प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २० RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २०

दूसरे दिन सुबह उठकर तैयार जल्दी से तैयार हो कर हिना नीचे पहुंच गई और फिर सबको गुड मॉर्निंग बोल कर निकलने लगी।

मिनल ने कहा अरे बाबा नाश्ता तो कर लो ।
तुम्हारी सासू मां तो मंदिर गई है वो बोल कर गई कि हिना को नाश्ता करवा कर ही जाने दिया जाएं।
हिना मुस्कुरा कर बोली हां ठीक है मासी आज मैं जल्दी आऊंगी। थोड़ा अर्जेंट है इसलिए जा रही थी।
राज न्यूज पेपर में उलझा हुआ था पर हिना की आवाज सुन रहा था और वो मन में सोचा कि ऐसा क्या हुआ जो इतनी जल्दी है।
मिनल ने कहा अच्छा ठीक है।
हिना जल्दी से निकल गई।।

राज ने हिना के जाने के बाद मिनल से कहा मासी ये मां को मत बताना बेकार में परेशान हो जाएगी।आप ऐसा करो कि मालती से कह कर उसका लंच बॉक्स रेडी करवा दो मैं देता हुआ जाऊंगा।
मिनल ने कहा हां, ये ठीक है।
फिर राज भी तैयार हो कर आ गया और नाश्ता करने के बाद हिना का लंच बॉक्स लेकर निकल गया।
कुछ देर बाद ही आभा और परिणिति घर लौट आए।
मिनल ने पूछा अरे दीदी आज बहुत भीड़ थी क्या?
आभा ने कहा हां,मत पूछो।
हम तो थक गए।
फिर सब मिलकर बातें करने लगे।

इसी तरह दोपहर हो गई।
उधर कोर्ट में काफी देर तक हिना का केश चल रहा था।
उसके बाद वो जब फ्री हुई तो अपने टेबल पर बैठ गई और फिर उसे भुख लगने लगा
हिना ने कहा ओह माई गॉड आज तो लंच बॉक्स भी भुल गई।
कोई भी नहीं है जो मुझे समझ सकें।
और फिर राज टेबल पर लंच बॉक्स रखते हुए कहा अरे बाबा ऐसा कैसे?
खा लो भुख लगी होगी।
हिना एक दम से चौंक गई और बोली अरे आप यहां!
राज ने कहा हां क्यों मैं यहां नहीं हो सकता।
राज ने कहा आज जल्दी निकल गई तो मां ने भेजा है।
हिना ने कहा हां , वहीं तो मम्मी जी है वरना हमें कौन याद करें?
राज ने मुस्कुराते हुए कहा ऐसा क्या?
वैसे मैंने एक चीज नोटिस किया है कुछ बदल गई हो तुम?
हिना ने अपनी आंखें बड़ी कर ली और फिर बोली हां क्या कहा!
राज ने मन में सोचा ओह इस परेशान करना ठीक नहीं अभी मुड़ खराब हो गया तो खाना नहीं खाएगी।मैं बाद में देखता हूं।
और फिर बोला ओह मेरा एक अर्जेंट काॅल आ रहा है। मैं निकलता हुं।।

फिर राज के जाने के बाद ही हिना जल्दी से लंच बॉक्स खोली और फिर बोली जल्दी से खा लेती हुं भुख लगी है बहुत।
फिर खाना खाने के बाद एक राहत महसूस किया और फिर लैपटॉप पर काम करने लगी।


इस तरह से शाम हो गई फिर हिना घर लौट आईं।।

घर पहुंचते ही देखा कि नीचे सब बैठ कर हंसी मज़ाक कर रहे थे।
आभा ने कहा हां, हिना बेटा इधर आ तो यह ले प्रसाद।
हिना ने कहा हां, मम्मी जी कहते हुए प्रसाद मुंह में लेकर गले लगा लिया।

और फिर बोली थैंक्स मम्मी जी।
आभा ने कहा थैंक यू किस लिए?

वो लंच बॉक्स भेजने के लिए।।
आभा सोच में पड़ गई और बोली अरे क्या लंच बॉक्स।।
मिनल ने कहा अरे हिना जाओ फ्रेश हो कर आओ।
हां ठीक है यह कहते हुए हिना ऊपर चली गई।

फिर तैयार हो कर जाने लगी तो गिटार की आवाज आने लगी तो हिना समझ गई कि यह राज की धुन है।
फिर नीचे पहुंच कर देखा तो राज ने गाना शुरू किया।
खता तो जब हो के हम हाले दिल किसी से कहें।।।।
किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं।।।।


सब शांत हो कर राज का गाना सुन रहे थे।

परिणिति की आंखों से आंसु निकलने लगें थें।
राज ने जैसे ही देखा कि परि रो रही है तो राज ने गाना रोक दिया और बोला अरे बाबा ये सबको रूलाने वाली खुद कैसे रो रही है।।।
हा। हां।हां। हां।
परिणिति ने कहा अब बहुत मारूंगी हां! कितना अच्छा गाना था ये क्या किया तुमने!
राज ने कहा ओह ओह! मैंने क्या किया?

