प्यार भरा ज़हर - 23 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार भरा ज़हर - 23

एपिसोड 23 ( दो जुड़वा बहनें ! )

गहरे समन्दर जैसी , लेकिन हरी | कश्वी सीधी खड़ी  होती है , ओर राघव से कहती है | 

काश्वी :: "आँखें राघव , उस नकाबपोश की आँखें गहरी हरी थीं | मैंने पहले इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया |"

काश्वी को अच्छे से याद था , की उस रात वोशरूम से वापिस आते हुए , किसी ने उसे पिच्छे से पकड़ा था | ग्ताभी काश्वी को उन हरी आँखों की झलक दिखाई दी थी | राघव बोलता है | 

राघव :: "पर काशी दुनिया में हरी आँखें ना जाने कितनों की होंगी | क्या तुम्हे कुछ ओर याद आ रहा है ?"

काश्वी सोचने लगती है | तभी काश्वी कहती है |  

काश्वी :: "जानती हूँ राघव , वैसी आँखें बहुत लॉग इन की होंगी | लेकिन , वो अपना पन , वो हर किसी में नहीं होगा |"

राघव को काश्वी की कोई भी बात समझ में नहीं आ रही थी | वो बोलता है | 

राघव :: "क्या मतलब अपना एहसास काश्वी ? मतलब क्या तुम उसे ..."

काश्वी :: "शायद , मैं यकीन से तो नहीं कह सकती राघव | लेकिन वो आँखें , उन आँखों को मैंने पहले भी देखा था | वो एहसास बहुत अपना सा था | मुझे याद है , माँ के घर पर एक फोटो गली है हॉल में , उसमे भी एक बच्चा है , जिसकी आँखें बिलकुल वैसी हरी थीं |"

राघव :: "बच्चा , कौन बच्चा ?"

काश्वी :: "नहीं पता मुझे | माँ ने कभी बताया ही नहीं |" एक दुसरे से बात करने के बाद  , राघव ओर काश्वी ये डिसाइड करते हैं , की आज ही वो दोनों काश्वी की माँ के घर जायेंगे | काश्वी की माँ चार धाम यात्रा पर गईं थी , तो घर की चाबी तो काश्वी के पास ही थी | 

नाश्ता करने के बाद , काश्वी रंजना जी से आशीर्वाद लेते  हुए कहती है | 

काश्वी :: "आशीर्वाद दीजिए माँ , की मैं आज अपने सारे सवालों के जवाब ढूंढ पाऊं |"

रंजना जी काश्वी को आशीर्वाद देते हुए, प्यार से काश्वी के सर पर हाथ रखती हैं | ओर कहती हैं | 

रंजना जी :: "जैसा तुम चाहो बिलकुल वैसा ही हो बेटा | भोलेनाथ से यही प्रार्थना करती हूँ |'

उसके बाद , राघव ओर काश्वी दोनों काश्वी के घर के लिए निकल जाते हैं | आज बहुत दिनों बाद , अपने बच्चो को साथ में खुश देख कर , रंजना जी बहुत खुश थीं | लेकिन , राजीव जी कुछ परेशान थे | वो जल्दी से अपने कमरे में चले गये | व्ही कार ड्राइव करते हुए , राघव मन ही मन सोच रहा था | 

राघव :: "(मन ही मन ) पता नहीं , पर जा से क्लब वाला इवेंट हुआ है , काश्वी को कुछ हुआ है | उसे चीजें याद नहीं रहती | काश्वी के साथ कुछ तो हुआ है उस दिन , जो या तो उसे याद नहीं , या ये मुझे बताना नहीं चाहती |)

मन में ये सारी बातें सोचते हुए , राघव बार बार काश्वी की ओर देख रहा था | जब काश्वी ने ये फील किया की राघव बार बार उसे ही देख रहा था , उसने इशारों में पूछ ही लिया | (क्या हुआ ?) तो राघव ने ना में अपना सर हिला दिया | ओर सामने देखकर , कार ड्राइव करने पर फॉक्स करने लगा | 

आज काश्वी ओर राघव दोनों के मन में बहुत सारे सवाल थे , लेकिन दोनों के पास ही कोई जवाब नहीं था | दोनों बात करना चाहते थे , लेकिन आज दोनों के पास ही शव्द नहीं थे | कुछ ही देर में दोनों घर [पहुंच जाते हैं | काश्वी की माँ के घर | काश्वी जैसे ही गाडी से उतरती है , उसे अपनी बचपन की कुछ यादें धुंधली सी दिखाई देने लगीं | पर वो जल्द ही काश्वी भूल भी जा रही थी | 

