The Author Wow Mission successful फॉलो Current Read समय का पहिया By Wow Mission successful हिंदी मनोविज्ञान Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books श्री राम कृपा मानस महाग्रन्थ एक अभिब्यकती श्री राम कृपा मानस और प्रभु श्री राम के प्रति :... I Hate Love - 5 ******Ek Bada Sa mention Jahan per Charon Taraf bus log hi l... दोस्ती प्रेम और विवाह ये कहानी मेरी और एक अंजान लडकी की है मे यानी प्रिंस और वो जि... कुतिया - 2 इस दिवाली की रात शायदा करीब करीब 2/3 बजे होंगे मेरी नींद खुल... नशे की रात - भाग - 3 राजीव ने अनामिका को कॉलेज में आते जाते देखकर पसंद किया है ऐस... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे समय का पहिया (3) 3k 7.7k हमारे घर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक कब्रिस्तान है उसके बगल में एक सदियों पुराना घर है जिसके अंदर जाने की जरूरत कोई नहीं करता है उस घर के बारे में मैं तो कुछ ज्यादा नहीं जानता हूं लेकिन गांव के लोगों का यह मानना है कि इस घर में बहुत पहले एक बुढ़िया रहा करती थी वह बहुत ही गरीब थी उसका एक ही बेटा था । जिसका नाम दुलरूल था। वह बहुत ही चलाकर बुद्धिमान था उसकी मां उसके पढ़ाई के खर्चे जैसे तैसे खेतों में मजदूरी करके लाया करती थी दुलरूल के पिता एक कहानीकार थे वे कहानियां बनाया करते थे एक दिन वह एक खत लिखते हैं जिसका हेडिंग लाइन होता है अंतिम खत उन्होंने उस खत में दुलरूल के लिए कुछ लिखा था और दुलरुल के मां नीरा को दे देते हैं और बोलते हैं कि जब दुलरुल बड़ा हो जाएगा तो यह खत उसे दे देना मेरा पूछती है कि इसमें क्या लिखा है क्योंकि नीरा पढ़ी-लिखी नहीं थी तो दुलरुल के पिता बोलते हैं कि जब दुलरूल बड़ा हो जाएगा तो वही तुम्हें इस खत को पढ़कर सुनाएगा इतना कह कर वह वहां से चले जाते हैं और उसी दिन उनका मौत एक रहस्मयी तरीके से हो जाता है वह एक कहानी लिख रहे थे। और अचानक से लिखते, लिखते बेहोश हो जाते हैं ।उसके बाद से उन्हें कभी होश ही न आया और वह मर गए दुलरुल की मां मीरा अब अकेली पड़ गई थी कुछ दिनों तक वह बहुत रोई फिर उसने उस खत को एक बक्से में बंद करके रख देती है और दुलरुल के सारे पढ़ाईयों का खर्चा वह खेतों में काम करके चलाती थी । कई साल गुजर गए दुलरुल अब बड़ा हो चुका था वह विदेश जाने को सोच रहा था लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे विदेश जाने की तो वह अपनी मां से मांगता है और पूछता है मां क्या कुछ पैसे है विदेश जाने के लिए, तो मां बोलती है तुम्हारे पिता तुम्हारे लिए एक खत छोड़ गए हैं इसके अलावा कुछ नहीं है यह सुनकर दुलरुल गुस्सा हो जाता है । और वह बोलता है बुड्ढा मरने को मर गया लेकिन मेरे लिए क्या छोर गाया, यही एक छोटा सा खत यह बोलकर वह उस खत को बिना पढ़े फेंक देता है, और वह वहां से चला जाता है यह देख मीरा बहुत उदास हो जाती है वह रोने लगती है 😲🥺🥺उस खत को उठा लेती है और फिर वह अपने घर में रखे जो भी कीमती चीजें होती है सबको वह बेच देती है। बस एक सोने का हार जो उसके पति ने यानी दुलरूल के पिता ने उसके शादी में उपहार के रूप में दिए थे वह उस