प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 15 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 15

नंदू की आत्मा के गायब होने के बाद सिद्धार्थ अंकिता से कहता है "अपनी मांग का सिंदूर पानी से धो दो।"

सुबह मांग से सिंदूर साफ करूंगी, अभी मुझे नींद आ रही है। और सोने का नाटक करते हुए सिद्धार्थ से दूसरी तरफ करवट ले लेती है।

सुबह दोनों जल्दी उठकर चाय नाश्ता किए बिना बुजुर्ग पुजारी और उसकी पत्नी को धन्यवाद कहकर अपने घर जाने के लिए रेलवे जंक्शन रेल पकड़ने के लिए पहुंच जाते हैं।

उन्हें घर पहुंचने की जल्दी इसलिए थी, क्योंकि दूसरे दिन दिवाली थी, नंदू की आत्मा की शांति की पूजा करनी थी।

नंदू की आत्मा अब अंकिता को छोड़कर सीमा के पीछे पड़ गई थी, इसलिए अंकिता को चिंता सता रही थी कि सीमा ने जीसस क्राइस्ट का लॉकेट पहन रखा है या नहीं कहीं उतरकर कहीं भूल तो नहीं गई है।

अंकिता को गहरी चिंता में डूबा हुआ, देखकर सिद्धार्थ एक यात्री से फोन मांग कर अंकिता सीमा की बात करवाता है।

अंकिता फोन पर पूछती है? "सीमा दीदी तुम ठीक हो।"

"मैं तो ठीक हूं, लेकिन सिद्धार्थ और तू कहां हो तुम्हें पता नहीं क्या कल दिवाली है और घर में सब तुम्हारी कितनी चिंता कर रहे हैं और मां ने दोबारा सिद्धार्थ के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट कर दी है।" सीमा बोली

"सीमा दीदी हम दोनों आज शाम तक घर पहुंच जाएंगे और अपने प्रभु यीशु के लॉकेट को एक पल के लिए भी गले से नहीं उतरना, क्योंकि नंदू की आत्मा मुझे छोड़कर अब आपके पीछे पड़ गई है। अंकिता बताती है

सीमा थोड़ा सा डर कर कहती है "अच्छा लॉकेट अभी भी मेरे गले में है, लेकिन तूने समाचार देखे, टीवी पर दिख रहे हैं कि पादरी साहब के बेटे डॉक्टर टोनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, किसी अंजलि नाम की लड़की के साथ बलात्कार करने की जुर्म में पादरी साहब ने खुद अपने बेटे के खिलाफ गवाही दी है।" सीमा बताती है

पहली बार किसी के साथ बुरा होने पर सिद्धार्थ अंकिता को खुशी होती है, क्योंकि डॉक्टर टोनी को अपने बुरे कर्मों का फल मिला था।

सिद्धार्थ दिल्लगी करते हुए अंकिता से कहता है "अगर टोनी और तुम्हारे बीच मैं नहीं होता तो आज अंजलि की जगह तुम होती।" और वह यह कहकर अंकिता की मांग का सिंदूर पहुंचने लगता है।

अंकिता सिद्धार्थ का हाथ झटक कर कहती है "क्यों अपनी जान के दुश्मन बने हुए हो।"

अंकिता की यह बात सुनकर सिद्धार्थ के चेहरे पर रौनक आ जाती है लेकिन सिद्धार्थ यह समझ नहीं पा रहा था कि अंकिता से कैसे कबूल करवाऊ कि वह भी मुझसे प्यार करती है।

और उनके कस्बे के पास से गुजरने वाली रेल वहां आ जाती है तो दोनों जल्दी से रेल में चढ़ जाते हैं।

सुबह-सुबह अंकिता सिद्धार्थ पुजारी के घर से नाश्ता किए बिना निकले थे, इसलिए जब रेल के डिब्बे में एक यात्री अपनी बीवी के साथ खाना खाता है, तो उसे देखकर सिद्धार्थ को भी बहुत तेज भूख लगने लगती है।

अंकिता सिद्धार्थ को तेज भूख की वजह से बेचैन होता देख उस यात्री की पत्नी से विनती करके सिद्धार्थ को दो रोटी और सब्जी मांग कर खाने के लिए देती है।

सिद्धार्थ को बहुत अच्छा लगता है कि जीवन में पहली बार ही सही कम से कम अंकिता ने मेरी चिंता और परवाह तो की वह मेरे लिए किसी के आगे झुकी।

