प्यार भरा ज़हर - 27 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार भरा ज़हर - 27

एपिसोड 27 ( रानी मर गई ख़त्म कहानी ? )

काश्वी को समझ नहीं आ रहा था , की कल रात जो कुछ भी उसके ओर राघव के बीच हुआ था , उसके बाद राघव इस तरह क्यूँ चला गया था | लेकिन , काश्वी ने इस बात पर ध्यान नहीं देना ठीक समझा , क्यूंकि उसे लगा की हो सकता है की राघव को कुछ याद ही ना हो | वो तो नशे में था | 

रक्षांश को भनक लग चुकी थी , की काम्या काश्वी को जान से मरना चाहती है | ओर रक्षांश अपनी बेटी को अच्छे से जनता था | काम्या अपने काम निकलवाने के लिए , अपना रास्ता साफ़ करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है | काश्वी कॉलेज में होती है , की उसे ऐसा महसूस होता है की कोई उसका पीछा कर रहा है | 

बहुत देर तक जब काश्वी ने ये बात नोटिस की , की एक परछाई बहुत देर से उसके साथ चल रही है | लेकिन उसके साथ कोई नहीं है , तो काश्वी थोडा घबराने भी लगी थी | तंग आकर , काश्वी कॉलेज के खुले ग्राउंड में चली गई | जहाँ पर बहुत तेज़ धुप थी | 

ओर उस धूप की रौशनी में , वो काली परछाई काश्वी को बहुत अच्चे से दिखाई दे रही थी | गुस्से में काश्वी बोलती है | 

काश्वी :: "तुम जो कोई भी हो | हिम्मत है तो सामने आओ | इस तरह मेरा पीछा मत करो |" काश्वी ने देखा की कोई नहीं आ रहा था | तो काश्वी ओर ओर ज्यादा गुस्सा आने लगा | वो चिल्लाते हुए गुस्से में कहती है | 

काश्वी :: "लगता है की तुममे इतनी भी हिम्मत नहीं , की अपने असली रूप में मेरे सामने आ सको | तो ठीक है , अब मैं .." 

काश्वी को अपनी बात पूरी करने का मौका भी नहीं मिलता है, ओर अचानक से उसके सामने जो परछाई थी , वो इंसान में बदल जाती है | रक्षांश इस तरह काश्वी से मिलना नहीं चाहता था | काश्वी को गुस्से में देख , रक्षांश के पास ओर कोई चारा नहीं था | उसे काश्वी के सामने आना ही पड़ा | 

अपने सामने का नजारा देख , काश्वी के तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई | उसे अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था , की उसके पिता उसके सामने खड़े हैं | काश्वी की आँखें नम हो चुकीं थीं | इतने सालों बाद , जिस पिता को काश्वी ने बचपन से नहीं देखा था | जिस पिता के प्यार के लिए काश्वी इतना तरसी थी | जिस पिता की गोद उसे मिली नहीं थी | 

आज वो पिता काश्वी के सामने खड़ा था | काश्वी एन कभी पिता के प्यार को महसूस नहीं किया था | पर हाँ उसने ये जरूर महसूस किया था , की पिता ना होने का खाली पन  , दर्द ,  एक अकेलापन क्या होता है | काश्वी ने बचपन से अपने दोस्तों को , उनके पिताओं के साथ देखा था | ओर जब भी सब के पिता काश्वी की ओर देखते थे , तो काश्वी ने उन सब की आँखों में दया ही देखि थी | 

पिता का आशीर्वाद , एक बेटी के लिए बहुत जरूरी होता है | पिता का सिर्फ साथ होना ही , बहुत होता है | आज वो पिता काश्वी के सामने खड़ा था | ओर काश्वी को समझ नहीं आ रहा था , की वो क्या करे | कैसे रियेक्ट करे | 

काश्वी के मुह सिर्फ एक शव्द निकलता है | 

काश्वी :: (रूवांसी आवाज़ में ) "डैड ...." काश्वी ने ये इतनी धीरे बोला था , की शायद रक्षांश को सुनाई नहीं देता अगर रक्षांश एक राक्षश नहीं होता | काश्वी भाग कर रक्षांश के गले लग जाती है | ओर फूट फूट कर रोने लगती है | 

काश्वी : : (रोते हुए ) "आप आ गये डैड  | मैंने आपको बहुत मिस किया | इतना समय क्यूँ लगा दिया आपने डैड |" काश्वी को समझ नहीं आ रहा था , की वो क्या बोले | इसलिए जो आ रहा था , बस बोले ही जा रही थी | काश्वी की आँखों से , प्यार की बरसात हो रही थी | उसका एक एक आसनु रक्षांश को ये बया कर रहा था , की काश्वी ने उसे कितना मिस किया है इन सालों में | 

काश्वी को इस तरह  रोते हुए देख, रक्षांश  की आँखों में भी आंसू आ गये थे | कुछ देर काश्वी को यूँ ही गले लगाए रखने के बाद , रक्षांश काश्वी से दूर हुआ | ओर काश्वी से कहने लगा | 