फिर राज गाना गाने लगा।
कुछ देर बाद ही हिना आकर बैठ गई।
और फिर मिनल ने कहा अरे हिना अब तुम भी कुछ सुनाओ।
हिना ने कहा हां ठीक है।
छोटी सी है जिंदगी।
हर बात में खुश रहो।
जो चेहरा पास ना हो।
उसकी आवाज में खुश रहो।
कोई रूठा हो आप से।।
उसके अंदाज में खुश रहो।
जो लौट नहीं आने वाला।
उसकी याद में खुश रहो।
कल किसने देखा है।
अपने आज में खुश रहो।।

फिर सबने तालियां बजाकर खुशी जाहिर किया।
परिणिति ने कहा वाह भाभी क्या बात है!
फिर सब खाना खाने बैठ गए।
हिना खाना खाने के बाद ऊपर कमरे में चली गई।
मिनल ने कहा अच्छा कल का क्या प्रोग्राम है जाना है या नहीं?
राज ने कहा हां,हम तो जा रहे हैं।
परिणिति ने कहा हां बुआ।।

हिना मन ही मन सोचने लगी कि मैं उसका एक लम्हा भी नहीं और वो मेरी सारी जिंदगी।

हिना ने कहा मैं यह क्या ही सोच रही हूं मुझे तो एतबार नहीं कोई इन्तजार भी नहीं फिर भी मैं यहां क्यों हुं??
फिर हिना सो गई।।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर हिना जाने लगी तो देखा कि राज और परिणिति भी तैयार हो कर बैठे थे।
रमेश ने कहा अरे हिना बेटा तुम नहीं जा रही हो क्या?
हिना हैरान हो कर देखने लगी और फिर बोली अरे पापाजी मैं तो आफिस जा रही हुं पर किसी ने बताया नहीं मुझे सब कहीं जा रहे हो?
आभा ने कहा अरे हम नहीं ये राज और परिणिति जा रहे हैं।।
हिना को यह सुनकर गुस्सा आया पर वो अपने दोनों मुट्ठियों को बन्द करके बोली मैं तो चलती हूं अब ।।बस फिर क्या था वो निकल गई।
मिनल ने कहा ओह! हिना को बुरा लगा शायद।।

आभा ने कहा मुझे लगा कि हिना नहीं जाएगी।।
राज ने कहा अरे बाबा अब छोड़िए ना हम चले!
परिणिति ने कहा अरे बाबा ये तो ग़लत बात है ना हमें तो भाभी को भी पुछना चाहिए था।।
राज ने कहा ओह माई गॉड अब पारो तुम मत शुरू हो जाओ।
फिर दोनों निकल पड़े।
उधर हिना कोर्ट पहुंच कर अपने टेबल पर जाकर बैठ गई और अपना काम देखने लगी।
कुछ देर बाद ही एक केस आ गया।
फिर हिना पुछताछ करने लगी और फिर हियरिंग के लिए चली गई।।
उधर राज को पता नहीं क्यों कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।।
किसी तरह से दोपहर तक दोनों वापस आ गए।
मिनल ने कहा अरे वाह तुम दोनों जल्दी आ गए?
परिणिति ने कहा अरे बाबा इसे पता नहीं क्या हो गया वापस आने की ज़िद करने लगा।

आभा ने कहा अरे क्या हुआ?
राज ने कहा बस सर दर्द हो रहा है!

यह कहते हुए ऊपर सीढियां चढ़ना शुरू किया और फिर बोला एक ब्लैक कॉफी देना।

मालती ने जल्दी से एक कप कॉफी बना कर राज के कमरे में देने गई।
राज ने पूछा मेरे पीछे कोई आया था?
मिनल ने कहा नहीं तो।।


फिर मिनल नीचे चली गई।।
उधर केस के बाद हिना को बहुत भुख लगी थी और वो गुस्से में लंच बॉक्स भी भुल गई।
हिना ने कहा ओह माई गॉड अब क्या खाऊं?
फिर हिना कैंटीन चली गई।
वहां पहुंच कर उसने कुछ खाना मंगवाया और फिर खाने लगी और फिर रोने लगी।
मैं क्यों यहां हुं?
यहां से जाना होगा मुझे।।


क्रमशः