हॉरर मैराथन - 15 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉरर मैराथन - 15

भाग 15

अब साहिल ने अपनी कहानी शुरू की।

प्रशांत पाटील एक निर्धन परिवार का होनहार लड़का है। उसकी कुशाग्र बुद्धि के कारण वह चंद मिनटों में सबको प्रभावित कर लेता था। यद्यपि वह पढ़-लिखकर अपनी बूढ़ी माँ के हर सपने पूरे करना चाहता था, पर परिस्थितियां सदैव विपरीत ही रही और मजबूरन उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर गाईड का काम करना पड़ा। उसे अपने जीवन की एक ही बात पर गर्व होता कि वह आगरा का निवासी हैं। आगरा का ताजमहल विश्व प्रसिद्ध होने के कारण आगरा में पर्यटकों का हुजूम सा लगा रहता और प्रशान्त की अच्छी कमाई हो जाती, जिससे उसका घर खर्च निकल जाता।

ऐसे ही एक बार दिल्ली से पर्यटकों का एक समूह आगरा घूमने के लिए आया था। समूह इतिहास की प्रोफेसर प्रमिला का था जो अपने विद्यार्थियों के साथ ताजमहल घूमने आई थीं। प्रशान्त ही इस समूह का गाईड था। समूह में सभी छात्राएं थीं जिनके सामने अपना प्रभाव जमाने के लिए प्रशान्त ताजमहल के बारे में बताने लगा।

ये जो पानी का कॉन्सेप्ट आप देख रहें हैं न ये शेरशाह सूरी के मकबरे से लिया गया हैं, और यह जो चार बाग शैली हैं न, ये हुमायूं के मकबरे से ली गई हैं। कई इमारतों का सन्नमिश्रण हैं यह सर्वोत्कृष्ट इमारत जिसे शाहजहां ने अपनी मुमताज के लिए बनवाया था। लड़कियों का तो पता नहीं पर प्रशान्त के द्वारा दी गई जानकारी को सुनकर प्रो. प्रमिला अत्यंत प्रसन्न हुईं।

प्रमिला :  कितना कमा लेते हो ?

प्रशान्त : इतना जिससे गुजारा हो जाता है।

प्रमिला : तुम्हारी योग्यता इतनी हैं कि तुम गुजारा करके नहीं बल्कि एक लक्जरी जिंदगी जी सकते हो। यह मेरा कार्ड हैं, कुछ अच्छा करना चाहते हो तो मुझे कॉल करना।

प्रशान्त (कार्ड को लेते हुए ) : जी मेडम...

अगले ही दिन प्रशान्त मेडम को कॉल कर देता है।

प्रमिला : हेलो प्रशान्त, आई न्यू इट यु विल डेफिनेटली कॉल मी...

प्रशान्त को प्रो. प्रमिला दिल्ली में एक जॉब ऑफर करतीं हैं, जिसे प्रशान्त सहर्ष स्वीकार कर लेता हैं।

प्रशान्त यह सोचकर खुश हैं कि अब उसका जीवन बदल जायेगा। पर जीवन में बदलाव होना इतना आसान नहीं होता। प्रशान्त दिल्ली पहुचकर प्रमिला के बताएं पते को रिक्शे वाले को दिखाकर बोला- भैया यहाँ जाना है।

रिक्शे वाले ने कहा- बैठ जाओ पर 100 रुपये लगेंगे।

प्रशान्त - ठीक है।

कुछ ही देर बाद रिक्शावाले ने अपना रिक्शा एक बड़े से बंगले के सामने खड़ा कर दिया। प्रशान्त ने उसे 100 रुपये देते हुए धन्यवाद कहा।

रिक्शावाला - भैया यहाँ की मालकिन से सर्तक रहना, बहुत चालू महिला है।

प्रशान्त - (हँसकर) चालू है तो उसको बंद कर देंगे। वैसे शुक्रिया यह बताने के लिए।

प्रशान्त ने बंगले में प्रवेश किया। बंगला महल से कम न था। प्रमिला ने प्रशान्त का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। और उसे अपने मैनेजर के रूप में नौकरी दे दी। प्रशान्त मन लगाकर अपना काम करता। प्रमिला के घर अक्सर संभ्रात जनों का आना जाना लगा रहता। मंत्री, विधायक, मॉडल, जज, अधिकारी इनका आना आम बात थी। सभी आंगतुकों से प्रमिला एकांत में ही मिलती। जिसको देखकर यहीं लगता कि प्रमिला और आंगतुक किसी बात के राजदार है।

एक समय की बात हैं एक महिला अपने मुंह को कपड़े से ढके हुए थी और वह प्रमिला से कह रहीं थी मेडम कुछ भी करके मेरा चेहरा ठीक करवा दीजिए। मैं कोई भी कीमत देने के लिए तैयार हूँ।