घर का टला खोलते ही , काश्वी को एक तेज़ हवा का झुका लगा | काश्वी ने अपने चेहरे के सामने हाथ रखा | ओर राघव ने भी हाथ रखा , ताकि धुल आँखों में ना जाए | मौसम खराब होने की वजह से , तेज़ हवाएं चल रहीं थी | घर में चारों ओर सूखे पत्ते गिरे थे | आंगन के बीचों बीच तुलसी माता का पौधा लगा था | काश्वी धीरे धीरे अंदर जाती है | 

ओर राघव  काश्वी के पीछे जाने लगता है | तभी मानो राघव की नजरें कुछ देखती हैं | वो काश्वी का हाथ पकड़ते हुए कहता है | 

राघव :: "काश्वी , वो देखो .." काश्वी उस ओर देखती है , जहाँ रागाव कुछ दिखा रहा था | आंगन कीसामने वाली दीवार पर , बहुत सारी तस्वीरें लगी हुई थी | उन्हें देख , काश्वी की नजर सबसे पहले , या यूँ कहो की , खुद ब खुद , सबसे बीच वाली तस्वीर पर जाती है | 

काश्वी तस्वीर के पास जाती है | ओर तस्वीर में सब को देखने लगती है | काश्वी के पिता , जिनके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी , काश्वी की माँ , जो काश्वी के पापा  को देख रहें थी, ओर स्माइल कर रहें थी | काश्वी , जो अपनी माँ की गोद में थी , ओर ,

(काश्वी की आँखें शॉक से खुली रह जाती हैं ) काश्वी के पापा के हाटों में एक बच्ची थी | जो लगभग 6 से 7 साल की ही होगी | बिलकुल काश्वी की ही उम्र की | दोनों बच्चियों को साथ में देखने से कोई भी ये बात कह सकता था , की ये दोनों , ये दोनों बच्चियां बहनें हैं | 

ये ख्याल मन में आते ही , काश्वी को एक बड़ा धक्का सा लगता है | काश्वी ने कभी पहले इस तस्वीर पर ध्यान ही नहीं दिया | ओर पिछले कुछ सालों से काश्वी पढ़ाई में इतना बिजी हो गई थी , की उसे कुछ सोचने का समय हजी नहीं मिला | 

पर आज जब काश्वी अपने पिता ओर उनके हाटों में उस बच्ची को देख रही थी , तो उसे ऐसा लग रहा था , की वो खुद को ही देख रही हो | मानो वो दूसरी काश्वी को देख रही हो | काश्वी को अच्छे से याद था , की उसकी माँ हमेशा से उससे कहती रही हैं ...

काश्वी की माँ :: "बेटा , तुम्हारे पापा नहीं है |"

काश्वी (बच्ची ) : पर वो कहाँ हैं माँ ?"

काश्वी की माँ :: "हमसे बहुत दूर | बहुत |"

काश्वी (बच्ची ) :: "क्या पापा भगवान् के पास हैं माँ ?" 

इस बात का काश्वी की माँ ने आज तक कोई जवाब नहीं दिया था | काश्वी ने लोगों के मुस से बहुत सारी बातें सुनी थीं | 

एक इंसान ( औरत ) :: "अरे तेरा बाप तो भाग गया |"

दूसरा इंसान (आदमी ) :: "ओर अकेला नहीं , तेरी बहन को भी ले गया |"

एक इंसान ( औरत ) :: "कैसा बाप है , दो बहनों को अलग कर दिया |"

पर काश्वी जब भी अपनी माँ से ये सवाल करती थी , तो काश्वी की माँ हमेशा बात को टाल देती थीं | आज काश्वी को सब समझ में आ रहा था , की क्यूँ उसकी माँ ऐसा करती थीं | 

उस स्वीर में , काश्वी जैसी हुबहू दिखने वाली बच्ची की आँखें हरी थीं | ये बिलकुल वैसी आँखें थीं , जो उसने क्लब में देखीं थीं | उस रात भी कुछ पलों के लिए काश्वी को ऐसा लगा था , की वो उस इंसान को जानती है | पर उसने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था , की वो नकाबपोश , उसी की बहन निकलेगी | 