उसे धीरे-धीरे यकीन हो रहा था कि शायद अंकिता को भी मुझसे प्रेम हो गया है, लेकिन जब अंकिता कहती है "किसी यात्री से मोबाइल मांग कर दे दो क्योंकि जिस रेलवे जंक्शन पर हम उतरेंगे वहां से विक्रम का घर पास ही है, उसे फोन कर देती हूं, वह हम दोनों को लेने आ जाएगा, हम कहां रात को बस ऑटो ढूंढते फिरेंगे।"

तब सिद्धार्थ को विक्रम का नाम सुनकर बहुत गुस्सा आता है, इसलिए वह कहता है "तुम ही किसी से खुद मोबाइल मांग कर विक्रम को फोन करके बता दो कि हम कहां और कब मिलेंगे।"

अंकिता को पता था कि विक्रम को फोन करना सिद्धार्थ को बुरा लग रहा है वह फिर भी विक्रम को फोन करके रेलवे जंक्शन पर मिलने का समय दे देती है और सिद्धार्थ से थोड़ा दूर जाकर विक्रम से बहुत देर तक बातें करती है।

उसकी एक भी बात ना मानने की अंकिता की आदत सिद्धार्थ को बहुत बुरी लगती थी, इसलिए वह अंकिता के पास वाली सीट से उठकर दूर दूसरी सीट पर जाकर बैठ जाता है।

विक्रम को अंकिता से मोबाइल पर बात करने पर पता चलता है कि अंकिता पूरी एक रात सिद्धार्थ के साथ एक ही छोटे से कमरे में रही थी, तो वह आग बबूला हो जाता है और अपने अपराधी दोस्त कर्मवीर की मदद से सिद्धार्थ की हत्या करने का षड्यंत्र रच देता है।

अंकिता सिद्धार्थ को अपने से दूर बैठा हुआ देखकर उसके पास बैठकर उसकी पसंद का हिंदी रोमांटिक गाना गुनगुनाने लगती हैं अंकिता की इस खूबसूरत हरकत से उसका गुस्सा छूमंतर हो जाता है और वह अंकिता को बहुत खुश देखकर उसे कहता है "मुझे बहुत जलन होती है, जब तुम मेरे अलावा किसी दूसरे लड़के का नाम भी लेती हो, तुम जानती हो ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं।" लेकिन अंकिता मुस्कुरा कर गाना गुनगुनाने में मस्त रहती है

फिर सिद्धार्थ कहता है "लड़कियों को अपने आशिकों को तड़पाने में बहुत मजा आता है क्या।"

फिर सिद्धार्थ आंखें बंद करके अंकिता से दूसरी तरफ चेहरा करके बैठ जाता है, एक दिन पहले की थकान की वजह से दोनों को गहरी नींद आ जाती है और वह अपने घर के पास वाले रेलवे जंक्शन की जगह शहर के बड़े रेलवे स्टेशन पहुंच जाते हैं।

वहां से उन्हें घर पहुंचने में बहुत ज्यादा दिक्कत महसूस होती है, क्योंकि दोनों के पास जो भी रूपए पैसे थे, वह नहर में डूबने से गल फट गए थे, और दोनों का मोबाइल भी नदी में डूबने के बाद नदी में कहीं गुम हो गया था, इसलिए सिद्धार्थ अंकिता से खुद कहता है कि "किसी से मोबाइल लेकर विक्रम को फोन कर दो वह हमें लेने आ जाएगा।"

अंकिता फोन करके विक्रम से पूछती है? "तुम कहां हो।"

"अंकिता कहां हो तुम मैं जीप लेकर रेलवे जंक्शन पर तुम्हारा डेढ़ घंटे इंतजार करके अपने घर वापस जा रहा हूं। विक्रम कहता है

विक्रम हम दोनों अपनी गलती से शहर के बड़े रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए हैं, यहां महादेव का एक छोटा सा मंदिर है, हम इसके आगे तुम्हारा इंतजार करेंगे चाहे तुम कितनी भी देर में आओ।" अंकिता कहती है

अंकिता का फोन सुनने के बाद विक्रम अपने अपराधी दोस्त कर्मवीर से कहता है "अब सिद्धार्थ की हत्या करना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि वह दोनों शहर के बड़े रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए हैं।"

"यह तो और भी अच्छा हो गया है, क्योंकि शहर से अपने कस्बे तक के रास्ते में नहर की किनारे बियाबान जंगल पड़ता है और वहां आए दिन नहर में तैरती हुई, पुलिस वालों को लाशें मिलती है, पुलिस मुश्किल से दस में से एक केस ही हल कर पाती है।" कर्मवीर अपराधी दोस्त बताता है