोल दिया है। विशाल और उसके दोस्तों के माता-पिता कल सभी लेकर यहां आ जाएंगे। परमार ने भौमिक के प्रश्न का जवाब दिया।

ओके तो फिर कल विशाल और उसके दोस्तों से भी पूछताछ करते हैं, ताकि पता चले कि आखिर उस रात हवेली में हुआ क्या था ?

जी, सर। परमार ने कहा।

अगले दिन...

भौमिक ऑफिस पहुंंचा और अपने केबिन में जाकर बैठ गया था। कुछ ही देर में परमार भी उसके केबिन में आ गया था। परमार ने आते ही भौमिक से कहा-

सर, विशाल और उसके दोस्त यहां आ चुके हैं, हम उनसे बात कर सकते हैं।

भौमिक ने कहा- गुड, वैसे उनके माता-पिता कहां हैं ?

सर वे भी यही है, बस वे दूसरे कमरे में हैं।

ओके परमार तो चलो पहले बच्चों से बात करते हैं। भौमिक यह बात कहते हुए अपनी कुर्सी से उठकर बाहर को निकल गया था। उसने बाहर निकलते हुए परमार से कहा-

मैं उस कमरे में हूं तुम सबसे पहले विशाल को लेकर आओ। हम सभी से अलग-अलग बात करेंगे।

परमार ने यस सर कहा और एक दूसरे कमरे की ओर चला गया। कुछ ही देर में उसके साथ विशाल था। इस समय वह नॉमर्ल नजर आ रहा था। तीन दिनों में शायद वो हवेली में हुए हत्याकांड के सदमे से उबर चुका था। परमार उसे उस कमरे में ले गया जहां भौमिक बैठा था। भौमिक एक टेबल के एक छोर पर एक कुर्सी पर बैठा था। टेबल के दूसरे छोर पर भी एक कुर्सी रखी थी। परमार कमरे में आया और विशाल को उस कुर्सी की ओर इशारा करते हुए उस पर बैठने के लिए कहा। विशाल ने भी सिर हिलाकर कुर्सी पर बैठने के लिए उसे थैंक्स कहा। परमार फिर वहीं पास में खड़ा हो गया था। अब भौमिक ने विशाल से बात शुरू की।

भौमिक ने विशाल से प्रश्न किया- अब तुम्हारी तबीयत कैसी है विशाल? मुझे तुम पहले से बेहतर नजर आ रहे हो।

विशाल ने भी भौमिक के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा- जी, सर। मैं पहले सेकाफी अच्छा महसूस कर रहा हूं।

भौमिक ने फिर विशाल से प्रश्न किया- और तुम्हारे दोस्त भी ठीक है ?

जी,सर वे सब भी अब ठीक हैं। विशाल ने जवाब दिया।

चलो ये अच्छी बात है कि अब तुम सभी लोग ठीक हो। तो फिर विशाल अब तुम मुझे बताओं कि उस रात हवेली में क्या हुआ था ?

भौमिक प्रश्न करने के बाद विशाल को बड़े गौर से देख रहा था। विशाल ने जैसे ही भौमिक का प्रश्न सुना उसका चेहरा बदल गया था। उसका चेहरा गुस्से से एक दम लाल हो गया था। उसने मुठ्ठी बांध ली थी। गुस्से के कारण उसके शरीर में कंपन होने लगा था। विशाल में यह परिवर्तन भौमिक बड़े गौर से देख रहा था। विशाल के चेहरे और उसके हावभाव में हुए यह बदलाव हालांकि भौमिक को आश्चर्य में भी डाल रहे थे। वहीं परमार भी विशाल के अचानक बदले व्यवहार से शॉक में था।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि विशाल का व्यवहार और उसके हाव-भाव बदल गए थे ? क्या विशाल और उसके दोस्त भौमिक को कातिल और कत्ल के संबंध में कोई सुराग दे पाएंगे ? यदि वे कोई सुराग नहीं देते हैं तो विशाल आखिर कैसे कातिल तक पहुंचेगा ? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।