रक्षांश ::: "काश्वी , मेरी बात सुनो | मुझे तुम्हे कुछ बताना है |" काश्वी क्न्फ्युसड नजरों से अपने पिता की ओर देखने लगी | तब रक्षांश काश्वी से कहता है | 

रक्षांश :: "पर उस के लिए तुम्हे मेरे साथ चलना होगा |" काश्वी ने एक बार भी नहीं सोचा | ओर रक्षांश के साथ चली जाती है |यहाँ तक की , काश्वी के साथ कोई भी नहीं था | उसके रक्षक भी नहीं | लेकिन आज काश्वी अपने डैड के साथ थी | ओर काश्वी अपने डैड के साथ कुछ टाइम स्पेंड करना चाहती थी | 

रक्षांश काश्वी को उनके घर ही लेकर गया | जहाँ काश्वी ने अपनी पहली सांस ली थी | काश्वी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, की आप्म्खिर रक्षांश उसे यहाँ लेकर क्यूँ आया है | लेकिन काश्वी ने कोई सवाल भी नहीं किया | 

उसके बाद , रक्षांश ने काश्वी को एक ऐसी बात बताई , जिसे सुनने के बाद ,काश्वी अंदर तक टूट गई थी | उसे तो भरोसा ही नहीं हो रहा था , अपने कानों पर | लेकिन काश्वी के पास रक्षांश की बातों पर भरोसा करने के सिवाए , कोई ओर चारा भी नहीं था | रक्षांश ने काश्वी से आखिर में कहा | 

रक्षांश :: "मैंने जो तुम्हे बताया है , उसे याद रखना | ओर खुद की रक्षा अब तुम्हारे ही हातों में है | अपने घर जाने के बाद , काश्वी को सबसे पहले राघव ही मिलता है | जो काश्वी के पास आता है ,, ओर कश्वी के सामने हाथ जोड़कर कहता है | 

राघव :: "मुझे माफ़ कर देना काश्वी , उस रात जो कुछ भी हुआ ..." काश्वी ने राघव की बात को अनसुना कर दिया | क्यूंकि राघव की शक्ल देख कर काश्वी को अपने पिता रक्षांश की वो साड़ी बातें याद आ रहीं थीं , जो रक्षांश ने उसे बताएँ थीं | 

रक्षांश ने काश्वी को अपनी दिव्य शक्तियों से राघव का सच बता दिया था | की वो राघव जिसे काश्वी चाहने लगी है | वो कोई आम इंसान नहीं है | बल्कि एक इच्छाधारी नाग है | एक शेष नागा है | लेकिन , उसी के साथ , एक ऐसी सचाई से रूबरू भी करवाया रक्षांश ने काश्वी , जिससे काश्वी बहुत परीशान हो चुकी थी | 

राघव ने धोखे से शेष नाग का औह्धा हासिल किया था | राघव भी काम्या की ही तरह एक , राक्षश है | ओर नाग भी | ये एक ऐसा राज़ था , जिसे चिओआने के लिए राघव ने वो हर काम किया , जो वो कर सकता था | रक्षाश ने काश्वी को खुद की ओर काम्या की सचाई भी बताई | 

जो गलती रक्षांश ने पहले कि थी , अब वो गलती दुबारा नहीं करना चाहता था | कमरे में जाते ही , काश्वी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था | दरवाज़े के सहारे बैठते हुए , काश्वी जिसने बहुत देर से खुद को रोक कर रखा था ,  आंसुओं के जरिये अपना दुःख भा देना चाहती थी | 

आज काश्वी इतनी टूट चुकी थी , की चाह कर भी वो खुद के मासूम दिल को जोड़ नहीं पायेगी | तभी काश्वी अपने पेट पर हाथ रखती है | ओर रोते हुए खुद से कहती है | 

काश्वी :: "क्यूँ राघव , क्यों ... अब इसका क्या होगा | क्क्य होगा हमारे बच्चे का ?" (जोर जोर से रोते हुए ) 

हाँ काश्वी माँ बनने वाली थी | ओर शायद आज काश्वी राघव को ये बताने ही वाली थी | लेकिन आज जो उसे पता चला था , उसने उसे बहत बुरा दर्द दिया था | एक ऐसी चोट दी थी , जो कभी भरने नहीं वाली थी |

रोते हुए कब कश्वी वहीँ सो जाती है , उसे पता ही नहीं चलता है | अगली सुबह जब काश्वी उठती है , तो सबसे पहले राघव के पास जाने के बजाए , वो घर वालो के पास जाती है | एक आखिरी बार सब से मिलने के बाद , काश्वी ने एक दफा सोचा , की राघव से मिलना चाहिए , लेकिन उसे डर था , की कहीं काम्या ओर राघव मिलकर उसके बच्चे को कुछ कर ना दें | इसलिए उसने राघव से ना मिलने का सोचा | 

