चुड़ैल से प्रेम Rakesh Rakesh द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चुड़ैल से प्रेम

अपना पुराना छोटा मकान बेचकर नया मकान खरीदने की वजह से अविनाश के माता-पिता बहुत खुश थे, लेकिन अपने माता-पिता का इकलौता बीस साल का पुत्र अविनाश अपने पुराने मकान को छोड़कर जाने की वजह से बहुत दुखी था, क्योंकि अविनाश बचपन से जवान अपने इसी मकान में हुआ था, इसलिए उसे अपने स्कूल के दोस्त और मोहल्ले के दोस्तों को छोड़ने का बहुत दुख था।

जिस दिन अविनाश के माता-पिता अपने नए बड़े मकान में जाने की पूरी तैयारी अपने पड़ोसियों रिश्तेदारों की मदद से कर लेते हैं, तो उसी समय अविनाश अपने पुराने घर से हमेशा के लिए जाने से पहले अपने दोस्तों के पास उनसे मिलने जाता है। उसके सारे दोस्त उसकी विदाई के दुख में उसे हमेशा याद रहे इसलिए कुछ ना कुछ उपहार अपनी अपनी अपनी तरफ से देते हैं, अपने दोस्तों के सारे उपहारों में अविनाश को कस्तूरी इत्र का उपहार बहुत पसंद आता है।

और नए घर में पहुंचने के बाद अविनाश और ज्यादा निराश उदास रहने लगता है, इसलिए वह एक दिन गर्मियों की तेज तपती धूपहरी में अपना मन बहलाने के लिए पार्क में किसी बड़े पेड़ की छाया में बैठने के लिए जाता है।

पार्क अविनाश के घर से एक दो किलोमीटर की दूरी पर था, इसलिए पार्क में पहुंचने से पहले तपती धूप की वजह से अविनाश को बहुत तेज प्यास लगने लगती है।

उस पार्क के रास्ते में अविनाश को एक पीपल का पेड़ दिखाई देता है, पेड़ के नीचे पानी से भरा मटका रखा हुआ था, इसलिए अविनाश उस मटके से ठंडा मीठा पानी पीकर पीपल की नीचे बने टूटे-फूटे चबूतरे पर बैठ जाता है, उस पीपल के पेड़ के आसपास काले तिल मिट्टी का छोटा सा मटका सिंदूर लगा हुआ कटा हुआ नींबू कले तिल तिलक रोरी नारियल आदि सामान चारों तरफ बिखरे पड़े हुए थे।

जैसे ही अविनाश चबूतरे पर बैठता है, तो उसकी पेंट की जेब में कुछ चूभता है, अविनाश अपनी पेंट कि जेब में हाथ डालकर देखता है तो उसकी पेट की जेब में वही कस्तूरी इत्र था, जो उसके किसी दोस्तों ने उसे उपहार में दिया था।

तेज गर्मी की वजह से अविनाश के शरीर से लगातार पसीना निकल रहा था, इसलिए अविनाश पसीने की दुर्गंध काम करने के लिए वही कस्तूरी इत्र अपने ऊपर छिड़क लेता है।

और कस्तूरी इत्र छिड़कते ही अविनाश को किसी लड़की की रोने की आवाज सुनाई देती है, इसलिए अविनाश इधर-उधर देखता है, परंतु उसे कोई लड़की दूर तक दिखाई नहीं देती है, इसलिए वह पीपल के पेड़ की छाया में चबूतरे पर आराम से बैठ जाता है।

और उसी समय सामने से ठेले पर बेलपत्र का शरबत बेचने वाला एक बुजुर्ग अविनाश के पास जल्दी से दौड़ कर आता है और अविनाश से कहता है "बेटा यहां मत बैठो इस चौराहे के पीपल के पेड़ के नीचे लोग आए दिन टोना टोटका करते रहते हैं और मैंने सुना है, इस पीपल के पेड़ के आसपास एक चुड़ैल का साया है।"

और फिर अविनाश के बदन से कस्तूरी इत्र की खुशबू आने के बाद वह बुजुर्ग अविनाश से कहता है कि "तुमने अपने शरीर पर खुशबूदार इत्र छिड़क रखा है, तुम्हें शायद पता नहीं की खुशबू चुड़ैल भूत प्रेत को बहुत पसंद होती है, मेरा कहना मानो तुम अभी ही यहां से चले जाओ।"

