रिश्ते… दिल से दिल के - 21 Hemant Sharma “Harshul” द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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रिश्ते… दिल से दिल के - 21

रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 21
[#ViniMa की शादी]

विनीत जी मंडप में दूल्हा बनकर बैठे हुए थे। उनका तो जैसे कोई सपना ही पूरा होने वाला हो; उनके चहरे से मुस्कान हट ही नहीं आ रही थी तभी कुछ लड़कियां गरिमा जी को लेकर आईं, सभी ने जब उस तरफ देखा तो विनीत जी की नज़र भी उस तरफ चली गई और गरिमा जी को देखकर तो वो दंग रह गए… शादी के जोड़े में तो वो खूबसूरत लग ही रही थीं ऊपर से उनकी झुकी हुई नज़रें उनकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रही थीं विनीत जी एकटक उन्हें देखे ही जा रहे थे।

जब रश्मि जी ने ये नज़ारा देखा तो वो एक कुटिल मुस्कान के साथ विनीत जी के कान में बोलीं, "अरे, विनीत जी! ज़रा इधर–उधर भी देख लीजिए अब तो गरिमा को आप का ही होना है पर अगर आपने उन्हें ऐसे घूरकर देखा तो कहीं उसे नज़र ना लग जाए!"

रश्मि जी की बात पर विनीत जी झेंप गए। उन्होंने अपनी नज़रें झुका लीं, उनकी इस हरकत पर रश्मि जी हल्के से हँस दीं।

उन लड़कियों ने गरिमा जी को विनीत जी के पास ले जाकर बिठाया। गरिमा जी ने भी एक नज़र से विनीत जी को देखा तो वो भी उन्हें देखती ही रह गईं पर सबकी वजह से उन्होंने अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर लीं। दोनों ही एक–दूसरे की तारीफ करना चाह रहे थे पर कोई उन्हें कुछ बोलने भी नहीं दे रहा था।

पंडित जी ने धीरे–धीरे शादी की रस्में शुरू कीं। पंडितजी के कहने पर विनीत जी ने गरिमा जी के गले में मंगलसूत्र पहनाया, मांग में सिंदूर भरा और सात जन्मों तक साथ निभाने के लिए सात फेरे भी लिए। हर कोई खुशी से उन पर फूल बरसा रहा था और इस तरह से विनीत जी और गरिमा जी शादी के पवित्र बंधन में बंध गए।

फिर दोनों ने एक–दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए।

शादी की रस्में होने के थोड़ी देर बाद जब सभी मैरिज हॉल में कुर्सियों पर बैठे थे तो अचानक से लाइट चला गई हर कोई घबराने और चिल्लाने लगा कि ये कैसे हो गया, अचानक से स्टेज की तरफ डिम लाइट्स चल गईं सभी ने उस तरफ देखा तो विनीत जी हाथ ने माइक पकड़े मुस्कुराते हुए वहां खड़े थे।

उन्हें देखकर सभी के चहरे पर मुस्कान आ गई, गरिमा जी उन्हें देखकर अच्छे से समझ पा रही थीं कि वो क्या करने वाले हैं उन्हें देखकर वो भी हल्के से मुस्कुरा दीं।

विनीत जी ने एक नज़र गरिमा जी को देखा और सबसे बोले, "आज का दिन मेरी ज़िन्दगी के सबसे स्पेशल दिनों में से एक दिन है क्योंकि आज भगवान ने मुझे मेरा प्यार, मेरी गरिमा से मुझे मिला दिया, हमें शादी के पवित्र बंधन में बांध दिया। हर इंसान की लाइफ में शादी का दिन खास तो होता है लेकिन जब उसकी शादी उसके प्यार से हो तो वो दिन और भी ज़्यादा खुशहाल बन जाता है वैसे ही मेरा भी बन गया है…"

फिर विनीत जी गरिमा जी की तरफ देखकर बोले जोकि उनकी आंखों से वो पढ़ना चाह रही थीं जो वो करने वाले थे, "मेरी अभी थोड़ी देर पहली बनी वाइफ को मेरी सिंगिंग बहुत पसंद है, मैं जब भी कुछ गाता हूं तो वो ध्यान से मुझे सुनती है तो मैंने सोचा क्यों ना आज के दिन भी मेरी वाइफ की विश पूरी की जाए… तो अपनी उसी प्यारी वाइफ के लिए मैं कुछ गाना चाहूंगा। क्यों मिसेज सहगल?"