आज काश्वी को ऐसा झटका लगा था , जिसका अंदाजा काश्वी ने अपने सपने में भी नहीं किया था | ओर राघव , उसे तो मानो हैरानी हो रही थी , राघव को तो मानो शोक लगा हो | वो मन ही मन खुद से बोला | 

राघव :: "इम पॉसिबल | ये जिंदा नहीं हो सकती |"

काश्वी के सामने जो था , उसे देखने के बाद , काश्वी मानो नादर तक टूट चुकी थी | उसे समझ में ही नहीं आ रहा था , की जो वो देख रही है , वो सच है | काश्वी को , उन लोगों की बातों पर आज तक भरोसा नहीं हुआ था , जिन्होंने आज तक काश्वी से ये कहा था  , की उसके पिता भाग गये | 

ओर व्ही दूसरी ओर , राघव शॉक में जा चूका था | राघव को देख कर कोई भी ऐसा कह सकता था  की उसने किसी ऐसे इंसान को देखा है, जिसे वो बहुत सालों से जनता है | उसे पहचानता है | पर राघव की नजरों में कुछ ओर भी था | एक इमोशन , प्यार भरा इमोशन | जो काश्वी ने कभी पहले नहीं देखा था | 

राघव के देखते हुए , काश्वी ने उससे सवाल किया | 

काश्वी : "राघव , क्या तुम इस बच्ची को जानते हो ?" काश्वी का सवाल सुन , राघव ने काश्वी की ओर देखा , ओर ना में अपना सर हिला दिया | ओर वहां से वापिस घर के बाहर जाते हुए , अपनी कार में बैठ गया | राघव ने काश्वी से कुछ भी नहीं कहा | एक शव्द भी नहीं | 

काश्वी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था , की जो वो देख रही है , जो वो समझ रही है ,जो उसका दिमाग उससे कह रहा है , क्या वो सच है या नहीं | काश्वी खुद से मन ही मन बोलती है | 

काश्वी :: "(मन ही मन ) राघव के चेहरे पर तो ऐसे एक्सप्रेशन हैं , जैसे उसे उसका प्यार बड़े दिनों बाद मिला हो ?" काश्वी का दिल ना जाने क्यूँ घबरा रहा था | पर उसका दिमाग जो उससे कह रहा था , काश्वी उस पर भरोसा नहीं करना चाहती थी | पर राघव का रिएक्शन भी ऐसा था , जिससे काश्वी को डर तो लगेगा ही | 

काश्वी जैसे ही राघव के पिच्छे जाने को हुई , अचानक से तेज़ हवा का एक झुका काश्वी की आँखों में आकर लगता है | जिससे काश्वी अपना चहरा पिच्छे की ओर फेर लेती है | तभी उसकी नजर , अपनी माँ के कमरे की ओर जाती है | ओर उसी के सस्थ उस कमरे पर काश्वी की नजर ठहर जाती है , जिस पर काश्वी की माँ ने सालों से ताला लगा रखा था | 

काश्वी के मन में ख्याल आने लगते हैं | वो धीरे धीरे अपने कदम उस कमरे की ओर बढ़ा देती है | लेकिन ना जाने एक अनजाना सा डर काश्वी को सताने लगा था | तेज़ हवाओं में , काश्वी के आसपास सब धुंधला हो चूका था | लेकिन काश्वी ने अपने कदमों को रोका नहीं | 

बचपन से ही , जबा भी काश्वी अपनी माँ से इस कमरे के बारे में पूछती थी , तो काश्वी की माँ , कोई न कोई बहाना देकर , काश्वी को टाल दिया करती थी | ओर काश्वी ये बात अच्छे से जानती थी , की जरूर हो न हो , इस कमरे में कोई तो ऐसा राज़ छिपा है , जिसके बारे , काश्वी की माँ उसे पता नहीं लगने देना चाहती थी | 

आखिर क्या सच में काश्वी की कोई बहन भी थी ? ओर क्या सच में काश्वी के पिता जिंदा हैं ? ओर आखिर राघव ऐसा क्यूँ सोच रहा था , की काश्वी की बहन जिंदा क्यूँ है ? ओर क्या काश्वी की तबियत खराब होने के पिच्छे कोई राज़ है ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |