भाग 16
साहिल ने सभी बातों को नजरअंदाज किया और फिर से अपनी कहानी को आगे सुनाना शुरू किया।
प्रशान्त - ओह, मतलब जॉम्बी सच में होते हैं..!
महिला - हाँ, मेरा बेटा भी जॉम्बी ही हैं। और मैं उसे उस अघोरी से मुक्त कराने में असमर्थ हूं।
प्रशान्त - जी जॉम्बी विवेकशून्य व भावशून्य होते हैं, वह यह नहीं देखते की सामने वाला उनका अपना है। वह तो सिर्फ हमला करना जानते हैं।
महिला - ठीक कहते हो बेटा। इस गाँव में जॉम्बी का कहर इतना बढ़ गया कि लोग यहाँ से पलायन कर गए। मुझ जैसी अभागन की तरह कुछ ही घर बचे हैं जहाँ बूढ़े माँ-बाप रहते हैं।
यह कहकर महिला चुप हो गई। कमरे में शांति छा गई। कमरे की शांति प्रशान्त के फोन की घण्टी से टूटी। प्रमिला का फोन था।
प्रमिला - प्रशान्त कहाँ हो तुम ? वॉचमैन कह रहा था कि तुम मेरे बाद ही तुरंत निकल गए थे।
प्रशान्त - जी मेडम अचानक मेरे घर से फोन आ गया था, इसलिए मैं यहाँ चला आया। सॉरी आपको सूचित नहीं कर पाया।
प्रमिला - कोई बात नहीं, जल्दी आ जाना। मैं तुम्हारी सफलता के लिए धागा लाई हूं।
प्रशान्त - जी मेडम... शुक्रिया।
फोन पर हुई बातचीत से महिला को कुछ शक हुआ। वह प्रशान्त से पूछने लगीं। कौन थी ?
प्रशान्त - मेरी बॉस प्रमिला।
महिला - प्रमिला सिकंद....?
प्रशान्त - जी हाँ, आप उन्हें कैसे जानती हैं ?
महिला - वह दुष्टा ही इन सारी विपत्तियों की जड़ है।
प्रशान्त (आश्चर्य से) - कैसे ?
महिला - प्रमिला विलासगंज की रहने वाली एक साधारण किन्तु खूबसूरत लड़की थी। सन 1995 की बात हैं विलासगंज की एक खदान से ऐतिहासिक सिक्के मिले जिसके बाद पुरातत्व की टीम खनन के लिये आई। टीम प्रमुख सुबोध की नजर प्रमिला से मिली और उन्हें प्रमिला पसन्द आ गई। जल्द ही दोनों का विवाह हो गया।
गाँव की लड़की दिल्ली जैसे महानगर की हवा पाते ही महत्वाकांक्षी हो गई। उसके पति ने उसे पढ़ा-लिखाकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। प्रमिला ने अपने पति पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया और खुद ही कर्ता धर्ता बन बैठी। वह जादू-टोना में विश्वास करतीं हैं और उसी के दम पर आज राज कर रहीं है।
जब वह गर्भवती थीं तब तंत्र क्रिया के लिए ग्रहण में भी बाहर चली गई, जिसके कारण उसका बेटा मंदबुद्धि पैदा हुआ। उसकी गतिविधियों से तंग आकर सुबोध ने घर छोड़ दिया और अब वह अकेले रहते हैं।
प्रशान्त - और उनका बेटा ?
महिला - वह उसी के साथ रहता हैं। पर एक गुप्त कमरे में। उसी के खातिर प्रमिला इस अघोरी के लिए क्लाइंट लाती हैं और उसे अच्छी खासी रकम दे देती हैं। बदले में यह अघोरी उसके मंदबुद्धि बेटे को ठीक कर देगा।
प्रशान्त - क्या यह सम्भव हैं ?
महिला - बिल्कुल, बस प्रमिला को एक बुद्धिमान नौजवान की तलाश है।
प्रशान्त अब सारा माजरा समझ गया। वह बोला प्रमिला मेडम की तलाश पूरी हो चुकी हैं। मुझे शुरू से ही शक था कि मेडम मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हैं ?
अब प्रशान्त ने प्रमिला और अघोरी के शक्ति साम्राज्य को नष्ट करने की ठान ली।
प्रशान्त - क्या ऐसा कोई उपाय नहीं हैं जिससे हम अघोरी की साधना भंग कर सकें।
महिला - बस एक ही उपाय हैं, अघोरी के जल कलश को नष्ट करना होगा। जो कि नामुमकिन हैं। अघोरी ने जॉम्बी को अपना पहरेदार नियुक्त किया हुआ हैं। इसलिए कलश तक पहुंचना असम्भव हैं।
प्रशान्त - नहीं माँ इस संसार में असम्भव कुछ भी नहीं होता। हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति ही हमें लक्ष्य भेदने में समर्थ बनाती है।
प्रशान्त बूढ़ी माँ के साथ ही रहने लगा। एक रात उसने देखा जॉम्बी सड़कों पर घूमकर शिकार की तलाश कर रहे हैं। उसने जॉम्बी की गतिविधियों को बहुत गौर से देखा। वह भयानक चेहरे वाले कठपुतली की तरह थे जिनका नियंत्रण किसी और के हाथ में था।
अगले दिन प्रशान्त ने जॉम्बी जैसा भेष बना लिया। वह उनके जैसा ही चलता, उनके जैसा ही बर्ताव कर रहा था। महिला उसे देखकर चौक गई और भयभीत होकर भागने लगी। तब उसने कहा- अरे मैं जिंदा ही हूं बस स्वरूप बदल लिया।
महिला - बेटा ये डरावना स्वरूप किसलिए ..?
प्रशान्त - आज जब जॉम्बी की टोली आएगी तब चुपके से मैं उनमें शामिल हो जाऊंगा। यहीं एक तरीका हैं उस अघोरी की शक्ति क्षीण करने का।
महिला प्रशान्त की बुद्द्धिमता से खुश हुई। उसने प्रशान्त को सफल होने का आशीर्वाद दिया।
रात को जब जॉम्बी की टोली आई, सावधानीपूर्वक प्रशान्त उसमें शामिल हो गया। वह उनके साथ विचरता हुआ अघोरी की शक्तिस्थली पहुँच गया। अघोरी विश्राम कर रहा था। दो जॉम्बी उसके पैर दबा रहें थे। उसकी कुटिया पर दरवाजा नहीं था। वह कुटिया के अंदर से ही सभी जाम्बियों पर नजर रखता था।
दिन के समय अघोरी श्मशान चला जाता और वहाँ से मृत शरीर के मिल जाने की चाह में सूर्यास्त से पहले तक बैठा रहता। उसे ऐसा अवसर मिल ही जाता जब लावारिस शव श्मशान में आते और विद्युत दाह गृह के बाहर पड़े रहते। वह मौका पाते ही शव को ले लेता। प्रशान्त के पास भी यहीं समय था जब वह कलश को नष्ट कर सकता था। पर जॉम्बी पर अघोरी का नियंत्रण इस कदर था जिनके रहते कलश तक पहुँचना सम्भव नहीं था। अघोरी की कुटिया के पास 5 जॉम्बी थे बाकी के जॉम्बी अघोरी के खेत मे कार्य कर रहे थे। सही अवसर पाकर प्रशान्त ने अपनी रिवाल्वर से पांचों जाम्बियों पर निशाना लगा दिया। मृत शरीर तो थे ही पर अब गोली से छलनी होने पर अघोरी की तांत्रिक क्रिया से मुक्त होकर गिर पड़े।
प्रशान्त ने कुटिया में प्रवेश किया और मानव खोपड़ी में रखें मिट्टी के कलश को निकालकर तोड़ दिया। कलश के टूटते ही मानव खोपड़ी में विस्फोट हो गया। और उसी के साथ अघोरी की मृत्यु हो गई। सभी जॉम्बीयो में कैद आत्माएं भी मुक्त हो गई। प्रमिला अपना मानसिक संतुलन खो बैठी, जिसके कारण उसे पागलखाने में भर्ती कर दिया गया।
प्रशान्त बूढ़ी माँ से विदा लेकर अपनी माँ से मिला। उन्हें सारी घटना सुनाई। प्रशान्त की बात सुनकर माँ प्रसन्न हुई । वह कहने लगीं तूने अपनी बुद्धि से कई लोगों के जीवन को बचा लिया। एक दिन प्रशान्त से मिलने सुबोध आए और वसीयतनामा उसके हाथ में थमाकर बोले। तुम्हारी बुद्द्धिमता से प्रसन्न होकर तुम्हें यह तोहफा दे रहा हूँ इसे स्वीकार करो। आज से तुम ही मेरे बेटे हो।
इसी के साथ साहिल ने भी अपनी कहानी का अंत कर दिया।
कहानी खत्म होने के साथ ही मानसी ने कहा- बहुत अच्छी कहानी थी। प्रशांत ने अपनी बुद्धि से सभी को बचा लिया, वरना वो तांत्रिका और प्रमिला ना जाने कितनी और जान से खेलते रहते।
अशोक हां प्रशांत बहुत हिम्मत वाला लड़का था और सबसे बड़ी बात अच्छे काम का उसे कितना अच्छा इनाम मिला।
राघव ने जॉम्बी के बारे में मैंने सुना था आज उनके बारे में और भी जानकारी मिल गई। मीनू ने भी साहिल की कहानी की तारिफ की। इसके बाद मानसी ने कहा- यार बहुत देर हो गई है एक-एक चाय और हो जाए।
हां पर चाय बनाने वाली तेरी पार्टनर तो जाकर सो गई है। अशोक ने कहा।
उसे सोने दो, मैं चाय बना लेती हूं। मानसी ने कहा।
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