भाग 17
मानसी चाय बनाने चली जाती है। इस बीच मीनू कहती है, जंगल में इस तरह का एडवेंचर मुझे बहुत पसंद आ रहा है। मानसी ने भी अच्छा आइडिया दिया, वरना हम गाने गाते रहते और फिर बोर होकर सो जाते।
हां यार, वैसे जंगल में रात गुजारना अपने आप में एक एडवेंचर है। अशोक ने कहा।
वैसे अभी तक सभी की एक कहानी हो गई है अब आगे क्या करना है ? राघव ने पूछा।
करना क्या है फिर से एक राउंड शुरू करते हैं, मुझे तो भूतों की कहानी सुनने में काफी मजा आ रहा है। अभी हम कहीं जा भी नहीं सकते हैं तो फिर यहां बैठकर यही काम करते हैं। साहिल ने कहा।
इसी बीच मानसी फिर से सभी के लिए चाय लेकर आ गई थी। सभी ने अपने-अपने कप हाथ में लिए और चाय पीना शुरू कर दी। चाय पीते हुए मीनू बोली अब मैं एक कहानी सुनाती हूं।
क्यों अब पर्ची नहीं निकालना है क्या ? मानसी ने कहा।
सभी को कहानी सुनाना है, कौन पहले सुनाएगा इससे क्या फर्क पड़ता है। मुझे अभी एक कहानी याद आई है तो मैं सुना देती हूं। मीनू ने कहा।
ठीक है तू ही सुना। फिर देखेंगे कि तेरे बाद कौन सुनाएगा। अशोक ने कहा।
अब मीनू ने अपनी कहानी शुरू की।
ललकनपुर एक बहुत पुराना शहर हैं। यहाँ का शिव मंदिर अपनी प्राचीनता के कारण विख्यात हैं। यहाँ के वयोवृद्ध का मानना हैं कि यह मंदिर कांस्ययुगीन सभ्यता का हैं। मंदिर की बनावट और मूर्ति अद्भुत है। मंदिर की शैली न तो मथुरा थी न गांधार, न हीं इंडो-इस्लामिक। मंदिर की दीवारों पर भावचित्रात्मक लिपि में कुछ लिखा था व पशुओं के चिन्ह अंकित थे। लिपि को अब तक पढ़ा नहीं जा सका इसलिए चित्रों को देखकर ही उस काल का अनुमान लगाया जा सकता हैं।
प्राचीन शिव मंदिर की ख्याति देश विदेश में फैल गयी। दूर-दूर से सैलानियों के झुंड यहाँ आते। यहाँ पशुपतिनाथ की एकमात्र मूर्ति श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र थीं। ललकनपुर पहुँचने के लिए आवागमन के पर्याप्त साधन नहीं थे। पर्यटक कठिन मार्ग तय करके यहाँ तक पहुंचते थे। सरकार ने इस क्षेत्र की बढ़ती प्रसिद्ध के कारण यहाँ रेल लाईन डालने की घोषणा की। जल्दी ही रेललाइन बिछाने का काम शुरू हो गया।
मजदूर खुदाई कर रहें थे। तभी एक मजदूर को खुदाई में कुछ सिक्के मिले, जो पूरी तरह से गोल नहीं थे और उन पर ठीक वैसे ही पशुओं के चित्र अंकित थे जैसे चित्र शिव मंदिर की दीवार पर थे। वह दौड़ा-दौड़ा इंजीनियर साहब के पास गया। सिक्के दिखाते हुए बोला- साहब ये खुदाई से मिले।
इंजीनियर रूपेश समझ गए कि यह तो प्राचीन सिक्के हैं। उन्होंने तुरन्त जिला प्रशासन कार्यालय को फोन लगाया। चंद मिनटों बाद ही जिला अधिकारियों की गाड़ियों का काफिला खुदाई स्थल पर आ गया। सिक्के देखकर जिला अधिकारी ने पुरातत्व विभाग को सूचना दी। पुरातत्व की टीम भी आ पहुँची। सरकारी आदेश पाते ही पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई शुरू कर दी गई।
खुदाई से मिट्टी के बर्तन, सिक्कें, पैमाने, खिलौने, हाथी दांत के आभूषण, कांस्य मूर्ति, अनाज के दाने, युगल समाधि व एक ममी निकली। खुदाई से प्राप्त वस्तुएं कांस्ययुगीन सभ्यता की थीं। पुरातत्व विभाग की यह एक बड़ी उपलब्धि थी। प्राचीन सभ्यता के साक्ष्य ने अब इस सभ्यता पर विस्तृत प्रकाश डाला। कार्बन डेटिंग से सभ्यता का काल 3500-1800 ई. पू.निकाला गया। जो अब तक कि सबसे प्राचीन सभ्यता थी।
खुदाई से निकले सभी साक्ष्य एक म्यूजियम में रख दिये गए। म्यूजियम ठीक शिव मंदिर के सामने बनाया गया था। अब तो ललकनपुर में इतिहास प्रेमियों का मेला सा लग गया। प्रतिदिन दूर-दूर से लोग यहाँ आते। म्यूजियम के बाहर दो सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए गए। दोनों की ड्यूटी का समय अलग-अलग था। रात की ड्यूटी देने वाले गार्ड संजू का विवाद वेतन को लेकर हो गया था। उसका कहना था कि रात्रि को पहरा देना दिन की अपेक्षा अधिक कठिन है। पर म्यूजियम प्रशासन ने उसकी बात को तवज्जों नहीं दिया। संजू बेमन से अपनी ड्यूटी निभाता। कई बार उसे म्यूजियम से आवाजें सुनाई देती। पर वह उन पर ध्यान नहीं देता।
तम्बाकू हाथ में रगड़ते हुए वह बड़बड़ाया- अब इतनी तनख्वाह में तो ऐसे ही काम होगा। हम क्यों अंदर जाकर देखें कि चुहे सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। और वैसे भी वो डरावनी प्राचीन ममी कोई कम भूतनी हैं ? कैसे-कैसे शौक हैं इन पढ़े-लिखें लोगों के.. मृत शरीर को देखकर खुश होते हैं।
संजू अपने आप में मगन हुए खुद से बातें कर ही रहा था कि म्यूजियम के अंदर से एक बड़ी भयानक आवाज आई। संजू सहम गया।
शेर की दहाड़ थी या कोई भयंकर जीव ? कैसी विचित्र आवाज थीं यह ? चारों और नजर दौड़ाकर संजू चुपचाप अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
डर के कारण उसकी हालत पतली हो गई। तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। अब तो संजू की जान उसके हलक में आ गई। उसने धीरे से गर्दन घुमाई। उसके होश उड़ गए। प्राचीन ममी उसके ठीक पीछे खड़ी थी।
हे राम बोलता हुआ संजू वहाँ से जान छुड़ाकर भागा और शिव मंदिर में चला गया। ममी अपने दोनों हाथ आगे किये हुए पहले दाएं पैर को जमीन पर रखती फिर बाएं पैर को। उसकी चलने की गति धीमी थी। वह किसी विशालकाय राक्षस की तरह लग रहीं थी। उसके हाथ व पैरों के नाखून बड़े हुए थे। उसके बड़े बालो को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता था कि यह किसी महिला की ममी है। ममी का मुंह खुला हुआ था और भयानक दन्तावली दिख रहीं थीं। जिसे देखकर लगता मानो इनसे ममी किसी को भी चीर डालेगी।
ममी को देखकर उल्लू बोलने लगे। संजू का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। संजू ने देखा कि ममी ने एक बड़े से चूहे पर झपटा मारा और उसे गटक गई। संजू का ब्लड प्रेशर बढ़ गया और वह मूर्छित होकर गिर पड़ा। सुबह मंदिर के पुजारी ने संजू को आवाज लगा कर जगाया। उठते ही अपने आप को सही सलामत पाकर संजू खुश होकर बोला- मैं जिंदा हूं, मैं बच गया... यह कहते हुए सरपट दौड़ता हुआ वह मंदिर से बाहर चला गया।
शाम को वह म्यूजियम के अधिकारियों से मिला। उसने साफ शब्दों में कह दिया कि- साहब वो ममी रात को शिकार पर निकलतीं हैं। अब मैं रात को पहरा नहीं दूंगा। आप मेरा हिसाब कर दें। अधिकारीयों ने उसकी बात को गम्भीरता से नहीं लिया। उनको लगा वेतन न बढ़ाये जाने पर संजू नौकरी छोड़ने का बहाना कर रहा है। संजू का हिसाब करके तुरन्त नए लड़के को उसकी जगह बहाल कर दिया गया। नया लड़का मधुकर पूरी निष्ठा से अपना काम करता।
वाह यार गजब लग रही है कहानी। मानसी ने कहा।
हां, ममी से संबंधित कहानी मुझे बहुत रोमांचित करती है। राघव ने कहा।
अरे यार तुम लोग बीच में क्यों बोलते हो, रिदम टूट जाता है। कहानी सुनाने वाले का भी और कहानी सुनने वाले का भी। इसलिए अब बीच में कोई नहीं बोलेगा, चल मीनू आगे बता फिर क्या हुआ। साहिल ने कहा।
----------------------------