प्यार भरा ज़हर - 26 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार भरा ज़हर - 26

एपिसोड 26 ( आज की रात , मदहोशी भरी ! )

काम्या :: (गूंजती हुई आवाज़ में ) :: "ओर नागिन भी ...."

रक्षांश ये बात सुनकर हैरान रह जाता है | जब काम्या पैदा हुई थी , रक्षांश को लगा था , की काम्या में नागिन शक्तियां हो सकती हैं | लेकिन जब काम्या पर रक्षाशी शक्तियां हावी होने लगीं थी | तो रक्षांश को भरोसा हो गया था , की काम्या एक राक्षश है | उसके बाद , काम्या आगे बोलती है |

काम्या :: "मैं भी नागिन हूँ | ओर माँ के बाद , उस मणि पर मेरा हक है | सिर्फ मेरा |" (गुस्से में ) 

रक्षांश को समझ नहीं आ रहा था , की वो काम्या को कैसे समझाए | रक्षांश मन ही खुद से कहता है | 

रक्षांश :: (मन ही मन ) "अब मैं तुम्हे ये कैसे समझाऊ , की नाग लोक कभी भी एक राक्षश को अपनी शेष नागिन के रूप में स्वीकार नहीं करेगा | अगर तुम नागिन हो भी , तो भी नहीं |"

काम्या अपनी बात  कहने के बाद , बिना रक्षांश की बात सुएँ ही वहां से चली जाती है | वहीँ , काश्वी की माँ , चार धाम यात्रा पर ही  अपनी समाधि ले लेती हैं | नाग लोक की एक परम्परा होती है , नई शेष नागिन आने के बाद , पूर्व शेश्नागिन को समाधि में जाना पड़ता है | 

ओर इस बात का ज्ञात काश्वी को तब हुआ , जब काश्ज्वी ने उस किताब को पढ़ा , जो वो अपने घर से लेकर आई थी | काश्वी की आँखों में आंसू आ जाते हैं | ये जानने के बाद , की अभी तक , उसकी माँ ने समाधि ले ही ली होगी | काश्वी मन ही मन सोचने लगी | 

fvo (रूवांसी आवाज़ में ) :: "तभी मेरी माँ से पीछे कुछ महीनों से बात नहीं हो पा रही है | लेकिन , माँ को एक बार मुझसे मिला चाहिए था | आप ऐसा कैसे कर सकती हैं माँ , अब मेरे सवालों के जवाब कौन देगा | कौन , मुझे बताएगा , की मेरी पापा ओर बहन कहाँ हैं | 

क्या हाउ था , पास्ट में , ये सारे वो सवाल थे , जिनका जवाब काश्वी को ढूँढना था | राघव अपने ऑफिस में होता है | पिछले कुछ दिनों से राघव , बहुत गुस्से में रहता था | ओर तो ओर , राघव का वर्ताव भी बदल चूका था | तभी , राघव को किसी की परछाई अपने आसपास होने का एहसास होता है | 

तो राघव अपना चेहरा अपने हाटों में छिपाते हुए , सर्द आवाज़ में कहता है | 

राघव :: "मैं जनता हूँ काम्या , तुम ही हो |" ये कहते ही , राघव के सामने एक लड़की आ जाती है | राघव अपना सर उपर करता है , तो उसके सामने एक बहुत ही सुंदर लड़की , काली साड़ी पहने खड़ी थी | आँखों में हल्का हल्का काजल , प्यारी सी मुस्कान लिए , काम्या बड़े ही प्यार से , अपनी हरी आँखों से राघव को देख रही थी | 

राघव ओर काम्या , इस वक्त दोनों की आँखों में आंसू थे | तभी राघव अचानक अपनी चेयर से उठता है , ओर काम्या को गले लगाते हुए , काम्या से कहता है | 

राघव :: "तुम आ गई | मुझे लगा था , की तुम्हे कुछ हो गया है | तुम मुझे छोड़ कर चली गई हो |" तो काम्या राघव के सर पर अपना हाथ प्यार से फेरते हुए , राघव से कहती है | 