प्रमिला ने कहा - ज्यादा नहीं बस दो लाख।

महिला ने पर्स से चेकबुक निकाली और एक चेक फाड़कर प्रमिला को दे दिया।

प्रशान्त यह सब देखकर हँस दिया। खुद से कहने लगा, हम तो सोचते थे अशिक्षित लोग ही अंधविश्वासी होते हैं पर यहाँ तो उच्व शिक्षित लोग भी अंधविश्वासी निकले। सप्ताहभर बाद एक खूबसूरत लड़की प्रमिला से मिलने आई। वह कहने लगीं मेडम आपने तो कमाल ही कर दिया। कुछ दिन पहले तक मैं मुंह छुपाए टेंशन में रहतीं थी और आज देखिए मैं बिल्कुल ठीक हूं और आज शूटिंग करने जा रही हूं।

प्रशान्त यह सुनकर चौंक गया। वह अब समझ गया कि मेडम के पास कोई तिलस्मी चिराग है। शाम को प्रशान्त प्रमिला के पास गया। मेडम कल आपकी इन लोगों के साथ अपॉइंटमेंट हैं।

प्रमिला - नो, नो कल कोई अपॉइंटमेंट नहीं। केंसिल कर दो सबको। मुझे कल एक जरूरी काम से बाहर जाना है।

प्रशान्त - ओके मेडम।

अगली सुबह प्रमिला अपनी गाड़ी से रवाना हो गई। प्रशान्त भी प्रमिला का पीछा करते हुए विलासगंज गाँव पहुँच गया। वह दूर एक पेड़ के पीछे छिप गया। वहीं से सब कुछ एक दूरबीन की सहायता से देखने लगा। उसने देखा प्रमिला एक अघोरी को रुपये देकर हाथ जोड़े कुछ कह रहीं है। अघोरी ने आशीर्वाद देते हुए प्रमिला से कुछ कहा और उसे काला धागा दिया। धागे को सिर पर लगाकर प्रमिला वहाँ से चली गई। प्रशान्त भी जाने ही वाला था कि उसे कुछ अजीब कृति अघोरी के पास आते दिखी।

एक युवक जिसका पूरा शरीर सफेद हैं, आँखों के चारों और स्याह काले घेरे थे, सूखे होठ और वह किसी चाभी भरे खिलाने की भांति चल रहा था। इस भयावह कृति को देखकर प्रशान्त की रूह कांप उठी। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। प्रशान्त बुरी तरह से चीख पड़ा। एक अधेड़ उम्र की महिला थी। वह कहने लगीं डरो नहीं बेटा मैं भूत नहीं हूं।

प्रशान्त (पसीना पोछते हुए) - आप यहाँ क्या कर रहीं हैं, मुझसे कोई काम हैं ?

महिला - मैं यहाँ अपने मृत बेटे को देखने आती हूँ। जिसके शरीर को उस अघोरी ने अपने काबू में रख रखा है।

प्रशान्त - क्या आप मुझे अघोरी की सारी बात बताएंगी ?

महिला - जरूर, पर यहाँ नहीं। मेरे घर चलो।

प्रशान्त महिला के पीछे चल दिया। घर पहुँचकर महिला ने प्रशान्त को कहानी सुनाना शुरू किया। बेटा एक समय यह वीरान पड़ा गाँव कभी आबाद हुआ करता था। यहाँ पर शिव मंदिर के पास मेला लगता था, जिसमें यह अघोरी आया था। इसने अपने चमत्कारों से गाँव वालों को मंत्रमुग्ध कर दिया। और आसपास के गाँव से भी कई लोग इसके दर्शन हेतु आने लगे। लोग इसे खूब दान देते पर इस कुटिल बुद्धि को तो कुछ और ही चाहिए था। यह तंत्र साधना में इतना सिद्ध हैं कि किसी भी व्यक्ति के सौभाग्य को बदल सकता हैं, यह कुरूप व्यक्ति को सुंदर बना सकता हैं, वह मनचाहा कार्य कर सकता हैं। इन सब कार्यो के लिए इसे मृत व्यक्ति के शरीर की आवश्यकता पड़ती हैं, जिस पर तंत्र-मंत्र से वह मृत शरीर में जान फूंक देता हैं और उनसे मनचाहा काम करवाता है।

कहानी सुनाते हुए साहिल कुछ देर के लिए रूक गया। राघव ने उससे पूछा- क्या हुआ रूक क्यों गया ?

साहिल ने अपने पीछे की ओर देखते हुए कहा- मुझे ऐसा लगा कि जैसे कोई मेरे पीछे खड़ा है और मेरी कहानी को सुनते हुए हूं... हूं... की आवाज दे रहा है।

शीतल और मानसी वाली बीमारी अब तुझे भी लग गई। मीनू ने हंसते हुए कहा।

नहीं यार सच मुझे ऐसा लगा कि ठीक मेरे पीछे कोई खड़ा है। साहिल ने कहा।

अरे छोड़ ना यार। तू भी ना कुछ भी। चल आगे बता क्या हुआ। प्रशांत क्या जॉम्बी से मुकाबला करेगा या जॉम्बी उसका अंत कर देंगे ? अशोक ने कहा।

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