अविनाश उस बेलपत्र का शरबत बेचने वाले की बात को अन सुना करके उस पीपल के पेड़ के नीचे शाम तक बैठकर अपने पुराने मकान दोस्तों की यादों में खोया रहता है।

और अविनाश जब घर आता है, तो उसे अपना बदन बहुत भारी भारी महसूस होता है, इसलिए वह रात का खाना खाकर जल्दी सोने चला जाता है।

और रात के ठीक 2:00 बजे उसके कमरे की खिड़की के बाहर किसी लड़की के रोने की आवाज सुनाई देती है। अविनाश जैसे ही खिड़की खोलकर देखता है, तो उसकी खिड़की के पास एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बिल्कुल अप्सरा परी जैसी खड़ी होकर रो रही थी।

अविनाश समझ नहीं पा रहा था, इतनी रात को यह अकेली लड़की हमारे घर के पास खड़े होकर क्यों रो रही है।

अविनाश के कुछ पूछने से पहले ही अप्सरा परी जैसी सुंदर लड़की अविनाश से कहती है "मुझे आज की रात अपने घर में शरण दे दो, कल सुबह होते ही चली जाऊंगी मैं अपनी सौतेली मां से छुपते छुपाते घर से भागी हूं, क्योंकि मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरी सौतेली मां मुझे पैसों के लालच में एक अमीर बूढ़े को बेचना चाहती है।"

उसकी परेशानी दुख को समझ कर अविनाश उस लड़की को अपने माता-पिता से छुपा कर अपने कमरे में ले आता है।

वह लड़की अविनाश के कमरे में आते ही अविनाश के सीने पर सर रखकर रोने लगती है, और अविनाश से कहती है "मैं तुम्हारे शरीर की खुशबू की दीवानी हो गई हूं।"

अविनाश को पहले ही वह लड़की दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की नजर आ रही थी और जब वह खूबसूरत लड़की अविनाश के सीने पर सर रखकर रोते रोते कहती है "मैं आपके शरीर की खुशबू की दिवाली हो गई हूं।" तो अविनाश अपने मन में उसका प्रेम दीवाना होकर सोचता है "मैं शादी करूंगा तो इसी खूबसूरत लड़की से करूंगा वरना जीवन भर कुंवारा ही रहूंगा। आज से इसके सारे दुख दर्द में खत्म करूंगा और यह सोचते सोचते अविनाश उस खूबसूरत लड़की को अपनी बाहों में भर लेता है।

इतने में उस लड़की की नजर भगवान बालाजी की तस्वीर पर जाती है। अविनाश और अविनाश के माता-पिता बालाजी के सच्चे बड़े भक्त थे। और वह लड़की बालाजी की तस्वीर देखकर अपने कानों पर हाथ रखकर चीखने लगती है।

भगवान बालाजी की तस्वीर को देखकर चीखते हुई उस खूबसूरत लड़की को चुप करवा कर अविनाश जल्दी से बालाजी की तस्वीर दीवार पर उल्टी कर देता है।

और दीवार पर तस्वीर उल्टी होते ही वह खूबसूरत लड़की शांत हो जाती है।

और फिर वह खूबसूरत लड़की अविनाश से कहती है "तुम्हारे कमरे में जितनी भी भगवान की तस्वीरें हैं, उन्हें अलमारी में रख दो, क्योंकि भगवान ने आज तक मेरी कोई मदद नहीं की है, इसलिए मैंने भगवान की भक्ति करना छोड़ दिया है और मैं अभी तुम्हारे घर से चली जाती लेकिन क्या करूं मैं मजबूर हूं, क्योंकि तुम्हारे शरीर से जो खुशबू आ रही है मैं उसकी दीवानी हो गई हूं।"

"सिर्फ खुशबू की या जिसके शरीर से खुशबू आ रही है, उसकी भी दीवानी हो गई है आप।" अविनाश पूछता है?