काम्या :: "नहीं राघव , मियन अब कहीं नहीं जाउंगी | हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी |"

हाँ , काम्या ओर राघव एक दुसरे से प्यार करते है | शिद्दत वाला प्यार | पर जब राघव को पता चला की काम्या की मौत हो गई है , तो राघव टूट सा गया था | यही एक कारण था , की राघव ने कभी भी किसी भी लड़की को खुद के करीब नहीं आने दिया था | राघव को काश्वी से कोई अपना सा एहसास होता था | इसलिए उसकी ओर काश्वी की दोस्ती हुई थी | 

पर राघव को ऐसा नहीं पता था , की काश्वी उसी के प्यार , काम्या की सगी बेहन होगी | राघव ओर काम्या पिछले जन्म से , जन्मों जन्मों से एक दुसरे से प्यार करते थे | काम्या से दूर होते हुए , राघव बोलता है | 

राघव :: "पर तुमने , तुमने काश्वी को मारने की कोशिश क्यूँ की ? वो तो तुम्हारी बहन है |" राघव के मुह से काश्वी का नाम सुन , काम्या को गुस्सा आने लगा | गुस्से में काम्या राघव से केहती है | 

काम्या :: (गुस्से में ) "क्यूँ , तुम्हे उससे प्यार हो गया क्या ? जो उस के लिए इतना महसूस कर रह हो ?" काम्या की बात सुन , राघव के दिल में एक तेज़ टीस उठी | ना जाने क्यूँ, पर शायद हाँ , क्यूंकि राघव को सच में दुःख हो रहा था  , की काम्या ने काश्वी को मारने की कोशिश की थी | 

इतना समय काश्वी के साथ रहने के बाद , राघव को इतना तो समझ में आ ही गया था , की काश्वी एक बहुत अच्छी लड़की है | काश्वी ने पिछले एक साल में , राघव के परिवार को अपनों जैसा ही प्यार दिया था | 

पर राघव ये सब बातें काम्या से नहीं कह सकता था | 

राघव :: "अरे नहीं काम्या , मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ | आई लव यू काम्या ..." ओर ये कहते ही , राघव काम्या को फिर से हग कर लेता है | 

काम्या के चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी | वो मन ही मन खुद से बोलती है | 

काम्या (मन ही मन ) :: "अब तो टू बस , देखती जा काश्वी , कैसे मैं तुमसे सब कुछ छीनती हूँ | जो मेरा है , सब लुंगी मैं | नाग मणि भी | ओर मिसेस रॉय होने का टैग भी | राघव रॉय का प्यार सिर्फ एक ही है , वो हूँ मैं |" 

काश्वी ने राघव में बहुत बदलाव महसूस किये थे | ख़ास कर , तब से , जब से राघव ने काश्वी की बहन की तस्वीर देखि थी | ना जाने क्यूँ , उस दिन के बाद , राघव ने मानो काश्वी की ओर एक बार भी देखा ही नहीं था | वहीँ राघव के मन में तूफ़ान चल रहा था | राघव काश्वी को चाहने लगा था | पर , राघव काम्या से बहुत प्यार भी करता था | 

उसे ऐसा लग रहा था , की वो काश्वी के साथ ठीक नहीं कर रहा है | एक दिन , स्ट्रेस के कारन , राघव ड्रिंक कर के , घर आता है , अक्मरे में आते ही राघव , काश्वी को गले लगा लेता है | राघव नशे की हालत में कुछ बोल रहा था | लेकिन काश्वी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था | 

काश्वी मन ही मन सोचती है | 

"एक काम करती हूँ , इन्हें सुला देती हूँ |" काश्वी राघव को बिस्तर पर लेता देती है | ओर कम्बल ओढा कर , जैसे ही वहां से जाने को होती है , राघव काश्वी का हाथ पकड़ लेता है | ओर काश्वी को अपनी ओर खींच लेता है | यूँ अचानक से खींचे जाने से काश्वी हैरान रह गई थी | 