विनीत जी ने गरिमा जी से सवाल किया तो सबकी नजरें उनकी तरफ हो गईं सबकी नजरों से वो असहज हो गईं और हल्के से हां में गर्दन हिला दी तो विनीत जी मुस्कुरा दिए और सभी ने तालियां बजा दीं।

थोड़ी देर बाद पूरे हॉल की लाइट्स ऑन हो गईं। विनीत जी ने अपना गाना शुरू किया…

हाय दिन तेरे बिन अब जी ना पाएं
दिन तेरे बिन अब जी ना पाएं
सांस ना लेती रात
इश्क करे तेरे होंठों से
इश्क करे मेरे होंठों से
बस इक तेरी बात
तेरी दूर ना सहूँ दूर खुद से रहूँ
तेरी दूर ना सहूँ दूर खुद से रहूँ
तेरे पहलू में ही रह जाऊं
तू ही समझ ले जो मैं चाहूँ

तू थोड़ी देर ठहर जा सोंणेया
तू थोड़ी देर और ठहर जा
तू थोड़ी देर और ठहर जा जालिमा
तू थोड़ी देर और ठहर जा..

(इसी पल का ख्याल गरिमा जी को तब आया था जब उन्होंने प्रदिति को गाते हुए सुना था।)

एक पल के लिए तो गरिमा जी की आंखें नम हो गईं पर फिर उन्होंने उन्हें साफ करके एक प्यारी सी मुस्कान दे दी। विनीत जी का गाना खत्म होने पर सभी ने तालियां बजा दीं। विनीत जी की नज़र तो बस गरिमा जी पर ही थीं। फिर विनीत जी को सभी बधाइयां देने लगे और उन्हें स्टेज से नीचे ही नहीं आने दिया।

तभी एक वेटर ने आकर गरिमा जी के कपड़ों पर जूस गिरा दिया।

रश्मि जी उनके पास में बैठी हुई थीं वो उस वेटर पर भड़क पड़ीं, "देखकर नहीं चल सकते क्या? उसके पूरे कपड़े खराब कर दिए।"

गरिमा जी रश्मि जी को शांत करते हुए बोलीं, "अरे, रश्मि! कोई बात नहीं, गलती से हो गया उनसे।"

"आप जाइए।", गरिमा जी ने वेटर से कहा फिर रश्मि जी से बोलीं, "मैं अभी कपड़े साफ करके आती हूं।"

रश्मि जी बोलीं, "हां, चलो मैं चलती हूं तुम्हारे साथ।"

"अरे, नहीं नहीं, तुम यहीं रुको… फंक्शन एंजॉय करो। मैं अभी दो मिनट में आती हूं।", गरिमा जी ने कहा तो रश्मि जी खड़ी होकर बोलीं, "नहीं, मैं चल रही हूं ना तुम्हारे साथ।"

"अरे, लेकिन…", गरिमा जी ने कहना चाहा पर रश्मि जी उससे पहले ही बोलीं, "फ्रेंड बोला है ना तुमने मुझे तो फिर मैं तो तुम पर रौब जमाऊंगी भी और तुम्हारे साथ जाऊंगी भी।"

बहुत कहने पर भी जब रश्मि जी नहीं मानी तो गरिमा जी उन्हें अपने साथ ले गईं। दामिनी जी बीच में मिलीं तो गरिमा जी ने उन्हें बता दिया कि वो अपने कपड़े साफ करने जा रही हैं।

"गरिमा! यार, सच्ची में क्या हसबैंड मिले हैं तुम्हें… एकदम टीवी के हीरोज जैसे डैशिंग, हैंडसम और तुमसे बेहद प्यार करने वाले। जब वो तुम्हारे लिए गाना गा रहे थे ना तो उनकी आंखों में तुम्हारे लिए प्यार साफ छलक रहा था। सच में तुम बहुत लकी हो।", रश्मि जी ने आराम से बेड पर बैठे हुए गरिमा जी कहा जोकि आईने में देखकर अपना दुपट्टा ठीक कर रही थीं।

गरिमा जी रश्मि जी को घूरकर बोलीं, "लकी तो मैं हूं लेकिन तुम्हें इतनी जलन क्यों हो रही है?"

"अ… वो… वो क्या है ना फ्रेंड्स चाहे कितने भी पुराने हों या नए वो अपने फ्रेंड्स की खुशियों में खुश होते हैं लेकिन जब उन्हें उनसे ज्यादा मार्क्स आएं या उनसे अच्छा हसबैंड मिले तो वो हमेशा विश करती हैं कि काश हमारे लिए भी यही सब हो जाए और ये जेलसी नहीं है, बल्कि मेरी तो भगवान से हमेशा ये प्रार्थना है कि तुम दोनों हमेशा साथ और खुश रहो क्योंकि तुम दोनों की जोड़ी परफेक्ट है।", रश्मि जी ने कहा तो गरिमा जी मुस्कुरा दीं और उनके गले लग गईं।

तभी उन्हें पीछे से कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। गरिमा जी और रश्मि जी ने जब मुड़कर देखा तो वहां वो चारों लड़के खड़े थे जो उस दिन लड़कियों की रैगिंग कर रहे थे और जिन्हें गरिमा जी ने लॉकअप में भिजवाया था।

"तुम… तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?", गरिमा जी ने थोड़ी घबराहट के साथ कहा तो उन लड़कों के पीछे से आवाज़ आई, "तुम्हारी शादी के लिए तुम्हें काँग्रैचुलेट करने आए हैं।"

जब सभी ने उस आवाज़ की दिशा में देखा तो पीछे कुर्सी पर रॉकी बैठा हुआ था।

गरिमा जी गुस्से ने बोलीं, "तुम सब लॉकअप से बाहर कैसे आए?"

रॉकी ने एक कुटिल मुस्कान दी और बोला, "शायद तुम्हारी याददाश्त बहुत कमज़ोर है तो याद दिला दूं कि मैंने तुम्हें उस दिन भी कहा था कि मेरे डैड बहुत पावरफुल हैं। चुटकियों में बेल करवा दी उन्होंने मेरी। अब देखो, मुझे तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन तुमने जो इसे और उन लड़कियों को बचाने के लिए मेरी सबके सामने इंसल्ट की थी उसकी वजह से तुम्हें बहुत कुछ भुगतना पड़ेगा।"

"ए! क्या समझते हो तुम… मेरे घर में आकर मुझ ही को धमकाओगे और मैं डर जाऊंगी? नहीं, बिलकुल नहीं; तुम जैसे से तो मैं कभी नहीं डरूंगी, बहुत देखे हैं तुम जैसे गरजने वाले।", गरिमा जी ने रॉकी की आंखों में आंखें डालकर गुस्से के साथ कहा तो रॉकी की भंवें तन गईं और वो अपनी जगह से गुस्से ने खड़ा हो गया।

फिर वो गरिमा जी के पास आकर बोला, "मुझे लगा था कि मुझे देखकर तू डर जायेगी, मुझे माफी मांगेंगी लेकिन तू… तू तो अभी अपनी उसी अकड़ में है; पर कोई बात नहीं तेरी इस अकड़ को तो मैं यूं खत्म कर दूंगा।" कहकर उसने गरिमा जी का हाथ पकड़ा और उसे ले जाने लगा तो रश्मि पीछे से एक डंडा उठाकर बोली, "खबरदार, जो किसी ने गरिमा को हाथ भी लगाया तो… हाथ तोड़कर रख दूंगी मैं।"

उसकी बात पर सभी ज़ोर–ज़ोर से हँसे।

रॉकी उसकी तरफ इशारा करके उसका मज़ाक बनाते हुए बोला, "देखो तो, इस झांसी की रानी को बचाने की बात कौन कह रहा है… वो जिससे उस दिन अपनी इज्ज़त नहीं बचाई गई थी। कैसे भीगी बिल्ली बन गई थी और आज इसके जैसे तेवर दिखा रही है!"

रश्मि गुस्से से उसकी तरफ डंडा मारने की आई कि बाकी लड़कों ने उसे पकड़ लिया। रॉकी गरिमा जी को जबरदस्ती खींचकर खिड़की से चुपके से बाहर के जाने लगा।

रश्मि जी ने बाहर आवाज़ लगाने की कोशिश की पर एक तो बाहर ज़ोर–ज़ोर से गानों का शोर था ऊपर से उन सबने रश्मि जी के मुंह पर हाथ रख लिया। रश्मि जी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उन सबसे खुद को छुड़ाया और गरिमा जी की तरफ भागी कि पीछे से किसी ने उनके सिर पर किसी भारी चीज़ से वार किया। जिसकी वजह से उनकी आंखों के आगे धुंधलापन छाने लगा और उन्होंने मुड़कर देखा तो उन लड़कों में से किसी एक के हाथ में फ्लावर वाज लगा था। उन्होंने गरिमा जी की दिशा ने हाथ बढ़ाया पर वो कुछ कर पातीं उससे पहले ही बेहोश हो गईं।

विनीत जी को जब देर तक गरिमा जी नहीं दिखीं तो वो दामिनी जी के पास आकर चिंतित होकर बोले, "मां! गरिमा कहां है?"

दामिनी जी उनको छेड़ते हुए बोलीं, "ओहो, बेटा! अभी तो शादी हुई है और अभी से अपनी पत्नी के थोड़ी देर ना दिखने पर इतनी चिंता!"

"अरे, नहीं… मां! वो बहुत देर से दिख नहीं रही है इसलिए मैंने पूछा।"

दामिनी जी मुस्कुराकर बोलीं, "वो… गरिमा के कपड़ों पर जूस गिर गया था इसलिए वो उनको साफ करने के लिए अपने कमरे में गई है।"

"अच्छा, ठीक है।"

दामिनी जी फिर दूसरी तरफ चली गईं।

विनीत जी अपने सीने पर हाथ रखकर बोले, "ना जाने क्यों दिल को एक घबराहट सी हो रही है! क्यों एक अजीब सा डर लग रहा है? नहीं नहीं, आज का दिन तो बहुत स्पेशल है, सब अच्छा ही होगा आज तो।"

विनीत जी खुद को समझा तो रहे थे लेकिन उनका मन एक अलग ही डर की तरफ बार बार संकेत कर रहा था।

क्रमशः