"हां मुझे पहली मुलाकात में ही आपसे प्रेम हो गया है, इसलिए मैं तुम्हें अपनी पूरी सच्चाई बताती हूं।"

अविनाश को वह लड़की बताती है "मेरा नाम नगमा है और सौतेली मां के अत्याचारों से तंग आकर मैंने दो वर्ष पहले आत्महत्या कर ली थी, लेकिन आत्महत्या करने के बाद भी मुझे शांति नहीं मिली क्योंकि आज भी मेरी आत्मा इधर-उधर भटक रही है और जब तुम पीपल के पेड़ के नीचे कस्तूरी इत्र अपने ऊपर छिड़क के बैठे हुए थे, मैं उसी समय से तुम्हारे शरीर की खुशबू से आकर्षित होकर तुम्हारे पीछे पड़ गई हूं।"

अविनाश उस परी अप्सरा जैसी खूबसूरत लड़की के प्रेम में इतना दीवाना हो गया था कि वह यह समझ ही नहीं पा रहा था कि वह जीवित लड़की नहीं भयानक चुड़ैल है।

प्रेम में पागल अविनाश खूबसूरत लड़की की भटकती आत्मा से कहता है "तुम जीवित हो या मृत्यु लेकिन अब से सिर्फ तुम मेरी हो।"और अविनाश उस चुड़ैल को अपने कमरे में रख लेता है।

और उस रात के बाद वह चुड़ैल दिन में गायब हो जाती थी और रात को 12:00 बजे के बाद अविनाश के साथ सुबह होने तक रहती थी।

वह चुड़ैल अविनाश से कस्तूरी इत्र के
अलावा कुछ नहीं मांगती थी

अविनाश भी कस्तूरी इत्र खत्म होने से पहले चुड़ैल को कस्तूरी इत्र लाकर दे देता था।

वह नगमा नाम की चुड़ैल अविनाश उसके माता-पिता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही थी, लेकिन फिर भी उसके घर में आ जाने के बाद सब कुछ अशुभ ही अशुभ हो रहा था, इसलिए अविनाश के माता-पिता घर की सुख शांति के लिए बालाजी की पूजा अपने घर में करवाते हैं।

और पंडित जी उनके घर में घुसते ही बता देते हैं, तुम्हारे घर के अंदर एक चुड़ैल का साया है।

और पूजा करते-करते पंडित जी को पता चल जाता है कि चुड़ैल का साया उनके बेटे अविनाश के ऊपर है, इसलिए पंडित जी अविनाश से हवन कुंड में हवन सामग्री डलवाते हुए मंत्रों का उच्चारण करते हैं। और अविनाश से कहते हैं "जिन-जिन लोगों से तुम सच्चा प्रेम करते हो उन्हें याद करो।"

और जैसे ही अविनाश अपने माता-पिता के साथ उस चुड़ैल को याद करता है, तो नगमा चुड़ैल प्रगट हो जाती है।

अविनाश के माता-पिता बहुत घबरा जाते हैं तो पंडित जी कहते हैं "डरो नहीं इस चुड़ैल के साए की वजह से ही तुम्हारे घर में सब कुछ अशुभ हो रहा था, यह चुड़ैल तुम्हारे बेटे की इजाजत से तुम्हारे घर में रह रही है।

अविनाश के माता-पिता अविनाश से पूछते हैं? तो अविनाश कहता है "यह जीवित हो या मृत हो लेकिन विवाह में नगमा चुड़ैल से ही करूंगा।"

और कुछ ही देर में पंडित जी अपने मंत्रों की शक्ति से नगमा चुड़ैल का असली डरावना भयानक रूप अविनाश को दिखाते हैं, उसकी लाल लाल आंखें सड़ा गला चेहरा और बदन लंबे दांत मुंह से बाहर निकलती लाल जीभ परी अप्सरा जैसी लड़की नगमा चुड़ैल का असली रूप देखकर अविनाश के पसीने छूट जाते हैं और अविनाश भाकर अपने माता-पिता से चिपट जाता है।

अविनाश उसके माता-पिता चुड़ैल के डर से थर-थर कांपने लगते हैं, लेकिन पंडित जी बिना भयभीत हुए लगातार मंत्र उच्चारण करते रहते हैं और कुछ मिनटों में वह चुड़ैल वहां से गायब हो जाती है।

तब पंडित जी अविनाश उसके माता-पिता को बताते हैं कि "मैंने नगमा की भटकती आत्मा को मुक्ति दिला दी है।"

उस दिन अविनाश को अच्छी तरह समझ में आ जाता है कि जीवन में जब भी कोई बड़ा फैसला ले तो अच्छी तरह सोच विचार के ले।