राघव पनी नशीली आँखों से काश्वी को देख रहा था | ओर काश्वी, वो तो राघव में खो गई थी | लेकिन फिर भी खुद को सँभालते हुए काश्वी कहती है | 

काश्वी :: "राघव , आप नशे में हैं | मुझे जाने दीजिये |" काश्वी खुद को राघव से दूर करने की बहुत कोशिश कर रही थी | लेकिन, राघव ने कश्वी को झटके से , बिस्तर पर लेता दिया | ओर खुद काश्वी के उपर आ गया | फिर धीरे से काश्वी के कानो के करीब आते हुए , राघव बहुत ही नशीली आवाज़ में कश्वी से कहता है |

राघव :: "क्यूँ , मेरा पास आना बर्दाश्त नहीं हो रहा ?" काश्वी के पूरा शरीर शेहर उठा था | उसने अपनी आँखें बंद कीं | ओर राघव के टच को महसोस करने लगी | राघव ने धीरे से अपने होंठ काश्वी के होंठों पर रखे | ओर काश्वी के होठों के रस पिने लगा | 

धीरे धीर , काश्वी ओर राघव दोनों ही अपने कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं |  

वहीँ , रक्षांश , को ये समझ में नहीं आ रहा था, की वो काम्या को कैसे समझाए | रक्षांश काश्वी से मिलना चाहता था | लेकिन , काश्वी की रक्षा के लिए , शेष नागिन के दूत नाग हमेशा काश्वी के साथ ही होते थे | ओर रक्षांश को अब एक मौका चाहिए था , काश्वी से बात करने का | 

रक्षांश ये  बात अच्छे से जनता था , की काम्या अपने बदले के लिए , किसीभी हद तक जा सकती है | यहाँ तक की , काश्वी को अगर रक्षांश तक को मरना पद जाए ., तो काश्वी जमीन आसमान एक कर देगी , लेकिन उसे जो हासिल करना है , वो तो वो कर के ही मानेगी | 

अगली सुबह , सूरज की तेज़ किरणों से , राघव की आँख खुलती है | ओर आँखें खोलते ही  , राघव को कल रात जो भी हुआ , वो सब याद आता है | जिससे राघव अपने पास देखता है , तो जिस बात कर डर राघव को सता रहा था , वही हुआ | काश्वी ओर राघव के बीच , हदें पार हो चुकीं थीं | 

अब तो राघव को ऐसा लग रह था , मानो उसने काम्या को धोखा ही दे दिया था | इसलिए बिना काश्वी से बात क्र इ , की राघव घर से निकल जाता है | जब काम्या को पता चलता है , की राघव ओर काश्वी के बीच नजदीकिय आ चुकी हैं , तो काश्वी को जान से मारने की जील काम्या में ओर भी ज्यादा बढ़ गई | 

अब काम्या का सिर्फ एक गोल था  , काश्वी की जान लेना | पर ये आसानस नहीं होने वाला था | क्यूंकि रक्षांश कभी भी काश्वी को कुछ नहीं होने देगा | रक्षांश हमेशा काश्वी की परछाई बनकर उसके साथ रहने लगा था | काश्वी को अभी तक उसकी बहने ओर पिता के बारे में कुछ भी पता नहीं चला था , पर काश्वी ने अब सोच लिया था , की वो एक बार फिर से अपनी माँ के घर जायेगी | शायद उसे वहां अपने सवालों के जवाब मील जाएं | 

क्या लगता है दोस्तों आपको , क्या काश्वी को अपने सवालों के जवाब मिलेंगे ? ओर सच जानने के बाद काम्या अब क्या कदम उठाएगी ? क्या राघव , काश्वी को काम्या के लिए छोड़ देगा ? 

जानने एक लिए बने रहिए मेरे साथ |