हार को अपने पति की याद में रख लेती है और जितने भी गहने, जेवर होते हैं उन सभी को बेच देती है और उस हार के साथ उस खत को अपने घर में एक बक्से में बंद करके रख देती है। इधर दुलरूल अपने बचपन की एक दोस्त दिया के पास जाता है उससे बोलता है कि मेरे पास पैसे नहीं है विदेश जाने की क्या तुम दोगे जब मैं कमाऊंगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे लौटा दूंगा तो दिया बोलती है काश मैं तुम्हारी मदद कर पाती बट आई एम सॉरी लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है दुलरूल वहां से मायूस होकर वापस घर आ जाता है वह उदास होकर बैठा होता है तभी उसकी मां मीरा उसके पास आती है और बहुत सारे पैसे दे देती है मीरा सोचती है कि मेरा बेटा पूछेगा कि यह पैसे कहां से आए तो मैं क्या जवाब दूंगी कैसे बोलूंगी कि मैंने अपने गहने ,जेवर को बेचकर यह पैसे लाए हैं लेकिन तभी उसके हाथ से वो सारे पैसे दुकरूल ले लेता है ।और खुश होकर वहां से चला जाता है यह भी नहीं पूछता है कि यह पैसे कहां से आए उसकी मां यह देखकर सोच में पड़ जाती है वह काफी दुखी हो जाती है वह बहुत रोने के बाद सोचती है कि मेरा बेटा इतना कैसे बदल गया क्या कमी की थी क्या वह इतना बदल जाएगा कि एक बार भी यह भी नहीं पूछा कि मां तुम खाना खाई या नहीं फिर वह जाकर उस बक्से से खत निकालती है और सोने की उस हार को वह अपनी पति की यादों में पहन लेती है मीरा को खत पढ़ने तो नहीं आता था लेकिन वह फिर भी अपने पति के हाथों से लिखे खत को पढ़ रही होती है उसे देखती है और याद करती है अपने अतीत को और फिर उस खत को बक्से में बंद करके रख देती है इधर दुलरूल सारे पैसे ले जा कर दिया को दे देता है दिया अपने पिता को बोलकर विदेश जाने की तैयारी करती है ।दुलरुल और दिया दोनों विदेश जाने के लिए तैयार रहते हैं दुलरुल आखरी बार अपनी मां से मिलने आता है तभी उसकी मां दुलदुल को गले से लगाती है और रोते हुए बोलती है बेटा ठीक से जाना और अपना ख्याल रखना तभी दुलरूल बोलता है कि मां तुम चिंता मत करो मेरे साथ दिया भी जा रही है दीया के भाई विदेश में रहते हैं हम उन्हीं के यहां काम करेंगे तभी नीरा अपने बेटे के लिए कुछ खाने पीने का सामान लाती है और दे देती है इधर दिया बोलती है जल्दी चलो देर हो रही है फ्लाइट छूट जाएगी । दुलरुल बोलता है मां मैं जा रहा हूं तभी मां बोलती है बेटा रुकना मैं तुम्हारे लिए कुछ ला रही हूं वह उससे बक्से से वह खत लाती है और बोलती है कि बेटा एक बार इसे देख लो तुम्हारे पिता ने मुझे दिए थे कि जब तुम बड़े होगे तो मैं यह खत तुम्हें दे दूं एक बार पढ़कर सुना दो इसमें क्या लिखा है वह खत को देखकर गुस्सा हो जाता है और बोलता है कि क्या मां तुम इस खत के पीछे पड़ी हो कोई कहानी लिख कर चले गए होंगे जब मैं आऊंगा तो पढ़ कर सुनाऊंगा ऐसा बोल कर वह दिया के साथ चल देता है । दोनों चले जाते हैं मीरा कुछ दिनों तक बहुत उदास रही बेटे के जाने की गम में वह उस पत्र को फिर बक्से में रख देती है यह बोलकर कि मेरा बेटा 1 दिन बड़ा आदमी बन कर आएगा फिर वह इस खत को पढ़ेगा 🥺🧓🧓🧑🦳🧑🦳🧑🦳Part2 coming soon 🙌✋Follow karlo guy's 🤗👌Thank you 😊☺️ Download Our App