रंजना जी को लगा था , काश्वी यूँ ही बाहर जा रही होगी | लेकिन उन्हें क्या पता था , की उनकी बहु  उनके घर की लक्ष्मी  आज सब छोड़ चाद कर जा रही है | सिर्फ जा नहीं नहीं , बल्कि उनका चिराग भी लेकर जा रही है | 

राघव काश्वी से बात करना चाहता था , राघव पिछली रात ये सोच कर आया था , की वो काश्वी को सब बता देगा , लेकिन उसे काश्वी से मिलने या बात करने का मौका ही नहीं मिला | ओर जब सुबह उसकी आँख खुलती है  , तो काश्वी घर पर नहीं होती है | जाने अनजाने में ही सही , लेकिन राघव को ये आभास तो हो गया था , की शायद काश्वी को उसके धोखे के बारे में पता था |

काश्वी शायद सब कुछ बर्दाश कर ले , लेकिन जो धोखा राघव ने काम्या के साथ मिलकर उसे दिया है  वो काश्वी कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती थी | 

7 महीने बाद ,

काश्वी जो मार्किट में सब्जियां ले रही थी | बहुत खुश थी | क्यूंकि जल्द ही उसकी गोद में एक नन्हा मेहमान आने वाला था | पर शायद किसी से काश्वी की खुशियाँ बर्दास्त नहीं हुईं | शायद भगवान् ने काश्वी के लिए कुछ ओर सोचा था | या यूँ कहो , की शायद धरती पर काश्वी का काम खत्म हो चूका था | इन सात महीनों मे काश्वी ने कई खतरों का सामना खुद किया था | 

ओर देश को ना जाने कितने ही खतरों से बचाया था | अचानक से काश्वी को एक गाड़ी टक्कर लगा देती है | जिससे काश्वी , का बहुत बुरा एक्सीडेंट होता है | बहुत मुश्किलों  से लोगों ने काश्वी को हॉस्पिटल तो फौंच्वा दिया , लेकिन काश्वी के बच्चे को डॉक्टर्स बचा नहीं पाए | हॉस्पिटल बेड में लेते हुए , काश्वी मन ही मन  खुद पर हस्ते हुए सोच  रही थी | 

काश्वी ::" हा हा हा हा .... क्या अजीब बात है न , मेरा सब कुछ आज ख़तम होने का बाद भी मेरे होटों पर एक मुस्कान ही है | पर दिल , दिल पर तो आज इतने घाव है , की शायद वो घाव कभी भी भरने नहीं वाले हैं | मैं काश्वी अगरवाल ,  या यूँ कहो की काश्वी  रॉय , हा हा हा हा ,  जो अभी अभी 20  साल की हुई | हाँ अभी , क्यूंकि अभी रात के 12 ही तो बज रहे हैं | पुरे 20  साल हो गये मुझे , इस धरती पर साँसें लेते | ओर अपने दिल के जख्मों पर मल्हम लगाते |  बारिश की इस काली रात में , आज कोई नहीं जो मेरा साथ दे सके | जो मुझे आकर ये कह सके , की चलो काश्वी , आज के बाद तुम्हारी ज़िन्दगी में सिर्फ खुशियाँ ही होंगी | 

आज ही के दिन , दो साल पहले काश्वी ने अपनी ज़िन्दगी का राज़ जाना था | एक नया सफर शुरू किया | आज ही के दिन उसकी ज़िन्दगी में खुशियाँ आइन थीं | लेकिन आज ही के दिन भगवान् ने सब कुछ उससे चीन भी लिया | 

यही सब सोचते हुए , काश्वी गुस्से में रोते हुए कहती है | 

काश्वी :: हाय लगेगी इस माँ की उन सब को | जिहोने मुझसे मेरे बच्चे को दूर कर दिया | मैं दुबार जन्म लुंगी , इसी धरती पर  , ओर उन सब से बदला लुंगी , जिन्होंने मुझे तोडा | जो मेरे बच्चे के कातिल हैं | अब ये कुदरत देखेगी , एक नागिन का इंतकाम | एक माँ गुस्सा | अब ये कायनात भी इस बात की साक्षी बनेगी , उस युद्ध की शकशी जिसे जितने आउंगी मैं | जरूर आउंगी | हा हा हा अह , क्या खूब कहा है न किसी ने |  एक था राजा , एक थी रानी , रानी मर गई , ख़त्म कहानी |

इसी के साथ काश्वी अपनी साँसें त्याग देती है | क्यूंकि एक माँ के लिए अपने बच्चे को खोना , उस दर्द हो सह पाना बहुत मुश्किल  है | 

क्या लगता है दोस्तों , क्या सच में ये कहानी यही तक थी ? क्या सच में राघव ने काश्वी को धोखा दिया था , की था इन सब के पीछे कोई ओर ही अनोखी कहानी ? क्या सच में भोलेनाथ की बनाई इस जोड़ी के प्यार की कहानी यही तक थी ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |